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Friday,12-December-2025
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भारत-सिंगापुर संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में बड़ा कदम, तीसरी मंत्रीस्तरीय बैठक आयोजित

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नई दिल्ली, 13 अगस्त। दिल्ली में बुधवार को भारत और सिंगापुर के बीच तीसरी मंत्रीस्तरीय बैठक (भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय राउंड टेबल सम्मेलन – आईएसएमआर) का आयोजन हुआ। यह बैठक दोनों देशों के बीच मजबूत होते रिश्तों और व्यापक रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम है।

भारत की तरफ से इस बैठक में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हिस्सा लिया।

वहीं, सिंगापुर की तरफ से उपप्रधानमंत्री गन किम योंग, राष्ट्रीय सुरक्षा एवं गृह मामलों के समन्वय मंत्री के. शन्मुगम, विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन, डिजिटल विकास एवं सूचना मंत्री जो टियो, श्रम मंत्री डॉ. टैन सी लेंग और परिवहन मामलों के कार्यवाहक मंत्री जेफरी सिओ ने भाग लिया।

बैठक में दोनों देशों के बीच सहयोग को 6 मुख्य क्षेत्रों में मजबूत करने पर चर्चा हुई, जिसमें डिजिटलाइजेशन, स्किल डेवलपमेंट, सस्टेनेबिलिटी, स्वास्थ्य सेवा, कनेक्टिविटी और एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग शामिल थे।

इस बात की जानकारी भारत के विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए दी।

वहीं, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “नई दिल्ली में तीसरे भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन आईएसएमआर में भाग लेकर प्रसन्नता हुई। उपप्रधानमंत्री गन किम योंग, राष्ट्रीय सुरक्षा एवं गृह मामलों के समन्वय मंत्री के. शन्मुगम, विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन, डिजिटल विकास एवं सूचना मंत्री जो टियो, श्रम मंत्री डॉ. टैन सी लेंग और कार्यवाहक परिवहन मंत्री जेफरी सिओ को हमारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की उनकी प्रतिबद्धता के लिए धन्यवाद।”

उन्होंने लिखा, “आईएसएमआर की भारत-सिंगापुर व्यापार गोलमेज सम्मेलन में आईएसबीआर प्रतिनिधिमंडल के साथ एक सार्थक बातचीत हुई। सरकार और उद्योग के बीच तालमेल भारत-सिंगापुर संबंधों के अगले चरण को गति देने की कुंजी है।”

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ऑस्ट्रेलिया : रेडिट ने सरकार के अंडर-16 सोशल मीडिया बैन को हाई कोर्ट में चुनौती दी

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कैनबरा, 12 दिसंबर: ग्लोबल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म रेडिट ने ऑस्ट्रेलिया की उस नई कानूनी नीति के खिलाफ हाई कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर रोक लगाई गई है।

रेडिट का कहना है कि यह प्रतिबंध गलत तरीके से उस पर लागू किया जा रहा है, क्योंकि यह मंच मुख्य रूप से वयस्कों की चर्चा के लिए है और इसमें वे सामान्य सोशल मीडिया फीचर्स नहीं हैं, जिन पर सरकार आपत्ति जता रही है।

कंपनी ने कहा कि वह कानून का पालन करती रहेगी, लेकिन इस नियम की वजह से वयस्कों और बच्चों दोनों पर बहुत दखल देने वाली और संभावित रूप से असुरक्षित वेरिफिकेशन प्रोसेस लागू की जा रही है।

रेडिट ने यह भी कहा कि यह कानून असरदार नहीं है, क्योंकि 16 साल से कम उम्र के बच्चों को ऑनलाइन नुकसान से बचाने का बेहतर तरीका यह है कि वे निगरानी और सुरक्षा वाले फीचर के साथ अकाउंट चलाएं।

कंपनी ने कहा, “सरकार की नीयत अच्छी है, लेकिन यह कानून बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को सही तरह से मजबूत नहीं कर पा रहा। इसलिए हम इसका पालन तो करेंगे, पर अदालत से इसकी समीक्षा की मांग भी करेंगे।”

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस नए नियम के तहत उन 10 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में रेडिट भी शामिल है जो बुधवार को लागू हुए बैन में शामिल हैं। इन प्लेटफॉर्म को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि 16 साल से कम उम्र के बच्चे उनके मंच पर अकाउंट न बना सकें और न ही अकाउंट इस्तेमाल कर सकें। जो कंपनियां इस नियम का गंभीर उल्लंघन करेंगी, उन्हें लगभग 49.5 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर तक का भारी जुर्माना देना पड़ सकता है।

यह दुनिया का पहला ऐसा कानून है, जिसमें 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर राष्ट्रीय स्तर पर रोक लगाई गई है। इसमें फेसबुक, यूट्यूब, टिकटॉक और एक्स जैसे बड़े मंच भी शामिल हैं।

प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने छात्रों से एक वीडियो मैसेज में कहा कि यह बदलाव इसलिए किया गया है ताकि बच्चों को सोशल मीडिया के लगातार चलते रहने वाले दबाव और एल्गोरिदम के असर से राहत मिल सके। उन्होंने बच्चों को सलाह दी कि आने वाली छुट्टियों में मोबाइल पर वक्त गंवाने के बजाय कोई खेल शुरू करें, कोई नया इंस्ट्रूमेंट सीखें या कोई किताब पढ़ें।

उन्होंने कहा, “सबसे जरूरी है कि आप अपने दोस्तों और परिवार के साथ आमने-सामने समय बिताएं।”

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बांग्लादेश : अवामी लीग ने चुनाव कार्यक्रम को किया खारिज, यूनुस सरकार पर लगाया पक्षपात का आरोप

