राष्ट्रीय समाचार
संभल : जामा मस्जिद के पास पुलिस के चौकी निर्माण में महिलाओं ने किया श्रमदान, खुद को बताया सौभाग्यशाली
संभल, 28 दिसंबर। उत्तर प्रदेश के संभल के शाही जामा मस्जिद के पास एक नई पुलिस चौकी का निर्माण किया जा रहा है। इस निर्माण कार्य में शनिवार को महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और श्रमदान किया। बड़ी संख्या में निर्माण स्थल पर पहुंची महिलाओं ने अपने हाथों से फावड़ा चलाकर ईंटें उठाईं, कंक्रीट डाला और अन्य निर्माण कार्यों में मदद की। यहां तक कि बुजुर्ग महिलाएं श्रमदान में उत्साह के साथ शामिल हुईं।
इस अवसर पर समाज सेविका दीपा वार्ष्णेय ने कहा कि उन्हें बहुत खुशी हो रही है कि यहां पुलिस चौकी का निर्माण हो रहा है। उन्होंने बताया कि पुलिस चौकी बन जाने से महिलाओं को काफी सुरक्षा का अहसास होगा, जिससे उन्हें अपने इलाके में और बाहर कहीं भी आने-जाने में सुरक्षा की भावना मिलेगी।
श्रमदान करने वाली माधुरी गुप्ता ने बताया, “मैंने शुभ काम में अपना कदम आगे बढ़ाया और इस दिशा में मुझे आप लोगों का सहयोग प्राप्त हुआ। मैं समझती हूं कि यह सब आपके सहयोग के बिना संभव नहीं था। मेरे पास आप सभी के सहयोग के लिए कोई शब्द नहीं हैं। मैं जब भी किसी शुभ काम के लिए अपने कदम बढ़ाती हूं, तो नारे जरूर लगाती हूं।”
इस तरह, महिलाओं ने न सिर्फ इस निर्माण कार्य में अपनी मेहनत से योगदान दिया, बल्कि इस बात को लेकर भी खुशी जाहिर की कि पुलिस चौकी के बनने से इलाके में शांति और सुरक्षा की स्थिति बेहतर होगी। उन्होंने इस अवसर पर “जय श्री राम” के नारे भी लगाए, जो उनके उत्साह और समाज में एकता की भावना को दर्शाता है।
इस मौके पर पंडित शोभित शास्त्री ने विधिपूर्वक मंत्रोच्चारण किया और पूजा-अर्चना कराई। इसके बाद, अपर पुलिस अधीक्षक श्रीश चंद्र ने पुलिस चौकी के निर्माण के लिए नींव में ईंटें स्थापित कीं। उन्होंने बताया कि भूमि पूजन के साथ पुलिस चौकी की नींव रखी गई है और इसके निर्माण का काम लेआउट के अनुसार किया जाएगा।
पं. शोभित शास्त्री ने बताया कि इस शुभ अवसर पर वास्तु दोष से बचने के लिए वैदिक मंत्रों से पूजा की गई। इसके साथ ही, उन्होंने सुझाव दिया कि चौकी का नाम “सत्यव्रत नगर चौकी” रखा जाए, क्योंकि सत्यव्रत संभल का प्राचीन नाम है।
अपराध
मुंबई: नवाब मलिक को बड़ा झटका, कोर्ट ने डिस्चार्ज याचिका खारिज की, आज तय होंगे आरोप

मुंबई, 18 नवंबर: महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बड़ा झटका लगा है। पीएमएलए की एक विशेष अदालत ने मलिक और उनकी कंपनी की ओर से दायर डिस्चार्ज याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया है कि 18 नवंबर को आरोप तय करने की प्रक्रिया के दौरान सभी आरोपी कोर्ट में मौजूद रहें। इस फैसले के बाद नवाब मलिक को मंगलवार को कोर्ट में पेश होना है।
मलिक की कंपनी ‘मलिक इन्फ्रास्ट्रक्चर’ की ओर से डिस्चार्ज याचिका दायर की गई थी। कंपनी की ओर से कहा गया कि ईडी का पूरा मामला अंदाजों और अनुमान पर आधारित है, क्योंकि जिस समय कथित अवैध सौदा हुआ, उस समय कंपनी का अस्तित्व ही नहीं था।
