राजनीति
ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद दुनिया भर के बड़े नेताओं ने दी बधाई

नई दिल्ली, 21 जनवरी। डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। उनके शपथ लेने के बाद सोशल मीडिया पर उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया। दुनिया भर से उन्हें बधाई संदेश मिलने लगे।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, “ब्रिटेन की ओर से, मैं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में उनके शपथ ग्रहण पर हार्दिक बधाई देता हूं। ब्रिटेन और अमेरिका के बीच विशेष संबंध आने वाले वर्षों में भी फलते-फूलते रहेंगे।”
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने एक्स पर एक पोस्ट में ट्रंप को बधाई देते हुए लिखा, “डोनाल्ड ट्रम्प को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने पर बधाई। अमेरिका ऑस्ट्रेलिया का बहुत अच्छा मित्र है। हमारा गठबंधन पहले कभी इतना मजबूत नहीं रहा। मैं आपके साथ मिलकर आगे आने वाले अवसरों और चुनौतियों पर काम करने के लिए उत्सुक हूं।”
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने लिखा, “मैं राष्ट्रपति ट्रंप और अमेरिकी लोगों को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण पर बधाई देता हूं। आज परिवर्तन का दिन है और वैश्विक चुनौतियों सहित कई समस्याओं के समाधान की आशा का दिन भी है। राष्ट्रपति ट्रंप हमेशा निर्णायक होते हैं, और उन्होंने जिस शक्ति के माध्यम से शांति की नीति की घोषणा की है, वह अमेरिकी नेतृत्व को मजबूत करने और दीर्घकालिक तथा न्यायपूर्ण शांति प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है, जो सर्वोच्च प्राथमिकता है। यह सदी अभी आकार ले रही है। हम सभी को यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए कि यह लोकतंत्रों के लिए एक महान और सफल सदी हो, न कि उन लोगों के लिए जो हमें विफल देखना चाहते हैं। हम आपकी सफलता की कामना करते हैं, राष्ट्रपति ट्रंप! हम सक्रिय और पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग की आशा करते हैं। हम एक साथ मजबूत हैं, और हम दुनिया और हमारे दोनों देशों को अधिक सुरक्षा, स्थिरता और आर्थिक विकास प्रदान कर सकते हैं।”
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने लिखा, “बधाई हो, राष्ट्रपति ट्रंप। मैं आपको, मेलानिया ट्रंप और अमेरिकी लोगों को अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में आपके दूसरे शपथ ग्रहण पर हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। राष्ट्रपति के रूप में आपका पहला कार्यकाल हमारे दोनों देशों के बीच महान गठबंधन के इतिहास में अभूतपूर्व क्षणों से भरा था। आपने खतरनाक ईरान परमाणु समझौते से खुद को अलग कर लिया, यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता दी, अमेरिकी दूतावास को यरूशलम में स्थानांतरित किया और गोलान हाइट्स पर इजरायल की संप्रभुता को मान्यता दी। मुझे विश्वास है कि हम ईरान की आतंकी धुरी को पूरी तरह से हरा देंगे और हमारे क्षेत्र के लिए शांति और समृद्धि के एक नए युग की शुरुआत करेंगे।”
राजनीति
जयंती विशेष: गणेश घोष, एक क्रांतिकारी जिसने अपने जीवन के 27 साल जेल में बिताए

