बॉलीवुड
वैलेंटाइन डे 2025: यामी गौतम ने पति आदित्य धर पर बरसाया प्यार, कहा ‘वह मेरे सबसे बड़े चीयरलीडर हैं’

यामी गौतम और आदित्य धर हमेशा कपल गोल्स देने में पीछे नहीं रहते। भले ही दोनों काम न करने पर लाइमलाइट से दूर एक बहुत ही निजी जीवन का आनंद लेते हैं, लेकिन वे समय-समय पर सोशल मीडिया पोस्ट और मीडिया इंटरैक्शन के माध्यम से एक-दूसरे की सराहना करना सुनिश्चित करते हैं। हाल ही में, यामी ने द फ्री प्रेस जर्नल के साथ एक विशेष साक्षात्कार में पति आदित्य की प्रशंसा की और उन्हें अपना सबसे बड़ा चीयरलीडर बताया।
जब उनसे पूछा गया कि उनके लिए प्यार कैसा लगता है, तो यामी ने कहा, “हम किसी भी चीज़ का विश्लेषण नहीं करते हैं। हम बस एक-दूसरे से प्यार करते हैं और एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। और जब कोई मुझसे पूछता है कि प्यार क्या है, तो मुझे नहीं पता कि इसे कैसे परिभाषित किया जाए। यह एक बहुत ही जटिल भावना है जिसे आप महसूस करते हैं, और मुझे लगता है कि सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक सम्मान है। आदित्य मेरा बहुत सम्मान करते हैं, और मैं भी उनका सम्मान करती हूँ। मैंने देखा है कि वह खुद को कैसे पेश करते हैं, एक व्यक्ति और एक निर्देशक के रूप में खुद को कैसे पेश करते हैं, उरी के दिनों से लेकर अब तक। उनकी प्रक्रिया, उनका दृष्टिकोण और जिस तरह से वह सभी के साथ व्यवहार करते हैं वह वास्तविक है, न केवल कैमरे के लिए, बल्कि कैमरे के पीछे भी वह वही व्यक्ति हैं। और यह उनके काम में भी झलकता है।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारी शादी को अब चार साल हो चुके हैं, और मुझे तब तक इसका एहसास भी नहीं हुआ जब तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिलाया। मुझे लगता है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि हम इसके बारे में बात नहीं करते हैं; हम एक-दूसरे के साथ इतने सहज हैं कि किसी भी चीज़ को रेखांकित करने की ज़रूरत नहीं है। मौन भी सहज है। भले ही वह एक ही कमरे में हो, क्रिकेट देख रहा हो और मैं कुछ और कर रही हूँ, यह बिल्कुल ठीक है। यह मौन में आराम है जो आपको सहज महसूस कराता है। स्थिरता महत्वपूर्ण है। लेकिन सबसे ज़्यादा मायने रखता है आपके जीवन में कोई ऐसा व्यक्ति होना जो आपकी बात सुन सके, तब भी जब आपकी समस्याओं का कोई समाधान न हो। कभी-कभी, किसी से बात करना ही एक आशीर्वाद होता है, और मुझे ऐसा साथी पाकर खुशी होती है।”
यामी ने आगे कहा कि आदित्य हमेशा उनके साथ रहते हैं। “वह मेरे सबसे बड़े चीयरलीडर हैं। मुझे पता है कि जब मेरे लिए कुछ अच्छा होता है तो आदित्य कितना खुश होता है। मुझे शायद हमेशा इसका एहसास न हो, लेकिन वह मुझे एहसास दिलाता है कि वह मेरे लिए मुझसे ज़्यादा खुश है। यह बड़े इशारों के बारे में नहीं है, जैसे ‘तुमने मुझे यह दिया या मैंने तुम्हें वह दिया’। यह छोटी चीज़ों, छोटे इशारों और विवरणों के बारे में है। यह उस तरह के बारे में है जिस तरह से वह मुझे देखता है, उसकी आँखों में भाव जो कहता है ‘मैं तुम्हारे लिए यहाँ हूँ, और तुम मेरे लिए यहाँ हो, चाहे कुछ भी हो’,” उसने कहा।
