राष्ट्रीय समाचार
राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन: 10,000 से अधिक ग्राम पंचायतों में रोलआउट के साथ तमिलनाडु अग्रणी

नई दिल्ली, 22 मार्च । सरकार ने कहा है कि राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन (एनबीएम) ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल विभाजन को पाटने में मदद की है और तमिलनाडु ब्रॉडबैंड रोलआउट में सबसे आगे है, जहां 10,000 से अधिक ग्राम पंचायतें अब सेवा के लिए तैयार हैं।
संचार और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासनी चंद्रशेखर ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में कहा कि राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन (एनबीएम) 2.0 1 अप्रैल से शुरू हो रहा है और एनबीएम 1.0 से प्राप्त शक्तियों और अनुभवों पर आधारित है और इसका उद्देश्य भारत को डिजिटल परिवर्तन और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के एक नए युग में आगे बढ़ाना है।
ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए, सरकार ने 14 मई, 2022 को गति शक्ति संचार पोर्टल लॉन्च किया, जिससे ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) बिछाने और दूरसंचार टावर लगाने के लिए राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू) अनुमतियों को सुव्यवस्थित किया जा सके।
दूरसंचार अधिनियम, 2023 और 1 जनवरी 2025 से प्रभावी दूरसंचार (मार्ग का अधिकार) नियम 2024 ने RoW प्रक्रियाओं को और अधिक सुव्यवस्थित किया है।
इसके अलावा, दूरसंचार विभाग (DoT) ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिर ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी सुनिश्चित कर रहा है और डिजिटल भारत निधि (DBN) से वित्त पोषण के साथ डिजिटल विभाजन को पाट रहा है, मंत्री ने कहा।
मुख्य पहलों में संशोधित भारत नेट परियोजना शामिल है जो सभी ग्राम पंचायतों (GPs) और गांवों को (मांग पर) ब्रॉडबैंड प्रदान करती है।
यह उत्तर-पूर्व, द्वीप समूह, LWE (वामपंथी उग्रवाद) प्रभावित क्षेत्रों, आकांक्षी जिलों और सीमावर्ती गांवों जैसे दूरदराज के क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं (4G सहित) के लिए योजनाएं भी प्रदान करता है।
मंत्री ने बताया कि तेज़ इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए चेन्नई और अंडमान और निकोबार और कोच्चि और लक्षद्वीप के बीच पनडुब्बी ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई गई है।
तमिलनाडु में राज्य-नेतृत्व वाले मॉडल के तहत, आवंटित कार्य की लागत 1,544.44 करोड़ रुपये (करों को छोड़कर) है, जिसमें से 1,093.74 करोड़ रुपये का उपयोग किया जा चुका है (28 फरवरी तक)। मंत्री के अनुसार, 24 फरवरी तक, 12524 में से 10,298 ग्राम पंचायतों को सेवा के लिए तैयार कर दिया गया है और तमिलनाडु में भारतनेट परियोजना के तहत 53,511 रूट किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) बिछाई गई है।
राजनीति
‘गांधी होना आसान नहीं’, निशिकांत दुबे ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति का पत्र शेयर कर कांग्रेस से पूछा सवाल

नई दिल्ली, 28 मई। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने बुधवार को एक बार फिर गांधी परिवार पर निशाना साधा। उन्होंने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के राजीव गांधी को लिखे पत्र को लेकर कांग्रेस से सवाल किया है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि ‘गांधी’ होना आसान नहीं है।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पत्र शेयर करते हुए लिखा, “गांधी होना आसान नहीं। यह पत्र अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन का तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी के द्वारा लिखे पत्र के उत्तर में है। 1972 के शिमला समझौते के तहत जब यह तय हो गया कि भारत-पाकिस्तान के बीच किसी विवाद पर बातचीत केवल दोनों देशों के बीच होगी, कोई मध्यस्थ नहीं होगा, तो भारतीय तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अमेरिकी राष्ट्रपति रीगन से पाकिस्तान से बातचीत के लिए मदद क्यों मांगी?”
इससे पहले, उन्होंने 27 मई को अपने एक्स हैंडल पर कुछ पोस्ट शेयर कर कांग्रेस से सवाल किया था। निशिकांत दुबे ने एक्स पर लिखा था, “आयरन लेडी इंदिरा गांधी अमेरिकी दबाव में 1971 का युद्ध तत्कालीन रक्षा मंत्री जगजीवन राम जी और सेनाध्यक्ष सैम मानेकशॉ के विरोध के बावजूद भारत ने खुद ही रोक दिया। बाबू जगजीवन राम चाहते थे कि कश्मीर का हमारा हिस्सा जो पाकिस्तान ने जबरदस्ती कब्जा कर रखा है, उसको लेकर ही युद्ध बंद हो। लेकिन, आयरन लेडी का डर और चीन का दहशत यह नहीं कर पाया? भारत के लिए फायदा अपनी भूमि तथा करतारपुर गुरुद्वारा लेना था या बांग्लादेश बनाना? पूरी रिपोर्ट पढ़िए आयरन लेडी की राजनीतिक दृष्टि समझिए?”
