राजनीति
नये कानून से बेअसर रहेगा एपीएमसी का काम-काज, समाप्त होगा एकाधिकार

केंद्र सरकार द्वारा कृषि और संबद्ध क्षेत्र में सुधार के लिए लाए गए नए कानून से भले ही राज्यों के कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) कानून के तहत चलने वाली मंडियों के वजूद पर कोई असर न हो लेकिन इससे एपीएमसी का अधिकार क्षेत्र जरूर सीमित हो जाएगा। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला कहते हैं कि नये कानून से एपीएमसी के कामकाज पर असर नहीं होगा।
केंद्रीय मंत्री रूपाला ने आईएएनएस से खास बातचीत के दौरान एपीएमसी के कामकाज को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा, “एपीएमसी एक्ट ऐसे ही रहेगा और एपीएमसी का कामकाज भी ऐसी ही चलता रहेगा। कृषि सुधार के नये कानून से एपीएमसी का सिर्फ अधिकार क्षेत्र सीमित होगा। मतलब कृषि उत्पाद बाजार में एपीएमसी का जो एकाधिकार है वह समाप्त हो जाएगा।”
कृषि राज्यमंत्री ने कहा कि नए कानून से न तो एपीएमसी एक्ट समाप्त होगा और न ही इससे संघीय व्यवस्था को कोई खतरा होगा।
उन्होंने कहा कि एमपीएमसी कानून के तहत जहां मंडी शुल्क लगता है वहां एपीएमसी के अधिकार क्षेत्र में मंडी शुल्क जारी रहेगा और वहां उसी प्रकार कृषि उत्पादों का व्यापार होगा जिस प्रकार अब तक होता रहा है। केंद्रीय मंत्री ‘कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020’ के संदर्भ में बोल रहे थे।
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए ‘कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020’ और ‘मूल्य आश्वासन पर किसान समझौता (अधिकार प्रदान करना और सुरक्षा) और कृषि सेवा अध्यादेश 2020’ को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद बीते सप्ताह इनकी अधिसूचना जारी कर दी गई थी।
किसानों को उनकी उपज का वाजिब और लाभकारी दाम दिलाने के मकसद से लाए गए इस नये कानून में किसानों और व्यापारियों को कृषि उत्पादों की बिक्री और खरीद के लिए प्रतिस्पर्धी व वैकल्पिक व्यवस्था का प्रावधान है, जिसमें किसानों का एपीएमसी की मंडियों के बाहर अपने उत्पाद बेचने की आजादी दी गई है। नये कानून में एक देश – एक कृषि उत्पाद बाजार की संकल्पना को अमलीजामा पहनाते हुए किसानों को किसी राज्य के भीतर या दूसरे राज्यों में निर्बाध तरीके से अपने उत्पाद बेचने की स्वतंत्रता है। कृषि बाजार कानून के जानकार बताते हैं कि इससे किसानों को एक वैकल्पिक बाजार मिलेगा और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी जिससे उनको कृषि उत्पादों का बेहतर दाम मिलेगा।
रूपाला ने कहा, “देश में 80 फीसदी किसान छोटे जोत वाले हैं जो अपनी उपज मंडियों तक नहीं ले जा पाते हैं। लेकिन अब वे एपीएमसी के बाहर अपने उत्पाद बेच पाएंगे और इसके लिए उनको कानूनी अधिकार मिल गया है।”
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा लाए गए दोनों अध्यादेश छोटे किसानों के लिए भी लाए गए हैं।
कंट्रैक्ट फामिर्ंग के मसले पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, “यह तो पहले से ही चल रही है लेकिन अब इसे कानूनी स्वरूप देने की कोशिश की गई है। साथ ही इस बात पर ध्यान दिया गया है कि इससे किसानों के हितों की रक्षा हो।” उन्होंने कहा कि इस कानून में थर्ड पार्टी को भी शामिल किया गया है। मसलन अगर कोई बीज या कृषि प्रौद्योगिकी का जानकार है और निवेश करना चाहता है तो वह इस कानून के तहत करार करके शामिल हो सकता है।