व्यापार
वित्त वर्ष 2025-26 में भारतीय ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री का राजस्व 8-10 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद
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नई दिल्ली, 20 फरवरी। वित्त वर्ष 2025-26 में भारतीय ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री का राजस्व 8-10 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है। गुरुवार को आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2024-25 और 2025-26 में परिचालन मार्जिन सीमित दायरे में 11-12 प्रतिशत के आसपास रहेगा। इसके पीछे एक प्रमुख वजह ऑपरेटिंग लिवरेज, प्रति वाहन ज्यादा कंटेंट और वैल्यू एडिशन है। हालांकि, उसने कहा है कि कमोडिटी की कीमतों और विदेशी मुद्रा दरों में किसी भी बड़े प्रतिकूल बदलाव की स्थिति में इस पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है।
लाल सागर मार्ग पर व्यवधान के परिणामस्वरूप कैलेंडर वर्ष 2023 की तुलना में साल 2024 में समुद्री माल ढुलाई दरों में दो-तीन गुना वृद्धि हुई है।
समुद्री माल ढुलाई दरों में यदि और तेज तथा निरंतर वृद्धि से उन ऑटो कंपोनेंट सप्लायरों पर भी काफी प्रभाव पड़ेगा जिनका आयात या निर्यात अधिक है।
आईसीआरए का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025-26 में ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री क्षमता विस्तार, स्थानीयकरण/क्षमता विकास और तकनीकी उन्नति (जिसमें ईवी भी शामिल है) के लिए 25-30 हजार करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय करना होगा।
वर्तमान में, ईवी सप्लाई चेन का केवल 30-40 प्रतिशत स्थानीयकृत है। पिछले कुछ वर्षों में ट्रैक्शन मोटर्स, कंट्रोल यूनिट और बैटरी प्रबंधन प्रणालियों में पर्याप्त स्थानीयकरण हुआ है, जबकि बैटरी सेल, जो वाहन लागत का 35-40 प्रतिशत हिस्सा हैं, अभी भी पूरी तरह से आयात पर निर्भर हैं।
अपेक्षाकृत कम स्थानीयकरण स्तर का मतलब है घरेलू ऑटो कंपोनेंट सप्लायर्स के लिए विनिर्माण अवसरों की भरमार।
आईसीआरए लिमिटेड की उपाध्यक्ष और सेक्टर हेड-कॉर्पोरेट रेटिंग्स, विनुता एस. ने कहा, “घरेलू ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री एक परिवर्तन के दौर में है, जिसमें ऑटोमोटिव प्लेयर्स का ध्यान सस्टेनेबिलिटी, इनोवेशन और वैश्विक प्रतिस्पर्धा पर बना हुआ है।”
घरेलू ओईएम की मांग, जो उद्योग के राजस्व का आधे से अधिक हिस्सा है, वित्त वर्ष 2024-25 में 7-9 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2025-26 में 8-10 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है।
इसके अलावा, यूरोपीय संघ (ईयू) में प्लांट के बंद होने के कारण मेटल कास्टिंग और फोर्जिंग में भारतीय कंपनियों के लिए अवसर होंगे।
इलेक्ट्रिक वाहन से जुड़े अवसर, वाहनों का प्रीमियमीकरण, स्थानीयकरण पर ध्यान केंद्रित करना और नियामक मानदंडों में बदलाव ऐसे कारक हैं जो मध्यम से लंबी अवधि में ऑटो कंपोनेंट सप्लायर्स के लिए विकास में मददगार होंगे।
व्यापार
देश में 10 वर्षों में बिजली आपूर्ति में हुआ सुधार, 100 प्रतिशत घरों के विद्युतीकरण पर सरकार का फोकस: केंद्र
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नई दिल्ली, 22 फरवरी। ग्रामीण क्षेत्रों में औसत बिजली आपूर्ति 2014 में 12.5 घंटे से बढ़कर 2025 में 22.6 घंटे और शहरी क्षेत्रों में इस वर्ष 23.4 घंटे हो गई है। यह जानकारी सरकार द्वारा दी गई।
केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री, मनोहर लाल खट्टर ने कहा,”हर किसी के लिए और हर समय बिजली उपलब्ध कराना हमारा लक्ष्य है और सरकार का उद्देश्य पूरे देश में 100 प्रतिशत घरों का विद्युतीकरण करना है।”
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि जीवाश्म ईंधन आधारित पावर प्लांट की उत्पादन क्षमता 2014 में 168 गीगावाट से बढ़कर जनवरी 2025 में 246 गीगावाट हो गई है, जो कि 46 प्रतिशत की क्षमता वृद्धि को दर्शाता है।
उन्होंने आगे कहा कि गैर-जीवाश्म आधारित ऊर्जा क्षमता 2014 में लगभग 80 गीगावाट से बढ़कर 2025 में लगभग 220 गीगावाट (31 जनवरी तक) हो गई है, जो लगभग 180 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
ट्रांसमिशन नेटवर्क के विस्तार के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह 2025 में अब तक बढ़कर 4.92 लाख सीकेएम हो गया है, जो कि 2014 में 2.91 लाख सीकेएम था।
दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई), पीएम सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य), विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के लिए प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीवीटीजी) जैसी पहलों की मदद से पिछले 10 वर्षों में बिजली की पहुंच में काफी वृद्धि हुई है।
मीडिया से बातचीत करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत अब ऊर्जा का शुद्ध निर्यातक बन गया है और 2025 में अब तक 1,625 मिलियन यूनिट्स (एमयू) का निर्यात किया गया है। वहीं, 2014 में देश ऊर्जा का शुद्ध आयातक था।
केंद्रीय मंत्री के मुताबिक, ऊर्जा की कमी 2014 में 4.2 प्रतिशत से घटकर 2025 में 0.1 प्रतिशत हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा ऊर्जा की कमी को दूर करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
करीब 2.13 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं। 19.8 करोड़ स्मार्ट मीटर, 52.5 लाख डीटीआर और 2.1 लाख फीडर को मंजूरी दी गई है।
सरकार का फोकस इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने पर है। 2030 तक इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की सुविधा के लिए 1 लाख ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे।
खेल
चैंपियंस ट्रॉफी का चौथा मुकाबला, लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में ऑस्ट्रेलिया से भिड़ेगा इंग्लैंड
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नई दिल्ली, 22 फरवरी। पाकिस्तान के लाहौर में आज आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का चौथा मुकाबला खेला जाएगा, जिसमें ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की टीमें आमने-सामने होंगी।
दोनों टीमों का हालिया वनडे फॉर्म संघर्षपूर्ण रहा है। ऑस्ट्रेलिया अपने पिछले दो वनडे सीरीज में श्रीलंका (0-2) और पाकिस्तान (1-2) से हार चुका है, जबकि इंग्लैंड की टीम वर्ल्ड कप 2023 के बाद से कोई भी वनडे सीरीज जीतने में नाकाम रही है। जोस बटलर की कप्तानी में इंग्लैंड की टीम भारत से 0-3 से हारकर आ रही है। इस मुकाबले में ऑस्ट्रेलियाई टीम की कमान पैट कमिंस की अनुपस्थिति में स्टीव स्मिथ संभालेंगे। दोनों टीमें इस टूर्नामेंट में अपनी छाप छोड़ने के लिए उत्सुक होंगी।
