राजनीति
भारतीय राजनीति की प्रखर आवाज, विदेश मंत्री के तौर पर बेमिसाल रहीं सुषमा स्वराज

SUSHMA SWARAJ
नई दिल्ली, 6 अगस्त। सुषमा स्वराज भारतीय राजनीति की एक ऐसी शख्सियत थीं, जिन्होंने अपनी प्रखर भाषण कला, कूटनीतिक सूझबूझ और जनसेवा के प्रति समर्पण से देश-विदेश में अमिट छाप छोड़ी।
14 फरवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला में जन्मी सुषमा स्वराज ने अपने चार दशक लंबे राजनीतिक करियर में कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं। वह न केवल भारत की पहली पूर्णकालिक महिला विदेश मंत्री थीं, बल्कि दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और हरियाणा की सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री भी रही थीं।
सुषमा स्वराज ने 1970 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। 1977 में मात्र 25 वर्ष की आयु में हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनीं, जिसने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
1980 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने के बाद उन्होंने राम मंदिर आंदोलन में उमा भारती के साथ पार्टी में महिला शक्ति की प्रतीक बनकर उभरीं। 1998 में वह दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि, उनका कार्यकाल केवल 52 दिन का रहा। लगभग तीन महीने के छोटे कार्यकाल के दौरान प्याज की बढ़ती कीमत को लेकर उनकी काफी आलोचना हुई थी।
1990 में सुषमा स्वराज को राज्यसभा का सदस्य चुना गया। इसके बाद 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली 13 दिन की भाजपा सरकार के दौरान उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया।
2014 से 2019 तक मोदी सरकार में विदेश मंत्री के रूप में सुषमा स्वराज ने भारतीय कूटनीति को नया आयाम दिया। उन्होंने विदेश नीति को जन-केंद्रित बनाया। सोशल मीडिया के माध्यम से उन्होंने विदेश में फंसे लोगों की काफी मदद की। चाहे विदेश में फंसे भारतीयों को निकालने का मुद्दा हो या मेडिकल वीजा दिलाने का मुद्दा, उन्होंने आगे बढ़कर लोगों की मदद की।
सुषमा स्वराज उस विदेश मंत्री का नाम है, जिन्होंने कमान थामते ही मंत्रालय की सूरत बदलकर रख दी। उनके मंत्री रहते यह आम भारतीय का विभाग कहलाने लगा। उनके विदेश मंत्री रहने के दौरान भारत के कई देशों से राजनीतिक और कूटनीतिक संबंध बेहतर हुए।
सुषमा स्वराज की संयुक्त राष्ट्र महासभा में दी गई स्पीच उनकी कूटनीतिक कुशलता का प्रमाण थी। 2016 और 2017 में उन्होंने पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर कड़े शब्दों में जवाब दिया, जिसने वैश्विक मंच पर भारत का पक्ष मजबूती से रखा।
स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के कारण 6 अगस्त 2019 को सुषमा स्वराज का निधन हो गया।
राजनीति
संजय राउत ने उत्तरकाशी त्रासदी पर जताया दुख, बोले- सरकार को पहाड़ी राज्यों पर देना होगा विशेष ध्यान

SANJAY RAUT
मुंबई, 6 अगस्त। शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने बुधवार को उत्तराखंड में बादल फटने की घटना पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि देशभर से पर्यटक पहाड़ी राज्यों में जाते हैं। लोग वैष्णो देवी, अमरनाथ, केदारनाथ जैसे तीर्थ स्थलों पर आते हैं, इसलिए उत्तराखंड, हिमाचल जैसे राज्यों पर सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए बताया कि महाराष्ट्र के सैकड़ों पर्यटक और लोग पहाड़ी इलाकों में बाढ़ के कारण फंस गए हैं, जिससे पूरा देश चिंतित है। उन्होंने मांग की कि इन क्षेत्रों में मजबूत इंतजाम करने होंगे ताकि पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
साथ ही, संजय राउत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों पर भी निशाना साधा और कहा कि ट्रंप ने भारत को व्यापार के लिए अच्छा साथी नहीं बताया, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दावा करते हैं कि भारत विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। ट्रंप कह रहे हैं कि भारत अच्छा ट्रेड पार्टनर नहीं है, तो बिना व्यापार के इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था कैसे बनेगी? क्या ट्रंप पीएम मोदी को झूठा बता रहे हैं? ट्रंप बार-बार पीएम को अपमानित कर रहे हैं, जिससे दुनिया में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ माहौल बन गया है। प्रधानमंत्री मोदी को यह सब समझना चाहिए।
