व्यापार
जीईएम से सरकारी खरीद में हुआ सुधार, पारदर्शिता और दक्षता बढ़ी

नई दिल्ली, 6 मई। सरकार ने गवर्नमेंट-ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) के माध्यम से सार्वजनिक खरीद प्रणाली में प्रमुख सुधारों पर जोर दिया है, जिसमें दक्षता, पारदर्शिता और ग्रोथ में सुधार के लिए मजबूत कार्टेल विरोधी सुरक्षा उपाय और विशेषज्ञों का हस्तक्षेप शामिल हैं।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जीईएम के प्रमुख अधिकारियों और पक्षकारों के साथ बैठक करते हुए इस मंच पर खरीदारों और विक्रेताओं दोनों को सशक्त बनाने पर जोर दिया।
केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, “खरीद को बढ़ाने, राज्यवार विस्तार में तेजी लाने, लचीले भुगतान और समावेशी ऋण तक पहुंच की सुविधा पर केंद्रित एक दूरदर्शी रोडमैप की रूपरेखा तैयार की गई, जिसका उद्देश्य प्लेटफॉर्म पर खरीदारों और विक्रेताओं दोनों को सशक्त बनाना है।”
गोयल ने आगे कहा कि बैठक में एंटी-कार्टेल सुरक्षा उपायों, अधिक यूजर-फ्रेंडली इंटरफेस और सार्वजनिक खरीद इकोसिस्टम में दक्षता, पारदर्शिता और विकास को और बेहतर बनाने के लिए विशेषज्ञ के हस्तक्षेप सहित प्रमुख सुधारों के कार्यान्वयन पर चर्चा की।
2016 में शुरू हुआ जीईएम सरकारी खरीदारों को किफायती दरों पर सार्वजनिक खरीद करने के लिए एक एंड-टू-एंड डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रदान करता है। वित्त वर्ष 2019-20 में प्लेटफॉर्म में सेवाओं को एक अलग सेगमेंट के रूप में शामिल किया गया, जिसमें शुरुआत में मैनपावर और कैब हायरिंग, सुरक्षा और सफाई एवं स्वच्छता जैसी बुनियादी सेवाएं शामिल थीं।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने पिछले महीने कहा कि डिजिटल खरीद प्लेटफॉर्म जीईएम ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में सरकारी संगठनों को दस लाख से अधिक मैनपावर की भर्ती की सुविधा प्रदान की है।
जीईएम ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान स्वास्थ्य, जीवन और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा पॉलिसियों को कवर करते हुए 1.3 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को बीमा की सुविधा प्रदान की है।
बयान में कहा गया है कि बीमा पॉलिसियों की खरीद में अधिक दक्षता, पारदर्शिता और लागत-प्रभावी लाने के लिए जनवरी 2022 में जीईएम पर बीमा सेवा श्रेणी शुरू की गई थी।
व्यापार
चौथी तिमाही के कमजोर नतीजों के कारण बैंक ऑफ बड़ौदा के शेयर में 11 प्रतिशत की गिरावट

नई दिल्ली, 6 मई। सार्वजनिक क्षेत्र के ‘बैंक ऑफ बड़ौदा’ का वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही के लिए कमजोर वित्तीय प्रदर्शन रहा, जिसके कारण मंगलवार को बैंक के शेयरों में 10.91 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई।
बैंक ऑफ बड़ौदा ने वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में 5,048 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ दर्ज किया, जो कि सालाना आधार पर 3.3 प्रतिशत की वृद्धि रही। बैंक का शुद्ध लाभ तीसरी तिमाही में 4,886 करोड़ रुपए था।
बैंक ऑफ बड़ौदा के चौथी तिमाही के शुद्ध लाभ में मामूली वृद्धि उच्च प्रावधानों और कमजोर शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) के कारण हुई।
बैंक ने वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में 11,020 करोड़ रुपए का शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) दर्ज किया, जो एक साल पहले की समान अवधि में दर्ज 11,793 करोड़ रुपए से 6.6 प्रतिशत कम है।
तिमाही आधार पर भी एनआईआई कमजोर रहा क्योंकि यह वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में 11,417 करोड़ रुपए से कम रहा।
