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Wednesday,13-August-2025
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राष्ट्रीय समाचार

ऑपरेशन सिंदूर के बाद डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल घई की पदोन्नति, बने उप सेना प्रमुख (रणनीति)

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नई दिल्ली, 9 जून। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में सफल भूमिका निभाने वाले भारतीय सेना के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को पदोन्नति दी गई है। सोमवार को उनकी पदोन्नति की जानकारी सामने आई।

लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को अब भारतीय सेना का उप सेना प्रमुख नियुक्त किया गया है। बतौर उप सेना प्रमुख वह रणनीति मामलों को देखेंगे। उप सेना प्रमुख बनने के बावजूद लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई पूर्व की भांति फिलहाल डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन यानी डीजीएमओ का कार्यभार भी संभालते रहेंगे। लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई, उप सेना प्रमुख (रणनीति) के पद पर पदोन्नत किए गए हैं।

दरअसल, भारतीय सेना में यह एक महत्वपूर्ण पद है। सेना के सभी ऑपरेशनल कार्यक्षेत्र, उप सेना प्रमुख (रणनीति) के कार्यालय को रिपोर्ट करते हैं। वहीं, भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य स्तर पर होने वाली बातचीत का नेतृत्व डीजीएमओ द्वारा किया जाता है। 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया था।

ऑपरेशन सिंदूर के अंतर्गत पाकिस्तान में और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित विभिन्न आतंकवादी ठिकानों पर भारतीय सेना ने हमला किया था, जिसमें सौ से अधिक आतंकवादी मारे गए। पाकिस्तानी सेना ने इसके जवाब में भारतीय सैन्य और नागरिक ठिकानों पर हमले किए, जिसका मुंह तोड़ जवाब भारतीय सेना ने दिया। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कई एयरबेस व एयर डिफेंस सिस्टम नष्ट कर दिए। इसके बाद पाकिस्तान ने युद्ध विराम की मांग की।

पाकिस्तानी सेना के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस ने भारतीय डीजीएमओ से संपर्क किया। दोनों के बीच यह वार्ता हॉटलाइन पर हुई थी। बीते महीने हुई इस वार्ता में पाकिस्तान ने कहा था कि वह सीमा पार से एक भी गोली नहीं चलाएगा। वार्ता में कहा गया कि दोनों पक्षों को एक भी गोली नहीं चलानी चाहिए। एक-दूसरे के खिलाफ कोई आक्रामक और शत्रुतापूर्ण कार्रवाई शुरू नहीं करनी चाहिए।

सेना के मुताबिक, इस बात पर सहमति हुई कि दोनों पक्ष यानी भारत और पाकिस्तान सीमाओं और अग्रिम क्षेत्रों से सैनिकों की संख्या में कमी सुनिश्चित करने के लिए तत्काल उपायों पर विचार करें। भारत व पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच हुई अन्य बातचीत की पूरी जानकारी रक्षा मंत्री को दी गई थी। इससे स्पष्ट है कि भारतीय सेना में डीजीएमओ एक बेहद अहम पद है। वर्तमान में भारतीय सेना के डीजीएमओ यानी लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई इस पद पर बने रहेंगे। वह महत्वपूर्ण विषयों पर थलसेना प्रमुख को सीधे रिपोर्ट करते हैं। इसके साथ ही, डीजीएमओ सेना, नौसेना तथा वायुसेना के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

अंतरराष्ट्रीय समाचार

इजरायली राजदूत ने प्रियंका गांधी के बयान पर उठाए सवाल, कहा- ‘शर्मनाक है आपका कपट’

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नई दिल्ली, 12 अगस्त। भारत में इजरायल के राजदूत रूवेन अजार ने कांग्रेस महासचिव और सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के ‘नरसंहार’ वाले बयान पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आपका ‘कपट’ शर्मनाक है। हमास के आंकड़ों पर भरोसा नहीं करना चाहिए।

