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Thursday,04-September-2025
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मुंबई: मराठा आरक्षण आंदोलन के पांचवें दिन समाप्त होने के बाद बीएमसी ने आज़ाद मैदान और आसपास के इलाकों में रात भर सफाई अभियान चलाया

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मुंबई: मुंबई के आजाद मैदान में मराठा आरक्षण के मुद्दे पर पांच दिनों तक चले उग्र आंदोलन के बाद, बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने बुधवार सुबह तक प्रदर्शन प्रभावित क्षेत्र और उसके आसपास के नागरिक क्षेत्रों में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए रात भर व्यापक सफाई अभियान चलाया।

कार्यकर्ता मनोज जरांगे-पाटिल के नेतृत्व में हुए इस आंदोलन में पूरे महाराष्ट्र से हज़ारों प्रदर्शनकारी दक्षिण मुंबई पहुँचे, जिससे यातायात और नागरिक कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ। पाँचवें दिन आंदोलन समाप्त होने पर, नगर निगम अधिकारियों ने इस इलाके की सफाई के लिए भारी संख्या में जनशक्ति और संसाधन तैनात किए। अधिकारियों के अनुसार, लगभग 200 सफाई कर्मचारियों ने 2 सितंबर की रात से लेकर 3 सितंबर की सुबह तक मैदान और आस-पास की सड़कों को उनकी मूल स्थिति में लाने के लिए अथक परिश्रम किया।

कुल मिलाकर, 1,000 से ज़्यादा नगर निगम कर्मचारियों को दो पालियों में तैनात किया गया था ताकि धरना स्थल पर चौबीसों घंटे सफ़ाई सुनिश्चित की जा सके। आंदोलन के दौरान बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ को देखते हुए, बीएमसी ने पहले ही 100 मोबाइल शौचालयों सहित अतिरिक्त जन सुविधाओं का इंतज़ाम कर दिया था, जिससे कुल संख्या लगभग 450 हो गई। निगम ने भीड़ और देर रात तक काम करने वाले सफ़ाई कर्मचारियों के लिए पर्याप्त रोशनी उपलब्ध कराने हेतु 40 फ्लडलाइट वाले टावर भी लगाए।

शौचालयों के आसपास स्वच्छता बनाए रखने के लिए सक्शन मशीनें और जेट स्प्रे सिस्टम लगाए गए थे। कचरा संग्रहण में सहायता के लिए प्रदर्शन क्षेत्र में कम से कम 1,500 प्लास्टिक के कचरे के थैले और दर्जनों कूड़ेदान वितरित किए गए। प्रदर्शन समाप्त होने के बाद, सड़कों को पानी से अच्छी तरह धोया गया, जबकि सड़कों की सफाई के लिए कॉम्पैक्टर और स्किड स्टीयर लोडर सहित 16 विभिन्न प्रकार के कचरा प्रबंधन वाहन तैनात किए गए।

स्वास्थ्य संबंधी खतरों को रोकने के लिए, नगर निगम के कर्मचारियों ने मक्खियों और मच्छरों के प्रसार को रोकने के लिए पूरे स्थल पर 100 किलोग्राम कीटाणुनाशक और कीटनाशक पाउडर भी छिड़का। विरोध प्रदर्शन के दौरान पीने के पानी की व्यवस्था बीएमसी की ज़िम्मेदारी का एक बड़ा हिस्सा थी, जिसके तहत आसपास के क्षेत्र में मिनी टैंकरों सहित 26 पानी के टैंकर तैनात किए गए थे।

पाँच दिनों तक चले इस आंदोलन ने मुंबई के दक्षिणी प्रशासनिक केंद्र के कई हिस्सों को ठप कर दिया था, मंत्रालय के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी और परिवहन सेवाओं में बदलाव करना पड़ा था। इस विरोध प्रदर्शन ने मराठा आरक्षण की लगातार माँग को उजागर किया, साथ ही शहर के लिए रसद संबंधी चुनौतियाँ भी पैदा कीं। आंदोलनकारियों के चले जाने के बाद, बीएमसी के तेज़ और बड़े पैमाने पर सफाई प्रयासों ने यह सुनिश्चित किया कि आज़ाद मैदान और उसके आसपास के इलाकों में कुछ ही घंटों में सामान्य जनजीवन बहाल हो जाए।

महाराष्ट्र

ठाणे: कल्याण के सैनिक चॉल इलाके से दो नाबालिग लड़कियां लापता; पुलिस ने जांच शुरू की