बैंक का घरेलू शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) तिमाही आधार पर 3.11 प्रतिशत से घटकर 3.02 प्रतिशत हो गया। बैंक का परिचालन लाभ वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में दर्ज 8,106 करोड़ रुपए की तुलना में वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में 8,132 करोड़ रुपए पर स्थिर रहा।
वित्त वर्ष 2025 में बैंक का ग्रॉस एनपीए 12.6 प्रतिशत घटकर 27,835 करोड़ रुपए हो गया और ग्रॉस एनपीए अनुपात वित्त वर्ष 2024 के 2.92 प्रतिशत से सुधरकर वित्त वर्ष 2025 में 2.26 प्रतिशत हो गया।
वित्त वर्ष 2024 में 0.68 प्रतिशत की तुलना में वित्त वर्ष 2025 में बैंक का शुद्ध एनपीए अनुपात 0.58 प्रतिशत रहा।
बैंक ऑफ बड़ौदा के पास मार्च 2025 के अंत में 14.72 ट्रिलियन रुपए की कुल जमा राशि थी, जो पिछले साल की तुलना में 10.3 प्रतिशत और तिमाही दर तिमाही 4.9 प्रतिशत अधिक थी।
ग्लोबल एडवांस सहित कुल अग्रिम 12.30 ट्रिलियन रुपए थे, जो पिछले साल की तुलना में 12.8 प्रतिशत और तिमाही आधार पर 4.9 प्रतिशत अधिक थे।
बोर्ड ने अपेक्षित अप्रूवल के अधीन 418 प्रतिशत का लाभांश घोषित करने की सिफारिश की है।
बीओबी के ग्लोबल एडवांसेस में पिछले साल की तुलना में 12.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और मजबूत रिटेल लोन बुक वृद्धि के कारण वित्त वर्ष 2025 में डोमेस्टिक एडवांसेस में 13.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
व्यापार
2025 की पहली तिमाही में नौकरियों के आवेदन में 30 प्रतिशत उछाल, महिलाओं और फ्रेशर्स की भागीदारी बढ़ी

नई दिल्ली, 6 मई। भारत का वर्कफोर्स परिदृश्य 2025 में एक मजबूत शुरुआत कर रहा है। जॉब मार्केट ने इस वर्ष की पहली तिमाही में नौकरियों के आवेदन को लेकर सालाना आधार पर 30 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। 1.81 करोड़ जॉब एप्लीकेशन के साथ यह वृद्धि महिलाओं और फ्रेशर्स की तेजी से बढ़ती भागीदारी की वजह से दर्ज की गई। यह जानकारी मंगलवार को आई एक लेटेस्ट रिपोर्ट में दी गई।
जॉब प्लेटफॉर्म ‘अपना’ की ‘इंडिया एट वर्क- क्वाटर-1 2025 रिपोर्ट’ के अनुसार, इस साल की पहली तिमाही में महिलाओं ने 62 लाख जॉब एप्लीकेशन सबमिट किए, जो कि पिछले वर्ष की समान अवधि से 23 प्रतिशत अधिक है।
महिलाओं के जॉब एप्लीकेशन को लेकर यह वृद्धि बीपीओ, फाइनेंस, एचआर और एजुकेशन जैसे सेक्टर में फ्लेक्सिबल वर्क ऑप्शन और जेंडर-इंक्लूसिव हायरिंग की वजह से दर्ज की गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, चंडीगढ़, इंदौर और जमशेदपुर जैसे शहरों में महिलाओं के एप्लीकेशन दोगुने से अधिक हो गए, जो प्रमुख महानगरों की वृद्धि दर से अधिक है।
इसी तरह, फ्रेशर्स की ओर से भी 66 लाख जॉब एप्लीकेशन के साथ, पिछले साल की तुलना में 46 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया है।
वारंगल, जबलपुर और प्रयागराज जैसे छोटे शहरों से टैलेंट में 20 से 50 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जो मेट्रो हब से परे कॉर्पोरेट हायरिंग फोकस में एक बड़े बदलाव को दर्शाता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि टियर 2 और 3 शहरों में भर्ती को लेकर वृद्धि की वजह से जॉब एप्लीकेशन को लेकर यह बढ़त दर्ज की गई है।
अपना के सीईओ निर्मित पारिख ने कहा, “दिल्ली से लेकर देहरादून तक, भारत के हायरिंग परिदृश्य को समावेश, टेक्नोलॉजी और एम्बिशन के जरिए एक नया रूप दिया जा रहा है। काम का भविष्य अब केवल महानगरों तक सीमित नहीं रह गया है, यह अब हर जगह है।”
