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Friday,21-March-2025
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पंजाब में दिख रहा बंद का असर, किसानों ने की सड़कें जाम, आपात्काल व्यवसाय खुला

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चंडीगढ़, 30 दिसंबर। फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी समेत अपनी मांगों को लेकर किसान संगठनों द्वारा आहूत बंद का सोमवार को पंजाब में व्यापक असर देखने को मिल रहा है। हालांकि, आपातकालीन सेवाएं खुली हैं।

बंद में निजी बस ट्रांसपोर्टरों के अलावा वंदे भारत और शताब्दी सहित 200 से अधिक ट्रेनें प्रभावित हुईं। बंद का आह्वान किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल के समर्थन में किया गया, जो किसानों की मांगों को पूरा करने की मांग को लेकर एक महीने से अधिक समय से भूख हड़ताल पर हैं।

जालंधर शहर के जालंधर लुधियाना हाईवे को किसानों ने बंद कर दिया है। जालंधर कैंट रेलवे स्टेशन के पास हाईवे पूर्णता बंद कर दिया गया है। बंद सुबह सात बजे से शाम चार बजे (9 घंटे तक) प्रभावी रहेगा। इस दौरान केवल आपातकालीन सुविधाओं को ही चालू रखा जाएगा। हालांकि, अभी किसी अप्रिय घटना की कोई खबर नहीं है। पुलिस वाहन चालकों से यात्रा करने से बचने या अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए संपर्क मार्गों का इस्तेमाल करने की अपील करती नजर आई।

जालंधर में भी बंद का असर देखने को मिला है। सफर करने वाले लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जालंधर शहर में यात्री बसों में सफर करने के लिए बस स्टैंड पहुंचे, लेकिन किसानों द्वारा पंजाब बंद के कारण बस स्टैंड से बसें नहीं चल रही हैं। इस कारण यात्रियों को अपने सामान सहित वापिस लौटना पड़ रहा है।

बता दें कि किसान यूनियनों द्वारा आज सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक पंजाब बंद के आह्वान पर पंजाब रोडवेज ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (पीआरटीसी) ने भी बंद के आह्वान का समर्थन करने की घोषणा की है। पंजाब की ओर जाने वाली पीआरटीसी की बसें नहीं जा रही हैं। चंडीगढ़ सेक्टर 43 स्थित आईएसबीटी (बस स्टैंड) पर पीआरटीसी की बमुश्किल ही कोई बस दिखी। यात्री अपने गंतव्य तक जाने के लिए बंद खुलने का इंतजार कर रहे हैं।

पीआरटीसी बस ड्राइवर अमृतपाल सिंह ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा कि पीआरटीसी ने भी बंद के आह्वान का समर्थन किया है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मोहाली, पटियाला, लुधियाना, मोगा, फिरोजपुर, बठिंडा, होशियारपुर, जालंधर और अन्य स्थानों से दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद हैं। बंद का असर ग्रामीण इलाकों में ज्यादा दिख रहा है, जहां किसानों ने अपने संगठन के झंडे लेकर लगभग सभी सड़कें बंद कर दीं। वहीं, पंजाब बंद के दौरान किसानों की ओर से अमृतसर के कठू नंगल टोल प्लाजा को भी बंद कर दिया गया है। किसी को भी जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है।

फिरोजपुर में एक दुकानदार ने बताया कि हमने किसानों के बंद के समर्थन में शाम चार बजे तक दुकान बंद करने का फैसला लिया है। जरूरी सेवाएं जैसे मेडिकल की दुकान खुली नजर आ रही हैं। बाकी सभी दुकानें बंद हैं। वहीं, राहगीर और दुकानदारों ने कहा कि किसानों का मसला हल होना चाहिए। व्यापार ठप है। सरकार को देखना चाहिए।

निजी बस ट्रांसपोर्टरों के हड़ताल में शामिल होने से पंजाब में अधिकांश निजी बसें सड़कों से नदारद रहीं। बंद के आह्वान के मद्देनजर कई स्कूलों और कार्यालयों ने छुट्टी की घोषणा की थी।

अपराध

सुप्रीम कोर्ट ने आरोप पत्र प्रस्तुत करने पर आरोपी को जेल भेजने के जमानत आदेश को अस्वीकार कर दिया