नई दिल्ली, 21 जून। गणेश घोष एक क्रांतिकारी और राजनेता थे। आजादी के बाद वे कई बार विधायक, सांसद रहे और देश के नीति निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाई।
गणेश घोष का जन्म चटगांव में एक बंगाली कायस्थ परिवार में 22 जून 1900 को हुआ था। अब यह क्षेत्र बांग्लादेश में पड़ता है। विद्यार्थी जीवन में ही वे स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित हो गए थे। 1922 की गया कांग्रेस में जब बहिष्कार का प्रस्ताव स्वीकार हो गया तो गणेश घोष और उनके साथी अनंत सिंह ने नगर का सबसे बड़ा विद्यालय बंद करा दिया था। इन दोनों युवकों ने चिटगाँव की सबसे बड़ी मज़दूर हड़ताल की भी अगुवाई की।
1922 में उन्होंने कलकत्ता के बंगाल टेक्निकल इंस्टीट्यूट में एडमिशन लिया। वह चटगांव युगांतर पार्टी के सदस्य रहे। 18 अप्रैल 1930 को सूर्य सेन और अन्य क्रांतिकारियों के साथ चटगांव शस्त्रागार छापे में उन्होंने भाग लिया था। इस वजह से उन्हें चटगांव से भागना पड़ा। वह हुगली के चंदननगर में रहने लगे। कुछ ही दिन के बाद पुलिस कमिश्नर चार्ल्स टेगार्ट ने चंदननगर के उनके घर पर हमला कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उस गिरफ्तारी अभियान के समय पुलिस ने उनके एक युवा साथी क्रांतिकारी जीबन घोषाल उर्फ माखन को मार डाला था।
पुलिस ने गणेश घोष को गिरफ्तार करने के बाद उन पर मुकदमा किया और 1932 में पोर्ट ब्लेयर की सेलुलर जेल में भेज दिया। स्वतंत्रता के बाद भी उन्होंने अनेक आंदोलनों में भाग लिया और अपने जीवन के लगभग 27 वर्ष जेल में बिताए। 1964 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में विभाजन के बाद गणेश भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के साथ जुड़ गए। 1952, 1957 और 1962 में बेलगछिया से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए चुने गए। 1967 में कलकत्ता दक्षिण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के उम्मीदवार के रूप में चौथी लोकसभा के लिए चुने गए। 1971 की लोकसभा में वे फिर से कलकत्ता दक्षिण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे। इस बार उन्हें एक युवा नेता के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
यह युवा नेता कोई और नहीं, प्रिय रंजन दास मुंशी थे। सिर्फ 26 साल की उम्र में दास ने गणेश घोष को हराया था। गणेश घोष की मृत्यु 16 अक्टूबर, 1994 को कोलकाता में हुई थी।
महाराष्ट्र
ईरानी नेता अयातुल्ला खुमैनी की स्मृति को सलाम: अबू आसिम आज़मी

मुंबई: मुंबई महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के नेता और विधायक अबू आसिम आजमी ने कहा कि भाजपा के दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने फिलिस्तीन की आजादी का समर्थन किया था और उस पर जुल्म और अत्याचार का विरोध किया था, लेकिन आज देश इजरायल परस्त है। उन्होंने इजरायल-ईरान युद्ध की स्थिति पर ईरान का समर्थन किया और ईरान के लिए दुआ की और कहा कि अल्लाह उसे उत्पीड़ितों के लिए कार्य क्षेत्र में सफलता प्रदान करे। मैं यही प्रार्थना करता हूं। अबू आसिम आजमी ने ईरानी धर्मगुरु और नेता अयातुल्ला खुमैनी के साहस और समर्थन को सलाम किया और कहा कि ईरान जुल्म के खिलाफ खड़ा है, इसलिए हम उसके लिए दुआ करते हैं।
आजमी ने कहा कि जिस तरह से भारतीय नागरिकों को ईरान से भारत लाया गया है, उसी तरह इजरायल में युद्ध के शिकार हुए भारतीयों को भी उनके वतन वापस लाया जाना चाहिए। आजमी ने कर्नाटक सरकार द्वारा हाउसिंग सोसाइटियों में मुसलमानों को 15% आरक्षण देने के फैसले का भी स्वागत किया और कहा कि अगर हाउसिंग सोसाइटियों में 15% आरक्षण दिया जाता है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। यहां सभी को समान न्याय और अधिकार का अधिकार है।
महाराष्ट्र
हाईकोर्ट ने पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे को भुगतान करने का आदेश दिया

मुंबई: हाईकोर्ट ने पूर्व मंत्री और एनसीपी नेता धनंजय मुंडे को बड़ा झटका दिया है। मुंडे को अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता, भोजन और भरण-पोषण देने का आदेश दिया है। मुंबई हाईकोर्ट ने धनंजय मुंडे को चार सप्ताह के भीतर गुजारा भत्ता का 50 प्रतिशत भुगतान करने का आदेश दिया है। पत्रकारों से बात करते हुए करुणा मुंडे ने मुंडे पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि मुंडे अच्छे हैं लेकिन उनका दलाल गिरोह उन्हें गुमराह कर रहा है। करुणा मुंडे ने इस फैसले का स्वागत किया है। पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे का मामला बांद्रा फैमिली कोर्ट में चल रहा था। करुणा ने मुंडे से गुजारा भत्ता मांगा था। मुंडे से 2 लाख रुपये गुजारा भत्ता मांगा गया था। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मुंडे को बड़ा झटका दिया है। बांद्रा कोर्ट ने कई महीने पहले करुणा शर्मा को 1 लाख 25 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था अगस्त 2022 से जून 2025 या 34 महीने की अवधि के लिए कुल 43 लाख 75 हजार रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है और चार सप्ताह के भीतर 21 लाख 87 हजार 500 रुपये यानी 50% राशि बांद्रा कोर्ट में जमा करने का आदेश दिया है। करुणा मुंडे ने धनंजय मुंडे पर परेशान करने और धमकाने और उनके मोबाइल फोन पर अश्लील वीडियो भेजने का भी गंभीर आरोप लगाया है।
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