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Thursday,26-June-2025
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आजाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर आजाद ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला! अपनी पार्टी से जीतकर आया हूं, किसी की दया पर नहीं आया

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लखनऊः उत्तर प्रदेश के नगीना से आजाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर आजाद ने शनिवार को लोकसभा में संविधान पर हो रही चर्चा में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा और कहा कि सरकार आलोचना करने वालों को जेल में डालती है। आजम खान को राजनैतिक विरोध के कारण जेल में रखा गया है।

उन्होंने बोलने की अवधि को लेकर सभापति से भी बहस की और कहा कि क्या यहां भी दलितों को बोलने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मैं अपनी पार्टी से चुनाव जीतकर सदन में आया हूं और किसी की दया पर नहीं आया।

दरअसल, सभी दलीय स्वतंत्र सांसदों को सभापति ने बोलने के लिए 4 मिनट का समय दिया था। अपनी पार्टी के अकेले सांसद चंद्रशेखर आजाद को भी चार मिनट होने पर सभापति ने भाषण समाप्त करने को कहा। इस पर आजाद नाराज हो गए। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि सर दलितों को क्या यहां भी बोलने नहीं दिया जाएगा? सबको चार मिनट दे रहे हो तो हमें भी दे दो। ये भेदभाव नहीं चलेगा दलितों के साथ।

‘किसी की दया पर नहीं आया’

आजाद ने आगे कहा, ‘हमें सबसे आखिरी में नंबर मिलेगा और बोलने का मौका नहीं मिलेगा। क्या मजाक कर रहे हैं सर आप?’ इस पर सभापति ने कहा कि सभी इंडिपेंडेंट सांसदों को 4 मिनट दिए जा रहे हैं। जवाब में आजाद ने गुस्से में कहा, ‘मैं अपनी पार्टी का मेंबर हूं सर और जीतकर आया हूं। किसी की दया पर नहीं आया।’ हालांकि, इसके बाद सभापति ने उन्हें एक और मिनट बोलने का समय दे दिया।

‘भारत कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे’

संविधान पर बोलते हुए आजाद ने कहा, ‘आज हम संविधान की गौरवशाली यात्रा पर चर्चा कर रहे हैं। कल से ही ये चर्चा चल रही है। मैंने दोनों पक्षों को सुना। बड़े-बड़े नेता बोले। संविधान के भाग-वन में लिखा है, इंडिया दैट इज भारत। हिंदुस्तान नहीं लिखा है सर लेकिन सारे नेता संविधान पर चर्चा कर रहे हैं लेकिन हिंदुस्तानी कहकर भारत कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। ये बड़ा सवाल है सर कि क्या संविधान के हिसाब से बात रखी जा रही है।

आजाद ने कहा, ’25 नवंबर 1949 को संविधान देश को सौंपते हुए बाबा साहेब ने कहा था कि 26 जनवरी 1950 को हम विरोधाभास भरे जीवन में प्रवेश करने जा रहे हैं। राजनीतिक जीवन में तो हमारे पास समानता होगी लेकिन सामाजिक और आर्थिक जीवन में असमानता होगी। क्या ये चुनौती आज 75 साल बाद दूर हुई है?

भारत ने 26 जवरी 1950 को खुद को एक संप्रभु लोकतांत्रिक राज्य होने का ऐलान किया लेकिन उस समय संविधान की स्थिति ये थी कि जैसे गांव का एक आदमी 50 साल पहले शहर में आ जाता और बड़े लोगों की महफिल में चला जाता, जहां वो लोग खाना खा रहे हों और वो केवल नमकीन खाकर कहता है कि ये तो फीका है। क्योंकि वो समझता नहीं था कि ये संविधान है क्या?

आजाद ने कहा, संविधान उसके लिए महज एक दस्तावेज था। ये जिम्मेदारी थी राजनैतिक दलों पर कि वो संविधान को व्यवहार में लेकर आते। इसके इतने सारे आर्टिकल हैं। अगर इनको व्यवहार में लाया जाता तो आज देश बहुत बदल गया होता।

उन्होंने कहा कि बाबा साहेब ने कहा था कि लोकतंत्र भारत भूमि का केवल ऊपरी पोशाक है। उसके अनुसार यहां की संस्कृति अनिवार्य तौर पर अलोकतांत्रिक है। भारत जैसे गरीब और गैर बराबरी वाले देश में संविधान के जरिए छुआछूत खत्म करना वंचितों के लिए सकारात्मक उपाय करना, सभी वयस्कों के लिए मतदान का अधिकार देना और सबके लिए समान अधिकार देना यह बहुत बड़ी उपलब्धि थी।