कोर्ट ने कंपनी की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि मामले में पर्याप्त प्राथमिक सबूत मौजूद हैं। कोर्ट ने कहा कि शुरुआती जांच से यह स्पष्ट होता है कि नवाब मलिक ने डी-कंपनी से जुड़ी हसीना पारकर, सलीम पटेल और आरोपी सरदार खान के साथ मिलकर कुर्ला स्थित एक कीमती प्लॉट को अवैध रूप से कब्जे में लिया और फिर उसे मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए वैध बनाने की कोशिश की। इस प्लॉट में 16 करोड़ रुपए की अपराध से अर्जित धन शामिल बताया गया है।
पूर्व मंत्री ने कोर्ट से यह प्रक्रिया 6 हफ्ते तक टालने की गुहार लगाई थी। उनका कहना था कि बॉम्बे हाई कोर्ट में उनकी याचिका पर जल्द सुनवाई होनी है, इसलिए फैसला आने तक निचली अदालत को इंतजार करना चाहिए। उनके वकील तारक सैयद का दावा है कि ईडी ने कई ऐसे दस्तावेज कोर्ट में पेश नहीं किए हैं जो आरोपी के पक्ष में हैं। उनका कहना था कि यदि सभी दस्तावेज पेश किए जाएं तो आरोप तय करने की स्थिति ही नहीं बनती।
हालांकि, स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर सुनील गोंसाल्वेस ने कहा कि हाई कोर्ट ने इस मामले पर कोई स्टे नहीं दिया है, इसलिए निचली अदालत की सुनवाई रोकी नहीं जा सकती।
कोर्ट ने ईडी की दलीलें मानते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्देशों के अनुसार सांसदों और विधायकों से जुड़े मामलों का त्वरित निपटारा अनिवार्य है। ऐसे में कोर्ट स्वयं से मामला स्थगित नहीं कर सकती। इस आधार पर नवाब मलिक की मांग खारिज कर दी गई।
बता दें कि ईडी ने नवाब मलिक को फरवरी 2022 में गिरफ्तार किया था। आरोप है कि उन्होंने दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर की मदद से मुंबई के कुर्ला में लगभग तीन एकड़ की जमीन को गलत तरीके से कब्जे में लिया। इस सौदे में 16 करोड़ रुपए की अपराध से जुड़ी रकम शामिल होने का आरोप है। फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल का भी आरोप लगाया गया है।
इस मामले में मलिक के साथ दो कंपनियों को भी आरोपी बनाया गया है। मई 2022 से प्रक्रिया जारी है, लेकिन औपचारिक तौर पर आरोप तय नहीं हो पाए थे। अब अदालत के आदेश के बाद 18 नवंबर को सभी आरोपियों पर आरोप तय किए जाएंगे।
राजनीति
केरल सरकार ने एसआईआर को स्थगित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका, आईयूएमएल ने भी की मांग

SUPRIM COURT
तिरुवनंतपुरम, 18 नवंबर: केरल सरकार ने निर्वाचन आयोग के विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) प्रक्रिया के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राज्य सरकार ने याचिका में मांग की है कि स्थानीय निकाय चुनावों के समाप्त होने तक एसआईआर को स्थगित किया जाए।
राज्य सरकार के साथ ही, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर एसआईआर प्रक्रिया को तत्काल रोकने की मांग की है। दोनों याचिकाओं में मुख्य तर्क यही है कि एसआईआर और स्थानीय निकाय चुनावों का एक साथ होना प्रशासनिक रूप से असंभव है और इससे मतदाताओं के अधिकारों का हनन होगा।
केरल सरकार की याचिका आर्टिकल 32 के तहत दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि राज्य में 1,200 स्थानीय स्वशासन संस्थाएं (एलएसजीआई) हैं, जिनमें 941 ग्राम पंचायतें, 152 ब्लॉक पंचायत, 14 जिला पंचायत, 87 नगर पालिकाएं और 6 निगम शामिल हैं। इनके कुल 23,612 वार्डों के लिए चुनाव दो चरणों में 9 और 11 दिसंबर को होने हैं, जबकि गिनती 13 दिसंबर को होगी।
