राजनीति
उत्तर प्रदेश में सरकार गठन के बाद अब संगठन के मुखिया की तलाश, बड़े फेरबदल की तैयारी में भाजपा

उत्तर प्रदेश में रिकॉर्ड बहुमत के साथ भाजपा ने लगातार दूसरी बार सरकार का गठन कर लिया है। नई सरकार में प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को भी कैबिनेट मंत्री के तौर पर सरकार में शामिल किया गया है। इसके बाद से ही भाजपा जोर-शोर से अब संगठन के मुखिया ( प्रदेश अध्यक्ष ) की तलाश कर रही है।
भाजपा के एक दिग्गज नेता ने आईएएनएस को बताया कि सरकार गठन में उत्तर प्रदेश के जिन-जिन क्षेत्रों को जगह दी गई है उसे देखते हुए प्रदेश अध्यक्ष के पद के लिए इस बार सबसे मजबूत दावा पश्चिम उत्तर प्रदेश का बनता है। ध्यान रहे कि, पश्चिमी उत्तर के इस इलाके में ब्रज का हिस्सा भी शामिल माना जा रहा है।
आईएएनएस को मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश अध्यक्ष के पद के लिए पार्टी आलाकमान कई नामों पर विचार कर रहा है। इनमें विधायक, विधान परिषद सदस्य और सांसद भी शामिल है। योगी आदित्यनाथ की नई सरकार में इस बार पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा को नहीं शामिल किए जाने के कारण के बारे में पूछे जाने पर भाजपा के एक दिग्गज नेता ने आईएएनएस से कहा कि दोनों ही नेताओं को संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है और सरकार नहीं तो संगठन में पार्टी निश्चित तौर पर उनकी क्षमता का उपयोग करेगी।
इनके अलावा कन्नौज में समाजवादी पार्टी का गढ़ ढहाने वाले लोकसभा सांसद सुब्रत पाठक और बस्ती के लोकसभा सांसद हरीश द्विवेदी भी प्रदेश अध्यक्ष की रेस में बताए जा रहे हैं। हालांकि इन सभी नेताओं में श्रीकांत शर्मा ब्रज क्षेत्र से आने के कारण रेस में सबसे आगे माने जा रहे हैं।
दरअसल , यह तय माना जा रहा है कि भाजपा उत्तर प्रदेश में संगठन की कमान किसी ब्राह्मण नेता को ही सौंप सकती है। 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान केशरीनाथ त्रिपाठी उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष थे तो वहीं 2009 लोकसभा चुनाव के दौरान रमापति राम त्रिपाठी के हाथ में उत्तर प्रदेश भाजपा की कमान थी। 2014 के लोकसभा चुनाव के समय मेरठ से ताल्लुक रखने वाले पार्टी के बड़े ब्राह्मण नेता लक्ष्मीकांत वाजपेयी प्रदेश अध्यक्ष थे और 2019 के लोकसभा चुनाव के समय भाजपा ने महेंद्र नाथ पांडेय को उत्तर प्रदेश में संगठन की कमान सौंपी हुई थी। इसी पैटर्न का हवाला देते हुए भाजपा के एक अन्य दिग्गज नेता ने बताया कि इस बार भी ब्राह्मण चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
दरअसल, 2 वर्ष बाद 2024 में लोकसभा का चुनाव होना है और इसके मद्देनजर तमाम जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधते हुए भाजपा को एक ऐसे मजबूत चेहरे की तलाश है जो उत्तर प्रदेश में उसके चुनावी लक्ष्यों को हासिल करने में मददगार साबित हो सके। देश की लोकसभा में सबसे ज्यादा 80 सांसद भेजने वाले उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर भाजपा कोई कोताही नहीं बरतना चाहती है।
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ही , भाजपा उत्तर प्रदेश संगठन में बड़े बदलाव की भी तैयारी कर रही है। एक तरफ जहां योगी सरकार से 22 मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। वहीं प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह एवं अरविंद शर्मा, प्रदेश के ताकतवर महासचिव जेपीएस राठौड़ और नरेंद्र कश्यप सहित संगठन के कई महत्वपूर्ण नेताओं को मंत्री बना दिया गया है। ऐसे में पार्टी प्रदेश संगठन में भी बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। प्रदेश संगठन महासचिव सुनील बंसल इसे लेकर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं और कई स्तरों से फीडबैक लेने के बाद ही आलाकमान प्रदेश अध्यक्ष सहित संगठन में होने वाले फेरबदल पर अपनी मुहर लगाएगा।
महाराष्ट्र
मुंबई हांडीवाली मस्जिद में शांतिपूर्ण प्रदर्शन, मुसलमान अपने पवित्र पैगंबर (PBUH) के लिए मरने को तैयार, मुस्लिम युवकों पर दर्ज मामला वापस लिया जाए: रजा अकादमी

