राजनीति
उपचुनाव में मिली हार के बाद बसपा ने बदली रणनीति, अति-पिछड़ों पर भी फोकस

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) उपचुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद अपने संगठनिक ढांचे को नए सिरे से मजबूत करने में लग गयी हैं। अब उनका फोकस दलित और अति-पिछड़ा है। प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर राजभर समाज के व्यक्ति को बैठा कर पार्टी ने साफ संकेत दे दिया है कि वह वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में इसी जातीय समीकरण के आधार पर मैदान में उतरेगी।
प्रदेश अध्यक्ष पद से मुनकाद अली को हटाने के बाद अब निचले स्तर पर बड़े बदलाव की तैयारी है। इसके साथ वर्ष 2022 के आम चुनाव से पहले सामाजिक समीकरण मजबूत करने की कार्ययोजना भी तैयार की है। अगले वर्ष होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के जरिये सोशल इंजीनियरिंग को मजबूत किया जाएगा। इसके लिए समीक्षा हो रही है। मुस्लिम और पिछड़े वर्ग के वोट छिटकने पर चिंता व्यक्त की गयी है।
राज्यसभा चुनाव के बाद से बसपा सुप्रीमो के बयान का असर भी पड़ा है। उनको लगता है कि मुस्लिम अब उनके पाले में आसानी से नहीं आएगा। ऐसे में उन्होंने इस वर्ग के बजाए पिछड़े-अति पिछड़े वोट बैंक पर अपनी नजरें गड़ानी शुरू कर दी हैं।
पार्टी के एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अभी तक अन्य पिछड़ा वर्ग द्वारा बसपा से दूरी बनाने के बाद मुस्लिम भी अपने पाले से खिसकने लगे हैं। पिछले तीन चुनावों का अनुभव देंखे तो पार्टी केवल दलित-मुस्लिम-ब्राह्मण गठजोड़ बनाए रखने पर अधिक दिनों तक नहीं चल सकेगी। जब तक अन्य पिछड़ों को फिर से नहीं जोड़ा जाएगा, तब तक मुस्लिमों को संभाले रखना संभव न होगा। यह बसपा का पुराना बेस वोट रहा है। इस कारण कई प्रकार की रणनीति में फेरबदल हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि अभी पार्टी का मुख्य फोकस है कि अपने बिखर चुके वोट बैंक को कैसे संजोय और संभाले। इसी को लेकर पार्टी नेतृत्व नए-नए प्रयोग आजमा रहा है।
नेता के अनुसार पार्टी के गिरते वोट बैंक को लेकर अच्छी खासी चिंता है। 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को औसत 23.62 प्रतिश्त वोट मिले थे। जो कि उपचुनाव में 18.97 ही रह गये हैं।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि बसपा को अब तक दलित, ब्राम्हण और मुस्लिम वोटों के जरिए सफलता मिली है। 2014 के बाद से भाजपा ने दलित वोटों पर सेंधमारी की है। उससे बसपा का आधार खिसक रहा है। बसपा को एक नया क्षेत्र चाहिए। जिससे वह अपना आधार मजबूत कर सके। ऐसे में उन्होंने छोटा ही सही एक वर्ग ढूंढा है। क्योंकि भाजपा के निकटता के कारण मुस्लिम उनकी ओर नहीं आएंगे। अब मुस्लिमों पर उनका भरोसा नहीं होगा। दलित और पिछड़ों के बीच अति-पिछड़ा बचा है। इस पर अभी किसी पार्टी का कोई खास ध्यान नहीं है। इसी कारण बसपा ने इस वर्ग को खोजा है जहां वह अपने को मजबूती से स्थापित कर सके।
उन्होंने कहा कि बसपा के लिए समाज के किसी एक वर्ग का समर्थन मिलना बहुत जरूरी है। नहीं तो उनके अस्तित्व पर संकट आ जाएगा। क्योंकि उन्हें बड़े वर्ग का समर्थन मिल पाना मुश्किल है। सर्वणों का समर्थन मिलेगा नहीं। मुस्लिम अब जाएगा नहीं। पिछड़ों का अभी भी सपा एक बेहतर विकल्प है। बसपा की सत्ता पर कोई भागीदारी नहीं है। ऐसे में एक वर्ग की तलाश है। इसी कारण मायावती ने रणनीति के तहत यह कदम उठाया है। उपचुनाव के नतीजों ने यह तस्वीर साफ कर दी है कि उनकी तरफ किसी बड़े वर्ग का समर्थन अब बचा नहीं है। इसी कारण उन्होंने इस ओर फोकस करना शुरू किया है।
राजनीति
आतंकवाद को बख्शा नहीं जाएगा, तिरंगा रैली देश की शान : सतपाल शर्मा

जम्मू, 21 मई। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के हालिया बयानों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को जुबानी हमला किया। जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष सतपाल शर्मा ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर उठाए गए सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए विपक्षी नेताओं पर हमला बोला।
