व्यापार
लगभग 61 प्रतिशत सीएफओ इस साल कर्मचारियों का औसत मुआवजा बढ़ाने की कर रहे तैयारी

नई दिल्ली, 15 फरवरी। वैश्विक स्तर पर लगभग 61 प्रतिशत मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) इस साल कर्मचारियों का औसत मुआवजा बढ़ाने की योजना बना रहे हैं, जबकि 2024 में 71 प्रतिशत और 2023 में 86 प्रतिशत सीएफओ ने इस तरह की योजना बनाई थी।
गार्टनर की एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘सीएफओ’ विकास और दक्षता के लिए डिजिटल इंवेस्टमेंट को महत्वपूर्ण मानते हुए टेक्नोलॉजी बजट में वृद्धि की योजना बना रहे हैं।
जबकि 77 प्रतिशत पार्टिसिपेंट्स ने टेक्नोलॉजी कैटेगरी में खर्च बढ़ाने की योजना बनाई है, लगभग आधे 47 प्रतिशत सीएफओ पिछले साल की तुलना में 2025 में 10 प्रतिशत या उससे अधिक खर्च बढ़ाने का इरादा रखते हैं।
ये परिणाम उद्योगों में लाभदायक विकास और दक्षता को आगे बढ़ाने में टेक्नोलॉजी की महत्वपूर्ण भूमिका को दिखाते हैं।
गार्टनर फाइनेंस प्रैक्टिस में रिसर्च के विशिष्ट उपाध्यक्ष रणदीप रथिंद्रन ने कहा कि टेक्नोलॉजी पर निरंतर ध्यान पारंपरिक और जनरेटिव एआई के विकास के साथ जुड़ा है, जो नई पेशकशों को बढ़ावा देने, निर्णय लेने में सुधार करने और उत्पादकता को बढ़ावा देने का वादा करता है।
रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि कूलिंग लेबर मार्केट संगठनों को मुआवजे पर अधिक बातचीत करने की शक्ति देता है, सीएफओ को संभावित जोखिमों के प्रति संवेदनशील रहना चाहिए क्योंकि घरेलू आवश्यकताओं की कीमतें लगातार ऊंची बनी हुई हैं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अधिकांश क्षेत्र 2025 में टेक्नोलॉजी खर्च को प्राथमिकता दे रहे हैं।
रिटेल सेक्टर में बेची गई वस्तुओं की लागत (सीओजीएस) और मुआवजे में वृद्धि देखने को मिल सकती है क्योंकि संगठन उत्पाद की गुणवत्ता और ग्राहक संपर्क को बढ़ाने का लक्ष्य रखते हैं।
इस बीच, बैंकिंग क्षेत्र में, टेक्निकल टैलेंट को आकर्षित करने और गैर-रणनीतिक कार्यों को आउटसोर्स करने के लिए मुआवजे और बाहरी सेवाओं को भी प्राथमिकता दी जाती है।
रथिंद्रन ने कहा कि टेक्नोलॉजी में निवेश करना अब एक विकल्प नहीं बल्कि प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त बनाए रखने का लक्ष्य रखने वाली कंपनियों के लिए एक आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि अलग-अलग क्षेत्रों में टेक्नोलॉजी बजट में लगातार वृद्धि इनोवेशन और दक्षता के चालक के रूप में डिजिटल परिवर्तन की ओर चल रहे रणनीतिक बदलाव को उजागर करती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर, फर्म समय के साथ टेक्नोलॉजी खर्च में वृद्धि की इस उच्च गति को बनाए रख रही हैं क्योंकि 50 प्रतिशत सीएफओ ने पिछले साल टेक्नोलॉजी बजट को 10 प्रतिशत या उससे अधिक बढ़ाने की योजना बनाई थी और 2023 में भी 43 प्रतिशत सीएफओ ने भी ऐसा करने की योजना बनाई थी।
व्यापार
स्टार्टअप जॉब मार्केट में एक नया आत्मविश्वास, भर्ती को लेकर सालाना आधार पर 32 प्रतिशत का जबरदस्त उछाल

बेंगलुरु, 5 मई। भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में भर्ती को लेकर सालाना आधार पर 32 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। यह सस्टेनेबल और इनोवेशन आधारित स्केलिंग की ओर एक रणनीतिक मोड़ का संकेत है। सोमवार को आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
जॉब्स प्लेटफॉर्म फाउंड-इट की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का व्हाइट-कॉलर जॉब मार्केट मजबूत बना हुआ है, जिसमें सालाना आधार पर 18 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