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ठाणे: कल्याण पश्चिम के अमरदीप वसाहटी स्थित सैनिक चॉल की 15 और 16 साल की दो नाबालिग लड़कियाँ पिछले पाँच दिनों से लापता हैं, जिससे उनके परिवारों में गंभीर चिंताएँ हैं। मानपाड़ा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गई है, जहाँ संदेह है कि लड़कियों का किसी अज्ञात व्यक्ति ने अपहरण कर लिया है।

रिपोर्ट के अनुसार, 15 वर्षीय लड़की की मां आशाबाई गणपत काले ने लापता होने की सूचना दी और भारतीय दंड संहिता, 2023 की धारा 137 (2) के तहत औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। लड़कियां सैनिक चॉल की निवासी हैं, और उनके परिवार नींबू और मिर्च बेचने का छोटा व्यापार करते हैं, जैसा कि लोकसत्ता ने बताया है।

यह परिवार मूल रूप से सांगली जिले के जाट तालुका के पांडाधारी गाँव, पारधी टांडा का रहने वाला है। दोनों लड़कियों के लापता होने से परिवार में गहरा शोक व्याप्त है। निरंतर प्रयासों के बावजूद, उनका कोई पता नहीं चल पाया है।

दोनों लड़कियाँ 30 अगस्त की दोपहर 12 बजे से लापता हैं। शुरुआत में, परिवार को लगा कि शायद लड़कियाँ गणेशोत्सव के दौरान कल्याण में सार्वजनिक गणपति प्रतिमा देखने गई होंगी। लेकिन, जब वे भोजन के बाद भी वापस नहीं लौटीं, तो परिवार चिंतित हो गया और रिपोर्ट के अनुसार, आसपास के इलाके में उनकी तलाश शुरू कर दी।

उन्होंने लड़कियों के स्कूल के दोस्तों से संपर्क किया और रिश्तेदारों से भी पूछताछ की, लेकिन लड़कियाँ नहीं मिलीं। कल्याण में काफ़ी तलाश के बाद, लेकिन असफल रहने पर, परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्हें शक था कि उन्हें बहला-फुसलाकर अगवा किया गया है।

वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक संदीपन शिंदे ने मामले को गंभीरता से लिया है और लापता लड़कियों की तलाश के लिए विशेष टीमें गठित की हैं। इसके अतिरिक्त, सहायक पुलिस निरीक्षक रूपाली करकड़े भी घटना की गहन जाँच सुनिश्चित करने के लिए समानांतर जाँच कर रही हैं। पुलिस मामले की सक्रियता से जाँच कर रही है और नाबालिगों का पता लगाने के प्रयास जारी हैं।

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राजनीति

पीएम मोदी के खिलाफ भाषा की मर्यादा तोड़ने वाले को कड़ी सजा मिलनी चाहिए : आनंद दुबे

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मुंबई, 4 सितंबर। शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता आनंद दुबे ने बिहार के दरभंगा में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणी की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इसे अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि ऐसी भाषा लोकतांत्रिक मर्यादा का उल्लंघन है और दोषी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

मिडिया से बातचीत में शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता ने कहा कि सिर्फ पीएम मोदी ही नहीं किसी भी नेता का अपमान नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनीति के लिए कई सारे मुद्दे हैं, लेकिन किसी के खिलाफ गलत शब्दों का प्रयोग नहीं होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जो भी दोषी है, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव इस मामले में अपनी व्यथा बता चुके हैं, मुझे नहीं लगता है कि इस मामले को ज्यादा तूल देने की जररूत है। बिहार बंद के बाद सुचारू रूप से कार्य होगा, ऐसी उम्मीद लगाई जा रही है।

जीएसटी सुधारों पर उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने के समय 28 प्रतिशत, 18 प्रतिशत, 12 प्रतिशत और 5 प्रतिशत की दरें थीं, लेकिन अब सरकार ने 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत स्लैब को हटाकर केवल 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दरें बरकरार रखी हैं। दुबे ने आरोप लगाया कि विपक्ष, विशेष रूप से राहुल गांधी, ने शुरू से ही 28 प्रतिशत की ऊंची दर को जनता पर बोझ बताते हुए चेतावनी दी थी, लेकिन सरकार ने 8-9 साल तक इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।

