व्यापार
भारतीय शेयर बाजार लाल निशान में खुला, रियल्टी शेयरों में बिकवाली
मुंबई, 12 फरवरी। भारतीय शेयर बाजार बुधवार के कारोबारी सत्र में बड़ी गिरावट के साथ खुला। बाजार में चौतरफा बिकवाली देखी जा रही है। सुबह 9:33 बजे, सेंसेक्स 428 अंक या 0.56 प्रतिशत की गिरावट के साथ 75,864 और निफ्टी 130 अंक या 0.51 प्रतिशत की गिरावट के साथ 22,958 पर था।
बिकवाली का सबसे अधिक दबाव मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में देखने को मिल रहा है। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 904 अंक या 1.78 प्रतिशत गिरकर 49,983 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 341 अंक या 2.18 प्रतिशत की गिरावट के साथ 15,728 पर था।
निफ्टी के रियल्टी इंडेक्स में 2 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी जा रही है। ऑटो, फार्मा, मीडिया, एनर्जी और इन्फ्रा में एक प्रतिशत से अधिक की गिरावट बनी हुई है केवल आईटी इंडेक्स ही हरे निशान में बना हुआ है।
बाजार का रुझान नकारात्मक है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर 338 शेयर हरे निशान में और 1977 शेयर लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं।
सेंसेक्स पैक में टीसीएस, इन्फोसिस, टेक महिंद्रा, एचसीएल टेक, एचयूएल, सन फार्मा, बजाज फिनसर्व और आईसीआईसीआई बैंक टॉप गेनर्स थे। एमएंडएम, जोमैटो, रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंडसइंड बैंक, एक्सिस बैंक, पावर ग्रिड, अदाणी पोर्ट्स, आईटीसी, एशियन पेंट्स और एनटीपीसी टॉप लूजर्स थे।
एशिया के ज्यादातर बाजारों में हरे निशान में कारोबार हो रहा है। टोक्यो, बैंकॉक, सियोल, हांगकांग और जकार्ता के बाजारों में हरे निशान में कारोबार हो रहा है। केवल शंघाई के बाजारों में सपाट बने हुए हैं। कच्चे तेल में गिरावट बनी हुई है। कच्चे तेल का बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 0.32 प्रतिशत की गिरावट के साथ 76.75 डॉलर प्रति बैरल और डब्ल्यूटीआई क्रूड 0.35 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 73.06 डॉलर प्रति बैरल पर है।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा बिकवाली जारी है। एफआईआई की ओर से मंगलवार को 4,486 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई थी। इस दौरान घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) द्वारा 4,001 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे गए थे।
व्यापार
आरबीआई ने यूनिवर्सल बैंक लाइसेंस के लिए जन स्मॉल फाइनेंस बैंक के आवेदन को रिटर्न किया

मुंबई, 28 अक्टूबर: जन स्मॉल फाइनेंस बैंक ने मंगलवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूनिवर्सल बैंक लाइसेंस के लिए उनके आवेदन को वापस कर दिया है। इसकी वजह पत्रता के लिए जरूरी मानदंड पूरे नहीं करना था।
यूनिवर्सल बैंक बनने के लिए जरूरी शर्तों में से एक – लगातार दो वर्षों तक ग्रॉस नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (जीएनपीए) 3 प्रतिशत से कम और नेट नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनएनपीए) एक प्रतिशत से कम होने के मानदंड को पूरा करने के बाद बैंक ने वित्त वर्ष 26 की शुरुआत में केंद्रीय बैंक के पास यूनिवर्सल बैंक लाइसेंस के लिए आवेदन जमा कर दिया था।
केंद्रीय बैंक ने बताया कि बैंक पात्रता के लिए जरूरी अन्य शर्तों पर पूरा नहीं कर रहा है, जिस कारण इस आवेदन को फिलहाल लौटाया जा रहा है।
जन स्मॉल फाइनेंस बैंक ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा, “9 जून को लिखे गए पत्र के बारे में हम यह बताना चाहते हैं कि आरबीआई ने सर्कुलर में निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करने के कारण यूनिवर्सल बैंक में स्वैच्छिक परिवर्तन के लिए किए गए आवेदन को वापस कर दिया है।”
इस ऐलान के बाद जन स्मॉल फाइनेंस बैंक के शेयर में गिरावट देखी गई और दोपहर 1:22 पर 2.25 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 447.20 रुपए प्रति शेयर पर था।
