व्यापार
कंपोनेंट पीएलआई से इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात को मिलेगा बढ़ावा, नौकरियां होंगी सृजित

नई दिल्ली, 9 अप्रैल। वित्त वर्ष 2025 में स्मार्टफोन निर्यात 2 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया, जिसमें अकेले आईफोन का हिस्सा लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये रहा।
आईटी मंत्रालय ने 22,919 करोड़ रुपये की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (ईसीएमएस) को अधिसूचित किया है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के लिए ग्लोबल हब के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम का नोटिफिकेशन कैबिनेट के फैसले के क्रम में है।
उन्होंने कहा, “हमारी सरकार हमेशा खुले विचारों वाली, परामर्शदात्री और समावेशी रही है। हम किसी भी कानून या नीति को अंतिम रूप देने से पहले सभी के विचारों को ध्यान में रखते हैं।”
पिछले एक दशक में, इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में पांच गुना और निर्यात में छह गुना से अधिक की वृद्धि हुई है, जिसमें निर्यात सीएजीआर 20 प्रतिशत से अधिक और उत्पादन सीएजीआर 17 प्रतिशत से अधिक है।
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा, “थोड़े ही समय में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम, जिसमें कम्पोनेंट मैन्युफैक्चरर्स और विविध प्रकार के खिलाड़ी शामिल हैं, काफी विकसित हो गया है। आज, 400 से अधिक उत्पादन इकाइयां हैं, जिनमें बड़ी और छोटी दोनों तरह की इकाइयां हैं, जो विभिन्न प्रकार के कंपोनेंट का निर्माण करती हैं।”
वैश्विक उद्योग के रुझानों को दर्शाते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में भारत की यात्रा अलग-अलग चरणों से गुजरी है। यह तैयार माल से शुरू होकर सब-असेंबली तक आगे बढ़ते हुए और अब डीप कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग के महत्वपूर्ण चरण में प्रवेश कर रही है।
यह क्षेत्र लगातार इस तीसरे चरण में आगे बढ़ रहा है, जो वैल्यू एडिशन, आत्मनिर्भरता और इकोसिस्टम को लेकर एक बड़ी उपलब्धि है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि योजना को कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल डिवाइस, ऑटोमोबाइल, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल ग्रिड जैसे कई क्षेत्रों में लाभ के साथ एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में डिजाइन किया गया है, जिससे अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
यह योजना विशेष रूप से निष्क्रिय इलेक्ट्रॉनिक घटकों पर केंद्रित है, जिन्हें नई पहल के तहत समर्थन दिया जाएगा।
इसके विपरीत, सक्रिय घटक भारत सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) के दायरे में आते हैं।
निष्क्रिय घटकों की सूची में रेसिस्टर, कैपेसिटर, कनेक्टर, इंडक्टर, स्कीकर्स, रिले, स्विच, ऑसिलेटर, सेंसर, फिल्म, लेंस आदि शामिल हैं।
यह योजना इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में उपयोग किए जाने वाले पूंजीगत उपकरणों के डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग का भी समर्थन करेगी।
रोजगार सृजन सभी आवेदकों के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता होगी, जिसमें घटक निर्माता और पूंजीगत उपकरण उत्पादक दोनों शामिल हैं।
व्यापार
भारत की फाइनेंस कंपनियों की लोन बुक अगले दो वर्षों में 21-22 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी : रिपोर्ट

नई दिल्ली, 11 सितंबर। भारत की शीर्ष फाइनेंस कंपनियों की लोन बुक अगले दो वर्षों में 21-22 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है, जबकि इस दौरान बैंकिंग सेक्टर की लोन ग्रोथ 11-12 प्रतिशत रह सकती है। यह जानकारी गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस सेक्टर की मजबूत वृद्धि के पीछे की वजह रिटेल लोन सेक्टर में मजबूत पकड़ होना है।
रिपोर्ट के अनुसार, मजबूत वित्तीय स्थिति वाली अपर-लेयर की फाइनेंस कंपनियां हाई लोन ग्रोथ को सपोर्ट करेंगी और डाउनसाइड के लिए बफर उपलब्ध कराएंगी।
रिपोर्ट में कहा गया, “हमें उम्मीद है कि अगले दो वर्षों में आय की गति बनी रहेगी और शुद्ध ब्याज मार्जिन थोड़ा ज्यादा रहेगा। इससे बफर में बढ़ोतरी होगी।”
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की क्रेडिट विश्लेषक गीता चुघ ने कहा, “भारत की वित्तीय कंपनियों के लिए सख्त अंडरराइटिंग मानक विकास योजनाओं पर लगाम लगाएंगे और इस वित्तीय क्षेत्र के लिए जोखिम निर्माण को कम करेंगे।”
साथ ही, जोखिम प्रबंधन पर अधिक ध्यान दिए जाने के कारण कुछ उत्पादों में मंदी जारी रहने की संभावना है।
रिपोर्ट के अनुसार, गोल्ड-आधारित ऋणों सहित कुछ ऋण क्षेत्रों में सख्त नियामक निगरानी भी परिसंपत्ति विस्तार पर लगाम लगा सकती है।
चुग ने कहा, “वित्तीय कंपनियों की परिसंपत्ति गुणवत्ता स्थिर बनी हुई है, हालांकि माइक्रो फाइनेंस और असुरक्षित ऋणों में कुछ क्षेत्रों में दबाव बना हुआ है।”
यह दबाव तेज विकास और कमजोर क्रेडिट प्रोफाइल वाले उधारकर्ताओं को उनकी पुनर्भुगतान क्षमता पर पर्याप्त विचार किए बिना दिए जाने वाले अत्यधिक ऋण देने के तरीकों के कारण हो सकता है।
रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि असुरक्षित व्यक्तिगत ऋण, विशेष रूप से उच्च जोखिम क्षमता वाले छोटे-छोटे ऋणों में वृद्धि देखी गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि असुरक्षित खुदरा ऋणों के जोखिम भार में भारतीय रिजर्व बैंक के सक्रिय समायोजन, कड़े अंडरराइटिंग मानकों के साथ, मार्च 2025 में समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में असुरक्षित व्यक्तिगत ऋणों की वृद्धि दर में मामूली गिरावट के साथ लगभग 8-9 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है।
व्यापार
मिश्रित वैश्विक संकेतों के बीच मामूली बढ़त के साथ कारोबार कर रहे सेंसेक्स-निफ्टी