उन्होंने कहा कि सरकार ने इस दौरान नागरिकों से भारी कर वसूला और अब बिहार विधानसभा चुनावों से ठीक पहले जीएसटी दरों में बदलाव की घोषणा की है।

दुबे ने इस देरी को सरकार की उदासीनता और जनता की चिंताओं के प्रति असंवेदनशीलता का प्रतीक बताया है।

उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव जीतना है इसीलिए नई जीएसटी दरें लाई गई। सरकार की अर्थनीति फेल है और जीएसटी से लोगों को परेशानी हुई, जीएसटी बदलाव को जनता भी समझ रही है।

आनंद दुबे ने महायुति सरकार पर मराठा आरक्षण और ओबीसी समाज की नाराजगी के मुद्दों को संभालने में विफलता का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार हर मुश्किल समय में नाकाम रही है। उन्होंने विशेष रूप से महायुति सरकार के मंत्री छगन भुजबल की नाराजगी का जिक्र किया।

दुबे ने यह भी कहा कि मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे के दबाव में सरकार ने जल्दबाजी में सरकारी आदेश (जीआर) जारी किया, जिसका उद्देश्य जरांगे के आंदोलन को समाप्त करना था। हालांकि, इस जीआर से कितना लाभ या नुकसान होगा, इस पर अभी चर्चा होनी बाकी है।

उन्होंने कहा कि महायुति सरकार दोनों समुदायों मराठा और ओबीसी के हितों को संतुलित करने में असमर्थ रही है, जिसके परिणामस्वरूप सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ रही है।

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राजनीति

‘देश के इतिहास में पहली बार किसानों पर लगा टैक्स’, जीएसटी सुधार को लेकर खड़गे का वार

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नई दिल्ली, 4 सितंबर। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को जीएसटी सुधार को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार किसानों पर टैक्स लगा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कृषि क्षेत्र की कम से कम 36 वस्तुओं पर जीएसटी लगाया था। इसीलिए हमने भाजपा के इस जीएसटी को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ का नाम दिया।

खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया और लिखा, ”कांग्रेस पार्टी ने अपने 2019 और 2024 के घोषणा पत्रों में सरल और तर्कसंगत कर व्यवस्था के साथ जीएसटी 2.0 की मांग की थी। हमने जीएसटी के जटिल कंप्लायंस को भी सरल बनाने की मांग की थी, जिससे एमएसएमई और छोटे व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुए थे। 28 फरवरी 2005 को कांग्रेस-यूपीए सरकार ने लोकसभा में जीएसटी की औपचारिक घोषणा की थी। 2011 में ही जब तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी जीएसटी बिल लेकर आए थे तब भाजपा ने इसका विरोध किया था। उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उन्होंने भी जीएसटी का विरोध किया था। आज यही भाजपा सरकार रिकॉर्ड जीएसटी कलेक्शन का जश्न मनाती है, जैसे कि आम जनता से टैक्स वसूलकर उसने कोई बहुत बड़ा काम किया हो।”

उन्होंने आगे लिखा, ”देश के इतिहास में पहली बार किसानों पर टैक्स लगाया गया है। इस मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र की कम से कम 36 वस्तुओं पर जीएसटी लगाया था। दूध-दही, आटा-अनाज, यहां तक कि बच्चों की पेंसिल-किताबें, ऑक्सीजन, इंशोरेशन और अस्पताल के खर्च जैसी रोज इस्तेमाल करने वाले वस्तुओं पर भी जीएसटी लगाया गया। इसीलिए हमने भाजपा के इस जीएसटी को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ का नाम दिया। कुल जीएसटी का दो-तिहाई यानी 64 प्रतिशत हिस्सा गरीबों और मध्यम वर्ग की जेब से आता है, लेकिन अरबपतियों से केवल 3 प्रतिशत जीएसटी लिया जाता है, जबकि कॉर्पोरेट टैक्स की दर 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दी गई है। वहीं, पिछले 5 वर्षों में इनकम टैक्स वसूली में 240 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और जीएसटी वसूली में 177 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।”

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आखिर में लिखा, ”ये अच्छा है कि सरकार की 8 वर्ष देर से ही सही जीएसटी पर कुंभकर्णी नींद खुली और उन्होंने जागकर रेट रेशनलाइजेशन की बात की है। सभी राज्यों को 2024-25 को आधार वर्ष मानकर 5 वर्षों की अवधि के लिए कंपनसेशन दिया जाए, क्योंकि दरों में कटौती से उनके राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना तय है।”

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