जन स्मॉल फाइनेंस बैंक ने बीते पांच कारोबारी सत्रों में 2.12 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। बीते एक महीने में शेयर में 1.57 प्रतिशत और छह महीने में 13.37 प्रतिशत की गिरावट हुई। पिछले एक साल में शेयर का प्रदर्शन सपाट रहा है।
जन स्मॉल फाइनेंस बैंक की स्थापना 2018 में हुई थी। यह भारत का चौथा सबसे बड़ा स्मॉल फाइनेंस बैंक है, जो 802 शाखाओं के माध्यम से 23 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में 1.2 करोड़ से अधिक ग्राहकों को सर्विसेज प्रदान करता है।
वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में, बैंक ने 75 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ दर्ज किया है, जिससे बैंक का पहली छमाही मुनाफा 177 करोड़ रुपए हो गया।
इस दौरान बैंक का शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) 6.6 प्रतिशत रहा, जबकि इसका सकल एनपीए 2.8 प्रतिशत और शुद्ध एनपीए 0.9 प्रतिशत रहा।
राष्ट्रीय समाचार
देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा सर्विस सेक्टर : नीति आयोग

नई दिल्ली, 28 अक्टूबर: नीति आयोग के अनुसार, सर्विस सेक्टर देश के कुल जीवीए (ग्रॉस वैल्यू एडेड) में लगभग 55 प्रतिशत का योगदान देते हुए आर्थिक विकास का मुख्य आधार बन गया है।
नीति आयोग की सर्विसेज डिविजन की प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ. सोनिया पंत ने कहा, “नीति आयोग में सर्विसेज डिविजन एक नया डिविजन है, जिसे खासकर सर्विस सेक्टर पर ध्यान देने के लिए ही बनाया गया है, जो कि देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाला महत्वपूर्ण सेक्टर है।”
उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि नीति आयोग के सर्विसेज डिवीजन ने ‘इंडियाज सर्विसेज सेक्टर: इनसाइट फ्रॉम जीवीए ट्रेंड्स एंड स्टेट लेवल डायनैमिक्स’ और ‘इंडियाज सर्विसेज सेक्टर : इनसाइट फ्रॉम एंप्लॉयमेंट ट्रेंड्स एंड स्टेट लेवल डायनैमिक्स’ तैयार की हैं।”
दोनों ही रिपोर्ट को लेकर पंत जानकारी देते हुए बताती हैं कि ये रिपोर्ट आउटपुट और एंप्लॉयमेंट को लेकर सर्विस सेक्टर के डेडिकेटेड असेस्मेंट से जुड़ी है।
रिपोर्ट डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने, स्किल्ड ह्युमन कैपिटल को बढ़ाने, इनोवेशन इकोसिस्टम को तैयार करने और वैल्यू चेन में सर्विस को इंटीग्रेट करने की जरूरत पर बल देती है। जिसके साथ भारत को डिजिटल, प्रोफेशनल और नॉलेज-बेस्ड सर्विसेज में एक विश्वसनीय ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित किया जा सके।
नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि स्ट्रक्चरल रूप से पिछड़े राज्य अब तेजी से आगे बढ़ रहे राज्यों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। कन्वर्जेंस का यह उभरता पैटर्न दर्शाता है कि भारत का सर्विसेज से जुड़ा यह बदलाव इन्क्लूसिव हो रहा है।
‘इंडियाज सर्विसेज सेक्टर : इनसाइट फ्रॉम एंप्लॉयमेंट ट्रेंड्स एंड स्टेट लेवल डायनैमिक्स’ टाइटल की रिपोर्ट सर्विस सेक्टर में रोजगार पर केंद्रित है। यह रिपोर्ट रोजगार को लेकर एनएसएस (2011-12) और पीएलएफएस (2017-18 से लेकर 2023-24) से लिए गए डेटा पर आधारित है। रिपोर्ट भारत के सर्विसेज वर्कफोर्स को लेकर जेंडर, रीजन, एजुकेशन और ऑक्यूपेशन से जुड़ा दीर्घकालिक और मल्टी-डायमैनशनल व्यू प्रदान करता है।
रिसर्च से जानकारी मिलती है कि सर्विस सेक्टर देश में रोजगार के बढ़ने और कोरोना महामारी के बाद से रिकवरी का मुख्य आधार बना हुआ है। हालांकि, चुनौतियां अभी भी मौजूद हैं।
यह रिपोर्ट सर्विस सेक्टर को प्रोडक्टिव, हाई-क्वालिटी और इंक्लूसिव जॉब के महत्वपूर्ण चालक के रूप में देखती है। साथ ही, भारत में रोजगार को लेकर हो रहे बदलावों और भारत के 2047 तक विकसित बनने के विजन को पूरा करने को लेकर सर्विस सेक्टर की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देती है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
ट्रंप प्रशासन की नीतियों के बावजूद रिपब्लिकन और डेमोक्रेट सांसदों ने मिलकर किया भारत-अमेरिका संबंधों का समर्थन