अभिनेत्री ने यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला, “हमारे बीच कुछ भी नहीं आ सकता, भले ही हम किसी महत्वपूर्ण बात पर असहमत हों। एक-दूसरे के प्रति हमारा प्यार और सम्मान कभी प्रभावित नहीं होगा, और हम कभी भी एक साथ न रहने को एक विकल्प के रूप में नहीं सोचेंगे। यह हमारे रिश्ते का सबसे सुकून देने वाला तत्व है – यह जानना कि चाहे कुछ भी हो जाए, हम हमेशा साथ रहेंगे। अलग रहना कोई विकल्प नहीं है, और इससे मुझे सुरक्षा और आराम का एहसास होता है।”
बॉलीवुड
सिंगर-एक्टर ऋषभ टंडन का हार्ट अटैक से निधन- रिपोर्ट

मुंबई, 22 अक्टूबर: सिंगर और एक्टर ऋषभ टंडन उर्फ ‘फकीर’ का 22 अक्टूबर को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह दुखद घटना दिल्ली में तब हुई जब वह अपने परिवार से मिलने आए थे। अचानक आई इस निधन की खबर ने उनके प्रशंसकों, दोस्तों और पूरे इंडस्ट्री को सदमे में डाल दिया है।
ऋषभ टंडन मुंबई में अपनी पत्नी ओलेस्या नेडोबेगोवा के साथ रहते थे। वह संगीत के प्रति समर्पित कलाकार थे और एक दयालु व मिलनसार इंसान भी थे। जानवरों के प्रति उनका गहरा लगाव था।
ऋषभ ने अपने करियर में संगीत और अभिनय दोनों क्षेत्रों में खास मुकाम बनाया। वह एक बेहतरीन सिंगर और संगीतकार थे। उनके कई गाने युवाओं में काफी लोकप्रिय हुए। उनका स्टेज नाम ‘फकीर’ था। उनके लोकप्रिय गानों में ‘कोई बात है’, ‘अजनबी शहर’, ‘ये आशिकी’, ‘चांद तू’, ‘धू धू कर के’, और ‘फकीर की जुबानी’ शामिल हैं। इसके अलावा, उन्होंने ‘फकीर- लिविंग लिमिटलेस’ और ‘रसना: द रे ऑफ लाइट’ जैसी फिल्मों में भी काम किया। उनकी एक्टिंग और संगीत को इंडस्ट्री में खूब सराहा गया।
निधन की खबर के बाद उनके चाहने वाले सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
ऋषभ टंडन की निजी जिंदगी की बात करें, तो उन्होंने रूस की ओलेस्या नेडोबेगोवा से शादी की। एक इंटरव्यू में ऋषभ ने बताया था कि उनकी ओलेस्या से मुलाकात उज्बेकिस्तान में अचानक हुई थी। वह उनकी डिजिटल सीरीज की लाइन प्रोड्यूसर थीं। धीरे-धीरे उनकी दोस्ती प्यार में बदल गई और वे शादी के बंधन में बंध गए।
उनकी पत्नी सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं। उनका आखिरी पोस्ट करवा चौथ सेलिब्रेशन का था। ऋषभ टंडन का निधन संगीत और फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी क्षति है। उनका संगीत और अभिनय लोगों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेगा।
बॉलीवुड
कादर खान : हर फन में माहिर कलाकार, जिन्होंने अपनी बहुमुखी प्रतिभा से बॉलीवुड को दिया नया रंग

मुंबई, 21 अक्टूबर : बॉलीवुड की दुनिया में ऐसे कलाकार कम ही होते हैं जो हर तरह के किरदार को गहराई के साथ निभाते हैं। कादर खान उन्हीं चुनिंदा कलाकारों में से एक थे जिन्होंने कॉमेडी और विलेन दोनों ही भूमिकाओं में अपना अलग ही जलवा दिखाया।