संविधान नहीं होता तो

उन्होंने कहा कि अगर संविधान नहीं होता तो शायद अमीर और राजा-महराजा खुद को मानने वाले लोग हमारी गलियों तक नहीं आ पाते। हमारे हाल नहीं जान पाते। आजाद ने कहाकि संविधान ने सुनिश्चित किया कि रानी के पेट से राजा जन्म नहीं लेगा बल्कि वोट से नेता तैयार होगा। आर्थिक बराबरी के विषय पर सरकार क्या कर रही है, गरीब और गरीब हो रहा है, अमीर और अमीर हो रहा है। सुबह उठते ही बम की धमकी मिलती है। ये अमृतकाल है या धमकी काल है?

आजाद ने कहा, आज भी भारत में दलितों को घोड़ी चढ़ने नहीं दिया जाता। मूंछें रखने पर हत्या होती है। मासूम बच्चियों का रेप और हिंसा होती है। एनसीआरबी का डेटा देखकर डर लगेगा। यहीं एक किमी पर संविधान को जलाया गया। आर्टिकल 25 में सभी को धार्मिक आजादी है। कहां है दलितों, मुसलमों, इसाइयों की धार्मिक आजादी। संभल अजमेर और अयोध्या इसके उदाहरण हैं।

भाजपा सरकार पर हमला

भाजपा पर हमला करते हुए आजाद ने कहा कि सरकार आलोचना से डरती है। कितने लोग आज जेल में हैं, आजम खान साहब राजनीतिक विरोध पर जेल में बंद हैं। सरकार यहां बैठी है। सरकार सामाजिक न्याय की बात करती है। सरकार बताए कितने दलित सीएम बना रखे हैं। 13 राज्यों में आपकी सरकार है। कितने महिला मुख्यमंत्री हैं। आपकी सरकार ने एससी के आदेश के बाद भी रिजर्वेशन जारी नहीं किया और ओबीसी को पॉलिटिकल रिजर्वेशन आप देंगे कि नहीं देंगे आप बताएं?

राजनीति

सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती शिबू सोरेन की हालत स्थिर, राष्ट्रपति ने की मुलाकात

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रांची, 26 जून। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को नई दिल्ली में सर गंगा राम हॉस्पिटल पहुंचकर इलाजरत झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक संरक्षक और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन से मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली।

उन्होंने शिबू सोरेन के बड़े पुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और परिवार के अन्य सदस्यों से भी मुलाकात की और उनके इलाज के संबंध में बातचीत की।

राष्ट्रपति के आधिकारिक “एक्स” हैंडल पर इसकी जानकारी दी गई है। राष्ट्रपति के साथ अस्पताल में हेमंत सोरेन से बातचीत की तस्वीर भी साझा की गई है।

एक्स हैंडल पर लिखा गया है, “भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सर गंगाराम अस्पताल में इलाजरत झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन से मुलाकात की। उन्होंने शिबू सोरेन के पुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली।”

लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे 81 वर्षीय शिबू सोरेन को कुछ दिन पहले नई दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में दाखिल कराया गया है। बताया गया है कि उनकी हालत स्थिर है। उनके पुत्र झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी दो दिन पूर्व दिल्ली पहुंचे। शिबू सोरेन की बहू विधायक कल्पना सोरेन, उनके छोटे पुत्र विधायक बसंत सोरेन सहित परिवार के कई लोग दिल्ली में मौजूद हैं।

बुधवार की रात झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने भी अस्पताल में शिबू सोरेन से मुलाकात की थी और मौके पर उपस्थित चिकित्सकों से उनके उपचार की प्रगति के संबंध में चर्चा की थी।

राज्यपाल ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है। शिबू सोरेन झारखंड अलग राज्य के आंदोलन के प्रमुख नेता रहे हैं। झारखंड के आदिवासी समाज ने दशकों पहले उन्हें ‘दिशोम गुरु’ (देश का गुरु) का दर्जा दिया था। वह आम लोगों के बीच ‘गुरुजी’ के रूप में जाने जाते हैं। सोरेन केंद्र की सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं।

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महाराष्ट्र

महाराष्ट्र विधानमंडल का मानसून सत्र 30 जून से 18 जुलाई के बीच मुंबई में आयोजित किया जाएगा

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मुंबई, 26 जून, 2025 — महाराष्ट्र विधान सभा और विधान परिषद का आगामी मानसून सत्र 30 जून से 18 जुलाई तक मुंबई के विधान भवन में आयोजित किया जाएगा, इसकी घोषणा विधान मंडल कार्य सलाहकार समिति की बैठक में की गई है।

