राजनीति
अबू आज़मी ने हिंदी की सार्वभौमिक स्वीकृति का आह्वान किया, एसएस ने रुपये के प्रतीक विवाद पर डीएमके की आलोचना की
मुंबई, 15 मार्च। महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख और विधायक अबू आजमी ने शनिवार को पूरे भारत को जोड़ने वाली भाषा के तौर पर हिंदी की वकालत की।
उनकी यह टिप्पणी तमिलनाडु सरकार द्वारा राज्य के बजट 2025-26 में रुपये के आधिकारिक प्रतीक चिह्न को तमिल लिपि से बदलने के फैसले के बीच आई है। इस कदम पर तीखी राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।
आजमी ने मीडिया से कहा, “भारत एक बड़ा देश है। यहां एक ऐसी भाषा होनी चाहिए जो सभी को स्वीकार्य हो और मेरा मानना है कि हिंदी वह भाषा है।”
उन्होंने कहा, “इसके लिए एक संसदीय समिति भी है और मुझे लगता है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक हिंदी को मान्यता मिलनी चाहिए। कोई अपने राज्य में क्या करना चाहता है, यह उसका फैसला है।”
डीएमके के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार द्वारा रुपए के प्रतीक चिह्न को बदलने के कदम की विभिन्न क्षेत्रों से कड़ी आलोचना हुई है।
शिवसेना नेता मनीषा कायंदे ने इसे “असंवैधानिक” और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन बताया।
उन्होंने आईएएनएस से कहा, “तमिलनाडु सरकार को हमारे राष्ट्रीय रुपए के प्रतीक को किसी स्थानीय भाषा में बदलने का कोई अधिकार नहीं है।”
इस कदम को “राजनीतिक स्टंट” बताते हुए कायंदे ने डीएमके पर जानबूझकर केंद्र को चुनौती देने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, “भारत में तीन-भाषा नीति लंबे समय से स्वीकार की गई है। हिंदी एक आम भाषा है। वे अंग्रेजी को मान्यता देते हैं, लेकिन हिंदी को नहीं। उन्हें अंग्रेजी बोलना और सीखना पसंद है, लेकिन हिंदी पसंद नहीं है, भले ही यह एक भारतीय भाषा है। यह लोगों के बीच नफरत पैदा करने का एक प्रयास मात्र है।”
शिवसेना नेता संजय निरुपम ने मीडिया से बात करते हुए डीएमके के फैसले को “देशद्रोही” और “राष्ट्र-विरोधी” बताया।
उन्होंने याद दिलाया कि जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान रुपये का चिह्न पेश किया गया था, तब डीएमके सरकार का हिस्सा थी।
उन्होंने कहा, “रुपये का चिह्न इस देश का गौरव है। इसे बदलना और इसके स्थान पर तमिल अक्षरों का उपयोग करना अस्वीकार्य है।”
निरुपम ने द्रविड़ पार्टियों पर राजनीतिक लाभ के लिए हिंदी विरोधी भावनाओं का उपयोग करने का भी आरोप लगाया।
“स्टालिन सरकार हिंदी विरोधी एजेंडा आगे बढ़ा रही है, जो आपत्तिजनक और शर्मनाक है। हिंदी के प्रति इस तरह के उग्र विरोध से स्टालिन का पतन हो सकता है। उन्होंने कहा कि आज पूरा देश एकजुट है, जबकि 1960 के दशक में इस तरह के आंदोलन हुए थे। हिंदी ने एक प्रभावी संचार भाषा के रूप में पूरे देश में सम्मान प्राप्त किया है।”
उन्होंने आगे जोर दिया कि हिंदी के प्रति तमिलनाडु का प्रतिरोध हानिकारक साबित हो सकता है।
निरुपम ने चेतावनी देते हुए कहा, “तमिलनाडु के लोग हिंदी भाषी राज्यों में व्यापार करते हैं और संचार के लिए हिंदी का उपयोग करते हैं। यदि वे इस उग्रवादी रवैये को जारी रखते हैं, तो वे खुद को अलग-थलग कर सकते हैं, जो तमिलनाडु के हित में नहीं होगा।”
अपराध
अरुणाचल प्रदेश में पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में कश्मीरी युवक गिरफ्तार

डिब्रूगढ़, 13 दिसंबर: अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी सियांग जिले के आलो से जासूसी के एक मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। खुफिया एजेंसियों से मिली अहम जानकारी के आधार पर जम्मू-कश्मीर के एक युवक को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
