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बांग्लादेश : पुलिस ने तीन श्रीलंकाई नागरिकों को छुड़ाया, दोस्त ने फिरौती के लिए किया था किडनैप

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ढाका, 25 अप्रैल। बांग्लादेश में पुलिस ने फिरौती के लिए किडनैप तीन श्रीलंकाई नागरिकों को छुड़ा लिया है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तीनों लोग सोशल मीडिया पर मिले एक दोस्त के बुलावे पर बांग्लादेश आए थे।

बांग्लादेश के पुलिस उप महानिरीक्षक (खुलना रेंज) मोहम्मद रजाउल हक ने गुरुवार को स्थानीय पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि पुलिस ने अपहरण मामले में विदेशी नागरिकों को बुलाने वाले व्यक्ति समेत तीन स्थानीय लोगों को गिरफ्तार किया।

किडनैप किए गए तीन श्रीलंकाई नागरिकों में एक महिला भी शामिल थी।

बांग्लादेश के अखबार ‘द डेली स्टार’ की रिपोर्ट के अनुसार, गिरफ्तार किए गए चार बांग्लादेशी काजी इमदाद हुसैन, शाहिदुल शेख, जोनी शेख और एसएम शम्सुल आलम ने स्थानीय फोन नंबर से श्रीलंकाई नागरिकों के परिवारों से संपर्क किया और फिरौती की मांग की।

बांग्लादेश के बागेरहाट जिले के पुलिस अधीक्षक तौहिदुल आरिफ के अनुसार, तीनों श्रीलंकाई नागरिक दक्षिण अम्बारी गांव में इमदाद काजी के घर पर पाए गए।

बांग्लादेशी मीडिया आउटलेट बीडी न्यूज 24 ने एसपी तौहिदुल आरिफ के हवाले से बताया, “हाल ही में इमदाद सोशल मीडिया पर तीन श्रीलंकाई नागरिकों से मिला। इमदाद ने उन्हें व्यापार के अवसरों का हवाला देते हुए बांग्लादेश बुलाया। तीनों श्रीलंकाई नागरिक मंगलवार को बांग्लादेश पहुंचे और वहां पहुंचने के बाद उन्हें बंधक बना लिया गया।”

पुलिस अधिकारी ने बताया, “उनके परिवार वालों ने श्रीलंका से फोन करके हमें बताया कि उनका अपहरण कर लिया गया है। उन्हें बताया गया था कि अगर फिरौती नहीं दी गई, तो उन्हें नहीं छोड़ा जाएगा।”

हाल ही में अमेरिका ने अपने नागरिकों को बांग्लादेश की यात्रा पर फिर से सोचने के लिए यात्रा सलाह जारी की थी। एडवाइजरी में देश में नागरिक अशांति, अपराध और आतंकवाद का हवाला दिया गया।

अमेरिकी विदेश विभाग की यात्रा सलाह में कहा गया कि बांग्लादेश में आतंकवादी हमलों और अन्य हिंसक गतिविधियों का खतरा भी है।

इससे पहले, ब्रिटेन ने भी बांग्लादेश के लिए अपनी यात्रा सलाह को अपडेट किया था और अपने नागरिकों को चटगांव हिल ट्रैक्ट्स जैसे क्षेत्रों में केवल जरूरी यात्रा करने की सलाह दी थी और किसी भी अन्य यात्रा से बचने को कहा था।

ब्रिटेन के विदेश राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय की सलाह में कहा गया, “आतंकवादी हमले बिना चेतावनी के हो सकते हैं और इनमें उन जगहों को भी निशाना बनाया जा सकता है, जहां विदेशी नागरिक जाते हैं, जैसे: भीड़-भाड़ वाले इलाके, धार्मिक स्थल और राजनीतिक रैलियां।”

मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत बांग्लादेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। स्थानीय मीडिया ने राजमार्ग पर डकैतियों की संख्या में चिंताजनक बढ़ोतरी की सूचना दी है।

