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ईयर एंडर 2024 : संघर्षों में उलझते देश, भविष्य के लिए मुश्किल संकेत

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नई दिल्ली, 17 दिसंबर। साल 2024 में विश्व शांति के लिहाज से निराशाजनक रहा। ऐसी घटनाएं हुईं जिसके बाद जानकार यह आशंका जताने लगे कि क्या दुनिया अगले कुछ वर्षों में एक बड़े युद्ध का सामना करने जा रही है। आखिर वो कौन सी घटनाएं इस साल घटीं जो निकट भविष्य में एक बड़े संकट की तरफ इशारा कर रही हैं।

रूस-यूक्रेन युद्, इजरायल-हमास संघर्ष: रूस और यूक्रेन युद्ध 2024 में भी जारी रहा। अमेरिका और उसके सहयोगी जहां यूक्रेन के साथ डटकर खड़े रहे वहीं रूस भी पीछे हटने को तैयार नही है। साल के आखिर में दो ऐसी घटनाएं हुईं जिन्होंने ये संकेत दिया कि निकट भविष्य में शांति कायम होने की उम्मीद बहुत कम है।

पिछले दिनों वाशिंगटन ने यूक्रेन को रूस के भीतर लंबी दूरी की अमेरिकी मिसाइलों के इस्तेमाल की अनुमति दे दी। इसके अमेरिका ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए यूक्रेन को एंटी-पर्सनल लैंडमाइंस भेजने का फैसला किया है। इसकी प्रतिक्रिया में रूस ने अपनी परमाणु नीति में संशोधन कर दिया। इसमें नई शर्तें तय की गई हैं कि कब परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया जा सकता है। रूस के इस कदम को भी यूक्रेन युद्ध से जोड़कर देखा गया है।

इजरायल-हमास संघर्ष : 7 अक्टूबर 2023 इजरायल में हमास के बड़े हमले के जवाब में यहूदी राष्ट्र ने फिलिस्तीनी ग्रुप के कब्जे वाली गाजा पट्टी में सैन्य अभियान शुरू किया था। हमास के हमले में करीब 1200 लोग मारे गए थे जबकि 250 से अधिक लोगों को बंधक बनाया गया था। 2024 में गाजा युद्ध अपने सबसे क्रूर और भीषणतम चरण में प्रवेश कर गया। हमास को तबाह करने पर उतारू इजरायल ने गाजा पट्टी को खंडहर में तब्दील कर दिया। तमाम अतंरराष्ट्रीय आलोचना के बावजूद इजरायल के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया। युद्ध के दौरान अमेरिका उसके साथ चट्टान के साथ खड़ा रहा है। लिहाज कोई भी इंटरनेशनल प्रेशर यहूदी राष्ट्र को परेशान नहीं कर पाया।

इजरायल-हिजबुल्लाह : गाजा युद्ध ने इजरायल-हिजबुल्लाह तनाव को भी चरम पर पहुंचा दिया। इजरायली सेना ने 23 सितंबर से लेबनानी ग्रुप पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले शुरू कर दिए। उसने सीमा पार एक ‘सीमित’ जमीनी अभियान भी चलाया, जिसका उद्देश्य कथित तौर पर हिजबुल्लाह को कमजोर करना बताया गया। इजरायली हमलों में हिजबुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह समेत कई कमांडरों की मौत हो गई और उसके कई ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचा। लंबे खूनी संघर्ष के बाद इजरायल और लेबनान की बीच एक समझौता हो गया। लेकिन विश्लेषकों ने इस बेहद ‘कमजोर सुलह’ बताया। समझौते के बाद भी इजरायल के हमले जारी रहे।

सीरिया; 13 साल से गृहयुद्ध में उलझा यह देश पिछले कुछ वर्षों में अपेक्षकृत शांत रहा लेकिन 2024 में हालात बदल गए। विद्रोही गुटों ने नंवबर में सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल सद के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन शुरू कर दिया। लंब समय से विद्रोहियों का सफलतापूर्व मुकाबला करने वाले असद इस बार अपनी सत्ता नहीं बचा पाए। 8 दिसंबर को उन्हें सत्ता छोड़कर भागना पड़ा। फिलहाल सीरिया का भविष्य अधर में है। विश्लेषक मानते हैं कि सीरिया के लिए आने वाला समय बेहद कठिन है, यह भी कहना मुश्किल है कि क्या सीरिया एक रह पाएगा।

इजरायल-ईरान संघर्ष : 2024 में पहली बार ईरान और इजरायल में सीधा सैनिक टकराव देखने को मिला। गाजा में इजरायली सैन्य कार्रवाई का ईरान तीखा विरोध कर रहा था। वह हिजबुल्लाह का भी समर्थक है ऐसे में उसके सीधे इजरायल के साथ टकराव की स्थिति बनने लगी।