यह पिछले एक सप्ताह के भीतर जासूसी के आरोप में हुई तीसरी गिरफ्तारी बताई जा रही है, जिससे सुरक्षा एजेंसियां और अधिक सतर्क हो गई हैं।
गिरफ्तार युवक की पहचान जम्मू-कश्मीर निवासी हिलाल अहमद (26) के रूप में हुई है। अधिकारियों के अनुसार, हिलाल अहमद को 11 दिसंबर की रात करीब 11 बजे हिरासत में लिया गया। आरोप है कि वह संवेदनशील और गोपनीय जानकारियां साझा कर रहा था, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता था।
गिरफ्तारी के बाद 12 दिसंबर की सुबह हिलाल अहमद को ईटानगर पुलिस थाने को सौंप दिया गया। अब मामले की आगे की जांच ईटानगर पुलिस कर रही है। सुरक्षा एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि वह किन लोगों के संपर्क में था और क्या इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोग भी राज्य में सक्रिय हैं।
पश्चिमी सियांग जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) कर्दक रिबा ने बताया कि हिलाल अहमद 25 नवंबर से आलो में मौजूद था। वह एक व्यापार मेले में हिस्सा लेने के लिए आया था। उसने यह मेला पापुम पारे जिले से प्रतिनिधित्व करते हुए अटैंड किया था।
पुलिस के अनुसार, हिलाल अहमद के पास वैध इनर लाइन परमिट (आईएलपी) था और उसके सभी दस्तावेज सही पाए गए हैं। इसके बावजूद खुफिया एजेंसियों को उसके व्यवहार और गतिविधियों पर शक हुआ, जिसके बाद निगरानी बढ़ाई गई और उसे गिरफ्तार किया गया।
अधिकारियों का कहना है कि इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया जा रहा है, खासकर इसलिए क्योंकि सीमावर्ती राज्यों में इस तरह की गतिविधियां देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकती हैं।
फिलहाल पुलिस और खुफिया एजेंसियां मिलकर पूरे मामले की गहन जांच कर रही हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह केवल एक व्यक्ति की हरकत थी या इसके पीछे कोई बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है।
दुर्घटना
मीरा रोड पर आग: प्लेज़ेंट पार्क इलाके में सिलेंडर विस्फोट के संदेह में भीषण आग लगी;

मीरा रोड: शनिवार तड़के मीरा रोड (पूर्व) के प्लेजेंट पार्क इलाके में भीषण आग लग गई, जिससे आसपास के मुंबई महानगर क्षेत्र के निवासियों में दहशत फैल गई। मीरा-भयंदर क्षेत्र में जांगिड एस्टेट के पास आग भड़की, जिसकी विशाल लपटें और घना काला धुआं कई सौ मीटर दूर से दिखाई दे रहा था। दमकल और पुलिस दल तुरंत मौके पर पहुंचे और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए कई घंटों तक अग्निशमन अभियान जारी रहा।
घटनास्थल से मिली तस्वीरों में एक बड़ा इलाका आग की लपटों में घिरा हुआ दिखाई दे रहा था, जबकि आसमान में काले धुएं के गुबार उठ रहे थे, जिससे स्थानीय लोगों में दहशत फैल गई। एक व्यापक रूप से साझा किए गए वीडियो में, एक निवासी ने अपने घर से लगभग 400 से 500 मीटर की दूरी से आग को रिकॉर्ड किया, जिससे आग की तीव्रता का पता चलता है। कई निवासी कुछ दूरी पर इकट्ठा हो गए, जबकि आपातकालीन सेवाओं ने आग पर काबू पाने का प्रयास किया और पुलिस ने चोटों से बचाव और दमकल कर्मियों को निर्बाध पहुँच प्रदान करने के लिए इलाके को घेर लिया।
भीषण आग लगने का सटीक कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। हालांकि, कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया है कि सिलेंडर विस्फोट के कारण आग लगी। नवीनतम जानकारी के अनुसार, किसी के घायल होने या हताहत होने की कोई खबर नहीं है, हालांकि अधिकारी संपत्ति के नुकसान का आकलन कर रहे हैं।
इस बीच, कल भिवंडी में एक और आग लगने की घटना सामने आई, जिससे अग्नि सुरक्षा को लेकर चिंताएं और बढ़ गईं। शुक्रवार दोपहर कल्याण रोड पर लाहोटी कंपाउंड के पास एक जर्जर और बंद इमारत में आग लग गई। अधिकारियों के अनुसार, आग इमारत के भूतल से शुरू हुई, जहां कपड़े के चिथड़े और प्लास्टिक कचरे सहित बड़ी मात्रा में कबाड़ जमा था।