बांग्लादेश हाईवे पुलिस मुख्यालय के अनुसार, अगस्त 2024 में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के पतन के बाद से ऐसी डकैतियों में बढ़ोतरी हुई है।

अंतरराष्ट्रीय समाचार

ट्रंप ने भारत-पाक सीमा तनाव पर कहा, “दोनों देश सुलझा लेंगे”

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वाशिंगटन, 26 अप्रैल। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर चल रहे तनाव में अमेरिका की किसी भूमिका से इनकार कर दिया। यह बयान पहलगाम आतंकी हमले के बाद आया है।

ट्रंप ने कहा कि दोनों देश इस मसले को “किसी न किसी तरह सुलझा लेंगे।” ट्रंप पहले अपने कार्यकाल में भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश कर चुके हैं, लेकिन शुक्रवार को जब उनसे रोम जाते समय पत्रकारों ने पूछा कि क्या वे इस मुद्दे पर चिंतित हैं और क्या वे दोनों देशों के नेताओं से बात करेंगे, तो उन्होंने इस बार मध्यस्थता की पेशकश नहीं की। रोम में वे पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार में शामिल होने जा रहे थे।

ट्रंप ने मजाकिया अंदाज में कहा कि भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव “1500 साल से चल रहा है।” हालांकि, यह ऐतिहासिक रूप से अतिशयोक्ति है।

उन्होंने कहा, “मुझे यकीन है कि दोनों नेता इसे सुलझा लेंगे। मैं दोनों को जानता हूं।”

भारत हमेशा से अपनी सीमा विवादों में बाहरी मध्यस्थता के खिलाफ रहा है, चाहे वह पाकिस्तान के साथ हो या चीन के साथ। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने कई बार मध्यस्थता की मांग की है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इस बार पाकिस्तान ने कोई हस्तक्षेप मांगा है। ट्रंप की पहली पेशकश तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के सार्वजनिक अनुरोध के बाद आई थी, लेकिन भारत ने इसे ठुकरा दिया था।

ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में भी भारत-चीन सीमा विवाद में मध्यस्थता की पेशकश की थी, तब भी भारत ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। इस बार ट्रंप ने मध्यस्थता की कोई इच्छा नहीं दिखाई, लेकिन उन्होंने और उनके अधिकारियों ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की और भारत को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में समर्थन की पेशकश की। हमले के कुछ घंटों बाद ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन कर संवेदना और समर्थन व्यक्त किया। व्हाइट हाउस ने भी तुरंत इस हमले पर बयान जारी किया।

अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने भी शुक्रवार को अपनी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने एक्स पर लिखा, “हम इस जघन्य हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को पकड़ने में आपका समर्थन करते हैं।”

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

दक्षिण सूडान की सेना ने नासिर काउंटी पर फिर से कब्जा किया

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जुबा, 22 अप्रैल। दक्षिण सूडान पीपुल्स डिफेंस फोर्सेज (एसएसपीडीएफ) ने अपर नाइल के नासिर काउंटी पर फिर से कब्जा कर लिया है। इस शहर को उसने मार्च में व्हाइट आर्मी मिलिशिया के साथ भीषण लड़ाई के बाद खो दिया था।

मीडिया के अनुसार, एसएसपीडीएफ के प्रवक्ता लुल रुआई कोआंग ने रविवार को एक बयान में पुष्टि की कि नासिर के प्रमुख कस्बे पर फिर से कब्जा करना उन सैनिकों के लिए सबसे बड़ा उपहार है, जिन्होंने इसकी रक्षा और पुनः कब्जे के दौरान अपनी जान गंवाई।

