अंतरराष्ट्रीय समाचार
‘अमेरिकी धरती पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ रही है?’: डलास में कांग्रेसियों द्वारा पत्रकार पर कथित हमले के बाद गुस्से में दिख रहे पीएम मोदी ने राहुल गांधी पर निशाना साधा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संयुक्त राज्य अमेरिका में एक भारतीय पत्रकार के साथ कथित दुर्व्यवहार के लिए कांग्रेस पार्टी की आलोचना की और उन पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संविधान पर उनके रुख के संबंध में पाखंड का आरोप लगाया।
इस घटना में इंडिया टुडे टीवी के पत्रकार रोहित शर्मा शामिल थे, जिन्होंने दावा किया था कि डलास में एक साक्षात्कार के दौरान राहुल गांधी की टीम के सदस्यों ने उन पर हमला किया था।
जम्मू-कश्मीर के डोडा में एक रैली में बोलते हुए, पीएम मोदी ने इस मुद्दे को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के “मोहब्बत की दुकान” अभियान से जोड़ते हुए संबोधित किया, जिसका उद्देश्य “शांति और एकता” के संदेश को बढ़ावा देना है।
“वे मोहब्बत की दुकान चलाने का दावा करते हैं, लेकिन हमारे देश के एक पत्रकार के साथ अमेरिका में कांग्रेस ने क्रूरता की। भारत के एक बेटे का विदेश में अपमान किया गया। जो लोग बोलने की आजादी का समर्थन करने का दावा करते हैं, वे अब क्रूरता में लिप्त हैं।” मोदी गुस्से में दिख रहे हैं।
पीएम मोदी ने आगे इस बात पर चिंता व्यक्त की कि इस घटना ने विश्व स्तर पर भारत की छवि को कैसे प्रभावित किया, उन्होंने कहा, “जिस तरह से इस पत्रकार के साथ व्यवहार किया गया, उससे विदेशी धरती पर भारत की प्रतिष्ठा कम हुई है। मीडिया लोकतंत्र का एक प्रमुख स्तंभ है। क्या कांग्रेस इस तरह से भारत की प्रतिष्ठा को ऊपर उठाना चाहती है।” ।” विदेश में – एक पत्रकार पर हमला करके?”
पत्रकार रोहित शर्मा ने अपनी आपबीती विस्तार से बताते हुए कहा कि यह टकराव इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा के साथ एक साक्षात्कार के दौरान हुआ था।
कथित तौर पर तनाव तब पैदा हुआ जब शर्मा ने पित्रोदा से बांग्लादेश में हिंदुओं के उत्पीड़न के संबंध में एक सवाल पूछा, जिसे गांधी की टीम ने विवादास्पद माना।
साक्षात्कार अचानक रोक दिया गया और शर्मा ने दावा किया कि वह कांग्रेस कार्यकर्ताओं के एक समूह से घिरे हुए थे जिन्होंने साक्षात्कार को हटाने की मांग की।
शर्मा ने बताया कि करीब 30 मिनट तक उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया और इस दौरान उनका फोन जबरन छीन लिया गया। हालाँकि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनके फोन से वीडियो हटा दिया, लेकिन वे जानते थे कि “हाल ही में हटाए गए” फ़ोल्डर तक कैसे पहुंचा जाए और उन्होंने पत्रकार की सहमति के बिना फुटेज को स्थायी रूप से मिटाने के लिए उसके फेस आईडी का इस्तेमाल किया।
घटना के जवाब में सैम पित्रोदा ने इंडिया टुडे टीवी पर बात करते हुए असहमति जताई और घटना की जांच कराने का वादा किया। पित्रोदा ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा, “मैं किसी के साथ दुर्व्यवहार को स्वीकार नहीं करता हूं और मैं निश्चित रूप से पत्रकारों और स्वतंत्र प्रेस का सम्मान करता हूं। जो हुआ मैं उस पर गौर करूंगा और स्थिति का समाधान करूंगा।”
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थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर हमले जारी, दोनों पक्षों को भारी नुकसान

बैंकॉक, 25 जुलाई। थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। सीमा के कई इलाकों में लगातार झड़पें जारी हैं। रिपोर्टों के अनुसार, कंबोडियाई सेना ने भारी हथियारों, फील्ड आर्टिलरी और बीएम-21 रॉकेट सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए लगातार बमबारी की।
थाई सेना ने सामरिक स्थिति के अनुसार जवाबी कार्रवाई की और स्थानीय नागरिकों को झड़प वाले क्षेत्रों में न जाने की चेतावनी जारी की। नेशनल ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज ऑफ थाईलैंड ने सुरिन प्रांत के एक स्थानीय अधिकारी के हवाले से बताया कि शुक्रवार सुबह फिर से सीमा के पास तोपों की आवाजें सुनी गईं।
