राष्ट्रीय समाचार
थरूर ने आपातकाल को देश के इतिहास का एक काला अध्याय बताया, कहा ‘आज का भारत 1975 वाला नहीं है’
नई दिल्ली, 10 जुलाई। वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने गुरुवार को 1975 के आपातकाल को भारत के इतिहास का एक काला अध्याय बताया और कहा कि यह हर किसी और हर जगह के लिए एक चेतावनी है कि लोकतंत्र को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
एक प्रमुख दैनिक में प्रकाशित अपने संपादकीय लेख में, कांग्रेस सांसद ने कहा कि 1975 में लगाए गए आपातकाल ने दिखाया कि कैसे कमज़ोर लोकतांत्रिक संस्थाओं को कुचला जा सकता है, यहाँ तक कि ऐसे देश में भी जहाँ वे दिखने में मज़बूत हैं। उन्होंने हमें याद दिलाया कि एक सरकार अपनी नैतिक दिशा और जनता के प्रति जवाबदेही की भावना खो सकती है, जिसकी वह सेवा करने का दावा करती है।
थरूर ने आपातकाल की तीखी आलोचना ऐसे समय में की है जब देश हाल ही में कांग्रेस शासन के दौरान लगाए गए आपातकाल के 50 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है, जब नागरिकों के अधिकार छीन लिए गए, लोगों की आवाज़ दबा दी गई, मीडिया की आज़ादी दबा दी गई और न्यायपालिका को चुप करा दिया गया।
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 को आपातकाल लागू किया था और यह अगले 20 महीनों तक लागू रहा, जिससे नागरिकों के मूल अधिकारों का हनन हुआ और उन्हें कुचला गया।
संयुक्त राष्ट्र में अवर महासचिव के रूप में कार्य कर चुके थरूर ने नई पीढ़ी के लिए आपातकाल से तीन सबक भी लिए।
सूचना की स्वतंत्रता और स्वतंत्र प्रेस को पहला सबक बताते हुए उन्होंने कहा, “जब चौथा स्तंभ घेर लिया जाता है, तो जनता को उस जानकारी से वंचित कर दिया जाता है जिसकी उसे राजनीतिक नेताओं को जवाबदेह ठहराने के लिए आवश्यकता होती है।”
उन्होंने आगे कहा, “लोकतंत्र एक स्वतंत्र न्यायपालिका पर निर्भर करता है जो कार्यपालिका के अतिक्रमण के विरुद्ध एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करने में सक्षम और इच्छुक हो। न्यायिक आत्मसमर्पण – भले ही अस्थायी हो – के गंभीर और दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि विधायी बहुमत द्वारा समर्थित एक अति-अभिमानी कार्यपालिका लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर सकती है, खासकर जब वह कार्यपालिका अपनी अचूकता के प्रति आश्वस्त हो और लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के लिए आवश्यक नियंत्रण और संतुलन के प्रति अधीर हो।
कांग्रेस नेता ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि ‘आज का भारत 1975 वाला भारत नहीं है’ और कहा कि आज हम ज़्यादा आत्मविश्वासी, ज़्यादा समृद्ध और कई मायनों में ज़्यादा मज़बूत लोकतंत्र हैं।
थरूर द्वारा आपातकाल की आलोचना और मौजूदा सरकार के मज़बूत लोकतंत्र की मौन स्वीकृति से सत्ता के गलियारों में नई राजनीतिक हलचल मचने वाली है, क्योंकि यह 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के आगामी मानसून सत्र से कुछ दिन पहले हुआ है।
उनके इस लेख से कांग्रेस में नई नाराज़गी पैदा होने की संभावना है, जबकि भाजपा अपने ही एक वरिष्ठ नेता द्वारा आपातकाल को सबसे काला दौर मानने को लेकर इस पुरानी पार्टी को और घेरने की कोशिश करेगी।
राजनीति
आत्मचिंतन करें राहुल गांधी, नहीं तो बार-बार असफल होते रहेंगे: देवेंद्र फडणवीस

नागपुर, 15 नवंबर: बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को मिली बंपर जीत पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को सलाह दी है कि वे अगर हार का आत्मचिंतन नहीं करेंगे तो वे हर बार असफल ही होंगे।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का यह बयान उस वक्त आया है जब, बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद राहुल गांधी ने दावा किया कि चुनाव शुरू से निष्पक्ष नहीं था, इसलिए चुनावी परिणाम ऐसे सामने आए।