इसके अलावा, संजय राउत ने इंडिया ब्लॉक की बैठक पर भी बात की और कहा कि गठबंधन की लंबे समय बाद होने वाली इस बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा होगी, जैसे देश की मौजूदा स्थिति, पीएम मोदी के दावों की सच्चाई, ऑपरेशन सिंदूर और बिहार चुनाव।
उन्होंने कहा कि बैठक का मकसद एक-दूसरे से मिलना और मुद्दों पर बातचीत करना है, ताकि एकजुटता बनी रहे। हालांकि, उन्होंने आम आदमी पार्टी (आप) की भूमिका पर सवाल उठाए। पंजाब में कांग्रेस के खिलाफ आप की सत्ता होने के कारण दोनों दलों के बीच गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं होने के संकेत हैं।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
भारत पर और अधिक टैरिफ के फैसले से पहले ट्रंप को है मास्को से मिलने वाले ‘रिजल्ट’ का इंतजार

TRUMP
न्यूयॉर्क, 6 अगस्त। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ मास्को में रूसी नेताओं के साथ बैठक के लिए मौजूद हैं। इस बैठक का परिणाम यह निश्चित करेगा कि डोनाल्ड ट्रंप रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर कितना टैरिफ लगाएंगे। ट्रंप बैठक के नतीजे का इंतजार कर रहे हैं।
मंगलवार दोपहर पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, “कल रूस के साथ हमारी बैठक है। देखते हैं क्या होता है, हम उस समय इस पर फैसला लेंगे।”
मंगलवार सुबह ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि वह अगले 24 घंटों के भीतर भारत पर भारी टैरिफ लगाएंगे, लेकिन दोपहर में पत्रकारों से बात करते हुए उनके बयान से ऐसा लग रहा था कि अगर यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए बातचीत में कोई प्रगति होती है, तो वह इस धमकी को टाल सकते हैं।
एक पत्रकार द्वारा रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की उनकी धमकी की याद दिलाए जाने पर, अमेरिकी राष्ट्रपति ने इससे इनकार किया।
उन्होंने कहा, “मैंने कभी प्रतिशत नहीं कहा, लेकिन हम काफी हद तक ऐसा करेंगे।”
14 जुलाई को उन्होंने कहा था कि अगर 50 दिनों में कोई समझौता नहीं होता है, तो तेल खरीदारों पर द्वितीयक टैरिफ के रूप में जाना जाने वाला टैरिफ 100 प्रतिशत होगा।
ट्रंप ने 50 दिनों की समय सीमा को घटाकर 12 दिन कर दिया है, जो इस सप्ताह समाप्त हो जाएगी।
ट्रंप ने यह भी कहा है कि भारत अमेरिका से आयात पर शून्य शुल्क लगाएगा।
उन्होंने कहा, “भारत अब तक के सबसे ज्यादा शुल्क से शून्य शुल्क पर आ गया है, और वे इसमें शामिल हो सकते हैं। लेकिन, यह पर्याप्त नहीं है क्योंकि वे तेल के साथ जो कर रहे हैं, वह अच्छा नहीं है। इसलिए पिछले सप्ताह घोषित 25 प्रतिशत शुल्क में दंडात्मक शुल्क भी जुड़ेगा।”
2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक के लिए एक टास्क फोर्स पर एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि उन्होंने पांच महीनों में पांच युद्ध रोक दिए हैं, और वे चाहते हैं कि इसके बाद रूस-यूक्रेन का युद्ध भी सुलझ जाए।
अपने चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप ने कहा था कि वह 24 घंटे के भीतर यूक्रेन युद्ध समाप्त कर देंगे। ट्रंप भारत को धमकियां देकर रूस पर आर्थिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो उसके तेल निर्यात का 70 प्रतिशत हिस्सा खरीदता है।
विटकॉफ की मॉस्को की हालिया यात्रा को रूस के लिए युद्ध समाप्त करने की ट्रंप की मांग पर प्रतिक्रिया देने का आखिरी मौका बताया गया है, अन्यथा उस देश के साथ-साथ उससे तेल खरीदने वाले देशों को और अधिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा।
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी फिलहाल मास्को में हैं। उनकी यह यात्रा ट्रंप की टैरिफ धमकियों के पहले से प्रस्तावित है।
