राष्ट्रीय समाचार
जम्मू-कश्मीर में लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों के घर ढहाए गए

श्रीनगर, 26 अप्रैल। जम्मू-कश्मीर के शोपियां, कुलगाम और पुलवामा जिलों में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के तीन आतंकियों के घरों को प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया। अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई शुक्रवार देर शाम और शनिवार को की गई।
पुलवामा जिले के मुरान गांव में आतंकी एहसान-उल-हक शेख का घर ढहाया गया। कुलगाम जिले के मटालहामा गांव में आतंकी जाकिर अहमद गनी का घर तोड़ा गया, जो 2003 से सक्रिय है। वहीं, शोपियां जिले के चोटीपोरा गांव में आतंकी शाहिद अहमद कुटे के घर को भी ध्वस्त किया गया, जो 2002 से आतंकी गतिविधियों में शामिल है।
इसके पहले, शुक्रवार को पहलगाम हमले में शामिल दो अन्य आतंकियों, आसिफ अहमद शेख (त्राल) और आदिल ठोकर (बिजबेहरा) के घरों को भी तोड़ा गया था।
पहलगाम आतंकी हमले पर पहली प्रतिक्रिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि आतंकियों, उनके समर्थकों और प्रायोजकों को ऐसी सजा दी जाएगी, जिसके बारे में उन्होंने सोचा भी नहीं होगा।
बिहार के मधुबनी में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा- आज बिहार की सरजमीं से मैं पूरी दुनिया से यह कहना चाहता हूं कि भारत इन लोगों की पहचान करेगा, उन्हें ढूंढेगा और हर आतंकी तथा उनकी मदद करने वालों को सजा देगा। हम उन्हें पृथ्वी के अंतिम छोर तक खदेड़ देंगे। भारत की आत्मा को आतंकवाद कभी नहीं तोड़ सकता। इंसाफ मिले, इसके लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे।
इस बीच, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी के साथ सुरक्षा समीक्षा की और सुरक्षा बलों को निर्देश दिया कि 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन घाटी में निर्दोष नागरिकों की हत्या करने वालों को पकड़ने के लिए हर जरूरी बल का उपयोग करें। पिछले छह दिनों से ड्रोन, हेलीकॉप्टर और अन्य तकनीकों की मदद से बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चल रहा है।
खुफिया जानकारी के आधार पर जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त कर दिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि आतंकी कश्मीरी पंडितों और घाटी में काम करने वाले गैर-स्थानीय लोगों को टारगेट कर सकते हैं।
राष्ट्रीय समाचार
पहलगाम हमले के विरोध में आधे दिन के लिए भोपाल बंद