भारत-पाक सीजफायर पर कांग्रेस की ओर से केंद्र सरकार पर सरेंडर करने के आरोप को लेकर भी भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि सरेंडर करने का काम तो कांग्रेस ने 1991 में किया था। अब समय आ गया है कि इस समझौते की जांच की जाए कि किन परिस्थितियों में यह समझौता हुआ।
मिडिया से बातचीत के दौरान भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा था कि 1991 का समझौता तब हुआ था जब कांग्रेस समर्थित सरकार सत्ता में थी। इसे 1994 में लागू किया गया था जब नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे। उस समझौते में आपने कहा था कि हमारी सेना कहां तैनात होगी, नौसेना कहां तैनात होगी, वायुसेना कैसे कार्रवाई करेगी और ये सब 15 दिन पहले बताना होगा, क्या ये देशद्रोह नहीं है? दूसरा सवाल यह है कि आर्मी कह रही है कि हमने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। विदेशी मीडिया में खबरें प्रकाशित हो रही हैं कि भारत जो कह रहा है, वह सही है।
राजनीति
हमने कोरोना से लेकर प्राकृतिक आपदा तक झेली, तब बने दुनिया के चौथे नंबर की अर्थव्यवस्था : पीएम मोदी

गांधीनगर, 27 मई। गांधीनगर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की यात्रा पर बात की । उन्होंने विरोधियों को कठघरे में खड़ा करते हुए विशाल जनसमूह को उस दबाव के बारे में बताया जिससे ढेर सारी उम्मीदें जुड़ी हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “कल (सोमवार) 26 मई थी और 2014 में 26 मई को मुझे पहली बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने का अवसर मिला। उस समय, भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में 11वें स्थान पर थी। हमने कोरोना से लड़ाई लड़ी, पड़ोसियों से भी मुसीबतें झेलीं, प्राकृतिक आपदा भी झेली, इसके बावजूद इतने कम समय में हम 11वें नंबर की अर्थव्यवस्था से चौथे नंबर की अर्थव्यवस्था बने। क्योंकि हम विकास चाहते हैं, प्रगति चाहते हैं।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आज भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि हमने अब जापान को पीछे छोड़ दिया है। मुझे आज भी याद है कि जब हम छठे से पांचवें स्थान पर पहुंचे थे, तो पूरे देश में उत्साह था, खासकर युवाओं में। कारण स्पष्ट था, भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया था, वही देश जिसने हम पर 250 साल तक राज किया। हमारा लक्ष्य है कि 2047 में हिंदुस्तान को विकसित होना ही चाहिए। हम आजादी के 100 साल ऐसे मनाएंगे कि दुनिया में विकसित भारत का झंडा फहरता रहेगा।”
पीएम मोदी ने कहा, “मुझ पर जो दबाव बनने वाला है, जो बनना शुरू भी हो गया है कि मोदी ठीक है, हम अर्थव्यवस्था में 4 नंबर पर तो पहुंच गए, अब बताओ कि 3 नंबर पर कब पहुंचेंगे। इसका एक समाधान आपके पास है। हमारे जो ग्रोथ सेंटर हैं, वे अर्बन एरिया हैं, हमें अर्बन बॉडीज को इकोनॉमी के ग्रोथ सेंटर बनाने का प्लान करना होगा। जनसंख्या के कारण वृद्धि होती चले, ऐसे शहर नहीं हो सकते हैं। शहर आर्थिक गतिविधि के तेजतर्रार केंद्र होने चाहिए।”
पीएम मोदी ने गुजरात का जिक्र करते हुए कहा, “मैं गुजरात का ऋणी हूं। इस धरती ने मुझे बड़ा किया है। यहां मुझे जो शिक्षा और सबक मिले, आप सबके बीच रहकर मैंने जो सीखा, आपने मुझे जो मार्गदर्शन दिया, आपने जो सपने मुझे सौंपे, मैं उन्हें देश की जनता के हित में लागू करने का प्रयास कर रहा हूं। मुझे खुशी है कि आज गुजरात सरकार ने शहरी विकास वर्ष के 20 साल पूरे होने का जश्न मनाया, जिसकी शुरुआत 2005 में हुई थी।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “जब 2035 में गुजरात 75 वर्ष पूरे करेगा, तो मेरा मानना है कि हमें अगले 10 वर्षों के लिए अभी से योजना बनानी शुरू कर देनी चाहिए। हमें एक विजन तय करना होगा कि तब तक गुजरात उद्योग, कृषि, शिक्षा और खेल के क्षेत्र में कहां पहुंच जाएगा। हमें आज ही दृढ़ संकल्प लेना होगा और जब गुजरात 75 वर्ष का हो जाएगा, यानी ठीक एक साल बाद, ओलंपिक आयोजित किए जाएंगे। देश की इच्छा है कि ओलंपिक भारत में आयोजित किए जाएं।”