स्क्रैप सामग्री की अत्यधिक ज्वलनशील प्रकृति के कारण आग तेजी से फैल गई, जिससे आसपास के क्षेत्र में घना धुआं फैल गया और घनी आबादी वाले इलाके के निवासियों और दुकानदारों में दहशत फैल गई। भिवंडी अग्निशमन विभाग की दो दमकल गाड़ियां मौके पर भेजी गईं और लगभग 30 मिनट के भीतर आग पर काबू पा लिया गया।
पुलिस कर्मियों ने भीड़ को नियंत्रित करने में सहायता की और आसपास के प्रतिष्ठानों की सुरक्षा सुनिश्चित की। इस घटना में भी किसी के घायल होने या जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है, हालांकि भंडारित कबाड़ को व्यापक क्षति पहुंची है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
श्रीलंका में चक्रवात से तबाह हुए पुलों और सड़कों को दोबारा बना रही है भारतीय सेना

नई दिल्ली, 12 दिसंबर: विनाशकारी चक्रवात दितवाह से प्रभावित श्रीलंका की जनता को त्वरित मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए भारत ऑपरेशन ‘सागर बंधु’ चला रहा है। इसी अभियान के तहत भारतीय सेना की एक 48 सदस्यीय इंजीनियर टास्क फोर्स को श्रीलंका में तैनात किया गया है।
भारतीय सेना की यह विशेष टीम युद्धस्तर पर राहत एवं बचाव से जुड़े काम कर रही है। राहत कार्यों के लिए की गई यह पहल भारत की पड़ोसी प्रथम नीति के अनुरूप है। भारतीय सेना के मुताबिक टास्क फोर्स की प्राथमिक जिम्मेदारी चक्रवात से क्षतिग्रस्त सड़कों और पुलों की मरम्मत एवं पुनर्निर्माण है।
गौरतलब है कि चक्रवात, तेज बारिश और बाढ़ के कारण कई इलाकों में सड़क संपर्क टूट गया है। अब यहां टूटी हुई सड़कों की मरम्मत की जा रही है ताकि राहत सामग्री और आवश्यक सेवाओं की आवाजाही सुचारू रूप से हो सके। भारतीय सेना की इस टीम में विशेष रूप से ब्रिजिंग एक्सपर्ट, सर्वेयर, वॉटरमैनशिप विशेषज्ञ, भारी इंजीनियरिंग उपकरणों, ड्रोन और अनमैन्ड सिस्टम संचालन में दक्ष कर्मी शामिल हैं। सभी विशेषज्ञ मिलकर सटीक, तेज और प्रभावी इंजीनियरिंग सहायता उपलब्ध करा रहे हैं। इस सहायता में बुरी तरह क्षतिग्रस्त सड़कों का पुनर्निर्माण, टूटे हुए पुलों को जोड़ना और अन्य ढांचागत सुविधाएं बहाल करना शामिल है।
भारतीय सेना की इंजीनियर टास्क फोर्स के पास यहां श्रीलंका में फिलहाल चार सेट बेली ब्रिज उपलब्ध हैं। इन्हें भारतीय वायुसेना के सी-17 विमान से श्रीलंका पहुंचाया गया है। इनके माध्यम से कटे हुए इलाकों में त्वरित संपर्क बहाली की जाएगी। इसके अतिरिक्त टास्क फोर्स के पास पन्यूमैटिक नावें, आउटबोर्ड मोटर, हेवी पेलोड ड्रोन, रिमोट-कंट्रोल्ड बोट आदि अत्याधुनिक उपकरण भी उपलब्ध हैं।
सेना का कहना है कि इन्हीं संसाधनों के दम पर टीम राहत व बचाव कार्य, अस्थायी आश्रय, सड़कों और पुल जैसी महत्वपूर्ण संरचनाओं के निर्माण में सक्षम है। श्रीलंकाई अधिकारियों द्वारा बताए गए आवश्यक स्थानों के आधार पर, भारतीय इंजीनियर टास्क फोर्स ने श्रीलंका सेना और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर कई पुल स्थलों का रेकी का काम किया है। इन पुलों को तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कई पुलों पर कार्य प्रारंभ भी कर दिया गया है। यहां मॉड्यूलर बेली ब्रिज स्थापित किया जा रहा है, जिसे आवश्यकताओं के अनुसार विभिन्न कॉन्फिगरेशन में लगाया जा सकता है। इसके तैयार होते ही इस क्षेत्र की कनेक्टिविटी बहाल हो जाएगी।
सेना के अनुसार ऑपरेशन ‘सागर बंधु’ सिर्फ राहत कार्य नहीं, बल्कि भारत की पड़ोसी देशों के प्रति प्रतिबद्धता, त्वरित सहायता और मानवीय सहयोग की भावना का प्रतीक है। भारतीय सेना की यह इंजीनियर टास्क फोर्स श्रीलंका के संकटग्रस्त क्षेत्रों में आशा और सहायता दोनों का महत्त्वपूर्ण स्तंभ बनकर काम कर रही है।
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