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Saturday,29-March-2025
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अरब लीग ने इजरायली मंत्री के अल अक्सा मस्जिद में जा प्रार्थना करने पर जताया ऐतराज

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काहिरा, 27 दिसंबर। अरब लीग (एएल) के महासचिव अहमद अबुल-घीत ने इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन-ग्वीर द्वारा पूर्वी यरुशलम की अल-अक्सा मस्जिद परिसर पर कट्टरपंथी लोगों के एक समूह संग धावा बोलने की कड़ी निंदा करते हुए इसे “स्पष्ट उकसावा” करार दिया।

अबुल-घीत ने कहा, “यह घुसपैठ भावनाओं को भड़काने और स्थिति को बढ़ाने के उद्देश्य से एक स्पष्ट उकसावे की कार्रवाई है।” उनका ये बयान काहिरा स्थित पैन-अरब संगठन ने साझा किया।

सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने एएल प्रमुख के हवाले से कहा, इजरायली “कब्जे वाली पुलिस” के संरक्षण में पवित्र स्थल में बेन-ग्वीर का प्रवेश इजरायली सरकार की शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के प्रति शत्रुता की प्रकृति को दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि यह घटना इजरायल सरकार के अल-अक्सा मस्जिद में ऐतिहासिक यथास्थिति के निरंतर उल्लंघन का हिस्सा है।

अल-अक्सा मस्जिद, इस्लाम में तीसरा सबसे पवित्र स्थल है, जिसका प्रशासन जॉर्डन से संबद्ध इस्लामी धार्मिक ट्रस्ट जेरूसलम अवकाफ विभाग द्वारा किया जाता है। यहूदी इस स्थल को मंदिर के रूप में पूजते हैं। यह पवित्र स्थल लंबे समय से यहूदियों और मुसलमानों के बीच घातक हिंसा का केंद्र रहा है।

अबुल-घीत ने कहा, “इजरायल इन अस्वीकृत और निंदनीय नीतियों के माध्यम से जानबूझकर इस क्षेत्र में धर्मों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की सभी संभावनाओं को नष्ट कर रहा है।”

इससे पहले दिन में, बेन-ग्वीर ने कहा कि उन्होंने अल-अक्सा मस्जिद परिसर का दौरा किया और “प्रार्थना की”। उन्होंने स्थल पर लंबे समय से चली आ रही यथास्थिति का उल्लंघन किया, जिसके तहत गैर-मुसलमानों को केवल पहाड़ी परिसर में जाने की अनुमति है, लेकिन वहां प्रार्थना करने की अनुमति नहीं है।

यरुशलम के पुराने शहर में अल-अक्सा परिसर मक्का और मदीना की मस्जिदों के बाद इस्लाम का सबसे पवित्र स्थल है और यह फिलिस्तीनी राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक है।

सऊदी मंत्रालय ने गुरुवार को दिसंबर की शुरुआत में बशर अल-असद के शासन के पतन के बाद दक्षिणी सीरिया में इजरायली कब्जे वाले बलों की बढ़त की भी निंदा की।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “सीरिया में (इजरायली) सैन्य अभियानों का जारी रहना सीरिया की सुरक्षा और स्थिरता को बहाल करने की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाने का एक प्रयास है।”

अंतरराष्ट्रीय समाचार

पुतिन भारत आ रहे हैं, यात्रा की तैयारियां चल रही हैं : लावरोव

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मॉस्को, 27 मार्च। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आगामी भारत यात्रा के लिए तैयारियां की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि भारत- रूस के बीच राजनीतिक वार्ता ‘गतिशील रूप से विकसित हो रही है’, इसमें यह तथ्य प्रमुख है कि मॉस्को और नई दिल्ली ‘उभरती बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था पर मिलते-जुलते विचार रखते हैं।’

लावरोव ने कहा, “हमारे देशों के बीच संबंधों का इतिहास बहुत पुराना है। यह कहा जा सकता है कि वे समय की कसौटी पर एक से अधिक बार खरे उतरे हैं।”

वह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘रूस और भारत: द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक नए एजेंडे की ओर’ में भाषण दे रहे थे। इस सम्मेलन को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी संबोधित किया।

रूसी विदेश मंत्री ने कहा, “यह प्रतीकात्मक है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले साल दोबारा चुने जाने के बाद अपनी पहली द्विपक्षीय विदेश यात्रा पर रूस आते हैं। अब हमारी बारी है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारतीय सरकार के प्रमुख के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है। रूसी राष्ट्र प्रमुख की भारत यात्रा की तैयारियां की जा रही हैं।”

इससे पहले क्रेमलिन के सहयोगी यूरी उशाकोव ने पुष्टि की थी कि प्रधानमंत्री मोदी के निमंत्रण पर पुतिन 2025 की शुरुआत में भारत का दौरा कर सकते हैं। उन्होंने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा था, “हमारे नेताओं के बीच साल में एक बार मिलने का समझौता है। इस बार, हमारी बारी है।”

रूसी राष्ट्रपति की पिछली भारत यात्रा 6 दिसंबर, 2021 को नई दिल्ली में 21वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। इस बीच, पीएम मोदी ने पिछले साल रूस की दो हाई-प्रोफाइल यात्राएं कीं, जुलाई में 22वें रूस-भारत शिखर सम्मेलन में भाग लिया और बाद में अक्टूबर में कजान में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल हुए।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

चीन-थाईलैंड नौसेना का संयुक्त प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा

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बीजिंग, 25 मार्च। वार्षिक प्रशिक्षण योजना और चीन और थाईलैंड द्वारा की गई आम सहमति के अनुसार, चीन और थाईलैंड मार्च के अंत से अप्रैल की शुरुआत तक चीन के क्वांगतोंग प्रांत के चानच्यांग समुद्र और हवाई क्षेत्र में चीन-थाईलैंड “ब्लू स्ट्राइक-2025” नौसेना संयुक्त प्रशिक्षण आयोजित करेंगे।