दरअसल, प्रियंका गांधी ने मंगलवार को इजरायल के हमले में अल-जजीरा के 5 पत्रकारों की मौत को जघन्य अपराध बताया था। उन्होंने कहा, “इजरायल नरसंहार कर रहा है। उसने 60 हजार से ज्यादा लोगों की हत्या की है, जिनमें 18,430 बच्चे थे। उसने सैकड़ों लोगों को भूख से मार डाला है, जिनमें कई बच्चे भी शामिल हैं, और लाखों लोगों को भूख से मरने की धमकी दे रहा है।”

प्रियंका के इस बयान पर इजरायल के राजदूत रूवेन अजार ने पलटवार किया। उन्होंने कहा, “शर्मनाक बात तो आपका कपट है। इजरायल ने 25,000 हमास आतंकवादियों को मार गिराया। मानवीय जिंदगियों का यह भयानक नुकसान हमास की घिनौनी चालों के कारण हुआ है, जिसमें वे नागरिकों के पीछे छिपते हैं, सहायता के लिए या बाहर निकलने की कोशिश कर रहे लोगों पर गोलीबारी करते हैं और रॉकेट दागते हैं। इजरायल ने गाजा में 20 लाख टन खाद्य सामग्री पहुंचाई, जबकि हमास उसे जब्त करने की कोशिश कर रहा है, जिससे भुखमरी पैदा हो रही है।”

उन्होंने आगे कहा, “पिछले 50 सालों में गाजा की आबादी 450 प्रतिशत बढ़ी है; वहां कोई नरसंहार नहीं हुआ। हमास के आंकड़ों पर यकीन मत कीजिए। हमास के आंकड़ों पर भरोसा न करें।”

कांग्रेस सांसद प्रियंका वाड्रा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक बयान में कहा, “अल जजीरा के 5 पत्रकारों की निर्मम हत्या फिलिस्तीनी धरती पर किया गया एक और जघन्य अपराध है। जो लोग सत्य के लिए खड़े होने की हिम्मत करते हैं, उनका असीम साहस इजरायल की हिंसा और घृणा से कभी नहीं टूटेगा। ऐसी दुनिया में जहां अधिकांश मीडिया सत्ता और व्यापार का गुलाम है, इन बहादुरों ने हमें याद दिलाया कि सच्ची पत्रकारिता क्या होती है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।”

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राजनीति

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लोकसभा में स्वीकार, तीन सदस्यीय समिति गठित

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नई दिल्ली, 12 अगस्त। देश के न्यायिक इतिहास में दुर्लभ और संवैधानिक रूप से महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत, मंगलवार को लोकसभा ने औपचारिक रूप से इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पढ़कर सुनाया। इसके साथ ही संविधान के अनुच्छेद 124(4), 217 और 218 के तहत उन्हें पद से हटाने की कार्यवाही का रास्ता साफ हो गया है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन में बताया कि उन्हें 31 जुलाई 2025 को यह प्रस्ताव प्राप्त हुआ था, जिस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और विपक्ष के नेता सहित कुल 146 लोकसभा सदस्यों और 63 राज्यसभा सदस्यों के हस्ताक्षर हैं।

यह मामला मार्च 2025 में सामने आए उस विवाद से जुड़ा है, जब दिल्ली स्थित उनके सरकारी आवास पर आग लगने की घटना के दौरान जले हुए नोटों के बंडल बरामद हुए थे। हालांकि, उस समय जस्टिस वर्मा घर पर मौजूद नहीं थे, लेकिन बाद में तीन सदस्यीय आंतरिक न्यायिक जांच ने निष्कर्ष निकाला कि वे इस नकदी पर ‘नियंत्रण’ रखते थे। इस रिपोर्ट के आधार पर भारत के मुख्य न्यायाधीश ने उनकी बर्खास्तगी की सिफारिश की थी।