वनडे क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की प्रतिद्वंद्विता काफी पुरानी है। अब तक दोनों टीमों के बीच 161 वनडे मैच खेले जा चुके हैं, जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने 91 बार जीत हासिल की है जबकि इंग्लैंड 65 मैच जीतने में सफल रहा है। दो मैच टाई रहे हैं, जबकि तीन मैचों का कोई नतीजा नहीं निकला। हाल के आंकड़ों पर नजर डालें तो ऑस्ट्रेलिया का पलड़ा भारी रहा है। दोनों टीमों के बीच खेले गए पिछले 10 वनडे मुकाबलों में से ऑस्ट्रेलिया ने 8 जीते हैं, जबकि इंग्लैंड सिर्फ 2 में जीत दर्ज कर पाया है। हाल के प्रदर्शन को देखते हुए ऑस्ट्रेलियाई टीम को मजबूत माना जा रहा है, लेकिन इंग्लैंड के पास भी मैच को रोमांचक बनाने की क्षमता है।
गद्दाफी स्टेडियम को हाल ही में रेनोवेट किया गया है। यह चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का पहला मैच होगा जो इस मैदान पर खेला जाएगा। गद्दाफी स्टेडियम बल्लेबाजों के लिए अनुकूल पिचों के लिए जाना जाता है, जहां समान उछाल और फ्लैट सतह बल्लेबाजों को मदद करती है। हालांकि, जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ता है, पिच पर स्पिनरों को मदद मिलने लगती है और वे प्रभावी साबित हो सकते हैं। तेज गेंदबाजों के लिए यह पिच चुनौतीपूर्ण हो सकती है, क्योंकि यहां सीम मूवमेंट और अतिरिक्त बाउंस की संभावना कम रहती है। दिन के मैचों में बल्लेबाजी करना अपेक्षाकृत आसान होता है, लेकिन रात के मैचों में ओस की भूमिका अहम हो जाती है, जिससे गेंदबाजों और फील्डरों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
पिच की बात करें तो गद्दाफी स्टेडियम में अब तक 74 वनडे मैच खेले जा चुके हैं, जिनमें 37 बार पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम ने जीत दर्ज की है, जबकि 35 मैच पहले गेंदबाजी करने वाली टीम के पक्ष में गए हैं। यहां पहली पारी का औसत स्कोर 253 रन है, जबकि दूसरी पारी में यह घटकर 217 रन रह जाता है, जिससे स्पष्ट होता है कि पिच मैच के दौरान धीमी हो जाती है। इसी वजह से टॉस जीतने वाली टीम पहले बल्लेबाजी करने का फैसला कर सकती है।
लाहौर के मौसम की बात करें तो आज का दिन क्रिकेट के लिए अनुकूल रहने की उम्मीद है। मौसम विभाग के अनुसार, पूरे मैच के दौरान आसमान साफ रहेगा और बारिश की कोई संभावना नहीं है। दिन के समय तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा, जबकि शाम को यह 15-20 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है।
इस मैच में कुछ खिलाड़ियों पर सभी की नजरें होंगी। ऑस्ट्रेलियाई टीम में कप्तान स्टीव स्मिथ, विस्फोटक बल्लेबाज ग्लेन मैक्सवेल और ट्रेविस हेड अहम भूमिका निभा सकते हैं। वहीं, स्पिन विभाग में एडम जम्पा पर बड़ी जिम्मेदारी होगी। दूसरी ओर, इंग्लैंड की टीम में जोस बटलर, हैरी ब्रूक और लियाम लिविंगस्टोन से शानदार प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है। इसके अलावा, जोफ्रा आर्चर और आदिल राशिद भी इंग्लैंड के लिए अहम खिलाड़ी साबित हो सकते हैं।
चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए इंग्लैंड की टीम में फिलिप साल्ट, बेन डकेट, जेमी स्मिथ, जो रूट, हैरी ब्रूक, जोस बटलर (कप्तान), लियाम लिविंगस्टोन, ब्रायडन कार्स, जोफ्रा आर्चर, आदिल राशिद, मार्क वुड, जेमी ओवरटन, साकिब महमूद, टॉम बैंटन और गस एटकिंसन शामिल हैं।
ऑस्ट्रेलियाई टीम में मैथ्यू शॉर्ट, ट्रैविस हेड, जेक फ्रेजर-मैकगर्क, स्टीवन स्मिथ (कप्तान), जोश इंग्लिस, आरोन हार्डी, ग्लेन मैक्सवेल, सीन एबॉट, बेन ड्वार्शिस, एडम जम्पा, तनवीर संघा, नाथन एलिस, स्पेंसर जॉनसन, मार्नस लैबुशेन और एलेक्स कैरी शामिल हैं।
राष्ट्रीय समाचार