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नई दिल्ली, 20 मार्च। सुप्रीम कोर्ट ने पटना उच्च न्यायालय के अग्रिम जमानत आदेश के एक हिस्से को संशोधित किया है, जिसमें ट्रायल कोर्ट को आरोप पत्र प्रस्तुत करने के बाद याचिकाकर्ता (आरोपी) को सलाखों के पीछे भेजने के लिए सभी “दंडात्मक कदम उठाने” की आवश्यकता थी।

न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा कि पटना उच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी से पहले जमानत देने के बाद, क्योंकि उस समय याचिकाकर्ता-आरोपी के खिलाफ कोई गंभीर मामला सामने नहीं आया था, फिर ट्रायल कोर्ट को आरोप पत्र प्रस्तुत करने पर निर्णय लेने के लिए खुला छोड़ देना चाहिए था।

“याचिकाकर्ता के विद्वान वकील का यह कहना सही है कि ऐसा कोई विशिष्ट निर्देश नहीं हो सकता था कि आरोप पत्र प्रस्तुत किए जाने के बाद, (ट्रायल) कोर्ट याचिकाकर्ता को सलाखों के पीछे सुनिश्चित करने के लिए सभी बलपूर्वक कदम उठाएगा। (पटना उच्च न्यायालय) न्यायालय याचिकाकर्ता के उपस्थित होने पर मामले पर विचार करने और फिर उसे हिरासत में लेने के लिए कोई आदेश जारी किए बिना निर्णय लेने के लिए ट्रायल कोर्ट को खुला छोड़ सकता था,” न्यायमूर्ति अमानुल्लाह की अगुवाई वाली पीठ ने कहा।

पिछले साल अगस्त में पारित अपने विवादित निर्देश में, पटना उच्च न्यायालय ने कहा था कि “यदि याचिकाकर्ता के खिलाफ अपराध से जुड़े आरोप पत्र प्रस्तुत किए जाते हैं, तो उस स्थिति में, वर्तमान अग्रिम जमानत आदेश अपना प्रभाव खो देगा और विद्वान ट्रायल न्यायालय याचिकाकर्ता को सलाखों के पीछे सुनिश्चित करने के लिए सभी बलपूर्वक कदम उठाएगा”।

शीर्ष न्यायालय में, याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि आरोप पत्र प्रस्तुत किए जाने पर आरोपी को हिरासत में लिए जाने की ऐसी स्थिति उचित नहीं थी।

अग्रिम जमानत आदेश में “काफी हद तक” हस्तक्षेप किए बिना, सर्वोच्च न्यायालय ने विवादित शर्त को संशोधित किया। न्यायमूर्ति अमानुल्लाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने आदेश दिया, “हम अंतिम पैराग्राफ में दिए गए निर्देश को संशोधित करते हैं, जिसमें लिखा होगा कि चूंकि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप पत्र प्रस्तुत किया जा चुका है, इसलिए उसे न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत सामग्री के आधार पर कानून के अनुसार जमानत के प्रश्न पर न्यायालय के समक्ष उपस्थित होना आवश्यक है, बिना विवादित आदेश से प्रभावित हुए।” इसके अलावा, इसने याचिकाकर्ता को तीन सप्ताह की अवधि के भीतर संबंधित न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा और तब तक, पहले दिए गए अंतरिम संरक्षण को बढ़ा दिया। -आईएएनएस पीडीएस/वीडी

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महाराष्ट्र

महाराष्ट्र सरकार अधिकारियों के सोशल मीडिया उपयोग को विनियमित करेगी, ‘रील स्टार’ संस्कृति पर अंकुश लगाएगी

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मुंबई: सरकार ‘रील स्टार’ अधिकारियों और कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए नए नियम लाने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को सदन में घोषणा की कि सरकारी कर्मचारियों के सोशल मीडिया के उपयोग को विनियमित करने के लिए महाराष्ट्र सिविल सेवा आचरण नियमों में संशोधन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस मामले पर जल्द ही एक सरकारी संकल्प (जीआर) जारी किया जाएगा।