मार्च में नासिर में दक्षिण सूडान की सेना और व्हाइट आर्मी के बीच भीषण लड़ाई छिड़ गई थी। व्हाइट आर्मी एक मिलिशिया है, जिसके बारे में सरकार का दावा है कि वह विपक्षी सूडान पीपुल्स लिबरेशन मूवमेंट-इन-ओपोजिशन से जुड़ी हुई है।

एसएसपीडीएफ की हालिया घोषणा पड़ोसी उलांग काउंटी के मुख्यालय पर नियंत्रण का दावा करने के कुछ दिनों बाद आई, जो व्हाइट आर्मी के साथ एक सप्ताह की लड़ाई के बाद हुआ।

इससे पहले अप्रैल में संयुक्त राष्ट्र राहत एजेंसी ने दक्षिण सूडान के अपर नील राज्य में लड़ाई के बाद नागरिकों की सुरक्षा और निर्बाध मानवीय पहुंच सुनिश्चित करने के लिए तेजी से तनाव कम करने का आह्वान किया था, जिसमें मार्च से अब तक 180 से अधिक लोग मारे गए थे।

दक्षिण सूडान के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवीय समन्वयक अनीता किकी गेबेहो ने दक्षिण सूडान की राजधानी जुबा में जारी एक बयान में कहा कि सशस्त्र झड़पों और हवाई बमबारी में 250 से अधिक लोग घायल हुए हैं और लगभग 125,000 लोग विस्थापित हुए हैं।

मीडिया के अनुसार, गेबेहो ने यह भी कहा कि 4 मार्च से शुरू हुई हिंसा में चार मानवीय कार्यकर्ता मारे गए हैं। लूटपाट और विनाश के कारण छह स्वास्थ्य सुविधाओं को बंद करना पड़ा है।

गेबेहो ने कहा, “हिंसा में यह नई बढ़ोतरी जरूर रुकनी चाहिए। यह हिंसा ऐसे समय में हुई है जब मानवीय सहायता के लिए धन कम होता जा रहा है और न केवल ऊपरी नील नदी में, बल्कि पूरे दक्षिण सूडान में तत्काल आवश्यकताएं बढ़ रही हैं। आज, देश भर में 9.3 मिलियन लोगों को सहायता की जरूरत है।”

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

म्यांमार की मदद के लिए चीन की भूकंप राहत सामग्री की सातवीं खेप यांगून पहुंची

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बीजिंग, 21 अप्रैल। चीन सरकार द्वारा म्यांमार को प्रदान की गई आपातकालीन मानवीय भूकंप राहत सामग्री की सातवीं खेप यांगून अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंची।

सामग्री की इस खेप में मुख्य रूप से आपातकालीन दवाएं शामिल हैं, जिनमें एमोक्सिसिलिन कैप्सूल के 8 लाख बक्से, एसिटामिनोफेन मैनिटोल इंजेक्शन की 1 लाख 22 हजार बोतलें, सेफुरॉक्साइम कैप्सूल के 2 लाख 25 हजार बक्से, इबुप्रोफेन गोलियों की 4 लाख 80 हजार बोतलें आदि 95 टन की दवाएं शामिल हैं।

म्यांमार में आए शक्तिशाली भूकंप के बाद, चीन सरकार ने म्यांमार को आपातकालीन मानवीय राहत सहायता प्रदान करने की तुरंत घोषणा की। चीन ने तुरंत ही बचाव दल भेजे, राहत सामग्री पहुंचाई और भूकंप राहत व लोगों की जान बचाने में म्यांमार की सहायता करने के लिए हर संभव प्रयास किया।

चीन इस बार के भूकंप प्रभावित क्षेत्रों के लिए सहायता की घोषणा करने वाला पहला देश है, बचाव दल भेजने वाला पहला देश है, भूकंप से बचे लोगों को बचाने वाला पहला देश और सबसे अधिक संख्या में बचाव दल व पेशेवर बचावकर्ता भेजने वाला देश भी है। चीन को म्यांमार के सभी वर्गों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से व्यापक प्रशंसा मिली है।

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