राहुल गांधी ने एक्स पोस्ट में लिखा, “मैं बिहार के उन करोड़ों मतदाताओं का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने महागठबंधन पर अपना विश्वास जताया। बिहार का यह परिणाम वाकई चौंकाने वाला है। हम एक ऐसे चुनाव में जीत हासिल नहीं कर सके, जो शुरू से ही निष्पक्ष नहीं था। यह लड़ाई संविधान और लोकतंत्र की रक्षा की है। कांग्रेस पार्टी और इंडी गठबंधन इस परिणाम की गहराई से समीक्षा करेंगे और लोकतंत्र को बचाने के अपने प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाएंगे।”
राहुल के पोस्ट पर सीएम फडणवीस ने जवाब देते हुए कहा कि राहुल गांधी जब तक आत्म-परीक्षण नहीं करेंगे, तब तक मिट्टी-पलीद करते ही रहेंगे।
सीएम फडणवीस ने कहा कि बिहार में यह प्रचंड जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेतृत्व के विश्वास की है। इस जनादेश के लिए बिहार को बधाई और धन्यवाद। बिहार आगे भी सकारात्मक रूप से विकसित और समृद्ध होगा।
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि सबसे पहले, मैं एनडीए को बधाई देना चाहता हूं। यह जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर विश्वास का प्रतीक है। गृह मंत्री अमित शाह ने जिस तरह से चुनाव प्रचार को आकार दिया, यह जीत उसी की बदौलत है। हमें बड़ी जीत मिली। बिहार में लोगों ने जातिगत राजनीति से ऊपर उठकर एनडीए को वोट दिया, यह एक बड़ा जनादेश है। साथ ही, बिहार ने महागठबंधन, खासकर कांग्रेस को एक सबक दिया। बिहार की जनता ने यह संदेश दे दिया कि अगर वे संवैधानिक संस्थाओं और दूसरे राज्यों की जनता द्वारा दिए गए जनादेश का अपमान करते हैं, तो वे उन्हें वोट नहीं देंगे। कांग्रेस को इतनी कम सीटें पहले कभी नहीं मिलीं, अगर वे नहीं सुधरे, तो उनका सफाया हो जाएगा।
राजनीति
बिहार : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिले चिराग पासवान, जीत की बधाई दी

पटना, 15 नवंबर: केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की है। इस दौरान, उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत की बधाई दी।
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के नेतृत्व में लोजपा (रामविलास) का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार सुबह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर पहुंचा। मुलाकात के दौरान एक-दूसरे को चुनाव में मिली जीत की बधाई और शुभकामनाएं दी गईं।
मुलाकात के बाद चिराग पासवान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम के पश्चात आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी से मुलाकात कर उन्हें एनडीए के प्रचंड बहुमत की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दीं।”
लोजपा (रामविलास) के प्रमुख ने मीडिया से भी बातचीत की और कहा, “मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद मैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से बधाई और शुभकामनाएं देने आया था। शुक्रवार को मुख्यमंत्री को जीत के बाद फोन पर बधाई दी और अगले दिन, शनिवार को व्यक्तिगत रूप से मिलने आए।”
चिराग पासवान ने अपने बयान में कहा, “मुझे इस बात की खुशी है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए के हर घटक दल की भूमिका को सराहा है। उन्होंने मतदान के दिन भी विशेष तौर पर लोजपा (रामविलास) के प्रत्याशी का समर्थन करने का काम किया। हमने भी जदयू के प्रत्याशियों के समर्थन में काम किया।”
उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक जीत सहयोगी दल के एक-दूसरे के ईमानदारी से समर्थन के बगैर संभव नहीं थी। ईमानदार समर्थन ही बड़ी जीत की वजह रहा है।
बता दें कि 14 नवंबर को घोषित बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एनडीए ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 243 में से 202 सीटों पर जीत दर्ज की है। इसमें सबसे अधिक सीटें (89) भाजपा ने जीतीं। जदयू को 85, लोजपा (रामविलास) को 19, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को पांच और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को चार सीटों पर जीत मिली है।