एसआईआर प्रक्रिया 4 नवंबर से शुरू हो चुकी है और ड्राफ्ट मतदाता सूची 4 दिसंबर को प्रकाशित होनी है। याचिका में तर्क दिया गया कि इन चुनावों के लिए 1,76,000 कर्मियों और 68,000 सुरक्षा बलों की जरूरत है, जबकि एसआईआर के लिए अतिरिक्त 25,668 कर्मी चाहिए। इससे प्रशासनिक मशीनरी पर भारी दबाव पड़ेगा और सामान्य शासन व्यवस्था ठप हो जाएगी।
सरकार ने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 243-ई और 243-यू तथा केरल पंचायत राज अधिनियम की धारा 38 और नगर निगम अधिनियम की धारा 94 के तहत स्थानीय निकाय चुनाव पिछले परिषदों की पहली बैठक के पांच वर्ष के भीतर अनिवार्य हैं। वहीं, एसआईआर के लिए कोई ऐसा संवैधानिक बाध्यकारी प्रावधान नहीं है।
याचिका में निर्वाचन आयोग से अपील की गई है कि चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक एसआईआर को स्थगित किया जाए, क्योंकि इससे किसी को कोई नुकसान नहीं होगा। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह SIR की वैधता पर बाद में सवाल उठा सकती है, लेकिन फिलहाल केवल स्थगन की मांग कर रही है।
राष्ट्रीय समाचार
मुंबई एयरपोर्ट पर मल्टी-एजेंसी रेडियोलॉजिकल इमरजेंसी मॉक ड्रिल, कई एजेंसियों ने लिया हिस्सा

मुंबई, 18 नवंबर: मुंबई एयरपोर्ट पर मंगलवार को एक बड़ी रेडियोलॉजिकल इमरजेंसी मॉक ड्रिल (आरईएमई) का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। यह अभ्यास एयरपोर्ट के डिपार्चर गेट पर आयोजित किया गया, जिसमें कई महत्वपूर्ण एजेंसियों ने सक्रिय रूप से हिस्सा लेकर आपातकालीन स्थितियों से निपटने की संयुक्त क्षमता का प्रदर्शन किया।
इस मॉक ड्रिल में एनडीआरएफ, एमआईएएल, बीएआरसी, बीएमसी फायर, एआरएफएफ फायर यूनिट, मेडिकल टीम, इमिग्रेशन विभाग, बीसीएएस और एयरलाइन स्टाफ शामिल रहे। सभी टीमों ने मिलकर एक समन्वित प्रतिक्रिया प्रणाली का अभ्यास किया, जिसके माध्यम से यह परखा गया कि रेडियोलॉजिकल खतरे की स्थिति में वे कितनी जल्दी, सटीकता और प्रभावी ढंग से कार्रवाई कर सकती हैं।
एयरपोर्ट जैसे हाई-फुटफॉल वाले संवेदनशील क्षेत्र में इस तरह के मॉक अभ्यास अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इन ड्रिल्स से न केवल संयुक्त एजेंसियों की तैयारी और तत्परता को मजबूत किया जाता है, बल्कि आपदा की स्थिति में तेज निर्णय लेने, जोखिम नियंत्रण और जन सुरक्षा सुनिश्चित करने की क्षमता में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी होती है।
सीआईएसएफ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस अभियान की जानकारी देते हुए लिखा, “मुंबई हवाई अड्डे पर बहु-एजेंसी रेडियोलॉजिकल आपातकालीन मॉक ड्रिल का आयोजन हुआ। मुंबई हवाई अड्डे के प्रस्थान द्वार पर एक एक आरईएमई आयोजित की गई, जिसमें एनडीआरएफ, एमआईएएल, बीएआरसी, बीएमसी फायर, एआरएफएफ फायर, चिकित्सा दल, इमिग्रेशन विभाग, बीसीएएस और एयरलाइन कर्मचारियों की सक्रिय भागीदारी रही। इसका उद्देश्य रेडियोलॉजिकल आपात स्थितियों के दौरान संयुक्त प्रतिक्रिया क्षमता और निर्बाध अंतर-संचालन को मजबूत करना था।”
सीआईएसएफ ने आगे कहा कि इस तरह की मॉक ड्रिल, उच्च-आवागमन वाले विमानन वातावरण में स्थितिजन्य तत्परता, त्वरित निर्णय लेने और रेडियोलॉजिकल आपात स्थितियों के प्रभावी प्रबंधन को बढ़ाने के लिए आवश्यक हैं।
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