वाशिंगटन, 28 अक्टूबर: अमेरिका में रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों पार्टियों के सांसद मिलकर भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने में जुट गए हैं। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब कुछ महीने पहले ट्रंप प्रशासन ने भारत के हितों के खिलाफ कई नीतियां लागू की थीं। सांसदों का कहना है कि दोनों पार्टियों को मिलकर इस साझेदारी का समर्थन करना चाहिए और भारत-अमेरिका रिश्तों को मजबूत रखना चाहिए।
पिछले दस दिनों में कम से कम छह संयुक्त पत्र और प्रस्ताव तैयार किए गए हैं। इन पत्रों में भारतीय अमेरिकी समुदाय के हितों की सुरक्षा करने और भारत-अमेरिका के सहयोग को बनाए रखने पर जोर दिया गया है। इसके साथ ही ट्रंप प्रशासन से उन नीतियों के लिए जवाबदेही मांगी गई है।
पिछले हफ्ते अमेरिकी सांसदों ने रटगर्स यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम हिंदुओं के खिलाफ गलत धारणाओं और पूर्वाग्रह को बढ़ावा दे सकता है, खासकर तब जब अमेरिका में हिंदू मंदिरों पर हमले की घटनाएं बढ़ रही हैं।
इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में जॉर्जिया से डेमोक्रेट सैनफोर्ड बिशप, इलिनॉय से श्री थानेदार, वर्जीनिया से सुहास सुब्रमण्यम और जॉर्जिया से रिपब्लिकन रिच मैककॉर्मिक शामिल थे।
इसके दो दिन पहले छह सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रंप और वाणिज्य सचिव हावर्ड लुटनिक को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने एच-1बी वीजा नियमों को लेकर अपनी चिंता जताई।
पत्र में कहा गया कि यह नई नीतियां अमेरिकी नियोक्ताओं के लिए मुश्किलें बढ़ाएंगी और अमेरिका की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को कमजोर करेंगी।
इस पत्र पर डेमोक्रेट सुहास सुब्रमण्यम और रिपब्लिकन सांसद जॉय ओबरनोल्टे और डॉन बेकन समेत अन्य सांसदों ने भी हस्ताक्षर किए।
17 अक्टूबर को चार अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रंप को पत्र लिखा और भारत में होने वाले क्वाड लीडर्स समिट और एशिया की अन्य बैठकों में हिस्सा लेने का आग्रह किया।
उसी दिन, प्रतिनिधि सभा में एक संयुक्त प्रस्ताव भी पेश किया गया। इसमें भारतीय अमेरिकी समुदाय के अमेरिका में योगदान को मान्यता देने और भारतीय अमेरिकियों के खिलाफ नस्लीय हमलों की निंदा करने की बात कही गई।
इस प्रस्ताव में भारत-अमेरिका के रिश्ते को दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक साझेदारियों में से एक बताया गया।
यह कदम पिछले दिनों 19 डेमोक्रेट सांसदों के पत्र से अलग था, जिसमें उन्होंने ट्रंप को भारत-अमेरिका संबंधों को सुधारने और फिर से मजबूत करने की सलाह दी थी। उस समय कोई रिपब्लिकन सांसद इसमें शामिल नहीं हुआ था।
डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों पार्टियों के नेताओं को आलोचना का सामना करना पड़ा, क्योंकि उन्होंने लंबे समय तक चुप्पी बनाए रखी थी। ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी जैसे ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो और वाणिज्य सचिव हावर्ड लुटनिक लगातार भारत के खिलाफ नीतियां बना रहे थे। ये नीतियां भारत के रूस से तेल खरीदने और व्यापार संतुलन को लेकर थीं।
अगस्त में ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए। इसमें रूस से तेल आयात पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क भी शामिल था।
इसके बाद सितंबर में ट्रंप ने एच-1बी वीजा नियम में बदलाव किया और इसके लिए 100,000 डॉलर का आवेदन शुल्क लगाया। 2024 में एच-1बी वीजा पाने वाले 70 प्रतिशत से अधिक लोग भारतीय थे, जिससे भारत के हित सीधे प्रभावित हुए।
कुछ डेमोक्रेट सांसदों ने इस पर सार्वजनिक विरोध किया, लेकिन रिपब्लिकन सांसदों ने हाल तक चुप्पी बनाए रखी। अक्टूबर की शुरुआत में डेमोक्रेट सांसद अमी बेरा ने मिडिया से कहा कि कुछ रिपब्लिकन सांसद सिर्फ इसलिए चुप हैं क्योंकि वे राष्ट्रपति ट्रंप से डरते हैं। उन्होंने कहा कि सांसदों को भारत-अमेरिका संबंधों का समर्थन करने के लिए आगे आना चाहिए।
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