यह छठी बार है जब दोनों नौसेनाओं ने संयुक्त प्रशिक्षण की यह श्रृंखला आयोजित की है, जो दोनों नौसेनाओं के बीच व्यावहारिक सहयोग को गहरा करने और उनकी संयुक्त समुद्री संचालन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए सकारात्मक महत्व रखती है।

मंगलवार को थाई संयुक्त प्रशिक्षण बल चानच्यांग स्थित सैन्य बंदरगाह पर पहुंचा और चीनी पक्ष ने बंदरगाह पर गर्मजोशी से स्वागत समारोह आयोजित किया।

इस वर्ष चीन और थाईलैंड के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 50वीं वर्षगांठ है और संयुक्त प्रशिक्षण शुरू होने का 15वां वर्ष है। ऐसे समय में इस संयुक्त प्रशिक्षण गतिविधि का आयोजन अत्यधिक प्रत्याशित है। बताया गया है कि चीन और थाईलैंड दोनों देशों के कई जहाजों और उभयचर लैंडिंग उपकरणों के अलावा, चीनी मरीन भी थाई सैनिकों के साथ एक संयुक्त टीम का गठन कर कई समुद्री और भूमि प्रशिक्षणों में भाग लेंगे।

स्वागत समारोह में दोनों पक्षों ने अपने भाषणों में इस बात पर जोर दिया कि यह संयुक्त प्रशिक्षण दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने पर आम सहमति को लागू करने के लिए एक महत्वपूर्ण अभ्यास है और यह दोनों देशों की नौसेनाओं की संयुक्त रक्षा संचालन क्षमताओं के परीक्षण पर ध्यान केंद्रित करेगा।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

भारत ने पाकिस्तान को दी कश्मीर छोड़ने की चेतावनी, कहा- आतंकवाद को सही ठहराना बंद करे

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संयुक्त राष्ट्र, 25 मार्च। भारत ने पाकिस्तान से कहा है कि वह जम्मू और कश्मीर में अवैध रूप से कब्जे वाली जमीन को खाली करे और राज्य प्रायोजित आतंकवाद को सही ठहराना बंद करे।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान द्वारा कश्मीर का मुद्दा बार-बार उठाने की कोशिश के जवाब में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने सोमवार को कहा, “ऐसे बार-बार के उल्लेख न तो उनके अवैध दावों को सही ठहराते हैं और न ही उनके राज्य द्वारा प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद को उचित ठहराते हैं।”

उन्होंने कहा, “पाकिस्तान, जम्मू और कश्मीर के क्षेत्र पर अवैध कब्जा जारी रखे हुए है, जिसे उसे खाली करना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “यह सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 47 के अनुरूप होगा, जो 21 अप्रैल 1948 को पारित हुआ था और जिसमें पाकिस्तान से अपनी सेनाओं और घुसपैठियों को कश्मीर से हटाने की मांग की गई थी।”

हरीश ने कहा, “जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा।”

उन्होंने कहा, “हम पाकिस्तान को सलाह देंगे कि वह अपने संकीर्ण और विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इस मंच का ध्यान भटकाने की कोशिश न करे।”

इससे पहले पाकिस्तान के विदेश मामलों के कनिष्ठ मंत्री सैयद तारिक फातमी ने कहा कि परिषद को कश्मीर के लिए जनमत संग्रह पर अपने प्रस्ताव को लागू करना चाहिए।

हालांकि, उस प्रस्ताव में यह मांग की गई कि पाकिस्तान “जम्मू और कश्मीर राज्य से उन कबीलों और पाकिस्तानी नागरिकों को हटाने की व्यवस्था करे, जो वहां सामान्य निवासी नहीं हैं और लड़ाई के उद्देश्य से राज्य में घुसे हैं।”

प्रस्ताव में यह भी आदेश दिया गया था कि पाकिस्तान आतंकवादियों की मदद करना या घुसपैठ कराना बंद करे। इसमें इस्लामाबाद से कहा गया कि वह “ऐसे तत्वों के राज्य में किसी भी घुसपैठ को रोके और राज्य में लड़ रहे लोगों को सामग्री सहायता प्रदान करने से रोक लगाए।”

जब परिषद का प्रस्ताव पारित हुआ था, तब जनमत संग्रह नहीं हो सका क्योंकि पाकिस्तान ने कश्मीर से अपनी वापसी की शर्त का पालन करने से इनकार कर दिया था।

भारत का कहना है कि अब जनमत संग्रह अप्रासंगिक हो गया है, क्योंकि कश्मीर के लोगों ने चुनावों में हिस्सा लेकर और क्षेत्र के नेताओं को चुनकर भारत के प्रति अपनी निष्ठा स्पष्ट कर दी है।

फातमी ने भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (यूएनएमओजीआईपी) का जिक्र किया, जिसकी स्थापना 1949 में नियंत्रण रेखा पर युद्ध विराम की निगरानी के लिए की गई थी।

भारत यूएनएमओजीआईपी की मौजूदगी को बमुश्किल बर्दाश्त करता है और इसे इतिहास का अवशेष मानता है, जो 1972 के शिमला समझौते के बाद अप्रासंगिक हो गया। इस समझौते में दोनों देशों के नेताओं ने कश्मीर विवाद को द्विपक्षीय मुद्दा घोषित किया था, जिसमें तीसरे पक्ष के लिए कोई जगह नहीं थी। भारत ने नई दिल्ली में सरकारी इमारत से यूएनएमओजीआईपी को हटा दिया है।

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