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खपत बढ़ने का असर! भारत में क्रेडिट कार्ड के उपयोग में हुआ इजाफा
नई दिल्ली, 27 जनवरी। भारत में क्रेडिट कार्ड के उपयोग में सितंबर तिमाही में 34 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, जबकि 2023 की समान अवधि में यह आंकड़ा 26 प्रतिशत पर था। इसकी वजह ग्राहकों द्वारा अपनी खपत की जरूरतों को पूरा करने के लिए मौजूदा क्रेडिट कार्ड से अधिक खर्च करना है। यह जानकारी सोमवार को जारी की गई एक रिपोर्ट में दी गई।
ट्रांसयूनियन सिबिल क्रेडिट मार्केट इंडिकेटर (सीएमआई) रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की रिटेल क्रेडिट ग्रोथ में सितंबर 2024 को समाप्त हुई तिमाही में हल्की नरमी देखने को मिली है। इसकी वजह लोन मांग वृद्धि की दर में सामान्य गिरावट और अधिकांश लोन उत्पादों में क्रेडिट की आपूर्ति में कमी होना है।
ट्रांसयूनियन सिबिल के सीईओ और एमडी, भावेश जैन ने कहा, “क्रेडिट कार्ड पर खर्च में मजबूत वृद्धि उपभोक्ताओं के बीच इसकी बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाती है। यह केवल लेनदेन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि क्रेडिट तक आसान पहुंच को भी दिखाती है।”
जैन ने आगे कहा कि यह लेंडर्स के लिए एक अवसर हो सकता है कि वे ऐसे उपभोक्ताओं की पहचान करें जिन्हें अपने उपभोग के लिए अतिरिक्त लोन की आवश्यकता है और उन्हें बेहतर और किफायती समाधान उपलब्ध कराएं।
रिपोर्ट के अनुसार, पर्सनल लोन में सालाना आधार पर दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज की गई, जो कि सितंबर 2024 में 11 प्रतिशत रही है। यह वृद्धि दर पिछले साल के समान अवधि के आंकड़े 32 प्रतिशत से काफी कम है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दोपहिया वाहनों और प्रॉपर्टी के बदले लोन में भी मजबूत वृद्धि देखी गई है।
जैन ने सुझाव दिया, “बाजार की बदलती परिस्थितियों का मतलब है कि लेंडर्स को रिटेल लोन वृद्धि के लिए टारगेटेड एप्रोच अपनाने की आवश्यकता है। नई विश्लेषणात्मक तकनीकों द्वारा पोर्टफोलियो निगरानी लेंडर्स को पूरे भारत में योग्य उपभोक्ताओं को विवेकपूर्ण तरीके से लोन देने में सक्षम बनाएगी, जो आर्थिक गतिविधि और विकास के लिए एक वाहक के रूप में काम करेगा।”
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शेयर बाजार लगातार दूसरे दिन हरे निशान में हुआ बंद, मिडकैप और स्मॉलकैप चमके
मुंबई, 29 जनवरी। भारतीय शेयर बाजार बुधवार के कारोबारी सत्र में हरे निशान में बंद हुआ। बाजार में चौतरफा खरीदारी देखी गई। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 631.55 अंक या 0.83 प्रतिशत की तेजी के साथ 76,532.96 और निफ्टी 205.85 अंक या 0.90 प्रतिशत की बढ़त के साथ 23,163.10 पर बंद हुआ।
कारोबारी सत्र में मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में बड़ी खरीदारी देखने को मिली, जो निवेशकों के तेजी के रुझान को दिखाता है। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 1,189.40 अंक या 2.31 प्रतिशत की तेजी के साथ 52,718.85 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 532.05 या 3.32 प्रतिशत की तेजी के साथ 16,540 पर बंद हुआ।
ऑटो, आईटी, पीएसयू बैंक, फाइनेंसियल सर्विसेज और फार्मा समेत सभी इंडेक्सों में खरीदारी देखी गई। केवल एफएमसीजी इंडेक्स ही लाल निशान में बंद हुआ।
व्यापक बाजार में तेजी का रुझान था। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर 2,979 शेयर हरे निशान में और 1,009 शेयर लाल निशान में और 94 शेयर बिना किसी बदलाव के बंद हुए।
शेयर बाजार में तेजी के कारण बीएसई पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों का मार्केटकैप करीब 10 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 416 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
सेंसेक्स पैक में जोमैटो, टाटा मोटर्स, इन्फोसिस, अल्ट्राटेक सीमेंट, टेक महिंद्रा, एमएंडएम, बजाज फाइनेंस, अदाणी पोर्ट्स, सन फार्मा और कोटक महिंद्रा बैंक टॉप गेनर्स थे। भारती एयरटेल, मारुति सुजुकी, एशियन पेंट्स, आईटीसी, एक्सिस बैंक और एचयूएल टॉप लूजर्स थे।
चॉइस ब्रोकिंग के मुताबिक, निफ्टी ने 22,800 के अपने सपोर्ट जोन से मजबूत रिकवरी दिखाई है और 23,100 के ऊपर बंद होने में कामयाब रहा, जो कि मजबूती का संकेत है। अगर आने वाले सत्र में अगर निफ्टी 23,300 के ऊपर बंद होता है, तो 23,650 और 23,800 के भी स्तर देखने को मिल सकते हैं।
सोमवार को बाजार लगातार दो दिनों की गिरावट के बाद तेजी के साथ बंद हुए थे। इस दौरान सेंसेक्स 535 अंक या 0.71 प्रतिशत की तेजी के साथ 75,901 और निफ्टी 128 अंक या 0.56 प्रतिशत की बढ़त के साथ 22,957 पर बंद हुआ।