इस सत्र में विभिन्न राज्य मुद्दों, विधायी संशोधनों और सरकारी नीतियों पर महत्वपूर्ण चर्चा होने की उम्मीद है। नेताओं और सदस्यों ने जनता की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए विकास योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए इस सत्र में सक्रिय भागीदारी की झलक दी है।

इस घोषणा का राजनीतिक दलों ने स्वागत किया है, और आशा व्यक्त की जा रही है कि इस दौरान संवादपूर्ण बहस और निर्णय लिए जाएंगे। समिति ने इस बात पर जोर दिया कि यह सत्र सुचारू कार्य संचालन और विधायी विमर्श के लिए महत्वपूर्ण है।

अधिकारियों ने आगामी सत्र के एजेंडा और कार्यक्रम के बारे में जानकारी जल्द ही साझा करने का आश्वासन दिया है, और सभी सदस्यों से आग्रह किया है कि वे संसदीय नियमों का पालन करते हुए सहयोगपूर्ण माहौल बनाए रखें।

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महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मुंबई में मस्जिद लाउडस्पीकर विवाद को लेकर मुस्लिम नेताओं और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की

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मुंबई: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार ने बुधवार को मुंबई में मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने पर बढ़ती चिंताओं को दूर करने के लिए सह्याद्री गेस्ट हाउस में एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में राज्य की पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला, मुंबई पुलिस आयुक्त देवेन भारती और कई प्रमुख मुस्लिम नेता और विधायक शामिल हुए, जिनमें नवाब मलिक, जीशान सिद्दीकी, अबू आज़मी, वारिस पठान, सना मलिक, जलाल उद्दीन और सिद्धार्थ कांबले शामिल थे।

प्रतिनिधिमंडल ने इस बात पर चिंता जताई कि पुलिस ने मस्जिदों के लाउडस्पीकर हटाने में लापरवाही बरती है, जो कथित तौर पर एक पूर्व भाजपा सांसद द्वारा शुरू किए गए अभियान के दबाव में किया गया है। नेताओं ने तर्क दिया कि अज़ान का मुद्दा नया नहीं है और पीढ़ियों से शांतिपूर्ण तरीके से चला आ रहा है। बैठक के बाद समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अबू आज़मी ने कहा, “किसी सोमैया ने मुंबई में दबाव बनाया है। एक व्यक्ति की वजह से मुसलमानों को परेशान किया जा रहा है।” उन्होंने कहा, “सभी पक्षों की बात सुनी गई और कमिश्नर और डीजीपी दोनों मौजूद थे।”

एआईएमआईएम नेता वारिस पठान ने भी यही बात दोहराते हुए कहा कि प्रतिनिधिमंडल में मुस्लिम विधायक, सामाजिक कार्यकर्ता और समुदाय के प्रतिनिधि शामिल थे। पठान ने कहा, “हमने पुलिस द्वारा मस्जिदों से जबरन लाउडस्पीकर हटाने और बिना उचित प्रक्रिया के नोटिस जारी करने का मुद्दा उठाया। इससे शहर में अनावश्यक तनाव पैदा हो रहा है।”

दक्षिण मुंबई के मुस्लिम संगठनों ने पहले पवार से मुलाकात की थी और अपनी चिंताएं बताई थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस मस्जिद समितियों को परेशान कर रही है, जबकि वे उच्च न्यायालय द्वारा तय किए गए 45 से 56 डेसिबल के बीच स्वीकार्य ध्वनि स्तर का पालन कर रहे हैं। संगठनों ने कहा, “लाउडस्पीकरों को पूरी तरह हटाने का कोई अदालती आदेश नहीं है।” उल्लंघन साबित होने पर ही कार्रवाई की जानी चाहिए, जैसे नोटिस जारी करना या लाइसेंस रद्द करना। लेकिन इसके बजाय, पुलिस उचित सत्यापन के बिना सिस्टम को खत्म कर रही है, संगठनों ने मांग की।

कहा जाता है कि यह विवाद गोवंडी जैसे इलाकों में भाजपा नेता के दौरे के बाद और गहरा गया, जहां उन्होंने कथित तौर पर स्थानीय पुलिस पर लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने वाली मस्जिदों के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बनाया। मुस्लिम नेताओं ने सांप्रदायिक विद्वेष को रोकने के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी समाधान की मांग की है और सरकार से राजनीतिक दबाव के बजाय कानूनी मापदंडों के आधार पर कानून प्रवर्तन को स्पष्ट निर्देश जारी करने का आग्रह किया है।

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