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ढाका, 12 दिसंबर: बांग्लादेश की अवामी लीग पार्टी ने देश के चुनाव आयोग द्वारा घोषित चुनाव कार्यक्रम को अस्वीकार कर दिया है। पार्टी का कहना है कि मुहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार के दौरान स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना संभव नहीं है।

चुनाव आयोग ने गुरुवार शाम घोषणा की थी कि देश का 13वां राष्ट्रीय संसदीय चुनाव और जुलाई चार्टर रेफरेंडम अगले वर्ष 12 फरवरी को होंगे।

अवामी लीग ने एक बयान जारी कर कहा कि उसने “ग़ैरकानूनी और पक्षपाती यूनुस गुट के अवैध चुनाव आयोग” द्वारा जारी कार्यक्रम को ध्यान से देखा है। पार्टी का आरोप है कि वर्तमान अंतरिम शासन पूरी तरह पक्षपाती है और उनके नियंत्रण में पारदर्शी और निष्पक्ष माहौल में चुनाव होना संभव नहीं।

पार्टी ने कहा कि बांग्लादेश की आज़ादी की लड़ाई का नेतृत्व करने वाली अवामी लीग, अन्य राजनीतिक दलों और जनता के बड़े हिस्से को चुनाव प्रक्रिया से अलग करके मतदान कराना देश को गंभीर संकट की ओर धकेलने जैसा है।

मौजूदा संकट को बढ़ने से रोकने के लिए, अवामी लीग ने मांग की कि पार्टी पर लगाई गई सभी पाबंदियां हटा दी जाएं, देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, पॉलिटिकल नेताओं और हर तरह के लोगों के खिलाफ सभी “मनगढ़ंत केस” वापस ले लिए जाएं, और सभी पॉलिटिकल कैदियों को बिना शर्त रिहा किया जाए।

पार्टी ने यह भी कहा कि मौजूदा “धोखेबाज और कब्जा करने वाली सरकार” की जगह एक निष्पक्ष कार्यवाहक सरकार बनाई जाए, ताकि स्वतंत्र और सबको शामिल करने वाला चुनाव हो सके।

बयान में पार्टी ने कहा कि चुनाव जनता की लोकप्रियता का आकलन होते हैं। अवामी लीग एक चुनाव-आधारित पार्टी है और उसके पास जनता के सामने खड़े होने की क्षमता और साहस है। पार्टी ने अब तक 13 में से 9 चुनाव जीते हैं। इसलिए वह ऐसे चुनाव कार्यक्रम को स्वीकार नहीं करती जिसमें जनता के बहुमत के प्रतिनिधियों को ही बाहर कर दिया गया हो।

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अमेरिका-पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकियों पर ध्रुव जयशंकर ने बोले- यह भारत-यूएस संबंधों में बड़ी चुनौती

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नई दिल्ली, 11 दिसंबर: ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन अमेरिका के कार्यकारी निदेशक ध्रुव जयशंकर ने एक कार्यक्रम के दौरान भारत और अमेरिका के संबंधों में तनाव और यूएस और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकियों पर सवाल उठाए हैं। ध्रुव जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व के साथ वाशिंगटन का फिर से जुड़ना भारत-अमेरिका रिश्तों में एक बड़ी चुनौती है।

ध्रुव जयशंकर ने हाउस फॉरेन अफेयर्स साउथ एंड सेंट्रल एशिया सब कमेटी की सुनवाई के दौरान अमेरिका और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकियों को लेकर सवाल उठाए। इस प्रोग्राम का शीर्षक “द यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप: सिक्योरिंग ए फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक” था।

ध्रुव जयशंकर ने कहा, “भारत में दूसरी चुनौती पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व के साथ अमेरिका की हाल में बढ़ती नजदीकियों से जुड़ी है। भारत के खिलाफ आतंकवादियों को सश्रय देने का पाकिस्तान का लंबा इतिहास रहा है। नतीजतन कई सालों से भारत का अनुभव यह है कि मध्यस्थों ने अक्सर पाकिस्तान के एडवेंचर में हिस्सा लिया है।”

उन्होंने आगे कहा, “इसलिए अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच डी-हाइफनेशन की नीति अपनाई है। अमेरिका ने दोनों के साथ बातचीत की है लेकिन उनके झगड़ों में कम से कम शामिल रहा है। अगर व्यापार और पाकिस्तान पर मतभेदों को अमेरिका और भारत के बीच सफलतापूर्वक मैनेज किया जाता है तो भविष्य में सहयोग के लिए काफी प्रोग्रेस बाकी है।”

अमेरिका ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान में माइनिंग गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए एक बड़े निवेश की घोषणा की है। बुधवार को अमेरिका एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक ने रेको डिक क्रिटिकल मिनरल्स प्रोजेक्ट के विकास को समर्थन करने के लिए 1.25 बिलियन डॉलर की वित्तीय मदद को मंजूरी दी। ऐसे में ध्रुव जयशंकर का ये बयान ट्रंप सरकार की नीतियों पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है।

हाल ही में पाकिस्तान स्थित अमेरिकी दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें अंतरिम चार्ज डी’ अफेयर्स, नताली ए. बेकर ने कहा कि ट्रंप सरकार ने इस तरह के कमर्शियल समझौतों को अपने कूटनीतिक अप्रोच का सेंटर बनाया है।

उन्होंने कहा, “मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि यूएस एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक ने हाल ही में पाकिस्तान में रेको डिक में क्रिटिकल मिनरल्स की माइनिंग को सपोर्ट करने के लिए 1.25 बिलियन अमेरिकी डॉलर की फाइनेंसिंग को मंजूरी दी है।”

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