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र मराठी हिंदी विवाद: कानून हाथ में लेने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हिंदी-मराठी भाषाई विवाद पर साफ कर दिया है कि भाषाई भेदभाव और हिंसा बर्दाश्त नहीं की जा सकती। अगर कोई मराठी भाषा के नाम पर हिंसा भड़काता है या कानून अपने हाथ में लेता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी क्योंकि कानून व्यवस्था बनाए रखना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मीरा रोड हिंदी मराठी हिंसा मामले में पुलिस ने मामला दर्ज कर कार्रवाई की है। मराठी और हिंदी भाषा के मामले में एक कमेटी बनाई गई है। इसकी सिफारिश पर छात्रों के लिए जो भी बेहतर होगा, सरकार उसे लागू करेगी। किसी के दबाव में कोई फैसला नहीं लिया गया है।
उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा के लिए सिफारिश महाविकास अघाड़ी शासन के दौरान ही की गई थी, लेकिन अब यही लोग विरोध कर रहे हैं। जनता सब जानती है। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में भाजपा को 51 फीसदी मराठी वोट मिले हैं। भाषा के नाम पर हिंसा और भेदभाव बर्दाश्त नहीं की जा सकती। मराठी हमारे लिए गर्व का स्रोत है, लेकिन हम हिंदी का विरोध नहीं करते। अगर दूसरे राज्य में किसी मराठी व्यापारी को उनकी भाषा बोलने के लिए कहा जाए, तो क्या होगा? असम में उन्हें असमिया बोलने के लिए कहा गया। उन्होंने कहा कि कानून तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
महाराष्ट्र
कई मॉल में आग लगने की घटनाओं के बाद, महाराष्ट्र सरकार ने सभी मॉल का 90 दिन का ऑडिट कराने का आदेश दिया, उपयोगिता कटौती की चेतावनी दी

मुंबई: मुंबई के लिंक स्क्वायर मॉल (29 अप्रैल, 2025) और ड्रीम मॉल, भांडुप में बार-बार आग लगने की घटनाओं के मद्देनजर, महाराष्ट्र सरकार ने राज्य भर में अग्नि सुरक्षा उल्लंघनों पर सख्त कार्रवाई करने की घोषणा की है। मंत्री उदय सामंत ने राज्य विधान परिषद को सूचित किया कि महाराष्ट्र के सभी मॉल का अग्नि ऑडिट 90 दिनों के भीतर पूरा किया जाना चाहिए।
अग्नि सुरक्षा मानकों को पूरा न करने पर बिजली और पानी की आपूर्ति काट दी जाएगी, ऐसा सामंत ने एमएलसी कृपाल तुमाने द्वारा उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए चेतावनी दी। मंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि आगे से अग्नि सुरक्षा में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सामंत ने कहा कि बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने पहले ही कार्रवाई शुरू कर दी है। ड्रीम मॉल, भांडुप सुरक्षा उल्लंघन के बाद बंद है। उन्होंने कहा कि सभी वर्ग ‘बी’, ‘सी’ और ‘डी’ नगर निगमों को मॉल में अग्नि सुरक्षा अनुपालन का सत्यापन शुरू करना चाहिए। जहां आवश्यक हो, महाराष्ट्र अग्नि निवारण और जीवन सुरक्षा उपाय अधिनियम, 2006 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सत्र के दौरान विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने सदस्यों अभिजीत वंजारी और मनीषा कायंडे के साथ मॉल को अग्नि अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी करने में अनियमितताओं पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बांद्रा के लिंक स्क्वायर मॉल, ऑर्किड सेंट्रल मॉल (मुंबई सेंट्रल) और प्राइम मॉल (विले पार्ले) में आग लगने की घटनाओं सहित कई घटनाओं की ओर इशारा किया, जिससे इन परिसरों में अग्नि शमन प्रणालियों की कार्यक्षमता पर सवाल उठे।
विधान पार्षदों ने आरोप लगाया कि स्थानीय नगरपालिका अग्निशमन विभाग और नागरिक प्राधिकरण अग्नि सुरक्षा मानदंडों को लागू करने में लापरवाह रहे हैं, और यह जानने की मांग की कि इन आग की घटनाओं के बाद क्या जांच की गई?, अग्नि सुरक्षा को मजबूत करने के लिए क्या उपाय किए गए?, सुरक्षा चूक के लिए जिम्मेदार पाए गए लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?