कादर खान ने विलेन के रोल निभाए, गंभीर भूमिकाएं अदा की और कॉमेडी भी की। हर भूमिका में वह फिट थे। इतना ही नहीं, उनके डॉयलॉग भी शानदार होते थे। इस तरह उनकी हरफनमौला प्रतिभा को फिल्म इंडस्ट्री में बहुत प्यार और सम्मान मिला।
कादर खान का जन्म 22 अक्टूबर 1937 को भारत के एक परिवार में हुआ था। बचपन में उनके परिवार को आर्थिक तंगी के कारण काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी मां ने हमेशा यह सिखाया कि पढ़ाई ही इंसान को बड़ा बना सकती है। इसी सलाह को मानते हुए कादर खान ने अपनी पढ़ाई पूरी की और इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद वह मुंबई के एक कॉलेज में प्रोफेसर भी बने, लेकिन उनका दिल हमेशा अभिनय और नाटक की ओर था।
कादर खान का अभिनय करियर फिल्म ‘दाग’ (1973) से शुरू हुआ। इस फिल्म में उन्होंने छोटी भूमिका निभाई थी, लेकिन उनके डायलॉग और एक्टिंग ने दर्शकों का ध्यान खींचा। बाद में उन्होंने अपनी लेखन प्रतिभा से भी सबका ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कई फिल्मों के डायलॉग लिखे, जो आज भी लोगों के दिलों में बसते हैं। कादर खान ने 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और 250 से अधिक फिल्मों के डायलॉग लिखे।
उनका अभिनय कई बार विलेन के रोल में भी कमाल का था। फिल्मों जैसे ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘धरम वीर’, और ‘खून पसीना’ में उन्होंने खलनायक की भूमिका निभाई, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। वहीं, फिल्म ‘मुझसे शादी करोगी’ में उन्होंने ‘दुग्गल साहब’ का किरदार निभाकर सबका दिल जीत लिया। उनकी कॉमेडी प्रभावशाली होती थी और उनके डायलॉग्स में हास्य का अलग अंदाज छुपा रहता था।
इसके साथ उनका डायलॉग-राइटिंग स्टाइल भी ऐसा था जिसमें गंभीरता और हास्य दोनों का मेल होता था। अमिताभ बच्चन के साथ उन्होंने कई फिल्मों में काम किया, जिनमें उनकी दोनों खूबियां नजर आईं।
कादर खान को उनके योगदान के लिए कई बार पुरस्कार मिले। 2019 में उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया। वह 9 बार फिल्मफेयर अवॉर्ड्स के लिए भी नामांकित हुए। उनकी फिल्मों ने बॉलीवुड के सफर को और भी रंगीन बनाया। लेकिन, 31 दिसंबर 2018 को कनाडा में उनका निधन हो गया। उनकी मौत से फिल्म इंडस्ट्री और उनके चाहने वालों को गहरा दुख हुआ। कादर खान ने न केवल अपनी प्रतिभा से, बल्कि अपने सरल और विनम्र स्वभाव से भी सभी के दिलों में एक खास जगह बनाई।
बॉलीवुड
आयुष्मान-रश्मिका की ‘थामा’ में हॉरर और रोमांस का अनोखा संगम, मिलेगा एक नया सिनेमाई अनुभव

निर्देशक: आदित्य सरपोतदार, लेखक: नीरेन भट्ट, सुरेश मैथ्यू और अरुण फलारा, कलाकार: आयुष्मान खुराना, रश्मिका मंदाना, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, परेश रावल, सत्यराज, फैसल मलिक, गीता अग्रवाल, रचित सिंह, अवधि: 149 मिनट, रेटिंग: 4 स्टार