संसद में प्रस्ताव पढ़ते हुए स्पीकर ओम बिरला ने यह भी घोषणा की कि न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 और संबंधित नियमों के तहत आरोपों की जांच के लिए एक वैधानिक समिति का गठन किया गया है। इस समिति में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनिंदर मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वीवी आचार्य शामिल हैं। समिति शीघ्र ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, तब तक प्रस्ताव लंबित रहेगा।

जस्टिस वर्मा ने जांच रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए इसे प्रक्रिया में खामी और संवैधानिक अतिक्रमण बताया था, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह उनकी याचिका खारिज कर दी। अदालत ने जांच प्रक्रिया को पारदर्शी और संवैधानिक बताते हुए उनके इस रुख की आलोचना की कि पहले उन्होंने जांच में भाग लिया और बाद में उसकी वैधता पर सवाल उठाए।

अगर समिति आरोपों को सही पाती है, तो महाभियोग प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत से पारित करना होगा, अर्थात उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई मत तथा कुल सदस्यों का बहुमत। इसके बाद ही प्रस्ताव राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा।

स्वतंत्र भारत में यह तीसरा मौका है जब किसी कार्यरत न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की गई है।

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राजनीति

उद्धव ठाकरे के ‘ईवीएम हैक’ वाले दावे को राम कदम ने बताया ‘नौटंकी’

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RAM KADAM

मुंबई, 12 अगस्त। शिवसेना (यूबीटी) अध्यक्ष और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोमवार को ईवीएम हैक होने का दावा किया। महाराष्ट्र भाजपा के विधायक राम कदम ने मंगलवार को उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए उनके आरोप को नौटंकी बताया।

भाजपा विधायक राम कदम ने मिडिया से बात करते हुए कहा, “उद्धव ठाकरे जब मुख्यमंत्री थे, तो उन्हें एयर कंडीशनर वाले आलीशान बंगले के बाहर निकलते हुए किसी ने नहीं देखा। वे कभी मुख्यमंत्री के दफ्तर में भी नहीं गए, जिसके कारण उनकी पार्टी टूट गई और बिखर गई। वहीं बचे हुए लोग कहीं एकनाथ शिंदे वाली असली शिवसेना के साथ न चले जाएं, इस डर और राजनीतिक मजबूरी के कारण वे सड़क पर उतरे थे।”

उन्होंने कहा, “उनकी याददाश्त और झूठ का पुलिंदा देखने लायक है। कई वर्ष पुरानी बात उन्हें अब याद आ रही है। उन्होंने इस बारे में पहले क्यों नहीं बताया? उन्होंने चुनाव आयोग या न्यायपालिका को पत्र क्यों नहीं लिखा? ऐसे में यह सभी झूठी बातें हैं, जो उन्हें मुंबई नगरपालिका चुनाव से ठीक पहले याद आ रही हैं। यह सच्चाई है कि विपक्ष के पास वर्तमान सरकार के खिलाफ कोई मुद्दे नहीं हैं। विपक्ष लोगों को भटका कर वोट जुटाने के प्रयास में जुटा हुआ है। ऐसा ही काम लोकसभा चुनाव के वक्त हुआ। संविधान को लेकर लोगों के बीच में झूठा भ्रम फैलाया गया। उसी प्रकार से अब चुनाव आयोग को लेकर झूठा भ्रम फैलाया जा रहा है।”

भाजपा नेता ने कहा, “विपक्ष के पास चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं है, जिसके कारण यह हो रहा है। अगर उनकी बातों में तर्क है, सत्यता है, और उनके पास कोई सबूत, दस्तावेज है, तो उसे चुनाव आयोग को दें। अगर उन पर विपक्ष को विश्वास नहीं है, तो देश में न्यायपालिका है। अब ऐसा तो नहीं कहा जा सकता कि उन्हें दोनों पर विश्वास नहीं है। अगर ऐसा है, तो इसका मतलब उन्हें संविधान पर भी विश्वास नहीं है। उद्धव ठाकरे पूरी तरह से नौटंकी कर रहे हैं।”

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