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भारत में तेजी से बढ़ रही डिजिटल अर्थव्यवस्था, 2030 तक 20 प्रतिशत होगी हिस्सेदारी
नई दिल्ली, 29 जनवरी। भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी कुल अर्थव्यवस्था में 2030 तक बढ़कर करीब 20 प्रतिशत हो जाएगी। यह जानकारी सरकार द्वारा दी गई।
बीते एक दशक से अधिक समय में देश में डिजिटल आधारित उद्योग 17.3 प्रतिशत की गति से बढ़े हैं। यह इस दौरान पूरी अर्थव्यवस्था की गति 11.8 प्रतिशत से अधिक थी।
डिजिटल प्लेटफॉर्म का तेजी से विस्तार हुआ है और आने वाले वर्षों में यह प्लेटफॉर्म लगभग 30 प्रतिशत की दर से बढ़ सकते हैं।
‘स्टेट ऑफ इंडिया डिजिटल इकोनॉमी रिपोर्ट’ के अनुसार, 2022-23 में डिजिटल अर्थव्यवस्था में 1.46 करोड़ कर्मचारी या भारत के कार्यबल का 2.55 प्रतिशत हिस्सा कार्यरत था। इनमें से ज्यादातर नौकरियां (58.07 प्रतिशत) डिजिटल आधारित उद्योगों में हैं।
कार्यबल मुख्य रूप से पुरुष है। हालांकि, डिजिटल प्लेटफॉर्म ने महिलाओं के लिए नौकरी के अवसर बढ़ाने में योगदान दिया है।
आईटी मंत्रालय ने कहा कि भारत, अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा डिजिटलीकृत देश है और व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं में डिजिटलीकरण के स्तर में जी20 देशों में 12वां स्थान है।
मंत्रालय के मुताबिक, भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था पूरी अर्थव्यवस्था की तुलना में लगभग दोगुनी तेजी से बढ़ने की उम्मीद है, जो 2029-30 तक राष्ट्रीय आय में लगभग 20 प्रतिशत योगदान देगी। इसका मतलब यह है कि छह साल से भी कम समय में देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी कृषि या मैन्युफैक्चरिंग से अधिक हो जाएगी।
भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता के रूप में उभरी है, जो 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 11.74 प्रतिशत (31.64 लाख करोड़ रुपये या 402 अरब डॉलर) थी।
देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था बढ़ने की वजह एआई, क्लाउड सर्विसेज का तेजी बढ़ना और ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) का उभरना शामिल है। भारत दुनिया के 55 प्रतिशत जीसीसी की मेजबानी करता है।
मंत्रालय ने कहा, डिजिटल प्लेटफॉर्म का तेजी से विस्तार एक निरंतर परिवर्तन का संकेत देता है और भारत में काम के भविष्य को आकार देने के लिए तैयार है।
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रिटेल डिजिटल पेमेंट्स की संख्या वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 16,146 करोड़ हुई: आरबीआई
नई दिल्ली, 29 जनवरी। भारत के रिटेल डिजिटल पेमेंट सिस्टम में लेनदेन की संख्या बीते 12 वर्षों में 100 गुना बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 16,416 करोड़ हो गई है। वित्त वर्ष 2012-13 में लेनदेन की संख्या 162 करोड़ थी।
सेंट्रल बैंक की ‘पेमेंट सिस्टम्स रिपोर्ट’ में बताया गया कि पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर और पेमेंट परफॉरमेंस में मजबूत वृद्धि आरबीआई द्वारा प्रकाशित डिजिटल पेमेंट इंडेक्स में भी स्पष्ट है, जिसमें पिछले छह वर्षों में चार गुना से अधिक वृद्धि देखी गई है, जो मार्च 2024 तक बढ़कर 445.40 हो गया है, जो कि मार्च 2018 में 100 था।
भारत में डिजिटल पेमेंट्स सिस्टम पिछले दशक में तेज वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया, “कैलेंडर वर्ष 2013 में 222 करोड़ डिजिटल लेनदेन हुए थे और इनकी वैल्यू 772 लाख करोड़ रुपये थी। कैलेंडर वर्ष 2024 में डिजिटल लेनदेन की वॉल्यूम बढ़कर 20,787 करोड़ और वैल्यू बढ़कर 2,758 लाख करोड़ रुपये हो गई है।”
बीते पांच वर्षों में भारत में डिजिटल पेमेंट्स की वॉल्यूम में 6.7 गुणा और वैल्यू में 1.6 गुणा का इजाफा हुआ है।
आरबीआई की रिपोर्ट में आगे बताया गया कि भारत के डिजिटल पेमेंट्स सिस्टम में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) की हिस्सेदारी 2024 में बढ़कर 83 प्रतिशत हो गई है, जो कि 2019 में 34 प्रतिशत थी। इस दौरान अन्य पेमेंट सिस्टम्स जैसे आरटीजीएस, एनईएफटी, आईएमपीएस, क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड की हिस्सेदारी 66 प्रतिशत से गिरकर 17 प्रतिशत रह गई है।
रिपोर्ट में अनुसार, यूपीआई की वॉल्यूम और वैल्यू बीते पांच वर्षों में 89.3 प्रतिशत और 86.5 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ी है।
यूपीआई लेनदेन की वॉल्यूम बढ़कर 2024 में 17,221 करोड़ हो गई है, जो कि 2018 में 375 करोड़ थी। इस दौरान कुल लेनदेन की वैल्यू 5.86 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 246.83 लाख करोड़ रुपये हो गई है।
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