राष्ट्रीय समाचार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बीच हुई अहम मुलाकात, करीब 40 मिनट तक हुई बात

नई दिल्ली, 28 अप्रैल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बीच सोमवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। यह बैठक प्रधानमंत्री आवास, 7 लोक कल्याण मार्ग पर हुई। प्रधानमंत्री मोदी और रक्षामंत्री के बीच यह बैठक करीब 40 मिनट तक चली।
पीएम मोदी के पास जाने से पहले रक्षामंत्री ने सोमवार को ही आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी से रक्षा मंत्रालय में मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि इस मुलाकात के दौरान राजनाथ सिंह ने सेना प्रमुख से सेना की तैयारी, पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद उठाए गए कदम और सीमाओं की स्थिति की जानकारी ली।
वहीं सोमवार को भारत और फ्रांस के बीच नौसेना के लिए 26 राफेल मरीन विमानों का सौदा भी होना है। इस डील से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) द्वारा फ्रांस से 26 राफेल-एम लड़ाकू विमानों की खरीद को मंजूरी दी गई है। हाल ही में मिली इस मंजूरी के बाद अब यह डील होने जा रही है। इसके तहत नौसेना के लिए मरीन (एम) श्रेणी के राफेल लड़ाकू विमान खरीदे जा रहे हैं।
सोमवार को इससे जुड़े समझौतों पर नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए जाएंगे। फ्रांस के रक्षा मंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बातचीत में शामिल होंगे। इस सब घटनाक्रम के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह प्रधानमंत्री से मिलने प्रधानमंत्री आवास पहुंचे थे। यहां दोनों नेताओं के बीच करीब 40 मिनट तक गंभीर वार्ता हुई है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान की सेना पिछले चार दिनों से नियंत्रण रेखा के उस ओर से गोलीबारी कर रही है। भारतीय सेना ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया है। गोलीबारी का यह सिलसिला पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद शुरू हुआ है। इस बीच रविवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी।
रक्षा मंत्री और जनरल अनिल चौहान की यह मुलाकात भी करीब 40 मिनट तक चली। माना जा रहा है कि इस दौरान आतंकवाद के खात्मे को लेकर जनरल अनिल चौहान ने रक्षा मंत्री को सैन्य रणनीति और तैयारियों से अवगत कराया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान की यह मुलाकात दिल्ली में रक्षा मंत्री के आवास पर हुई थी।
माना जा रहा है कि रक्षा मंत्री के आवास पर पहुंचे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने भारतीय सैन्य बलों की तैयारियों पर रक्षा मंत्री को जानकारी दी थी। रक्षा तैयारियों को लेकर रविवार को दिल्ली में बीएसएफ के अधिकारी भी मौजूद रहे। रविवार को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के डायरेक्टर जनरल दलजीत सिंह चौधरी गृह मंत्रालय गए थे।
राष्ट्रीय समाचार
दिल्ली हाईकोर्ट ने पीएफआई नेता ओएमए सलाम को दी 3 दिन की कस्टडी पैरोल

नई दिल्ली, 28 अप्रैल। दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के पूर्व अध्यक्ष ओएमए सलाम को केरल जाने के लिए 3 दिन की कस्टडी पैरोल मंजूर की है। कोर्ट ने यह फैसला सलाम की अर्जी पर सुनवाई के बाद दिया, जिसमें उसने परिवार से मिलने के लिए केरल जाने की अनुमति मांगी थी। हालांकि, केंद्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इस अर्जी का कड़ा विरोध किया था।
हाईकोर्ट ने सख्त शर्तों के साथ पैरोल मंजूर की। कोर्ट ने कहा कि सलाम को अपनी और सुरक्षाकर्मियों की यात्रा का खर्च खुद उठाना होगा। साथ ही, पैरोल के दौरान वो मोबाइल फोन, इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा और न ही कोई फोटो या वीडियो ले सकेगा। इसके अलावा, वो केवल अपने परिवार के सदस्यों से मिल सकता है और किसी अन्य व्यक्ति से बातचीत या मुलाकात नहीं कर सकता। कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया कि उसकी हर गतिविधि पर नजर रखी जाए।
एनआईए ने कोर्ट में सलाम की अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि 3 दिन की कस्टडी पैरोल दिल्ली जेल नियमों के तहत सूचीबद्ध नहीं है। एनआईए के वकील ने तर्क दिया कि एक दिन की पैरोल ठीक हो सकती है, लेकिन तीन दिन की अनुमति देना उचित नहीं।
उन्होंने सलाम के पीएफआई के पूर्व अध्यक्ष होने का हवाला देते हुए कहा कि उनकी रिहाई से कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है। एनआईए ने बताया कि सलाम की गिरफ्तारी के बाद हिंसा की घटनाओं में 300 मामले दर्ज हुए थे।
एजेंसी ने यह भी दावा किया कि पीएफआई का मकसद शरिया कानून लागू करना था, जिसे केरल हाईकोर्ट भी मान चुका है।
कोर्ट ने एनआईए के तर्कों पर विचार किया, लेकिन सलाम को मानवीय आधार पर 3 दिन की कस्टडी पैरोल देने का फैसला किया। सलाम को कड़ी सुरक्षा में केरल ले जाया जाएगा और उसकी गतिविधियों पर पूरी निगरानी रखी जाएगी।
राष्ट्रीय समाचार
भारत- पाक बॉर्डर पर बीएसएफ अलर्ट, ग्रामीणों से की गई खास अपील