इसके अलावा, जॉब प्लेटफॉर्म अपना का इस्तेमाल करने वाले 70 प्रतिशत नए फ्रेशर्स यूजर्स के पास औपचारिक डिग्री या पेशेवर प्रमाणपत्र थे, जो स्किल-रेडी टैलेंट की बढ़ती मांग को दिखाता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि हायरिंग को लेकर भी इस वर्ष की पहली तिमाही में उछाल दर्ज किया गया है। इस वर्ष जनवरी-मार्च में 3.1 लाख नौकरियां पोस्ट की गईं, जो कि पिछले वर्ष की समान अवधि से 26 प्रतिशत की वृद्धि को दिखाता है।
नौकरियां पोस्ट करने को लेकर स्मॉल-मीडियम बिजनेसेस (एसएमबी) की भागीदारी सबसे अधिक रही। एलआईसी, फ्लिपकार्ट और पेटीएम जैसी कंपनियों की ओर से 2.1 लाख नौकरियां पोस्ट की गईं। इसके अलावा, एसएमबी ने वर्ष की पहली तिमाही में 28,547 वूमन-स्पेसिफिक रोल पोस्ट किए, जो पिछले वर्ष की समान अवधि से 26 प्रतिशत अधिक है।
व्यापार
स्टार्टअप जॉब मार्केट में एक नया आत्मविश्वास, भर्ती को लेकर सालाना आधार पर 32 प्रतिशत का जबरदस्त उछाल

बेंगलुरु, 5 मई। भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में भर्ती को लेकर सालाना आधार पर 32 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। यह सस्टेनेबल और इनोवेशन आधारित स्केलिंग की ओर एक रणनीतिक मोड़ का संकेत है। सोमवार को आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
जॉब्स प्लेटफॉर्म फाउंड-इट की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का व्हाइट-कॉलर जॉब मार्केट मजबूत बना हुआ है, जिसमें सालाना आधार पर 18 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
स्टार्टअप जॉब पोस्टिंग में इस साल अप्रैल में सालाना आधार पर 32 प्रतिशत और पिछले तीन महीनों में 12 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
पिछले एक साल में नए स्टार्टअप रजिस्ट्रेशन में 22 प्रतिशत की वृद्धि से भर्ती की यह गति और अधिक मजबूत हुई है।
फाउंड-इट के सीईओ वी. सुरेश ने कहा, “भारत में स्टार्टअप के विस्तार के तरीके में एक बड़ा बदलाव आया है। विकास अब केवल प्रमुख महानगरीय क्षेत्रों तक सीमित नहीं है। इसके बजाय, हम टियर-2 शहरों में भी मजबूत विस्तार देख रहे हैं, जो विकास के अधिक संतुलित और समावेशी मॉडल का संकेत देता है। साथ ही, अनुभवी पेशेवरों की भर्ती पर जोर बढ़ रहा है, जो दीर्घकालिक स्थिरता पर रणनीतिक ध्यान केंद्रित करने को दर्शाता है।”
स्टार्टअप हायरिंग में आईटी सर्विस सबसे आगे है, जो सभी स्टार्टअप जॉब पोस्टिंग का 32 प्रतिशत है, जो कि पिछले साल 2024 में 23 प्रतिशत था। हेल्थकेयर में स्टार्टअप हायरिंग 6 प्रतिशत से बढ़कर 9 प्रतिशत हो गया है, जो डीप टेक और स्वास्थ्य-केंद्रित समाधानों पर बढ़ते फोकस का संकेत देता है।
इसके विपरीत, मीडिया एंड एंटरटेनमेंट और एजुकेशन/ई-लर्निंग जैसे सेक्टर में स्टार्टअप हायरिंग को लेकर गिरावट दर्ज की गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, टियर-2 शहर तेजी से प्रमुख स्टार्टअप हब के रूप में उभर रहे हैं, जहां अप्रैल 2024 में उनकी नौकरी की हिस्सेदारी 9 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल 2025 में 31 प्रतिशत हो गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह तीन गुना वृद्धि भारत के स्टार्टअप सेक्टर में एक बड़े बदलाव का संकेत देती है, जिसे कोयंबटूर, जयपुर, इंदौर, लखनऊ और भुवनेश्वर लीड कर रहे हैं।
इस बीच, बेंगलुरु, दिल्ली-एनसीआर और मुंबई में स्टार्टअप जॉब शेयर में भारी गिरावट दर्ज की गई, जबकि चेन्नई और हैदराबाद में स्थिति स्थिर रही।
स्टार्टअप भी तेजी से ‘एक्सपीरियंस’ को प्राथमिकता दे रहे हैं। 0 से 3 वर्ष के अनुभव वाली फ्रेशर हायरिंग अप्रैल 2025 में 53 प्रतिशत से घटकर 41 प्रतिशत रह गई है।
यह बदलाव सभी स्तरों पर विशेष कौशल की बढ़ती मांग को दर्शाता है, जिसमें मिड-करियर प्रोफेशनल, 4-6 साल और 7-10 साल के अनुभव वाली की भूमिकाएं क्रमशः 28 प्रतिशत और 15 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं।
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