मल्टीस्टारर फिल्म ‘थामा’ बड़े पर्दे पर दर्शकों को एक अनोखा अनुभव दे रही है। यह फिल्म लोककथाओं, पारिवारिक भावनाओं, कल्पना और मनोरंजन का ऐसा मेल है, जो भारतीय हॉरर फिल्मों की परंपरा को नए आयाम पर ले जाता है। निर्देशक आदित्य सरपोतदार ने मैडॉक हॉरर-वर्स की इस नई कड़ी के साथ भारतीय सिनेमा को एक नई दिशा दी है।
मैडॉक हॉरर फ्रैंचाइजी की पिछली फिल्मों ‘स्त्री’ और ‘भेड़िया’ की तरह, ‘थामा’ भी अपनी अलग पहचान बनाती है। अगर पिछली फिल्मों में डर और जंगल की रहस्यमय दुनिया थी, तो इस बार फिल्म ने हॉरर को प्रेम और मानवता के साथ जोड़कर एक बिल्कुल नया अनुभव पेश किया है। यह फिल्म डरावनी तो है ही, लेकिन उससे कहीं ज्यादा दिल को छूने वाली और सोचने पर मजबूर कर देने वाली है।
फिल्म की कहानी एक रहस्यमय जंगल के आसपास घूमती है, जहां अतीत आज भी जिंदा है और प्राचीन रक्षक अभी भी जाग रहे हैं। इस जंगल में समय और इतिहास का एहसास अभी भी मौजूद है, और इसी के इर्द-गिर्द फिल्म की कहानी बुनी गई है। ‘थामा’ में एक ऐसी दुनिया दिखाई गई है, जो अपने नियम, अपने श्राप और परिणामों के साथ पूरी तरह से एक विचित्र काल्पनिक ब्रह्मांड है।
यह हॉरर-थ्रिलर फिल्मों से अलग है क्योंकि यह इमोशनल कॉमेडी की तरह काम करती है, जिसमें हंसी और प्यार के साथ-साथ वह मानवीय भावना है जो हमें अपने प्रियजनों को बचाने के लिए कुछ भी करने पर मजबूर कर देती है। फिल्म डराने की बजाए विश्वास पर ज्यादा जोर देती है और इसका हास्य भी मजेदार और सही मात्रा में है।
फिल्म का मुख्य किरदार एक छोटे शहर का पत्रकार है, जिसे आयुष्मान खुराना ने निभाया है। एक अनजाने में हुई सुपरनैचुरल घटना से कहानी शुरू होती है, जो खुराना के किरदार के जीवन में कई अनपेक्षित घटनाओं का कारण बनती है। फिल्म के पहले भाग में वह सरल और बेहद जुड़ने वाला पात्र लगता है, लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, उसका किरदार गहराता और अधिक गंभीर होता जाता है।
वहीं, रश्मिका मंदाना ने अपनी भूमिका में शानदार, भावुक और स्वाभाविक अभिनय से सभी का दिल जीता है। उन्होंने अपने किरदार को न केवल मजबूत बनाया है, बल्कि उसमें नाजुक पक्ष भी पेश किया है। उनकी भूमिका फिल्म की भावनात्मक गहराई में चार चांद लगाती है।
फिल्म के दूसरे हिस्से में कहानी तेजी से आगे बढ़ती है और कई जबरदस्त दृश्य देखने को मिलते है। खासकर आलोक (आयुष्मान खुराना) और ‘भेड़िया’ के बीच की लड़ाई दर्शकों के लिए बड़ी दिलचस्पी लेकर आती है। इस लड़ाई में उच्च स्तरीय स्पेशल इफेक्ट और बेहतरीन एक्शन सीन दिखाए गए हैं। यह लड़ाई न केवल फिल्म के पात्रों के बीच की दुश्मनी को दिखाती है, बल्कि उनके अंदर छुपे संबंधों का संकेत भी देती है, जो आगे आने वाली फिल्मों के लिए अहम हो सकते हैं। यह दृश्य इतने जबरदस्त हैं कि आप थिएटर में बैठकर तालियां बजाना चाहेंगे। लेकिन इस लड़ाई के बाद आपके मन में कई सवाल भी उठेंगे, खासकर यह कि ये दोनों पात्र कैसे जुड़े हैं। इसका जवाब फिल्म का एक बड़ा रहस्य बना हुआ है।
