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Wednesday,30-July-2025
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संसद में अमित शाह का ऐलान,’ऑपरेशन महादेव में पहलगाम हमले के 3 आतंकी किए ढेर’

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नई दिल्ली, 29 जुलाई। पहलगाम हमले को अंजाम देने वाले तीन आतंकवादियों को भारतीय सेना ने मार गिराया है। इसका ऐलान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में किया। बताया कि कैसे ‘ऑपरेशन महादेव’ ने आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया। सदन में शाह ने बताया कि सेना, सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस ने ‘ऑपरेशन महादेव’ के जरिए तीन आतंकवादियों को मारा है, जिनमें सुलेमान उर्फ फैजल, अफगान और जिबरान शामिल हैं।

गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में बताया कि सुलेमान लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर था, जो गगनगीर आतंकी हमले में शामिल था। इसके सारे सबूत एजेंसियों के पास हैं। आतंकी अफगान और जिबरान, लश्कर के ‘ए’ श्रेणी के आतंकी थे। अमित शाह ने स्पष्ट तौर पर कहा कि तीनों आतंकवादी बैसरन घाटी हमले में शामिल थे।

अमित शाह ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद 23 अप्रैल को एक सुरक्षा मीटिंग की गई। सबसे पहले फैसला लिया गया कि आतंकी देश छोड़कर पाकिस्तान भाग न पाएं। इसकी पूरी पुख्ता व्यवस्था की और आतंकियों को भागने नहीं दिया।

गृह मंत्री ने बताया कि 22 मई को आईबी के पास सूचना आई थी। डाचीगाम क्षेत्र में आतंकियों की मौजूदगी की जानकारी मिली थी। सेना और आईबी ने सिग्नल कैप्चर करके 22 आतंकवादियों के बारे में जानकारी पुख्ता की। 22 जुलाई को सेंसर के जरिए आतंकियों के मौजूद होने की पुष्टि हुई। सेना के 4 पैरा के जवान, सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस के जवान एक साथ आतंकियों को घेरने का काम किया। सोमवार को ऑपरेशन हुआ, उसमें पहलगाम हमले के तीनों आतंकवादी मौत के घाट उतार दिए गए।

अमित शाह ने लोकसभा में जानकारी दी है कि पहलगाम हमले के दौरान मिले कारतूस के खोखे और आतंकवादियों की राइफल के खोखे का मिलान हुआ है। आतंकवादियों के पास से एक एम-9 अमेरिकन और दो एके-47 राइफल बरामद की गई थीं। गृह मंत्री ने लोकसभा में जानकारी दी कि चंडीगढ़ एफएसएल की रिपोर्ट में कारतूस के मिलान हुए हैं। 6 वैज्ञानिकों ने क्रॉस चेक किया है। वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि यह वही गोलियां हैं जो पहलगाम में चलाई गई थीं।

राष्ट्रीय समाचार

कान खोलकर सुन लें, 22 अप्रैल से 16 जून तक पीएम मोदी-ट्रंप में कोई बातचीत नहीं हुई : जयशंकर की विपक्ष को दो टूक

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नई दिल्ली, 30 जुलाई। राज्यसभा में बुधवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत की विदेश और रक्षा नीति पर विपक्ष के सवालों का करारा जवाब दिया। जयशंकर ने कहा कि भारत ने निर्धारित लक्ष्यों पर सटीक कार्रवाई की और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर दुनिया के किसी भी नेता ने भारत पर दबाव नहीं डाला।

इसी दौरान विदेश मंत्री जब संसद में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जवाब दे रहे थे, तभी विपक्षी नेता हंगामा करने लगे। इस दौरान उन्होंने विपक्षी दलों के नेताओं को टोकते हुए कहा, ”मैं उनको कहना चाहता हूं, वो कान खोलकर सुन लें। 22 अप्रैल से 16 जून तक, एक बार भी प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच फोन पर बातचीत नहीं हुई थी।”

उन्होंने कहा कि अमेरिका, सऊदी अरब और अन्य देशों से जो भी संवाद हुआ, वह पूरी तरह पारदर्शी और रिकॉर्ड में है। उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा जानकारी का हवाला देते हुए कहा कि भारत ने स्पष्ट कर दिया कि पाकिस्तान यदि संघर्ष विराम चाहता है, तो उसे हमारे डीजीएमओ चैनल से संवाद करना होगा।