मुंबई, 11 सितंबर। भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार वार्ता में प्रगति और अन्य वैश्विक संकेतों के कारण गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार हरे निशान में खुला। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स और निफ्टी मामूली बढ़त में रहे।
सुबह 9.25 बजे तक, सेंसेक्स 85 अंक या 0.11 प्रतिशत बढ़कर 81,510 पर और निफ्टी 24 अंक या 0.09 प्रतिशत बढ़कर 24,997 पर कारोबार कर रहे थे।
ब्रॉडकैप सूचकांकों में बेंचमार्क सूचकांकों से बेहतर प्रदर्शन के साथ निफ्टी मिडकैप 100 में 0.16 प्रतिशत और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 0.28 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
निफ्टी पैक में एनटीपीसी, ओएनजीसी, टीसीएस और एसबीआई टॉप गेनर्स रहे। जबकि एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस, हीरो मोटरकॉर्प, डॉ रेड्डीज लैब्स, टेक महिंद्रा और ट्रेंट टॉप लूजर्स रहे।
सेक्टोरल फ्रंट पर निफ्टी मीडिया 1.46 प्रतिशत की तेजी के साथ कारोबार कर रहा था। निफ्टी पीएसयू बैंक 1.11 प्रतिशत और निफ्टी ऑयल एंड गैस 0.91 प्रतिशत की तेजी में रहे। अन्य सभी सूचकांकों में मामूली बढ़त या गिरावट दर्ज की गई।
अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार वार्ता में उत्साहजनक प्रगति के कारण, निफ्टी ने बीते कारोबारी दिन लगातार छठे सत्र में अपनी तेजी जारी रखी।
मार्केट का सेंटीमेंट सतर्क और आशावादी बना हुआ है, हालांकि लगातार अस्थिरता और मिले-जुले वैश्विक संकेत निवेशकों के विश्वास पर दबाव बना रहे हैं।
विश्लेषकों ने कहा कि 25,160 से ऊपर एक निर्णायक कदम 25,340 की ओर रास्ता खोल सकता है, जबकि तत्काल समर्थन 24,950 और 24,850 के स्तर पर है।
एशिया-प्रशांत बाजारों में, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें बढ़ीं, जबकि निवेशकों ने चीन के अगस्त मुद्रास्फीति के आंकड़ों का भी आकलन किया। नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में चीन में कंज्यूमर प्राइस में सालाना आधार पर 0.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
सुबह के सत्र में एशियाई बाजारों में शानदार बढ़त दर्ज की गई। चीन का शंघाई सूचकांक 0.92 प्रतिशत और शेन्जेन सूचकांक 2.32 प्रतिशत की बढ़त में रहे। जापान का निक्केई 0.99 प्रतिशत बढ़ा, जबकि हांगकांग का हैंग सेंग सूचकांक 0.41 प्रतिशत की गिरावट में रहा। दक्षिण कोरिया का कोस्पी 0.31 प्रतिशत की बढ़त में रहा।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को 115.69 करोड़ रुपए के शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 5,004.29 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे।
महाराष्ट्र
दहिसर टोल नाका होगा शिफ्ट, मीरा-भायंदर निवासियों को बड़ी राहत

मुंबई : महाराष्ट्र सरकार ने दहिसर टोल नाका को स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है। यह कदम हजारों रोज़ाना यात्रियों के लिए राहत लेकर आएगा, खासकर मीरा-भायंदर के निवासियों के लिए, जिन्हें लंबे समय से इस टोल का सामना करना पड़ रहा था।
कई वर्षों से दहिसर टोल प्लाजा यात्रियों के लिए परेशानी का कारण बना हुआ था। पीक ऑवर में लगने वाली लंबी कतारें और समय की बर्बादी के साथ-साथ स्थानीय निवासियों पर आर्थिक बोझ भी पड़ रहा था। मीरा-भायंदर के नागरिक लगातार यह मांग कर रहे थे कि छोटे सफर करने वालों पर टोल का अतिरिक्त बोझ नहीं डाला जाना चाहिए।
अधिकारियों ने पुष्टि की है कि टोल नाका अब हाईवे पर आगे स्थानांतरित किया जाएगा। इससे स्थानीय यात्रियों को छोटे अंतराल की यात्रा पर टोल शुल्क से छूट मिलेगी। यह बदलाव न केवल यातायात को सुचारू करेगा बल्कि लोगों का रोज़ाना का खर्च भी कम करेगा।
स्थानीय नागरिक समूहों और प्रतिनिधियों ने इस फैसले का स्वागत किया है। एक निवासी ने कहा, “यह लंबे समय से लंबित मांग थी। अब हमें छोटी दूरी की यात्रा पर अतिरिक्त टोल नहीं देना पड़ेगा।”
महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी) जल्द ही टोल नाका की नई जगह तय करेगा और आने वाले हफ्तों में काम शुरू होगा।
दहिसर टोल नाका का यह स्थानांतरण शहरी यात्रा को आसान बनाने और उपनगरीय निवासियों की समस्याओं को हल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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