अंतरराष्ट्रीय
बांग्लादेश : चिन्मय कृष्ण दास को जमानत, क्या जेल से हो पाएगी रिहाई ?

ढाका, 30 अप्रैल। बांग्लादेश की अदालत ने बुधवार को हिंदू संत चंदन कुमार धर उर्फ चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के एक मामले में जमानत दे दी। स्थानीय मीडिया ने यह जानकारी दी।
चिन्मय के वकील प्रोलाद देब नाथ ने ‘द डेली स्टार’ को बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद उनके जेल से रिहा होने की उम्मीद है। अगर सुप्रीम कोर्ट इस फैसले पर रोक नहीं लगाता है तो चिन्मय दास को रिहा कर दिया जाएगा।
जस्टिस मोहम्मद अताउर रहमान और जस्टिस मोहम्मद अली रजा की पीठ ने चिन्मय की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया।
रिपोर्ट के मुताबिक 23 अप्रैल को चिन्मय के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने उच्च न्यायालय की पीठ से अपने मुवक्किल को जमानत देने की प्रार्थना करते हुए कहा कि चिन्मय बीमार हैं और बिना सुनवाई के जेल में कष्ट झेल रहे हैं।
पिछले साल 31 अक्टूबर को चटगांव के मोहोरा वार्ड बीएनपी के पूर्व महासचिव फिरोज खान ने कोतवाली पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया था। इसमें चिन्मय और 18 अन्य पर बंदरगाह शहर के न्यू मार्केट इलाके में 25 अक्टूबर को हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया गया।
26 नवंबर को चटगांव की एक अदालत ने चिन्मय को जेल भेज दिया, इससे एक दिन पहले राजधानी में उनकी गिरफ्तारी के बाद उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।
दास की गिरफ्तारी से व्यापक आक्रोश फैल गया था, कई लोगों ने उनकी तत्काल रिहाई की मांग की।
दास बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सुरक्षा के लिए काम करने वालों में शामिल रहे हैं। वे बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के मुखर समर्थक रहे हैं, उन्होंने अल्पसंख्यक संरक्षण कानून, अल्पसंख्यक उत्पीड़न के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए न्यायाधिकरण और अल्पसंख्यक मामलों के लिए समर्पित मंत्रालय की स्थापना जैसे प्रमुख सुधारों की मांग की है।
मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर यह आरोप लगता रहा है कि वह धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा देने में नाकाम रही है। पिछले साल अगस्त में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से देश में धार्मिक अल्पसंख्यक निशाने पर आ गए। भारत ने इस संबंध में बार-बार अपनी चिंता ढाका के साथ साझा की है। नई दिल्ली का कहना है कि अंतरिम सरकार को सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय
भारत-इजरायल संबंध को नुकसान पहुंचाने की साजिश ! इजरायली दूतावास ने किस वायरल दावे को बताया ‘फर्जी’

नई दिल्ली, 30 अप्रैल। भारत में इजरायल के दूतावास ने बुधवार को उस दावे को फर्जी बताया जिसमें कहा गया कि उसकी ओर से विदेश मंत्रालय को ‘ नोट वर्बल’ जारी किया गया। इस कथित ‘नोट वर्बल’ में जम्मू-कश्मीर में संयुक्त सैन्य अभ्यास के दौरान एक भारतीय सेना अधिकारी पर इजरायल रक्षा बल (आईडीएफ) की एक कर्मी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया।
दूतावास ने इस घटना पर हैरानी जताते हुए कहा कि भारत और इजरायल के बीच मजबूत रिश्ते को नुकसान पहुंचाने के लिए इस तरह की ‘फर्जी खबरों’ का सहारा लेने वाले सफल नहीं होंगे।
इजरायली दूतावास ने एक्स पर लिखा, “अविश्वसनीय! इजरायल और भारत के बीच रिश्ता इतना मजबूत है कि नफरत करने वाले इसे नुकसान पहुंचाने के लिए फर्जी खबरों का सहारा ले रहे हैं। यह काम नहीं करेगा।”
इजरायल ने घातक पहलगाम आतंकी हमले के बाद आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की है।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन किया और भारत के लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की।
नेतन्याहू ने 24 अप्रैल को एक्स पर लिखा, “मैंने आज भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की और कश्मीर में इस्लामी आतंकवादी हमले के बाद भारत के लोगों के प्रति अपनी और इजरायल के लोगों की संवेदनाएं व्यक्त कीं। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के दुख को साझा करने के लिए मुझे धन्यवाद दिया और इस बात पर जोर दिया कि हमारे दोनों देश जानलेवा आतंकवाद के खिलाफ महत्वपूर्ण लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।”
पिछले सप्ताह विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने नई दिल्ली में इजरायल के राजदूत रियूवेन अजार से मुलाकात की थी। उन्होंने सीमा पार आतंकवाद से निपटने में इजरायल के दृढ़ समर्थन की सराहना की।
अजार ने सोशल मीडिया पर उपयोगी चर्चा के लिए विदेश मंत्री जयशंकर का आभार व्यक्त किया। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, “विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ उपयोगी चर्चा के लिए धन्यवाद। आम चुनौतियों का मुकाबला करने और कई अवसरों का लाभ उठाने के लिए भारत और इजरायल के मिलकर काम करने की उम्मीद है!”
आतंकियों ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर में एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल – पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में लोगों (ज्यादातर पर्यटक) पर अंधाधुंध गोलियां चला दी थीं। हमले में कम से कम 26 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए थे।
अंतरराष्ट्रीय
पाकिस्तानी हैकर्स का राजस्थान में साइबर अटैक, राज्य सरकार की तीन वेबसाइट्स हैक