गुरदासपुर, 28 अप्रैल। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए टेरर अटैक के बाद पाकिस्तान-भारत बॉर्डर से सटे गांवों में बीएसएफ अलर्ट मोड में है। पंजाब के गुरदासपुर जिले के सीमावर्ती गांव में भी सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने गश्त बढ़ा दी है। अधिकारियों ने गांव के लोगों को अलर्ट रहने के लिए कह दिया है। सुरक्षा बल ने किसानों को भी जल्द से जल्द अपनी फसलों की कटाई करने के लिए कह दिया है।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। पहलगाम में 26 पर्यटकों की मौत के बाद केंद्र सरकार पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अख्तियार कर चुकी है।
गुरदासपुर जिले के सीमावर्ती गांव के किसान गुरतार सिंह ने मीडिया से बातचीत में बताया कि पहलगाम हमले के बाद दोनों देशों के रिश्ते में तनाव है। बीएसएफ ने भी हम सभी लोगों को अलर्ट रहने के लिए कहा है। बीएसएफ ने हमें स्पष्ट कर दिया है कि अगर हमें किसी भी प्रकार की संदिग्ध गतिविधि देखने को मिलती है, तो फौरन अलर्ट रहें और हर प्रकार की स्थिति का सामना करने के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार रखें।
उन्होंने कहा कि बीएसएफ के अधिकारियों ने हमें कहा है कि हम अपनी फसलों की कटाई कर लें। हम बीएसएफ की बातों से पूरी तरह से सहमत हैं, क्योंकि इससे पहले भी दोनों देशों के बीच युद्ध हो चुके हैं और हम देख चुके हैं कि इस युद्ध ने हमारा किस तरह से नुकसान किया है। हम तो यही चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति पैदा न हो, क्योंकि अगर ऐसा होता है, तो इससे हमारा बहुत नुकसान होगा।
किसान गुरनाम सिंह ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद हमें स्पष्ट कह दिया गया है कि हम सभी लोग चौकस रहें, क्योंकि कुछ भी हो सकता है। भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हैं। हालांकि, हमने अपने जीवन में युद्ध देखे हैं, जिसे देखते हुए हमने खुद को मानसिक रूप से तैयार कर लिया है और किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि अगर दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति पैदा होगी, तो निश्चित तौर पर इसका हमें बहुत नुकसान होगा।
वहीं, एक अन्य किसान ने भी यही बात कही। उन्होंने कहा कि हमें अलर्ट रहने के लिए कह दिया गया है, क्योंकि कुछ भी हो सकता है। जिस तरह से जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हमला हुआ है, उससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। हम चाहते हैं कि युद्ध न हो, क्योंकि अगर युद्ध होता है, तो इसका सबसे ज्यादा नुकसान सीमा से सटे गांव के लोगों को होगा। ऐसे में हम यही अपील करते हैं कि दोनों देशों के बीच युद्ध न हो।
राजनीति
पहलगाम आतंकी हमला: उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बुलाया विधानसभा का एक-दिवसीय विशेष सत्र

जम्मू, 28 अप्रैल। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद उत्पन्न स्थिति पर चर्चा के लिए विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया है।
यह सत्र सोमवार सुबह 10:30 बजे जम्मू में आयोजित होगा। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 18(1) के तहत अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए यह आदेश जारी किया।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने एक आदेश में कहा, “मैं मनोज सिन्हा, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 18(1) के तहत मुझे प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जम्मू में 28 अप्रैल सोमवार सुबह 10:30 बजे जम्मू-कश्मीर विधानसभा की बैठक आहूत करता हूं।”
अधिकारियों के अनुसार, पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा, क्षेत्रीय स्थिरता और अन्य संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए यह विशेष सत्र बुलाया गया है। जम्मू-कश्मीर मंत्रिमंडल ने बुधवार को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में हुई बैठक में उपराज्यपाल को यह सत्र आहूत करने की सलाह दी थी। मंत्रिमंडल ने इस हमले को क्षेत्रीय शांति के लिए गंभीर खतरा करार देते हुए त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया।
पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी, जिसके बाद देशभर में आक्रोश की लहर दौड़ गई। जनता ने पाकिस्तान के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है। इस हमले के जवाब में भारत सरकार ने कई बड़े कदम उठाए हैं। सरकार ने सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया है, जो दोनों देशों के बीच जल संसाधनों के बंटवारे का महत्वपूर्ण समझौता था। इसके अलावा, भारत ने शॉर्ट टर्म वीजा पर आए पाकिस्तानी नागरिकों को 27 अप्रैल तक देश छोड़ने का आदेश दिया था।
साथ ही, अटारी सीमा के रास्ते होने वाले व्यापार को भी रोक दिया गया है। पाकिस्तान के उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या को भी सीमित करने का फैसला लिया गया। पाकिस्तानी नागरिकों के लिए भारत छोड़ने की समय सीमा रविवार को समाप्त हो गई। इस आदेश के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों का अपने देश लौटने का सिलसिला जारी है। आंकड़ों के अनुसार, अमृतसर के अटारी बॉर्डर के रास्ते अब तक 537 पाकिस्तानी नागरिक अपने वतन लौट चुके हैं। दूसरी ओर, पाकिस्तान में रह रहे 1387 भारतीय नागरिक भी भारत वापस आ चुके हैं।
पहलगाम हमले ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को और तनावपूर्ण बना दिया है। केंद्र सरकार ने इस हमले को आतंकवाद के खिलाफ अपनी जीरो-टॉलरेंस नीति के तहत गंभीरता से लिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि विधानसभा का यह विशेष सत्र न केवल हमले के बाद की स्थिति पर चर्चा करेगा, बल्कि क्षेत्र में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दीर्घकालिक रणनीतियों पर भी विचार-विमर्श करेगा।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने विधानसभा सत्र के दौरान सभी दलों से रचनात्मक सहयोग की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह समय एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने का है। सत्र में आतंकी हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के साथ-साथ क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के उपायों पर भी चर्चा होने की संभावना है।
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