चीन और पाकिस्तान को लेकर विपक्ष पर हमला बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत की कूटनीतिक सफलता इस बात से साबित होती है कि यूएनएससी में भारत भले ही स्थायी सदस्य न हो, लेकिन सुरक्षा परिषद प्रमुख का बयान भारत के पक्ष में आया। रूस सहित कई देशों ने भारत का समर्थन किया।

उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा, ”जो लोग मुंबई हमलों पर चुप रहे थे, आज वे हमें ज्ञान दे रहे हैं।”

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारतीय सेना को किसी के समर्थन की जरूरत नहीं है और उसने आतंकियों के ठिकानों पर खुद ही सफलतापूर्वक कार्रवाई की है। उन्होंने नूर खान एयरबेस सहित कई आतंकवादी और सैन्य ठिकानों पर की गई तबाही का जिक्र करते हुए कहा कि सेना का श्रेय किसी और को देना उसका अपमान होगा।

‘न्यू नॉर्मल’ और ‘कांग्रेस नॉर्मल’ की तुलना करते हुए जयशंकर ने पांच बिंदुओं पर आधारित भारत की नई रणनीति राज्यसभा में प्रस्तुत की। चीन-पाकिस्तान संबंधों पर बोलते हुए उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसा और कहा कि कुछ नेता ‘ओलंपिक की क्लासरूम’ में जाकर चीन का ज्ञान लेकर आए हैं और चीनी राजदूत से ‘ट्यूशन’ लेते हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि 2006 में कांग्रेस सरकार ने हू जिंताओ की यात्रा के दौरान चीनी कंपनियों को 3जी और 4जी जैसे क्षेत्रों में आमंत्रित कर देश की सुरक्षा से समझौता किया।

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राजनीति

उदित राज का केंद्र पर हमला, कहा- सरकार ‘मनोवैज्ञानिक रूप से झूठी’ है

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LOKSABHA

नई दिल्ली, 30 जुलाई। कांग्रेस नेता उदित राज ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने केंद्र सरकार को “मनोवैज्ञानिक रूप से झूठा” करार देते हुए कहा कि यह सरकार बार-बार झूठ बोलती है।

उदित राज ने मिडिया से बातचीत में ऑपरेशन सिंदूर, पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) और विदेश नीति को लेकर केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए और कहा कि केंद्र सरकार ने देश को बहुत कुछ देने के बजाय केवल झूठ दिया है।

उदित राज ने पीओके को लेकर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि भाजपा दशकों से पीओके को वापस लेने की बात करती रही है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी दावा किया था कि छह महीने में पीओके भारत का हिस्सा होगा। अब छह महीने बीत गए, पीओके कहां है? रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी पीओके वापस लेने की बात कही थी। लेकिन, अब वे घबराने लगे हैं। प्रियंका गांधी ने सही कहा कि अगर आप घबराने लगे, तो इसका मतलब है कि आपमें हिम्मत नहीं है।”

उदित राज ने भाजपा के दावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह दुष्प्रचार है कि 15 अगस्त 1947 को कश्मीर भारत का हिस्सा था और कहा, “यह पूरी तरह गलत है। उस समय कश्मीर राजा हरि सिंह की रियासत थी, जो न तो भारत और न ही पाकिस्तान के साथ मिलना चाहते थे। जब पाकिस्तान की सेना और कबीलों ने हमला किया, तब हरि सिंह भागकर भारत आए और अक्टूबर 1947 में संधि हुई। बीजेपी इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करती है।”

कांग्रेस नेता ने कहा, “पाकिस्तान के आतंकवादी भारत में घुसकर हमले करते हैं और फिर भी उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर समर्थन मिलता है। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को एंटी-टेरर कमेटी का उपाध्यक्ष और सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष बनाया गया। जब तक पाकिस्तान को सबक नहीं सिखाया जाता, तब तक दोस्ती की बात बेइमानी है। भारतीय सेना में ताकत है, लेकिन केंद्र सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण आतंकवाद पर काबू नहीं हो रहा।”

उदित राज ने बिहार के मुद्दे पर भी सरकार को घेरा और कहा कि बिहार के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया और वहां से पलायन रुकने का नाम नहीं ले रहा। चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे किए गए, लेकिन बिहार के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। यह सरकार केवल झूठे दावों पर चल रही है।