उन्होंने कहा, “आने वाले दिनों में हमें टूरिज्म पर बल देना चाहिए। गुजरात ने कमाल कर दिया है। कोई सोच सकता है कि कच्छ के रेगिस्तान में जहां कोई जाने का नाम नहीं लेता था, आज वहां जाने के लिए बुकिंग नहीं मिल रही है। चीजों को बदला जा सकता है। यहां तक कि वडनगर में भी उल्लेखनीय परिवर्तन हुआ है। काशी की तरह वडनगर भी सभ्यता का प्राचीन केंद्र है। यहां 2,800 साल से भी ज्यादा पुराने इतिहास के प्रमाण मौजूद हैं। ऐसी विरासतों को विश्व मानचित्र पर लाना और उनके सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करना हमारी जिम्मेदारी है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक बार कल्पना करते हुए अगर हम उसे जमीन पर उतारने का प्रयास करें, तो कितने अच्छे परिणाम मिल सकते हैं, ये हम भलीभांति देख रहे हैं। वही कालखंड था, जब हमने रिवर फ्रंट बनाया। वही कालखंड था, जब हमने दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम बनाने का सपना देखा, उसे पूरा किया। वही कालखंड था, जब दुनिया का सबसे बड़ा स्टैच्यू बनाने के लिए सोचा, उसे पूरा किया।
राजनीति
पीएम मोदी की अध्यक्षता में 28 मई को होगी केंद्रीय कैबिनेट की बैठक

नई दिल्ली, 27 मई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक बुधवार सुबह 11:00 बजे प्रधानमंत्री आवास पर होगी। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसलों पर चर्चा हो सकती है।
पीएम मोदी दो दिवसीय गुजरात दौरे पर हैं। यहां वह कई कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं। गुजरात दौरे के बाद वह दिल्ली लौटेंगे और बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में हिस्सा लेंगे।
इससे पहले, 14 मई को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई थी, जिसमें इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) के तहत उत्तर प्रदेश में सेमीकंडक्टर यूनिट की स्थापना को मंजूरी दी गई थी। इससे 3,700 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित होगा।
यह यूनिट एचसीएल और फॉक्सकॉन का संयुक्त उद्यम है। दोनों मिलकर यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट ऑथोरिटी (यीडा) क्षेत्र में जेवर हवाई अड्डे के पास प्लांट स्थापित करेंगे। यह प्लांट 20,000 वेफर्स प्रति माह के लिए डिजाइन किया गया है और डिजाइन आउटपुट क्षमता 36 मिलियन यूनिट प्रति माह है।
इस प्लांट में मोबाइल फोन, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल, पीसी और डिस्प्ले वाले अन्य डिवाइस के लिए डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स का निर्माण होगा।
कैबिनेट नोट के अनुसार, ”भारत में लैपटॉप, मोबाइल, सर्वर, मेडिकल डिवाइस, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरण और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के तेजी से विकास के साथ सेमीकंडक्टर की मांग बढ़ रही है, यह नई यूनिट प्रधानमंत्री मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को और आगे बढ़ाएगी।”
इसके अलावा, 7 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने संशोधित ‘शक्ति’ नीति के अंतर्गत केंद्रीय क्षेत्र, राज्य क्षेत्र और स्वतंत्र विद्युत उत्पादकों (आईपीपी) के ताप विद्युत संयंत्रों को नए कोयला लिंकेज प्रदान करने की मंजूरी दी थी।
आधिकारिक बयान में कहा गया कि इस मंजूरी के तहत कोयला लिंकेज को ‘विंडो-I’ में अधिसूचित कीमत पर केंद्रीय और राज्यों को दिया जाना है। वहीं, कोयला लिंकेज को ‘विंडो-II’ में अधिसूचित कीमत से प्रीमियम पर उत्पादन इकाइयों (जेनको) को दिया जाता है।
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