व्यापार
वैश्विक अस्थिरता से ऑल-टाइम हाई पर गोल्ड, पहली बार 85,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के पार
नई दिल्ली, 10 फरवरी। वैश्विक अस्थिरता के चलते गोल्ड की कीमत सोमवार को 85,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच गई है। यह गोल्ड का अब तक का सबसे उच्चतम स्तर है। इसमें तेजी की वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा स्टील और एल्यूमीनियम उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ के ऐलान के कारण वैश्विक स्तर पर अस्थिरता का बढ़ना है।
इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के मुताबिक, 24 कैरेट गोल्ड की कीमत 671 रुपये बढ़कर 85,370 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई है, जो कि शुक्रवार को 84,699 रुपये प्रति 10 ग्राम थी।
22 कैरेट गोल्ड की कीमत बढ़कर 83,320 रुपये प्रति 10 ग्राम, 20 कैरेट गोल्ड की कीमत 75,980 रुपये प्रति 10 ग्राम और 18 कैरेट गोल्ड की कीमत 69,150 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई है।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर 4 अप्रैल के कॉन्ट्रैक्ट में गोल्ड फ्यूचर्स की कीमत ऑल-टाइम हाई 85,384 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गई है।
फिलहाल यह कॉन्ट्रैक्ट 0.51 प्रतिशत की तेजी के साथ 85,325 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था।
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी गोल्ड की कीमत ऑल-टाइम हाई पर चल रही है। गोल्ड का भाव 2,923 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गई है।
आमतौर पर जब भी वैश्विक अस्थिरता बढ़ती है, तब सुरक्षित निवेश होने के कारण गोल्ड की कीमतों में तेज उछाल देखा जाता है।
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में गोल्ड की कीमतों में जनवरी की शुरुआत के बाद से 9 प्रतिशत तक की तेजी देखने को मिल चुकी है।
कामा ज्वेलरी के एमडी कॉलिन शाह के मुताबिक, आने वाले समय में भी गोल्ड में तेजी रह सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में गोल्ड की कीमत 3,000 डॉलर प्रति औंस और घरेलू बाजारों में 88,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकती है।
रुपया ऑल-टाइम लो पर बना हुआ है। यह सोमवार को डॉलर के मुकाबले 49 पैसे गिरकर 87.92 पर पहुंच गया है।
व्यापार
अमेरिकी टैरिफ से भारतीय शेयर बाजार लाल निशान में खुला, मिडकैप और स्मॉलकैप में बिकवाली
मुंबई, 11 फरवरी। भारतीय शेयर बाजार मंगलवार के कारोबारी सत्र में लाल निशान में खुला। सुबह 9:30 बजे सेंसेक्स 172 अंक या 0.22 प्रतिशत की गिरावट के साथ 77,138 और निफ्टी 69 अंक या 0.30 प्रतिशत की गिरावट के साथ 23,315 पर था।
बाजार के गिरने की वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से आयातित स्टील और एल्युमिनियम उत्पादों पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाना है।
बाजार में चौतरफा बिकवाली देखने को मिल रही है। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 648 अंक या 1.24 प्रतिशत की गिरावट के साथ 51,855 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 250 अंक या 1.50 प्रतिशत की गिरावट के साथ 16,398 पर बना हुआ है।
बाजार में उतार-चढ़ाव दर्शाने वाला इंडेक्स इंडिया विक्स 1.66 प्रतिशत बढ़कर 14.69 पर बना हुआ है।
चॉइस ब्रोकिंग के आकाश शाह के मुताबिक, निफ्टी के लिए 23,260 एक अहम सपोर्ट है। अगर यह इसे तोड़ता है तो 23,000 के स्तर तक जा सकता है। वहीं, तेजी की स्थिति में 23,460 एक रुकावट का स्तर है। अगर यह टूटता है तो 23,550 और 23,700 के स्तर देखने को मिल सकते हैं।
सेंसेक्स पैक में अदाणी पोर्ट्स, इन्फोसिस, मारूति सुजुकी, एचसीएल टेक, इंडसइंड बैंक, एचयूएल, टेक महिंद्रा, भारती एयरटेल, एक्सिस बैंक और आईटीसी टॉप गेनर्स हैं। जोमैटो, पावर ग्रिड, कोटक महिंद्रा बैंक, बजाज फिनसर्व, टाटा मोटर्स, अल्ट्राटेक सीमेंट, एलएंडटी, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक टॉप लूजर्स हैं।
निफ्टी के आईटी, एफएमसीजी और मेटल इंडेक्स हरे निशान में कारोबार कर रहे हैं। ऑटो, पीएसयू बैंक, फाइनेंसियल सर्विसेज, फार्मा, रियल्टी, मेटल और एनर्जी इंडेक्स में बिकवाली है।
एशियाई बाजारों में मिलाजुला कारोबार हो रहा है। टोक्यो, बैंकॉक और सियोल के बाजार हरे निशान में हैं। हांगकांग, शंघाई और जकार्ता के बाजार लाल निशान में हैं।
कच्चे तेल में तेजी देखी जा रही है। ब्रेंट क्रूड 0.37 प्रतिशत की तेजी के साथ 76.15 डॉलर प्रति बैरल और डब्ल्यूटीआई क्रूड 0.35 प्रतिशत की बढ़त के साथ 72.57 डॉलर प्रति बैरल पर है।
राजनीति