उदित राज ने ऑपरेशन सिंदूर पर उठे सवालों का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार को इसकी सफलता के दावों पर स्पष्ट जवाब देना चाहिए। 26 लोगों की जान गई, लेकिन सरकार इसे तमाशा बनाकर पेश कर रही है। अगर ऑपरेशन इतना सफल था, तो आतंकियों को पहले क्यों नहीं रोका गया? यह सरकार की नाकामी है।

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राष्ट्रीय समाचार

बीएमसी प्रमुख भूषण गगरानी ने दादर के शिवाजी पार्क में धूल प्रदूषण के उपायों की समीक्षा की, माहिम किले में पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रस्ताव रखा

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मुंबई: दादर के शिवाजी पार्क में धूल प्रदूषण से निपटने के लिए, बीएमसी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे (आईआईटी-बी) के विशेषज्ञों के साथ मिलकर दीर्घकालिक निवारक उपायों की योजना बना रही है।

मंगलवार को नगर आयुक्त भूषण गगरानी ने पार्क और उसके आसपास के रास्ते का निरीक्षण किया और अधिकारियों को नियमित रखरखाव, समय पर मरम्मत और परिसर में उचित सफाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

निवासियों की चिंताओं के बीच परीक्षण हेतु घास के मैदान बिछाए गए

महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) के निर्देशों और आईआईटी-बी की एक रिपोर्ट के बाद, बीएमसी ने धूल प्रदूषण को कम करने के लिए पिछले महीने 200 वर्ग मीटर के दो परीक्षण भूखंडों पर टिकाऊ घास बिछाना शुरू किया। हालाँकि, स्थानीय निवासियों का तर्क है कि पार्क में सार्वजनिक समारोहों जैसी अन्य अनुमत गतिविधियों के कारण घास लगाना एक स्थायी दीर्घकालिक समाधान नहीं है।

गगरानी ने कहा, “आईआईटी-बी इस मुद्दे का अध्ययन कर रहा है और निर्णय विशेषज्ञों के निष्कर्षों पर आधारित होंगे।” इस दौरे के दौरान गगरानी के साथ स्थानीय विधायक महेश सावंत और जी साउथ वार्ड के सहायक नगर आयुक्त विनायक विस्पुते भी थे।

कुछ साल पहले, शिवाजी पार्क के चारों ओर की चारदीवारी को सौंदर्यीकरण के प्रयास के तहत बहुरंगी चौकोर टाइलों से पुनर्निर्मित किया गया था। हालाँकि, हाल ही में हुए निरीक्षण के दौरान, कई स्थानीय निवासियों ने डिज़ाइन पर अपनी असहमति जताई और अनुरोध किया कि दीवार को उसके मूल स्वरूप में बहाल किया जाए।

आयुक्त ने समय पर मरम्मत और सफाई के आदेश दिए

उनकी चिंताओं को स्वीकार करते हुए, गगरानी ने नगर निगम अधिकारियों को आवश्यक मरम्मत कार्य करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि संरचना का नियमित और उचित रखरखाव किया जाए। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने शिवाजी पार्क में हर साल 45 दिनों तक सार्वजनिक समारोहों और कार्यक्रमों की अनुमति दी है।

माहिम किला पर्यटन आकर्षण के रूप में विकसित हो सकता है

गगरानी ने माहिम किला परिसर का भी दौरा किया। किले को एक विरासत संरचना मानते हुए, उन्होंने एक एकीकृत योजना के तहत इसके जीर्णोद्धार और आसपास के क्षेत्र के सौंदर्यीकरण पर विचार करने की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने इस स्थल को मुंबई में एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण के रूप में विकसित करने के तरीकों की खोज करने का भी सुझाव दिया, ताकि भविष्य में यह पर्यटकों के लिए रुचि का एक प्रमुख केंद्र बन सके।

गगरानी ने शिवाजी पार्क के पास राज ठाकरे से मुलाकात की

इस बीच, नगर आयुक्त ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे से शिवाजी पार्क स्थित उनके आवास पर मुलाकात की। मुलाकात का उद्देश्य अभी तक आधिकारिक तौर पर उजागर नहीं किया गया है।

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