1 अप्रैल को, इजरायल ने सीरिया के दमिश्क में एक ईरानी वाणिज्य दूतावास परिसर पर बमबारी की, जिसमें कई वरिष्ठ ईरानी अधिकारी मारे गए। जवाब में, ईरान और उसके प्रतिरोध सहयोगियों की धुरी ने इजरायल से जुड़े जहाज एमएससी एरीज को जब्त कर लिया। तेहरान और उसके सहयोगियों ने 13 अप्रैल को इजरायल के अंदर मिसाइल और ड्रोन हमले किए। इसके बाद इजरायल ने 19 अप्रैल को ईरान और सीरिया में जवाबी हमले किए।

31 जुलाई को तेहरान में हमास के राजनीतिक नेता इस्माइल हानिया की हत्या के बाद तनाव बढ़ गया। ईरान और हिजबुल्लाह ने इजरायल पर हत्या का आरोप लगाया। अक्टूबर 2024 में ईरान ने यहूदी राष्ट्र पर मिसाइलें दागी। इसके बाद इजरायल ने 25 अक्टूबर को ईरान के खिलाफ और जवाबी हमले किए।

सूडान : सूडान 15 अप्रैल 2023 से गृहयुद्ध में जारी हैं। अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (आरएसएफ) और सूडानी सशस्त्र बल (एसएएफ) खूनी संघर्ष में उलझे हैं। अंतरराष्ट्रीय संगठनों के अनुमानों के अनुसार, सूडान में चल रहे युद्ध में 27,120 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और 14 मिलियन से अधिक लोग देश के भीतर या विदेश में विस्थापित हुए हैं।

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ट्रेड डील के बाद अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच अच्छे संबंध: ट्रंप

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TRUMP

वाशिंगटन, 2 अगस्त। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच रिश्ते बेहद अच्छे हो गए हैं। अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच हुए नए व्यापार समझौते के बीच ट्रंप का ये बयान सामने आया है। यह समझौता कई महीनों से चल रही टैरिफ वार्ताओं के बाद हुआ है।

राष्ट्रपति ट्रंप ने यह टिप्पणी एक पत्रकार के सवाल के जवाब में की। पत्रकार ने उनसे दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्‍युंग के साथ होने वाली बैठक के बारे में पूछा था। ट्रंप ने कहा कि यह बैठक दो हफ्तों के भीतर व्हाइट हाउस में होगी।

मिडिया के मुताबिक, ट्रंप ने कहा, “हमारा दक्षिण कोरिया के साथ बहुत अच्छा रिश्ता है।”

बुधवार को ट्रंप ने इस व्यापार समझौते की घोषणा की। इसके तहत अमेरिका ने कोरिया पर लगाए जाने वाले “रेसिप्रोकल टैरिफ” को 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया है। इसके बदले में दक्षिण कोरिया ने अमेरिका में निवेश करने और कुछ अन्य वादे किए हैं।

ट्रंप ने यह भी दोहराया कि दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति दो हफ्तों के अंदर व्हाइट हाउस आएंगे। दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री चो ह्यून ने भी कहा कि इस बैठक के लिए तारीख तय करने पर बातचीत चल रही है।

इस बीच, दक्षिण कोरियाई सरकार ने साफ किया है कि इस व्यापार समझौते में ‘राइस मार्केट’ को लेकर कोई नया प्रावधान नहीं है। वित्त, उद्योग और कृषि मंत्रालयों ने प्रेस रिलीज में कहा, “कोरिया-अमेरिका व्यापार समझौता चावल से जुड़ा नहीं है।”

गुरुवार को हुए इस समझौते के अनुसार, अमेरिका ने दक्षिण कोरिया के लिए शुल्क दर 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दी है। इसके बदले में दक्षिण कोरिया ने वादा किया है कि वह आने वाले चार वर्षों में अमेरिका में 350 अरब डॉलर का निवेश करेगा और 100 अरब डॉलर के अमेरिकी ऊर्जा उत्पाद (जैसे एलएनजी) खरीदेगा।

सूत्रों के अनुसार, अमेरिका ने दक्षिण कोरिया पर यह दबाव डाला था कि वह अपने चावल और बीफ बाजार के द्वार उनके लिए खोले, खासकर 30 महीने से अधिक उम्र की गायों से बने अमेरिकी बीफ उत्पादों पर लगे प्रतिबंध को हटाने की बात की गई थी।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ को बढ़ावा देने के लिए नौ देशों में चार प्रोजेक्ट्स शुरू

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नई दिल्ली, 2 अगस्त। ‘साउथ-साउथ कोऑपरेशन’ यानी दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए भारत और संयुक्त राष्ट्र ने नौ साझेदार देशों में चार कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स के पहले चरण की शुरुआत की है। यह पहल ‘इंडिया-यूएन ग्लोबल कैपेसिटी बिल्डिंग इनिशिएटिव’ के तहत शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजीएस) को हासिल करने में देशों की मदद करना है।

इस पहल का शुभारंभ शुक्रवार को विदेश मंत्रालय (एमईए) के सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने किया।

इन नौ सहयोगी देशों में जाम्बिया, लाओस, नेपाल, बारबाडोस, बेलीज, सेंट किट्स एंड नेविस, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो और दक्षिण सूडान शामिल हैं।