एक लिखित उत्तर में, शहरी विकास विभाग (उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के अधीन) ने पुष्टि की कि कई मॉलों में अग्निशमन प्रणालियाँ काम नहीं कर रही थीं, जिनमें शामिल हैं:
बांद्रा लिंक स्क्वायर मॉल, ड्रीम मॉल, भांडुप, ऑर्किड सेंट्रल मॉल, मुंबई सेंट्रल, प्राइम मॉल, विले पार्ले
बीएमसी ने इन मॉल के मालिकों के खिलाफ महाराष्ट्र अग्नि निवारण एवं जीवन सुरक्षा उपाय अधिनियम, 2006 के तहत कार्रवाई की है।
तब से, ऑर्किड सेंट्रल मॉल और प्राइम मॉल में अग्नि प्रणालियों को पुनः सक्रिय कर दिया गया है, ड्रीम मॉल और लिंक स्क्वायर मॉल में प्रणालियां निष्क्रिय बनी हुई हैं, जिसके कारण उन्हें लगातार बंद करना पड़ रहा है और कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
राज्य सरकार ने मॉल में अग्नि सुरक्षा की अनदेखी के आरोपों से इनकार किया और स्पष्ट किया कि कार्यात्मक अग्नि प्रणालियों को बनाए रखने और कानून के अनुसार अर्धवार्षिक अग्नि ऑडिट कराने की जिम्मेदारी मॉल मालिकों की है।
सरकार ने कहा कि मुंबई फायर ब्रिगेड आकस्मिक निरीक्षण करती है और नियमों का पालन न करने वाली संपत्तियों के खिलाफ कार्रवाई करती है।
महाराष्ट्र
हिंदी मराठी विवाद आदेश की प्रति जलाने पर मामला दर्ज

मुंबई: मुंबई हिंदी भाषा को अनिवार्य करने संबंधी आदेश की प्रति जलाने के मामले में मुंबई पुलिस ने दीपक पवार, संतोष शिंदे, संतोष खरात, शशि पवार, योगिंदर सालुलकर, संतोष वीर समेत 200 से 300 कार्यकर्ताओं के खिलाफ बिना अनुमति के विरोध प्रदर्शन करने, निषेधाज्ञा और पुलिस अधिनियम का उल्लंघन करने का मामला दर्ज किया है। आरोपियों पर आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में धारा 189(2), 190,223, महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। शिकायतकर्ता संतोष सूरज धुंडीराम खोत, 32 वर्ष की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है।
विवरण के अनुसार, 29 जून को दोपहर 2 से 3:30 बजे के बीच मराठी पाटकर सिंह से सटे बीएमसी रोड पर प्राथमिक शिक्षा में हिंदी यानी तीसरी भाषा को अनिवार्य करने के खिलाफ सरकारी आदेश की प्रति बिना अनुमति के जलाई गई और सरकारी आदेश का उल्लंघन किया गया। आरोपियों ने इस प्रदर्शन के लिए किसी भी तरह की अनुमति नहीं ली थी और निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया था, जिसके बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, इसकी पुष्टि मुंबई पुलिस ने की है। शिकायतकर्ता का बयान दर्ज करने के बाद मामला दर्ज किया गया है।
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