‘थामा’ फिल्म केवल एक कहानी नहीं है बल्कि एक बड़े सिनेमाई यूनिवर्स का हिस्सा भी है। इस यूनिवर्स में कई सारी फिल्में और किरदार जुड़े हुए हैं और यह फिल्म इसके विस्तार की दिशा में एक और कदम है। फिल्म में सबसे बड़ा आकर्षण ‘स्त्री’ फिल्म के डरावने किरदार ‘सिर कटा’ की वापसी है। उसका अचानक और डरावने तरीके से प्रकट होना इस बात की ओर इशारा करता है कि इस दुनिया में एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
‘स्त्री 2’ और ‘थामा’ के बीच का कनेक्शन इतना मजबूत है कि फिल्म खत्म होने तक यह साफ हो जाता है कि जल्द ही एक बड़ी क्रॉसओवर फिल्म आने वाली है, जिसमें कई कहानियां और पात्र एक साथ जुड़ेंगे।
फिल्म में कलाकारों का अभिनय भी शानदार है। परेश रावल ने एक तेज-तर्रार और मजाकिया पिता की भूमिका निभाई है, जो फिल्म में हास्य का बड़ा स्रोत है। वहीं, नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपने गहरे और गंभीर अभिनय से फिल्म की कहानी में एक अलग स्तर जोड़ दिया है। उनका किरदार जैसे-जैसे आगे बढ़ता है, ऐसा लगता है कि वह इस ब्रह्मांड में अच्छाई और बुराई के बीच हो रहे बड़े संघर्ष में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उनके अभिनय की गहराई और उनकी उपस्थिति फिल्म को एक खास गंभीरता देती है।
साथ ही, सत्यराज का किरदार एल्विस भी फिल्म में एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आता है। एल्विस, जो एक अनोखे पैरानॉर्मल एक्सपर्ट के रूप में जाना जाता है, अपनी वापसी में केवल कॉमेडी के लिए नहीं, बल्कि कहानी के बड़े चित्र को बदलने वाले तत्व के रूप में दिखता है। वह आलोक के बदले हुए रूप ‘बेताल’ और ‘भेड़िया’ के बीच छुपे रिश्ते की ओर संकेत करता है, जो ‘स्त्री 2’ में ‘सिरकटा’ के साथ जुड़ा था। यह सूक्ष्म लेकिन महत्वपूर्ण कनेक्शन भविष्य की फिल्मों में होने वाली बड़ी घटनाओं की झलक देता है।
फिल्म में नोरा फतेही का कैमियो भी एक बड़ा आकर्षण है। उनकी उपस्थिति सिर्फ ग्लैमर के लिए नहीं, बल्कि इस ब्रह्मांड की कहानी में एक अहम जोड़ बनाती है। यह कैमियो ‘स्त्री’ के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ता है और लंबे समय से इस ब्रह्मांड के फैंस के लिए एक बड़ा सरप्राइज है। उनकी भूमिका इस कहानी के रहस्यों को खोलने या गहराने वाली लगती है, जो आगे की फिल्मों के लिए नए सवाल छोड़ती है।
रिलीज़ से पहले ‘थामा’ को लेकर यह चर्चा थी कि फिल्म में केवल आइटम नंबर और आकर्षक सीन्स होंगे, लेकिन फिल्म ने सभी की उम्मीदों को उलट दिया। फिल्म के हर गाने का एक खास मकसद है, पात्रों के व्यक्तित्व को दिखाना, कहानी को आगे बढ़ाना और मिथक को और गहरा करना। कोई भी गीत केवल दिखावे के लिए नहीं है। इस तरह से यह फिल्म बॉलीवुड हॉरर की पुरानी शैली को तोड़ती है और एक नया, बेहतर तरीका प्रस्तुत करती है। इस बदलाव का परिणाम दर्शकों को बहुत पसंद आया है।
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