मुंबई: मुंबई और महाराष्ट्र की सड़कें और मस्जिदें “आओ, मुहम्मद” के नारों से गूंज उठीं, जब यूपी में “आओ, मुहम्मद” का बैनर टांगने पर मामला दर्ज किया गया। पूरे महाराष्ट्र में पैगंबर के प्रेमियों ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया, इस दौरान पुलिस व्यवस्था भी तैनात की गई थी। उत्तर प्रदेश के कानपुर में ईद मिलादुन्नबी (PBUH) पर “आओ, मुहम्मद” का बैनर टांगने पर 25 मुस्लिम युवकों के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद, दुनिया भर में सोशल मीडिया पर मुहम्मद (PBUH) का नाम ट्रेंड कर रहा है। यूपी पुलिस की इस कार्रवाई के खिलाफ मुंबई और महाराष्ट्र में मुसलमानों ने शुक्रवार की नमाज के बाद शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन भी किया। इस विरोध प्रदर्शन में मुसलमानों ने मांग की है कि पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई गलत है और उन्हें मामला वापस लेना चाहिए और मुस्लिम युवकों से माफी मांगनी चाहिए। इधर, हांडी वाली मस्जिद में धर्मोपदेशक और इमाम मौलाना एजाज कश्मीरी ने कहा कि पैगंबर मुहम्मद (शांति उस पर हो) का नाम दुनिया में प्रसिद्ध है और मुसलमान अपने गुरु का अनुसरण करते हैं। यूपी में जिस तरह से मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का नाम लिखने पर एफआईआर दर्ज की गई है, वह पूरी तरह से अनुचित है और अब पुलिस इसे अलग रंग देने की कोशिश कर रही है। पुलिस ने इससे ध्यान भटकाने के लिए इसे एक अलग मामला घोषित कर दिया है, जो सही नहीं है। कश्मीरी ने कहा कि पुलिस द्वारा मुस्लिम युवकों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर वापस ली जानी चाहिए और उन्हें माफी मांगनी चाहिए क्योंकि पुलिस ने यह कार्रवाई करके माहौल खराब करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि मुसलमान पवित्र पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से बेहद प्यार करते हैं, इसीलिए वे उन पर अपनी जान लुटाते हैं। इसके बाद, दुरूद पाक और “आई लव मुहम्मद” का नारा लगाया गया। श्रद्धालु रसूल ने मुंबई और महाराष्ट्र में “आई लव मुहम्मद” का नारा लगाकर पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के प्रति अपनी श्रद्धा और प्रेम प्रदर्शित किया। इस दौरान पुलिस ने कड़े सुरक्षा इंतजाम किए थे। मुंबई के गोविंदी में विधायक अबू आसिम आज़मी ने भी “आई लव मुहम्मद” की तख्ती लेकर विरोध प्रदर्शन किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे लोकप्रिय और पवित्र व्यक्तित्व मुहम्मद मुस्तफा (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) हैं। जिस तरह से यूपी में “आई लव मुहम्मद” लिखने पर मुकदमा दर्ज किया गया है, उसी के चलते हम शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक तत्व हर बात पर आपत्ति जताते हैं, ऐसे में देश का माहौल बिगाड़ने की साजिश भी रची जा रही है। इस पहलू पर ध्यान देने की ज़रूरत है।
रज़ा अकादमी के प्रमुख सईद नूरी ने कहा, “एक मुसलमान सब कुछ बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन अपने पैगंबर का अपमान कतई बर्दाश्त नहीं कर सकता और इसके लिए वह अपनी जान देने से भी नहीं हिचकिचाएगा क्योंकि पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) मुसलमानों के ईमान और आस्था का हिस्सा हैं। इसलिए हम पुलिस से मांग करते हैं कि वह मुस्लिम युवक के खिलाफ दर्ज मामला तुरंत वापस ले।”
इसी तरह, महाराष्ट्र के औरंगाबाद, मुंब्रा, नांदेड़, भिवंडी और उस्मानाबाद में भी विरोध प्रदर्शन हुए। विरोध प्रदर्शन में, पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के चाहने वालों ने “आओ मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम)” की तख्तियाँ पकड़ीं और “आओ मुहम्मद” के नारे लगाए। इतना ही नहीं, नांदेड़ और जंतर में कलेक्टर को ज्ञापन भी दिया गया। इसके अलावा, पैगंबर के चाहने वालों ने बीड के चौक पर भी प्रदर्शन किया।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र राज्य साहित्य उर्दू अकादमी को मामूली धनराशि प्रदान की गई, राज्य सरकार पर सौतेले व्यवहार के गंभीर आरोप, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने अपना वादा पूरा नहीं किया: रईस शेख

RAIS SHAIKH
मुंबई: मुंबई राज्य उर्दू साहित्य अकादमी इस वर्ष अपनी स्वर्ण जयंती मना रही है और महायुति सरकार ने स्वर्ण जयंती वर्ष में केवल 1.2 करोड़ रुपये प्रदान करके अपना वादा पूरा नहीं किया है। भिवंडी पूर्व से समाजवादी पार्टी के विधायक रईस शेख ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार जानबूझकर अल्पसंख्यक संस्थानों के साथ भेदभाव कर रही है। विधायक शेख ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मानेकराव कोकाटे से 50 करोड़ रुपये की मांग भी की है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए विधायक रईस शेख ने बताया कि गुरुवार को सरकारी निर्णय के तहत उर्दू साहित्य अकादमी को स्वर्ण जयंती कार्यक्रम के आयोजन के लिए 1.2 करोड़ रुपये की अल्प निधि और अकादमी की स्थापना के लिए 11.76 लाख रुपये की अल्प निधि वितरित की गई है।