स्टार्टअप जॉब पोस्टिंग में इस साल अप्रैल में सालाना आधार पर 32 प्रतिशत और पिछले तीन महीनों में 12 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
पिछले एक साल में नए स्टार्टअप रजिस्ट्रेशन में 22 प्रतिशत की वृद्धि से भर्ती की यह गति और अधिक मजबूत हुई है।
फाउंड-इट के सीईओ वी. सुरेश ने कहा, “भारत में स्टार्टअप के विस्तार के तरीके में एक बड़ा बदलाव आया है। विकास अब केवल प्रमुख महानगरीय क्षेत्रों तक सीमित नहीं है। इसके बजाय, हम टियर-2 शहरों में भी मजबूत विस्तार देख रहे हैं, जो विकास के अधिक संतुलित और समावेशी मॉडल का संकेत देता है। साथ ही, अनुभवी पेशेवरों की भर्ती पर जोर बढ़ रहा है, जो दीर्घकालिक स्थिरता पर रणनीतिक ध्यान केंद्रित करने को दर्शाता है।”
स्टार्टअप हायरिंग में आईटी सर्विस सबसे आगे है, जो सभी स्टार्टअप जॉब पोस्टिंग का 32 प्रतिशत है, जो कि पिछले साल 2024 में 23 प्रतिशत था। हेल्थकेयर में स्टार्टअप हायरिंग 6 प्रतिशत से बढ़कर 9 प्रतिशत हो गया है, जो डीप टेक और स्वास्थ्य-केंद्रित समाधानों पर बढ़ते फोकस का संकेत देता है।
इसके विपरीत, मीडिया एंड एंटरटेनमेंट और एजुकेशन/ई-लर्निंग जैसे सेक्टर में स्टार्टअप हायरिंग को लेकर गिरावट दर्ज की गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, टियर-2 शहर तेजी से प्रमुख स्टार्टअप हब के रूप में उभर रहे हैं, जहां अप्रैल 2024 में उनकी नौकरी की हिस्सेदारी 9 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल 2025 में 31 प्रतिशत हो गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह तीन गुना वृद्धि भारत के स्टार्टअप सेक्टर में एक बड़े बदलाव का संकेत देती है, जिसे कोयंबटूर, जयपुर, इंदौर, लखनऊ और भुवनेश्वर लीड कर रहे हैं।
इस बीच, बेंगलुरु, दिल्ली-एनसीआर और मुंबई में स्टार्टअप जॉब शेयर में भारी गिरावट दर्ज की गई, जबकि चेन्नई और हैदराबाद में स्थिति स्थिर रही।
स्टार्टअप भी तेजी से ‘एक्सपीरियंस’ को प्राथमिकता दे रहे हैं। 0 से 3 वर्ष के अनुभव वाली फ्रेशर हायरिंग अप्रैल 2025 में 53 प्रतिशत से घटकर 41 प्रतिशत रह गई है।
यह बदलाव सभी स्तरों पर विशेष कौशल की बढ़ती मांग को दर्शाता है, जिसमें मिड-करियर प्रोफेशनल, 4-6 साल और 7-10 साल के अनुभव वाली की भूमिकाएं क्रमशः 28 प्रतिशत और 15 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं।
राजनीति
अप्रैल में जीएसटी कलेक्शन बढ़कर 2.37 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा

नई दिल्ली, 1 मई। भारत का वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह अप्रैल में बढ़कर 2.37 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले साल इसी महीने के 2.10 लाख करोड़ रुपए से 12.6 प्रतिशत अधिक है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जीएसटी संग्रह में वृद्धि आर्थिक गतिविधि के उच्च स्तर और बेहतर अनुपालन के कारण हुई है।
गुरुवार को आए आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2024 में जीएसटी राजस्व 2.10 लाख करोड़ रुपए था, जो 1 जुलाई, 2017 को नई कर व्यवस्था लागू होने के बाद से दूसरा सबसे अधिक संग्रह था।
इस साल अप्रैल में घरेलू लेनदेन से जीएसटी संग्रह 10.7 प्रतिशत बढ़कर 1.9 लाख करोड़ रुपए हो गया, जबकि आयातित वस्तुओं से राजस्व 20.8 प्रतिशत बढ़कर 46,913 करोड़ रुपए हो गया।
अप्रैल के दौरान रिफंड जारी करने की राशि 48.3 प्रतिशत बढ़कर 27,341 करोड़ रुपए हो गई।
इस साल मार्च के दौरान जीएसटी संग्रह पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 9.9 प्रतिशत बढ़कर 1.96 लाख करोड़ रुपए हो गया, जो आर्थिक गतिविधि के उच्च स्तर और बेहतर अनुपालन को दर्शाता है।