सतपाल शर्मा ने मंगलवार को मिडिया से बात करते हुए महबूबा मुफ्ती के हालिया बयान पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ उन 26 निर्दोष नागरिकों की शहादत का जवाब है, जिन्हें 22 अप्रैल को आतंकवादियों ने धर्म पूछकर मार डाला था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि जो भी इस हमले के पीछे होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कोई व्यक्ति हो या कोई देश। थल सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान के भीतर घुसकर उसके लॉन्चिंग पैड तबाह कर दिए। इस ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। यह कार्रवाई एक सशक्त संदेश है कि आतंकवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का झुकाव उग्रवादियों के प्रति आज भी बना हुआ है। वे ऐसे बयान देते हैं जिससे आतंकवादियों का मनोबल बढ़ता है, लेकिन देश की सेना ने यह दिखा दिया है कि हमलावरों को छोड़ा नहीं जाएगा।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की टिप्पणी पर जवाब देते हुए सतपाल शर्मा ने कहा कि ऐसे समय में जब देशभर में तिरंगा रैलियों के जरिए भारतीय सेना और वायुसेना का सम्मान हो रहा है, खड़गे का बयान निराशाजनक है। चूक हो सकती है, लेकिन प्रधानमंत्री ने पुलवामा हमले के बाद भी यही कहा था कि हमारे जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। पाकिस्तान को उसी की जमीन पर जाकर करारा जवाब दिया गया।
शर्मा ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान भारत में धार्मिक विभाजन फैलाने की साजिश रच रहा है। उन्होंने कहा कि धर्म पूछकर की गई हत्याएं और उसके बाद की पाकिस्तान समर्थित गतिविधियां इसी दिशा में इशारा करती हैं। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि विपक्ष ऐसे संवेदनशील समय में भी पाकिस्तान की साजिशों पर चुप रहता है।
तिरंगा रैली के महत्व पर प्रकाश डालते हुए सतपाल शर्मा ने कहा कि यह किसी राजनीतिक दल की पहल नहीं, बल्कि आम नागरिकों का देश प्रेम है। यह हमारा प्रथम कर्तव्य है कि जब तिरंगा रैली निकाली जाए, तो उसमें हम सब शामिल हों। मेरा विपक्ष के नेताओं से भी निवेदन है कि वे इस राष्ट्रीय प्रतीक के सम्मान में हिस्सा लें। तिरंगा हमारे देश की आन, बान और शान है, इसके लिए न जाने कितने वीर सैनिकों ने अपनी जान कुर्बान की है।
महाराष्ट्र
हजरत सैयद बाले शाह पीर दरगाह ध्वस्तीकरण आदेश, चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश, दरगाह प्रबंधन को राहत

मुंबई: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मुंबई के मीरा भयंदर स्थित हजरत सैयद बाले शाह पीर दरगाह को संरक्षण प्रदान किया है तथा चार सप्ताह के लिए ध्वस्तीकरण प्रक्रिया पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। महाराष्ट्र सरकार चार सप्ताह के भीतर अदालत में जवाब दाखिल करेगी, जिसके बाद ही दरगाह को गिराने की प्रक्रिया पर निर्णय लिया जाएगा।
राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बांकोले ने सदन में 20 मई तक धर्मस्थल को ध्वस्त करने का आदेश जारी किया था और सार्वजनिक बयान भी जारी किया था, लेकिन किसी तरह का कोई नोटिस जारी नहीं किया गया। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने ध्वस्तीकरण प्रक्रिया पर प्रभावी रोक लगाने का आदेश दिया और दरगाह प्रशासन द्वारा दायर याचिका पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब भी मांगा।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि किसी सरकारी नोटिस के अभाव के बावजूद, राज्य विधानसभा में मंत्री के सार्वजनिक बयानों और हाल की पुलिस रिपोर्ट के आधार पर ध्वस्तीकरण का आदेश दिया गया। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि दरगाह 350 साल पुरानी है और फिर भी राज्य सरकार ने इसे अवैध संरचना के रूप में वर्गीकृत किया है। ट्रस्ट ने दावा किया है कि संपत्ति का औपचारिक पंजीकरण भी 2022 में कराने की मांग की गई है और यह मंदिर दशकों से उसी स्थान पर स्थित है। याचिकाकर्ता के अनुसार, बॉम्बे हाईकोर्ट की अवकाश पीठ ने 15 और 16 मई को तत्काल सुनवाई की याचिकाओं को गलती से खारिज कर दिया था। दरगाह प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पुलिस ने 15 मई को एक नोटिस भी जारी किया था। नोटिस में ट्रस्ट के सदस्यों को चेतावनी दी गई थी कि वे विध्वंस प्रक्रिया में बाधा या व्यवधान न डालें। ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया 20 मई के लिए निर्धारित की गई है।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई बिना किसी कानूनी आदेश या उचित प्रक्रिया, जैसे नोटिस या सुनवाई का अवसर दिए बिना की गई, जो उनके अधिकारों का उल्लंघन है। सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दी और महाराष्ट्र सरकार को उस समयावधि के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया।
अपराध
झारखंड के शराब घोटाले में आईएएस विनय चौबे से एंटी करप्शन ब्यूरो ने शुरू की पूछताछ

रांची, 20 मई। झारखंड में शराब घोटाले में पीई (प्रिलिमिनरी इन्क्वायरी) दर्ज करने के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो ने आईएएस और तत्कालीन एक्साइज सेक्रेटरी विनय कुमार चौबे से पूछताछ शुरू की है।
मंगलवार को एसीबी की टीम उनके आवास पर पहुंची और इसके बाद उन्हें अपने साथ कार्यालय लेकर पहुंची है।
सूत्रों के अनुसार, उनसे उनके कार्यकाल में झारखंड में छत्तीसगढ़ की तर्ज पर लागू हुई एक्साइज पॉलिसी की कथित गड़बड़ियों के बारे में पूछताछ की जा रही है।
दरअसल, इस मामले की जड़ें छत्तीसगढ़ से जुड़ी हैं, जहां शराब घोटाले में स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के अफसरों और कई बड़े कारोबारियों की भूमिका सामने आई है।
छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच वहां की आर्थिक अपराध शाखा ने शुरू की थी। इसके बाद ईडी ने भी इस मामले में जांच शुरू की।
ईडी को इस दौरान यह भी जानकारी मिली कि जिस सिंडिकेट ने छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला किया, उसी ने झारखंड में भी नई उत्पाद नीति लागू करवाई और यहां भी उसी तर्ज पर घोटाला दोहराया गया।
इसी आधार पर ईडी की छत्तीसगढ़ इकाई ने झारखंड के तत्कालीन एक्साइज सेक्रेटरी विनय चौबे को समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया था।
पूछताछ के दौरान चौबे ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा था कि उत्पाद नीति सरकार की सहमति से लागू की गई थी। बाद में झारखंड के एक व्यक्ति ने छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट ने ही झारखंड में सुनियोजित घोटाला किया।
इसके बाद ईडी ने इसमें ईसीआईआर दर्ज कर जांच शुरू की और अक्टूबर 2024 में आईएएस विनय चौबे सहित कई लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की थी।
जानकारी के अनुसार, छत्तीसगढ़ आर्थिक अपराध शाखा में एक प्राथमिकी दर्ज होने के बाद झारखंड एसीबी ने राज्य सरकार की अनुमति के बाद पीई दर्ज कर जांच शुरू की है।
-
व्यापार5 years ago
आईफोन 12 का उत्पादन जुलाई से शुरू होगा : रिपोर्ट
-
अपराध3 years ago
भगौड़े डॉन दाऊद इब्राहिम के गुर्गो की ये हैं नई तस्वीरें
-
अपराध3 years ago
बिल्डर पे लापरवाही का आरोप, सात दिनों के अंदर बिल्डिंग खाली करने का आदेश, दारुल फैज बिल्डिंग के टेंट आ सकते हैं सड़कों पे
-
न्याय9 months ago
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ हाईकोर्ट में मामला दायर
-
अनन्य2 years ago
उत्तराखंड में फायर सीजन शुरू होने से पहले वन विभाग हुआ सतर्क
-
अपराध3 years ago
पिता की मौत के सदमे से छोटे बेटे को पड़ा दिल का दौरा
-
राष्ट्रीय समाचार3 months ago
नासिक: पुराना कसारा घाट 24 से 28 फरवरी तक डामरीकरण कार्य के लिए बंद रहेगा
-
महाराष्ट्र5 years ago
31 जुलाई तक के लिए बढ़ा लॉकडाउन महाराष्ट्र में, जानिए क्या हैं शर्तें