भारत ने रूस से तेल खरीद का बचाव किया है। भारत ने कहा है कि वह यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध के समर्थन के बजाय देश की आर्थिक जरूरत बताकर किया है। विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि भारत पर अमेरिका का निशाना अनुचित है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यूरोपिय संघ और अमेरिका रूस के साथ व्यापार के मुद्दे पर दोहरी चाल चल रहे हैं। पिछले साल रूस के साथ यूरोपीय संघ का व्यापार अनुमानित 67.5 अरब डॉलर का था। वहीं अमेरिका रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, पैलेडियम, उर्वरक और रसायन आयात करता रहता है
राजनीति
शिवसेना-यूबीटी ने किया राहुल गांधी का बचाव, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर उठाए सवाल

मुंबई, 6 अगस्त। राहुल गांधी को लेकर मचे राजनीतिक घमासान के बीच शिवसेना-यूबीटी ने खुलकर कांग्रेस सांसद का पक्ष लिया है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को लेकर टिप्पणी की थी, जिसने एक नए विवाद को जन्म दिया। कांग्रेस और उसके सहयोगी दल लगातार सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर सवाल उठा रहे हैं। इसी क्रम में ‘इंडिया’ ब्लॉक में कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना-यूबीटी ने कहा कि राहुल गांधी के बारे में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी हैरान करती है।
शिवसेना-यूबीटी ने अपने मुखपत्र पत्र ‘सामना’ में आरोप लगाए कि देशभक्ति की परिभाषा का दुरुपयोग हो रहा है। पार्टी ने कहा है, “2014 के बाद देश में यह गलत परिभाषा आम हो गई कि जो सरकार की ‘हां में हां’ मिलाता है वह देशभक्त है और जो सरकार पर सवाल उठाता है वह देशद्रोही है। इसी कसौटी के आधार पर केंद्र की सत्तारूढ़ सरकार ने देशभक्ति का सर्टिफिकेट और देशद्रोही का ठप्पा मारना शुरू कर दिया है।”
शिवसेना-यूबीटी ने ‘सामना’ के संपादकीय में राहुल गांधी का समर्थन करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पूरी टिप्पणी का उल्लेख किया।
साथ ही, पार्टी ने सवाल किया, “राहुल गांधी सच्चे भारतीय हैं या नहीं, यह अदालत के सामने कोई मुद्दा ही नहीं था। इसलिए राहुल गांधी कितने ‘सच्चे भारतीय’ हैं या नहीं, इस पर अनावश्यक रूप से अपनी राय व्यक्त करके अदालत ने क्या हासिल किया? विपक्ष के नेता का यह कर्तव्य है कि वे लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े जनहित और राष्ट्रहित के मुद्दों पर सरकार से सवाल करे, अगर राहुल गांधी ने ऐसा किया तो इसमें क्या गलत था?”
‘सामना’ में आरोप लगाए गए हैं कि राहुल गांधी को संसद में बोलने नहीं दिया जाता है। 2020 के बाद विपक्षी दलों ने कई बार संसद में चीनी घुसपैठ का मुद्दा उठाने की कोशिश की। ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे’ को ढाल बनाकर हमेशा घुसपैठ के मामले पर पर्दा डाला गया।
संपादकीय में चीन को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी के बयानों का भी उल्लेख है। शिवसेना यूबीटी ने कहा, “सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी भी चीनी घुसपैठ पर हमेशा अपनी ही सरकार की तीखी आलोचना करते रहते हैं। सुब्रह्मण्यम स्वामी ने अक्सर चीन पर लद्दाख में 4067 वर्ग किलोमीटर भारतीय भूमि हड़पने का आरोप लगाया है। इस मामले में, उन्होंने सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करके सरकार से जानकारी मांगी, लेकिन वह जानकारी देने से सरकार ने इनकार कर दिया।”
पार्टी ने सवाल उठाते हुए कहा, “जब सुब्रह्मण्यम स्वामी आरोप लगाते हैं कि चीन ने 4 हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक भूमि निगल ली है, तब किसी को बदनामी नहीं होती, लेकिन जब राहुल गांधी आरोप लगाते हैं कि चीन ने 2 हजार वर्ग किलोमीटर भारतीय भूमि पर कब्जा कर लिया है, तब भावनाओं को ठेस पहुंचती है और बदनामी होती है। यह किस तरह की बात है?”
‘सामना’ के संपादकीय में आखिर में लिखा गया है, “कुल मिलाकर, 2014 के बाद देश में झूठों के दिन आ गए हैं और सच बोलने और सरकार से सवाल करने वालों को ‘भारत-विरोधी’ माना जा रहा है। राहुल गांधी ने चीन पर भारत में घुसपैठ का आरोप लगाया है, यदि इस पर सुप्रीम कोर्ट के जहन में यह सवाल उठता है कि क्या वे ‘सच्चे भारतीय’ हैं, तो यह गंभीर बात है। क्या सुप्रीम कोर्ट चीनी घुसपैठ पर एक तथ्य-खोजी समिति का गठन करेगा?”
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