23-35 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ 2047 तक भारत उच्च आय वाला देश बन जाएगा
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नई दिल्ली, 20 फरवरी। भारत 2047 तक 23-35 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ हाई-इनकम वाले देश में तब्दील हो जाएगा। 8-10 प्रतिशत की निरंतर वार्षिक वृद्धि की वजह से ये संभव होगा। गुरुवार को एक लेटेस्ट रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
बैन एंड कंपनी और नैसकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, यह भारत के डेमोग्राफिक डिविडेंट, तकनीकी इनोवेशन और सेक्टोरल ट्रांसफोर्मेशन द्वारा संचालित होगा।
आने वाले दशकों में लगभग 200 मिलियन व्यक्तियों के वर्कफोर्स में प्रवेश करने की उम्मीद के साथ, भारत के पास हाई-वैल्यू जॉब क्रिएशन को बढ़ावा देने और महत्वपूर्ण आर्थिक क्षमता को अनलॉक करने का एक बेहतरीन अवसर है।
पांच प्रमुख क्षेत्र इलेक्ट्रॉनिक्स, एनर्जी, केमिकल्स, ऑटोमोटिव और सर्विस ग्लोबल ट्रेंड के साथ जुड़े होने के कारण रणनीतिक विकास लीवर के रूप में काम करेंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ती आय, कुशल श्रमिकों की बढ़ती संख्या और इंफ्रास्ट्रक्चर में निरंतर सुधार कुछ ऐसे प्रमुख कारक हैं जो इस वृद्धि को बढ़ावा दे सकते हैं।
नैसकॉम की वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगीता गुप्ता ने कहा, “डिजिटल और ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश, घरेलू विनिर्माण और सहयोगात्मक रिसर्च और डेवलपमेंट को आगे बढ़ाकर, हम भारत को भविष्य की टेक्नोलॉजी और वैश्विक व्यापार में लीडर बना सकते हैं।
इंक्लूसिव और सस्टेनेबल विकास को गति देने के लिए बहुआयामी, टेक-ड्रिवन दृष्टिकोण महत्वपूर्ण होगा।”
एआई-ड्रिवन चिप डिजाइन, टचलेस मैन्युफैक्चरिंग, कम्पोनेंट मैन्युफैक्चरिंग और डिजाइन में बैकवर्ड इंटीग्रेशन में प्रगति लागत प्रतिस्पर्धात्मकता और इनोवेशन को बढ़ा सकती है। जिससे 2047 तक इस क्षेत्र का निर्यात हिस्सा 24 प्रतिशत से बढ़कर 45 प्रतिशत-50 प्रतिशत हो जाएगा और इसका जीडीपी योगदान 3 प्रतिशत से बढ़कर 8 प्रतिशत-10 प्रतिशत हो जाएगा।
कुल ऊर्जा उत्पादन में भारत की रिन्यूएबल की हिस्सेदारी 2023 में 24 प्रतिशत से बढ़कर 2047 में 70 प्रतिशत हो जाने की संभावना है, जिसे मॉडर्नाइजिंग एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर और ग्रीन एनर्जी में बड़े पैमाने पर निवेश से समर्थन प्राप्त है।
भारत के शुद्ध ऊर्जा आयातक से शुद्ध निर्यातक बनने की भी संभावना है।
एआई-पावर्ड मोलिक्यूलर डिजाइन और डिजिटल ट्विन टेक्नोलॉजी दूसरे टेक-ड्रिवन सुधारों के साथ ग्लोबल वैल्यू चेन में भारत के शेयर को 3 प्रतिशत से 2027 तक 10 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है।
ऑटो-कंपोनेंट निर्यात क्षेत्र के 2047 तक 200-250 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है, जो कि निकट अवधि में आईसीई बाजार में हिस्सेदारी और ईवी की ओर लंबी टर्म की शिफ्ट से जुड़ा है।
बैन एंड कंपनी के पार्टनर लोकेश पायिक ने कहा, “इलेक्ट्रॉनिक्स इस यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले क्षेत्रों में से एक है और यह 2047 तक 3.5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने वाले वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरने के लिए तैयार है, जो वैश्विक उत्पादन में 20 प्रतिशत से अधिक का योगदान देगा।”
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