भोपाल, 26 अप्रैल। जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के विरोध में पूरा देश गुस्से में है। विरोध प्रदर्शन का दौर जारी है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी व्यापारिक संगठनों के आह्वान पर शनिवार को आधे दिन के लिए भोपाल के बाजार बंद हैं।
राजधानी के बाजारों में शनिवार की सुबह से सन्नाटा पसरा हुआ है। यहां अगर कोई दुकान खुली है तो वह आवश्यक सेवाओं से जुड़ी हुई है। पेट्रोल पंप, दूध और दवाई की दुकान आम दिनों की तरह खुली हैं। आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी तरह की दुकानों पर ताले लटके हुए हैं और पूरी तरह सड़क खाली नजर आ रही है। सुबह के समय स्कूलों की बसें और स्कूल जाने वाले बच्चे ही नजर आए।
भोपाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के आह्वान पर शहर के तमाम व्यावसायिक संगठनों ने समर्थन करते हुए अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद रखे हैं। इस बंद का विभिन्न संगठनों के साथ-साथ आम व्यवसायियों ने भी खुलकर समर्थन किया है और वे अपने प्रतिष्ठानों पर पहुंचे जरूर हैं, मगर उनको खोला नहीं हैं। राजधानी में तीन से ज्यादा मेडिकल स्टोर हैं, वहीं दूध की दुकान से लेकर चाय-नाश्ता लोगों को आसानी से मिले, इसका प्रबंध बंद का आह्वान करने वाले व्यापारिक संगठनों ने किया है।
राज्य में पहलगाम हमले को लेकर विरोध प्रदर्शन का सिलसिला जारी है। इसी क्रम में शुक्रवार को भी विरोध प्रदर्शन किया गया था। कई जगह कैंडल मार्च निकाले गए और लोगों ने विरोध दर्ज कराया। शुक्रवार को राजधानी में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने संयुक्त रूप से बोर्ड ऑफिस चौराहे पर विरोध प्रदर्शन किया था और आतंकवाद का पुतला भी फूंका था।
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को पर्यटकों पर आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 26 पर्यटक मारे गए थे। इस घटना के बाद से देशवासियों में गुस्सा है और वे लगातार विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं। राज्य के अन्य हिस्सों में भी व्यापारी जगत के लोग अपने प्रतिष्ठान बंद कर हमले का विरोध दर्ज करा रहे हैं।
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‘नेशनल गवर्नमेंट क्लाउड’ में तकनीकी गड़बड़ी से प्रभावित आईटी सेवाएं हो रहीं बहाल: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, 26 अप्रैल। सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को कहा कि नेशनल गवर्नमेंट क्लाउड (एनजीसी) में तकनीकी गड़बड़ी आने के कारण कई सूचना संचार प्रौद्योगिकी आधारित सेवाएं प्रभावित हुई हैं। कोर्ट ने यह भी बताया कि प्रभावित सेवाओं को बहाल करने का काम जारी है।
एक नोटिस के जरिए बताया गया कि रजिस्ट्री से जुड़ी विभिन्न सूचना संचार प्रौद्योगिकी आधारित सेवाएं एनजीसी में तकनीकी गड़बड़ी के कारण प्रभावित रहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस में बताया, “सुबह से ही नेशनल गवर्नमेंट क्लाउड (एनजीसी) में तकनीकी गड़बड़ी के कारण रजिस्ट्री द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न सूचना संचार प्रौद्योगिकी-आधारित सेवाएं, जैसे वेबसाइट, ई-फाइलिंग, एससीआर और डिजीएससीआर पोर्टल पर प्रतिकूल असर पड़ा है।”
कोर्ट ने आगे कहा कि सभी संबंधित टीम सेवाओं की शीघ्र बहाली पर काम कर रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, “आपको हुई किसी भी असुविधा के लिए हमें खेद है। हम आपके धैर्य, समझ और सहयोग की सराहना करते हैं।”
नेशनल गवर्नमेंट क्लाउड एक यूनिक क्लाउड सर्विस है। यह सर्विस एनआईसी के तहत विभिन्न सरकारी परियोजनाओं को दी जा रही है।
यह संगठनों को सिंगल एंड यूज पोर्टल का इस्तेमाल कर कई निजी और सार्वजनिक क्लाउड सेवाओं को चुनने की अनुमति देता है।
नेशनल गवर्नमेंट क्लाउड, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) द्वारा संचालित एक सुरक्षित डेटा सेंटर में कंप्यूट, स्टोरेज, डेटाबेस और नेटवर्क जैसी विभिन्न ऑन-प्रिमाइस सेवाएं प्रदान करता है।
सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री अपने डिजिटलीकरण और डिजिटल संरक्षण प्रयासों के के रूप में क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करती है। इसमें नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) शामिल है।
राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जो भारत में जिला और अधीनस्थ न्यायालयों और उच्च न्यायालयों के आदेशों, निर्णयों और मामले की डिटेल्स का डेटाबेस प्रदान करता है। एनजेडीजी ई-कोर्ट परियोजना के तहत बनाया गया है और देश के सभी कंप्यूटराइज्ड न्यायालयों की न्यायिक कार्यवाही से जुड़ा डेटा प्रदान करता है।
इसके अलावा, ई-कोर्ट सर्विस केस से जुड़ी जानकारियों और दूसरे संसाधनों तक ऑनलाइन पहुंच को सुनिश्चित करती है।
केस रिकॉर्ड और कोर्ट के आदेशों को डिजिटल बनाने में भी रजिस्ट्री सक्रिय रूप से शामिल है, जिससे उन्हें विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से सुलभ बनाया जा सके।
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वक्फ संशोधन मामला : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जवाब, बताया कानून में बदलाव क्यों जरूरी

नई दिल्ली, 25 अप्रैल। वक्फ संशोधन कानून को लेकर चल रही बहस के बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना विस्तृत जवाब दाखिल कर दिया। केंद्र सरकार ने साफ किया है कि वक्फ कानून में बदलाव क्यों जरूरी था।
सरकार ने बताया कि 1923 से वक्फ बाय यूजर प्रावधान के तहत रजिस्ट्रेशन जरूरी होने के बावजूद इसका दुरुपयोग कर निजी और सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित किया जाता रहा, जिसे रोकना जरूरी था।
केंद्र सरकार ने कहा कि वक्फ बाय यूजर की व्यवस्था खत्म होने से मुस्लिम समुदाय का वक्फ करने का अधिकार नहीं छीना गया है, बल्कि कानून के दुरुपयोग पर लगाम लगाई गई है।
सरकार ने यह भी आरोप लगाया कि इस कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता अदालत को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।
जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) को 5 सितंबर 2024 को दी गई जानकारी के अनुसार, 5,975 सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित किया जा चुका था। सरकार का कहना है कि पुराने कानून के तहत वक्फ बाय यूजर एक “सुरक्षित स्वर्ग” बन गया था, जहां से सरकारी और निजी संपत्तियों को हथियाया जा सकता था।
सरकार ने अदालत से कहा कि यह सेटेड लीगल पोजिशन है कि कोर्ट को संसद द्वारा बनाए गए कानूनों पर बिना विस्तृत सुनवाई के रोक नहीं लगानी चाहिए।
सरकार के अनुसार, 2016 से अब तक वक्फ संपत्ति में 116 गुना की वृद्धि दर्ज की गई है। केंद्र ने स्पष्ट किया कि वक्फ बोर्ड एक मुस्लिम धार्मिक संस्था नहीं है। इसमें किया गया संशोधन संविधान के अनुरूप है। इसमें मौलिक अधिकारों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है।
सरकार ने यह भी बताया कि वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्ड में 22 सदस्यों में से अधिकतम दो गैर-मुस्लिम हो सकते हैं, जो समावेशी प्रतिनिधित्व का संकेत है।
सरकार ने अपने जवाब में यह भी कहा कि पिछले 100 वर्षों से वक्फ बाय यूजर मौखिक नहीं, बल्कि रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के तहत ही होता रहा है। अदालत अब इस मामले की पूरी सुनवाई के बाद निर्णय लेगी।
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