मैंने 8 जुलाई को तत्कालीन अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री दत्तात्रेय भरत के साथ एक बैठक की थी, जिसमें अकादमी के लिए 50 वर्षों की अवधि के लिए 50 करोड़ रुपये की स्थायी निधि रखी जाएगी। यह भी आश्वासन दिया गया था कि अकादमी को हर साल 5 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाएगा। अगस्त में वर्तमान अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री माणिकराव कोकाटे को एक पत्र भेजा गया था, जिसमें अकादमी के स्वर्ण जयंती वर्ष के लिए विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन के लिए 50 करोड़ रुपये की निधि की मांग की गई थी। राज्य सरकार ने कल प्रकाशित सरकारी निर्णय में अल्प धनराशि प्रदान करके बैठक के सभी प्रावधानों का उल्लंघन किया है। महाराष्ट्र में उर्दू बोलने वालों की संख्या 75 लाख है और 25 उर्दू दैनिक प्रकाशित होते हैं। उर्दू एक भारतीय भाषा है। जबकि उर्दू साहित्य अकादमी इस वर्ष अपनी स्वर्ण जयंती मना रही है, इसने एक बार फिर उजागर किया है कि महायुति सरकार अल्प धनराशि प्रदान करके अल्पसंख्यक समुदाय के साथ अवमाननापूर्ण व्यवहार कर रही है। विधायक रईस शेख ने कहा कि इस संबंध में हम उपमुख्यमंत्री अजीत पवार से सहयोग मांगेंगे।
राष्ट्रीय समाचार
मुंबई : इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स और कुवैत के बीच एमओयू साइन, द्विपक्षीय व्यापार को मिलेगा बढ़ावा

मुंबई, 19 सितंबर। भारत और कुवैत के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया। इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) और कुवैत स्थित गल्फ कंसल्ट के प्रतिनिधिमंडल के बीच मुंबई में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। यह एमओयू दोनों देशों के बीच व्यापार, संस्कृति और वित्तीय संबंधों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
गल्फ कंसल्ट के डायरेक्टर और सीएफओ कैसर शाकिर ने इस एमओयू को गर्व का क्षण बताया। कैसर शाकिर ने मीडिया से बातचीत में कहा, “हम इंडियन बिजनेस एंड प्रोफेशनल काउंसिल कुवैत का प्रतिनिधित्व करते हैं। हम भारत और कुवैत के बीच व्यापार, संस्कृति और वित्तीय संबंधों को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं। इस संदर्भ में, इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर करना हमारे लिए सम्मान की बात है। यह एमओयू दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों और व्यापार को मजबूत करेगा।”
उन्होंने आगे कहा, “हम दोनों संगठन, चैंबर ऑफ कॉमर्स और कुवैत आईबीपीसी, का एक ही मिशन है। दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना, संस्कृति का प्रचार करना तथा व्यवसायिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना। यह एमओयू हमें विचारों का आदान-प्रदान करने, आईसीसी के प्रतिनिधिमंडलों और भारतीय कंपनियों को कुवैत आमंत्रित करने में मदद करेगा।”
शाकिर ने भारत-कुवैत संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा, “कुवैत में भारतीय समुदाय का महत्वपूर्ण योगदान है। कुवैत ने हमेशा भारतीय प्रतिभा का स्वागत किया है।”
इंडियन बिजनेस एंड प्रोफेशनल काउंसिल कुवैत (आईबीपीसी) की स्थापना 2001 में भारत के कुवैत राजदूत के संरक्षण में हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य कुवैत और भारत के बीच व्यापार, निवेश तथा व्यवसायिक सहयोग को बढ़ावा देना है।
यह एक गैर-लाभकारी, गैर-व्यावसायिक और स्वैच्छिक संगठन है, जिसमें कुवैत में रहने वाले भारतीय प्रवासी समुदाय के प्रमुख सदस्य शामिल हैं। आईबीपीसी ने पिछले कई सालों में भारत की प्रमुख चैंबर्स जैसे फिक्की और सीआईआई तथा कुवैत चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के बीच संस्थागत संबंध स्थापित किए हैं। इसके अलावा, संगठन ने विभिन्न भारतीय कंपनियों और कुवैती व्यवसायियों तथा कंपनियों के बीच सीधे संपर्क बनाए हैं।
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