मुद्दे के बारे में

विधायक परिणय फुके ने विधान परिषद में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से यह मुद्दा उठाया। उन्होंने मांग की कि हाल के दिनों में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा सोशल मीडिया के अत्यधिक या अनुचित उपयोग पर अंकुश लगाया जाना चाहिए।

इस मुद्दे पर बात करते हुए फुके ने बताया, “सरकारी अधिकारी सोशल मीडिया पर वीडियो या रील पोस्ट करते हैं, जिससे यह धारणा बनती है कि पूरी व्यवस्था उसी व्यक्ति द्वारा चलाई जा रही है। सिंघम फिल्मों से प्रेरित होकर पुलिस अधिकारी हर जगह रील बना रहे हैं। इस पर सख्त नियमन और प्रतिबंध की जरूरत है।”

मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि सरकारी अधिकारियों के सोशल मीडिया उपयोग के लिए जल्द ही नए नियम लागू किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि 1979 के महाराष्ट्र सिविल सेवा आचरण नियम में सोशल मीडिया को शामिल नहीं किया गया था, क्योंकि उस समय यह अस्तित्व में नहीं था। हालाँकि, अब जब अधिकारी सरकार विरोधी समूहों में शामिल हो रहे हैं, अत्यधिक सामग्री पोस्ट कर रहे हैं, या अपने काम को ऑनलाइन महिमामंडित कर रहे हैं, तो विशिष्ट नियम आवश्यक हैं।

फडणवीस ने जोर देकर कहा कि अधिकारियों को सोशल मीडिया पर नागरिकों से जुड़ना चाहिए, लेकिन आत्म-प्रचार और अनुचित आचरण अस्वीकार्य है। इन नए नियमों को सिविल सेवा आचरण नियमों में शामिल किया जाएगा और जल्द ही एक सरकारी संकल्प (जीआर) जारी किया जाएगा।

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राजनीति

राजनीतिक साजिश का हिस्सा: दिशा सालियान मामले पर महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री

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मुंबई, 20 मार्च। महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने गुरुवार को आरोप लगाया कि दिशा सालियान मामले पर फिर से ध्यान केंद्रित करना एक “राजनीतिक साजिश” का हिस्सा है।

दिशा सालियान के पिता सतीश सालियान द्वारा अपनी बेटी की मौत की नए सिरे से जांच की मांग करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख करने के बाद उनकी यह टिप्पणी आई है। उन्होंने अपनी याचिका में शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की भी मांग की।

इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए देशमुख ने कहा, “मैं दिशा सालियान के पिता द्वारा पहले दायर याचिका में दिए गए बयान के बारे में जानकारी जुटा रहा हूं। मैंने इसकी एक प्रति मांगी है।”

उन्होंने कहा, “जिस तरह से यह मुद्दा फिर से सामने आया है, उससे लगता है कि यह एक राजनीतिक साजिश है।”

दिवंगत बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व मैनेजर दिशा सालियान की जून 2020 में रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। सतीश सालियान ने अब बॉम्बे हाईकोर्ट से मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का आग्रह किया है। उन्होंने दावा किया है कि उनकी बेटी के साथ क्रूरतापूर्वक बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। उन्होंने आगे दावा किया कि कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों को बचाने के लिए राजनीतिक कवर-अप किया गया था। दिशा की मौत 8 जून, 2020 को मलाड में एक आवासीय इमारत की 14वीं मंजिल से गिरने के बाद हुई थी। मुंबई पुलिस ने शुरू में एक एक्सीडेंटल डेथ रिपोर्ट (एडीआर) दर्ज की थी। हालांकि, महज छह दिन बाद, 14 जून को सुशांत सिंह राजपूत अपने अपार्टमेंट में मृत पाए गए। पुलिस ने शुरू में इसे आत्महत्या बताया, लेकिन बाद में मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। सतीश सालियान द्वारा दायर याचिका के अनुसार, उनकी बेटी की मौत की पुलिस जांच कवर-अप से ज्यादा कुछ नहीं थी। याचिका में कहा गया है कि मुंबई पुलिस ने “फोरेंसिक साक्ष्य, परिस्थितिजन्य सबूत और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों पर विचार किए बिना, जल्दबाजी में मामले को आत्महत्या या आकस्मिक मौत मानकर बंद कर दिया।”

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