झारखंड सरकार डिलीवरी ब्वॉय से लेकर कैब चलाने वालों के लिए विधेयक लाएगी
रांची, 10 फरवरी। फूड-पिज्जा की डिलीवरी या इस तरह के काम करने वाले लोगों को सामाजिक सुरक्षा और उनके वाजिब अधिकारों को झारखंड सरकार कानूनी तौर पर संरक्षण देगी। इसके लिए कानून बनाने की तैयारी कर ली गई है। इससे संबंधित विधेयक का ड्राफ्ट राज्य सरकार के श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग ने तैयार कर लिया है।
इसे विधि और वित्त विभाग की सहमति के बाद कैबिनेट से पारित कराया जाएगा। फिर, इसे 24 फरवरी से शुरू होने वाले झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में पेश किया जाएगा। इस विधेयक का नाम “द झारखंड प्लेटफॉर्म बेस्ड गिग वर्कर्स (रजिस्ट्रेशन एंड वेलफेयर) बिल” रखा गया है। इस विधेयक में ऐसे प्रावधान किए जा रहे हैं, जिससे फूड डिलीवरी करने वाले, ई-कॉमर्स कंपनियों के डिलीवरी ब्वॉय, ओला-उबर-रैपिडो जैसी कंपनियों के ड्राइवर और इस प्रकृति के काम करने वाले वर्कर्स को मिनिमम वेज, बीमा, स्टाइपेंड और अन्य प्रकार की सामाजिक सुरक्षा हासिल हो सके।
अनुमान है कि पूरे झारखंड के विभिन्न जिलों में लगभग 12 लाख लोग ऐसे कामों में लगे हैं। विधेयक में प्रावधान किया जा रहा है कि ऐसे श्रमिकों का पंजीकरण करने के लिए एक प्लेटफॉर्म विकसित किया जाएगा और प्रत्येक को एक यूनिक आईडी जारी की जाएगी।
गिग वर्कर्स के मामलों की सुनवाई के लिए “झारखंड प्लेटफॉर्म बेस्ड गिग वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड” का गठन किया जाएगा। इस विधेयक का प्रस्तावित ड्राफ्ट सरकार ने पिछले साल जुलाई महीने में ही प्रकाशित किया था, जिस पर नियोजक कंपनियों, गिग वर्कर्स और आम लोगों से सुझाव मांगे गए थे।
इसके पहले राज्य के श्रम विभाग के अंतर्गत झारखंड राज्य न्यूनतम मजदूरी परामर्शदातृ पर्षद ने गिग वर्कर्स की स्थिति का अध्ययन करने के लिए एक कमेटी गठित की थी। झारखंड सरकार राज्य में काम करने वाली सभी प्राइवेट कंपनियों में 40 हजार रुपए मासिक तनख्वाह वाली नौकरियों में 75 प्रतिशत पद राज्य के स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित करने का कानून बना चुकी है। इस कानून का पालन नहीं करने पर सैकड़ों कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई है।
व्यापार
पीएलआई स्कीम से इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में पैदा हुई 1.37 लाख से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियां
नई दिल्ली, 10 फरवरी। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम के कारण दिसंबर 2024 तक इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 10,213 करोड़ रुपये का निवेश आया है और 1.37 लाख प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। यह जानकारी संसद में सरकार द्वारा दी गई।
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने राज्यसभा को बताया कि पीएलआई स्कीम के तहत 662,247 करोड़ रुपये का संचयी उत्पादन हुआ है। साथ ही 137,189 अतिरिक्त रोजगार (प्रत्यक्ष नौकरियां) के अवसर सृजित किए गए हैं।
लिखित जवाब में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग पर सरकार का जोर होने के कारण भारत एक मोबाइल फोन आयातक से निर्यातक देश बन गया है।
उन्होंने आगे बताया कि पीएलआई स्कीम के कारण देश में मोबाइल फोन का उत्पादन 5 गुना बढ़कर 2023-24 में 33 करोड़ यूनिट्स पर पहुंच गया है, जो कि 2014-15 में 6 करोड़ यूनिट्स पर था।
बीते 10 वर्षों में देश में बनने वाले मोबाइल फोन की वैल्यू में भी बड़ा इजाफा देखने को मिला है। 2023-24 में देश में बने मोबाइल फोन की वैल्यू 4,22,000 करोड़ रुपये थी, जो कि 2014-15 में 19,000 करोड़ रुपये थी। इसमें सालाना आधार पर 41 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़त हुई है।
पीएलआई स्कीम के कारण देश में मोबाइल फोन का निर्यात भी तेजी से बढ़ा है। 2020-21 में देश से 22,868 करोड़ रुपये का मोबाइल फोन का निर्यात हुआ था, जो कि 2023-24 में बढ़कर 1,29,074 करोड़ रुपये हो गया है। इसमें सालाना आधार पर 78 प्रतिशत के सीएजीआर से वृद्धि हुई है।
2015 में देश में बिकने वाले 74 प्रतिशत मोबाइल फोन आयात किए जाते थे। वहीं, अब भारत में उपयोग होने वाले 99.2 प्रतिशत मोबाइल फोन घरेलू स्तर पर मैन्युफैक्चर किए जा रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री ने मुताबिक, मोबाइल फोन के लिए बैटरी, चार्जर, पीसीबीए, कैमरा मॉड्यूल, डिस्प्ले मॉड्यूल, एनक्लोजर, यूएसबी केबल, फेराइट और ग्लास कवर जैसे विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का भी निर्माण भारत में शुरू हो गया है।
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