अपराध
जम्मू-कश्मीर के डीजीपी ने नौगाम पुलिस स्टेशन में हुए विस्फोट पर खेद जताया, आतंकी संबंध की अटकलों को किया खारिज

श्रीनगर, 15 नवंबर: जम्मू-कश्मीर के डीजीपी नलिन प्रभात ने शनिवार को नौगाम पुलिस स्टेशन के अंदर हुई विस्फोट की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। साथ ही, इस मामले में उन्होंने किसी भी तरह के ‘आतंकवादी संबंध’ को खारिज करते हुए कहा कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारणों के बारे में अन्य धारणाएं केवल ‘अनावश्यक अटकलें’ हैं।
डीजीपी ने पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर) में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि फरीदाबाद से भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री नौगाम पुलिस स्टेशन लाई गई और खुले स्थान पर सुरक्षित रूप से रखी गई। बरामदगी की मात्रा बहुत अधिक होने के कारण, पिछले दो दिनों से विस्फोटक सामग्री के नमूने लेने की प्रक्रिया चल रही थी, ताकि नमूनों को आगे की फोरेंसिक और रासायनिक जांच के लिए भेजा जा सके।
उन्होंने कहा कि विस्फोटक सामग्री की अस्थिर और संवेदनशील प्रकृति के कारण, इसे अत्यधिक सावधानी से संभाला जा रहा था। दुर्भाग्य से शुक्रवार रात लगभग 11.20 बजे, जब्त की गई सामग्री में आकस्मिक विस्फोट हो गया।
डीजीपी ने कहा कि घटना के कारणों के बारे में और कोई अटकलें लगाना अनावश्यक है। इस घटना में 9 लोगों की जान चली गई है। विशेष जांच एजेंसी के एक कर्मचारी, दो राजस्व अधिकारी, एफएलएस टीम के तीन कर्मचारी, अपराध शाखा के दो फोटोग्राफर और एक दर्जी की जान चली गई है। साथ ही, पुलिस स्टेशन की इमारत बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और आस-पास की इमारतें भी प्रभावित हुईं। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना का कारण अभी स्पष्ट नहीं है। पुलिस मृतकों के परिवारों के साथ पूरी तरह खड़ी है।
इस विस्फोट में घायल हुए लोगों को इलाज के लिए बादामी बाग इलाके में स्थित सेना के बेस अस्पताल और शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसकेआईसीसी) सौरा में भर्ती कराया गया है।
इससे पहले शनिवार सुबह डीजीपी नलिन प्रभात वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ नौगाम पुलिस स्टेशन गए और स्थिति का मौके पर जाकर जायजा लिया।
नौगाम पुलिस स्टेशन के अंदर हुआ विस्फोट इतना जबरदस्त था कि आसपास की इमारतों के शीशे टूट गए और विस्फोट की आवाज़ नौगाम इलाके से 5-10 किलोमीटर दूर तक सुनाई दी। भीषण विस्फोट के कारण पुलिस स्टेशन के अंदर खड़े कई वाहनों में आग लग गई और आग बुझाने के लिए दमकल गाड़ियों को लगाया गया।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हरियाणा पुलिस के साथ मिलकर फरीदाबाद में सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ करते हुए 2900 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया था। इस मामले में डॉ. आदिल राथर और डॉ. मुजम्मिल गनई को गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि तीसरा आतंकी साथी, डॉ. उमर नबी गिरफ्तारी से बच निकला। बाद में लाल किले के पास एक कार विस्फोट में उसकी मौत हो गई, जिसमें 10 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए।
लखनऊ की एक महिला डॉक्टर शाहीन शाहिद को भी उनकी कार से एक असॉल्ट राइफल बरामद होने के बाद गिरफ्तार किया गया। जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन के दो ओवरग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) की गिरफ्तारी से आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ।
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