जयपुर, 29 अप्रैल। पाकिस्तानी हैकर्स ने राजस्थान सरकार की तीन वेबसाइटों को निशाना बनाया और उन पर भारत विरोधी संदेश लिख दिए।
पाकिस्तानी साइबर अपराधियों ने राज्य में कई सरकारी वेबसाइटों को निशाना बना चुके हैं, जिनमें नवीनतम निशाना शिक्षा विभाग के आधिकारिक पोर्टल है।
मंगलवार को राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस घटना का संज्ञान लिया और विभाग की सूचना प्रौद्योगिकी शाखा को सक्रिय कर दिया। हैक की गई वेबसाइट को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया, जबकि रिकवरी ऑपरेशन चल रहा है।
साइबर सुरक्षा एजेंसियों को भी सूचित कर दिया गया है। जिम्मेदार हैकिंग समूह की पहचान करने और किसी भी संभावित डाटा उल्लंघन का आकलन करने के लिए जांच शुरू कर दी गई है।
अभी तक किसी भी संवेदनशील डेटा लीक की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन एहतियात के तौर पर सभी विभागीय प्रणालियों का व्यापक ऑडिट जारी है।
यह घटना सोमवार को हुए एक ऐसे ही साइबर हमले के बाद हुई, जिसमें हैकरों ने स्थानीय स्वशासन विभाग (डीएलबी) और जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) की वेबसाइटों पर हमला किया था और उन पर पाकिस्तान समर्थक प्रचार सामग्री लगा दी थी। अब उन दोनों वेबसाइटों को बहाल कर दिया गया है।
एक पोस्ट में, ‘पाकिस्तान साइबर फोर्स’ का हिस्सा होने का दावा करने वाले हैकर्स ने पहलगाम में हाल की आतंकवादी घटना का हवाला देते हुए भारत के बारे में भड़काऊ टिप्पणी की।
शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया कि शिक्षा विभाग की वेबसाइट को जल्द ही बहाल कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि भविष्य में उल्लंघनों को रोकने के लिए साइबर सुरक्षा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।
सूत्रों ने बताया कि यह घटना भू-राजनीतिक तनाव के साथ-साथ साइबर युद्ध के बढ़ते खतरे को रेखांकित करती है। यह सरकारी प्लेटफार्मों पर डिजिटल सुरक्षा बढ़ाने की तत्काल जरुरत को पर प्रकाश डालती है।
अंतरराष्ट्रीय
26/11 हमले के आरोपी तहव्वुर राणा ने झाड़ा पल्ला, दोस्त डेविड हेडली पर फोड़ा ठीकरा

नई दिल्ली, 26 अप्रैल। 26/11 आतंकी हमले के मास्टरमाइंड के रूप में जाना जाने वाले तहव्वुर हुसैन राणा ने मुंबई क्राइम ब्रांच की पूछताछ में चौंकाने वाला दावा किया। राणा ने 26/11 आतंकी हमले से अपना पल्ला पूरी तरह से झाड़ लिया है।
अधिकारियों ने बताया कि खुद को इस हमले से पूरी तरह बेगुनाह बताते हुए राणा ने कहा कि उसे 26/11 हमले से कोई लेना-देना नहीं है। इस हमले के लिए उसने अपने बचपन के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली को जिम्मेदार ठहराया है। राणा ने पूछताछ के दौरान यह भी कहा कि मुंबई हमले की साजिश में उसकी कोई भूमिका नहीं थी। इसमें डेविड हेडली का हाथ था।
पूछताछ में राणा ने यह भी बताया कि वह दिल्ली और मुंबई के अलावा केरल भी गया था। जब अधिकारियों ने उससे केरल जाने की वजह पूछी, तो उसने बताया कि वह वहां अपने जानने वालों से मिलने गया था। राणा ने केरल में अपने परिचित व्यक्ति का नाम और पता भी एजेंसी को सौंपा है। इस जानकारी के बाद क्राइम ब्रांच अब राणा के दावों की पुष्टि करने की तैयारी में जुट गई है। संभावना जताई जा रही है कि जांच एजेंसी की एक टीम जल्द ही केरल रवाना हो सकती है, ताकि सच्चाई का पता लगाया जा सके।
बता दें कि 26/11 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है। राणा को लॉस एंजेल्स से एनआईए और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) की टीमों के साथ एक विशेष विमान से भारत लाया गया। अमेरिका में राणा ने अपने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए कई कानूनी कोशिश की, जिसमें अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में आपातकालीन याचिका भी शामिल थी। सभी याचिकाएं खारिज होने के बाद प्रत्यर्पण संभव हो सका। भारत के विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने अमेरिकी अधिकारियों के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को पूरा किया।
एनआईए ने राणा के प्रत्यर्पण के लिए वर्षों तक प्रयास किए। एजेंसी ने अमेरिका की एफबीआई, न्याय विभाग (यूएसडीओजे) और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर काम किया। राणा पर आरोप है कि उसने मुंबई हमलों की साजिश में अहम भूमिका निभाई थी।
मुंबई हमले 26 नवंबर 2008 को हुए थे, जब 10 आतंकियों ने ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और नरीमन हाउस समेत कई जगहों पर हमला किया था। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। राणा पर लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर हमले की योजना बनाने का आरोप है।
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