क्रमिक रूप से, जीएसटी संग्रह इस साल फरवरी में दर्ज 1.84 लाख करोड़ रुपए के राजस्व से 6.8 प्रतिशत अधिक था।
मार्च में सकल जीएसटी राजस्व में केंद्रीय जीएसटी से 38,100 करोड़ रुपए, राज्य जीएसटी से 49,900 करोड़ रुपए, इंटीग्रेटेड जीएसटी से 95,900 करोड़ रुपए और कंपनसेशन सेस से 12,300 करोड़ रुपए शामिल थे।
इसकी तुलना में, फरवरी में केंद्रीय जीएसटी संग्रह 35,204 करोड़ रुपए, राज्य जीएसटी 43,704 करोड़ रुपए, इंटीग्रेटेड जीएसटी 90,870 करोड़ रुपए और कंपनसेशन सेस 13,868 करोड़ रुपए रहा।
मार्च में जीएसटी संग्रह में महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश शीर्ष पांच योगदानकर्ता रहे।
महाराष्ट्र ने मार्च में 31,534 करोड़ रुपए का भुगतान किया, जो पिछले साल मार्च की तुलना में 14 प्रतिशत अधिक है। वहीं, कर्नाटक ने 13,497 करोड़ रुपए का भुगतान किया, जो सालाना आधार पर 4 प्रतिशत की वृद्धि है।
गुजरात ने 12,095 करोड़ रुपए का योगदान दिया, जो मार्च 2024 से 6 प्रतिशत की वृद्धि है।
तमिलनाडु ने 11,017 करोड़ रुपए का भुगतान किया, जो 7 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है, जबकि उत्तर प्रदेश ने 9,956 करोड़ रुपए एकत्रित किए, जो सालाना आधार पर 10 प्रतिशत की वृद्धि है।
राष्ट्रीय
‘मामले की गंभीरता को समझें’, सुप्रीम कोर्ट का पहलगाम हमले को लेकर दाखिल याचिका की सुनवाई से इनकार

suprim court
नई दिल्ली, 1 मई। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पहलगाम आतंकी हमले को लेकर दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को चेतावनी दी और कहा कि इस तरह की याचिका दाखिल करने से बचना चाहिए।
दरअसल, पहलगाम हमले की जांच को लेकर एक याचिका दाखिल की गई थी। इसमें मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग का गठन किया जाए।
इसके अलावा, याचिका में एनआईए को जम्मू-कश्मीर के पर्यटक स्थलों में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक्शन प्लान तैयार करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटेश्वर सिंह की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि क्या आप सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज से इस मामले की जांच कराना चाहते हैं? मामले की गंभीरता को समझें।
उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि देश के हर नागरिक के लिए यह कठिन समय है और मामले की गंभीरता को समझना चाहिए। साथ ही इस तरह की याचिका दाखिल करने से बचना चाहिए।
बता दें कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जांच की जिम्मेदारी एनआईए ने संभाली है। इसके बाद एनआईए की टीम पहलगाम स्थित घटनास्थल पर पहुंची और साक्ष्य जुटाने में जुट गई।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि एनआईए की टीम आतंकियों के हमले के तरीके और भागने के रास्तों का पता लगाने के लिए इलाके की बारीकी से जांच कर रही है।
बैसरन घाटी में हुए इस हमले को कश्मीर के सबसे भयानक आतंकी हमलों में से एक माना जा रहा है। एनआईए की टीम उनसे पूछताछ कर रही है, जिन्होंने इस खौफनाक मंजर को अपनी आंखों से देखा था।
एनआईए के एक आईजी, एक डीआईजी और एक एसपी की निगरानी में जांच चल रही है। टीम आतंकियों के प्रवेश और निकास बिंदुओं की जांच कर रही है, ताकि यह समझा जा सके कि हमलावर कैसे आए और कहां से भागे।
इस बीच, गुरुवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी के महानिदेशक सदानंद दाते जम्मू-कश्मीर के पहलगाम पहुंचे। सदानंद दाते उस जगह भी जाएंगे, जहां आतंकियों ने 26 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
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