इस कार्यक्रम में विभिन्न देशों के मिशनों के प्रमुख, संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प, राजनयिक, भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (आईटीईसी) की कार्यान्वयन संस्थाओं के अधिकारी, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां और अन्य साझेदार संगठनों ने भी हिस्सा लिया।

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ‘एक्स’ पर लिखा, “एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ को बढ़ावा! ‘इंडिया-यूएन ग्लोबल कैपेसिटी बिल्डिंग इनिशिएटिव’ के तहत नौ साझेदार देशों में चार परियोजनाओं के पहले चरण की सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने शुरुआत की। मिशनों के प्रमुख, यूएन रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प, राजनयिक, आईटीईसी संस्थाओं के अधिकारी, यूएन एजेंसियां और अन्य साझेदार संगठन कार्यक्रम में शामिल हुए। ये परियोजनाएं खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, व्यावसायिक प्रशिक्षण और जनगणना की तैयारियों पर केंद्रित हैं।”

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तन्मय लाल ने कहा कि “एसडीजी-17 और प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भावना में, वैश्विक क्षमता निर्माण के लिए यह नई भारत-संयुक्त राष्ट्र पहल और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। इसका उद्देश्य एसडीजी से संबंधित प्रमुख क्षेत्रों में अनुभव साझा करना और वैश्विक दक्षिण साझेदारों को सशक्त बनाना है।”

‘इंडिया-यूएन ग्लोबल कैपेसिटी बिल्डिंग इनिशिएटिव’ के तहत, संयुक्त राष्ट्र अपनी वैश्विक पहुंच का उपयोग करते हुए भारत की श्रेष्ठ कार्यप्रणालियों और संस्थानों को अन्य देशों से जोड़ने में मदद करेगा, ताकि सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजीएस) को हासिल करने की गति तेज की जा सके। इस पहल में स्किल्स ट्रेनिंग, नॉलेज एक्सचेंज, और साझेदार देशों में पायलट प्रोजेक्ट्स जैसी कई गतिविधियां शामिल हैं, जिन्हें नए ‘यूएन इंडिया एसडीजी कंट्री फंड’ और आईटीईसी कार्यक्रम के जरिए लागू किया जाएगा।

यूएन रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प ने कहा, “वसुधैव कुटुम्बकम (दुनिया एक परिवार है) की भावना के तहत, भारत एसडीजी को गति देने के लिए ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ में अपनी लंबे समय से चली आ रही नेतृत्वकारी भूमिका को विस्तार दे रहा है, जिसमें भारतीय संस्थानों और यूएन प्रणाली की नवाचार और साझेदारी क्षमता का भरपूर उपयोग किया जा रहा है।”

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

ईरान और भारत जैसे देशों पर अपनी इच्छा थोपने की कोशिश कर रहा अमेरिका: तेहरान

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तेहरान, 31 जुलाई। ईरान ने गुरुवार को अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह अर्थव्यवस्था का ‘हथियारकरण’ कर रहा है और प्रतिबंधों का इस्तेमाल स्वतंत्र देशों जैसे ईरान और भारत पर अपनी इच्छा थोपने तथा उनके विकास में बाधा डालने के लिए कर रहा है।

भारत में ईरान के दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा, “अमेरिका लगातार अर्थव्यवस्था को हथियार बना रहा है और प्रतिबंधों का उपयोग स्वतंत्र राष्ट्रों जैसे ईरान और भारत पर अपनी इच्छा थोपने और उनके विकास को रोकने के लिए कर रहा है। ये भेदभावपूर्ण और जबरदस्ती भरे कदम अंतरराष्ट्रीय कानून और राष्ट्रीय संप्रभुता के सिद्धांतों का उल्लंघन हैं और आर्थिक साम्राज्यवाद का आधुनिक रूप हैं।”

पोस्ट में आगे कहा गया, “ऐसी नीतियों का विरोध एक अधिक शक्तिशाली, उभरते हुए, गैर-पश्चिमी बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था और एक मजबूत वैश्विक दक्षिण की ओर उठाया गया कदम है।”

ईरान की यह प्रतिक्रिया अमेरिका के उस ऐलान के 24 घंटे के भीतर आई है, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1 अगस्त से भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने और रूस से तेल खरीदने के लिए पेनल्टी लगाने की बात कही थी।

इस बीच, ईरान के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को ईरान के तेल व्यापार पर लगाए गए नए अमेरिकी प्रतिबंधों को एक “दुष्प्रवृत्त कृत्य” करार दिया और कहा कि इसका मकसद देश के आर्थिक विकास और उसके नागरिकों की भलाई को नुकसान पहुंचाना है।

ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बकाई ने ईरान के तेल और ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी संस्थाओं, व्यक्तियों और जहाजों पर अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की कड़ी निंदा करते हुए इन्हें “दमनकारी प्रतिबंध” बताया और कहा कि ये अमेरिकी नीति निर्माताओं की ईरानी जनता के प्रति शत्रुता का स्पष्ट प्रमाण हैं।

तेहरान में मीडिया को संबोधित करते हुए बकाई ने कहा, “ये एकतरफा और अवैध प्रतिबंध अपराध की श्रेणी में आते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं और मानवता के खिलाफ अपराध हैं।”

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