थाई स्वास्थ्य मंत्रालय के उप प्रवक्ता के अनुसार, गुरुवार रात 9 बजे तक थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर हुई सैन्य झड़पों में 14 थाई नागरिकों की मौत हो चुकी है, जबकि 46 अन्य घायल हुए हैं।
वहीं, कंबोडिया के ओडर मीनचे प्रांत के डिप्टी गवर्नर मेट मियास फेकदी ने शिन्हुआ को बताया कि गुरुवार को थाई गोलाबारी में एक कंबोडियाई नागरिक की मौत हो गई और 5 अन्य घायल हुए हैं।
उन्होंने कहा, “सीमा के पास रहने वाले 2,900 से अधिक परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। शुक्रवार सुबह तक भी लड़ाई जारी है।”
कंबोडियाई रक्षा मंत्रालय की अंडरसेक्रेटरी और प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल माली सोचेटा ने शुक्रवार सुबह एक प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि थाई सेना ने ओडर मीनचे और प्रीआह विहेयर प्रांतों में कई स्थानों पर भारी हथियारों, एफ-16 लड़ाकू विमानों और क्लस्टर बमों का उपयोग किया।
इस संघर्ष ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी चिंता में डाल दिया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों पक्षों से “अधिकतम संयम बरतने और बातचीत के माध्यम से समाधान निकालने” की अपील की है।
कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट ने संयुक्त राष्ट्र में आपातकालीन सत्र बुलाया, जो शुक्रवार को न्यूयॉर्क में बंद दरवाजों के पीछे आयोजित हुआ।
थाईलैंड ने कंबोडिया से लगती सभी भूमि सीमाओं को सील कर दिया है और अपने नागरिकों को कंबोडिया छोड़ने की सलाह दी है। थाईलैंड की सभी सात एयरलाइनों ने थाई नागरिकों की वापसी में मदद करने की पेशकश की है।
इस संघर्ष का असर थाईलैंड की आंतरिक राजनीति पर भी पड़ रहा है। प्रधानमंत्री पेटोंगटर्न शिनावात्रा को 1 जुलाई को नैतिकता जांच के चलते निलंबित कर दिया गया था। अब कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथाम वेचायाचाई हालात की कमान संभाल रहे हैं। फुमथाम ने कंबोडिया को आक्रामकता से बाज आने की चेतावनी दी है।
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थाईलैंड-कंबोडिया संघर्ष: सीमा पर सैन्य झड़प के बाद अब तक 14 थाई नागरिकों की मौत, 46 घायल

बैंकॉक, 25 जुलाई। थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा पर तनाव लगातार बढ़ रहा है। सैन्य संघर्ष में अब तक थाईलैंड के 14 नागरिक मारे गए हैं, जबकि 46 अन्य लोग घायल हैं। थाईलैंड के सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी।
मिडिया रिपोर्ट के अनुसार, कंबोडिया ने गुरुवार शाम तक अपने हताहतों की संख्या के बारे में कोई जानकारी जारी नहीं की थी। इस बीच, बैंकॉक में जन स्वास्थ्य मंत्री सोमसेक थेपसुथिन ने 14 लोगों की मौत की पुष्टि की, जिनमें 13 नागरिक और एक सैनिक शामिल हैं।
उन्होंने नागरिकों और एक अस्पताल पर कंबोडियाई हमलों की निंदा करते हुए कहा, “हम कंबोडियाई सरकार से अपील करते हैं कि वह इन युद्ध अपराधों को तुरंत रोके और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के सिद्धांतों का सम्मान करे।”
यह सैन्य झड़प बुधवार को एक बारूदी सुरंग विस्फोट के बाद हुई, जिसमें थाईलैंड के पांच सैनिक घायल हो गए। इस घटना के बाद दोनों पक्षों ने अपने राजदूतों को निष्कासित कर दिया, जिससे राजनयिक तनाव काफी बढ़ गया। थाईलैंड के अधिकारियों ने कंबोडिया पर रूस निर्मित नई बारूदी सुरंगें बिछाने का आरोप लगाया, जबकि कंबोडिया ने इन दावों को “निराधार आरोप” बताते हुए खारिज किया। कंबोडिया ने कहा कि ये विस्फोट पुराने संघर्षों की बची हुई बारूदी सुरंगों के कारण हुए।
गुरुवार को सीमा पर लगभग 6 जगहों पर झड़पें हुईं, जिनमें प्राचीन ता मुएन थॉम मंदिर के पास का इलाका भी शामिल है। थाईलैंड के लड़ाकू विमानों ने जवाबी हवाई हमले किए। थाई विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता निकोर्नडेज बालनकुरा ने कहा, “यह आत्मरक्षा में किया गया एक कदम था।”
हालाकि, गुरुवार को झड़पों के बाद स्थिति और बिगड़ गई। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन मानेट ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से इस मामले पर चर्चा के लिए एक तत्काल बैठक बुलाने का आग्रह किया। उन्होंने संघर्ष के बीच एक आपात सत्र भी बुलाया, जो न्यूयॉर्क में बंद कमरे में चला।
कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि हवाई हमलों में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल प्रीह विहियर के पास एक सड़क को निशाना बनाया गया। इस दौरान कंबोडिया ने कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी।
कंबोडिया के संस्कृति मंत्रालय ने कहा, “इस मंदिर को यूनेस्को की ओर से विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है और यह ‘कंबोडियाई लोगों की ऐतिहासिक विरासत’ है।”
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल माली सोचेता ने कहा, “कंबोडिया के पास थाईलैंड के खतरों से अपने क्षेत्र की रक्षा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने कहा कि हमले “सैन्य ठिकानों पर केंद्रित थे, किसी अन्य स्थान पर नहीं।”
इस संघर्ष ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ाई। संयुक्त राष्ट्र महासचिव के उप-प्रवक्ता फरहान हक के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और बातचीत के जरिए किसी भी मुद्दे का समाधान करने का आग्रह किया।
थाईलैंड ने सभी भूमि सीमा चौकियों को सील कर दिया है और अपने नागरिकों को कंबोडिया छोड़ने की सलाह दी है। थाईलैंड की सभी 7 एयरलाइनों ने भी नागरिकों को वापस लाने में मदद की पेशकश की है।
थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथम वेचायाचाई हालात की कमान संभाल रहे हैं और उन्होंने कंबोडिया को आगे किसी भी आक्रामक कदम के खिलाफ चेतावनी दी है।
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इजरायल ने गाजा युद्धविराम वार्ता के लिए अपनी टीम को दोहा से वापस बुलाया

यरुशलम, 25 जुलाई। इजरायल ने गाजा में युद्धविराम और बंधकों की रिहाई को लेकर कतर की राजधानी दोहा में चल रही वार्ता के लिए अपनी टीम को वापस बुलाने का फैसला लिया है। इजरायली प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा कि यह फैसला हमास की ओर से मध्यस्थों के प्रस्ताव पर दी गई प्रतिक्रिया के बाद लिया गया।
हमास ने गुरुवार को 60 दिन के युद्धविराम और इजरायली बंधकों के साथ-साथ फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई के प्रस्ताव पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी।
इजरायल ने कतर, मिस्र और अमेरिकी दूत स्टीव विटकॉफ के प्रयासों की सराहना की, जो इस वार्ता में मध्यस्थता कर रहे हैं। इजरायल के सरकारी टीवी चैनल कान ने एक सूत्र के हवाले से बताया कि वार्ता पूरी तरह से विफल नहीं हुई है। यह एक समन्वित कदम है, और इजरायल की टीम महत्वपूर्ण फैसलों के लिए परामर्श के लिए वापस लौटी है। सूत्र ने कहा कि वार्ता का माहौल अभी भी सकारात्मक है।
कान टीवी न्यूज के अनुसार, हमास ने मध्यस्थों के प्रस्ताव में बदलाव की मांग की है। हमास ने 200 फिलिस्तीनी उग्रवादियों और 7 अक्टूबर, 2023 के बाद से हिरासत में लिए गए 2,000 गाजा के नागरिकों की रिहाई की मांग की है। यह संख्या उस प्रस्ताव से कहीं अधिक है जिसे इजरायल ने स्वीकार किया था।
इजरायल ने लगभग 120 उग्रवादियों और 1,200 नागरिकों की रिहाई पर सहमति जताई थी। इसके अलावा, चैनल 12 ने बताया कि हमास ने 10 जीवित बंधकों के बदले 200 ऐसे फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई मांगी है जो इजरायलियों की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।
इजरायल के दैनिक समाचार पत्र ‘इजरायल हायोम’ ने सुरक्षा अधिकारियों के हवाले से बताया कि हमास की प्रतिक्रिया के बाद इजरायली सेना गाजा में अपने जमीनी अभियानों को और विस्तार देने की तैयारी कर रही है। एक अन्य सूत्र ने कहा कि इजरायल की वार्ता टीम का दोहा से लौटना सकारात्मक संकेत नहीं है। सूत्र ने दावा किया कि हमास समझौते के रास्ते में बाधाएं डाल रहा है।
इजरायल का अनुमान है कि गाजा में अभी भी 50 बंधक हैं, जिनमें से 20 को बंधक बनाकर रखा गया है। दूसरी ओर, फिलिस्तीनी और इजरायली मानवाधिकार संगठनों के अनुसार, इजरायली जेलों में 10,800 से अधिक फिलिस्तीनी कैद हैं, जिन्हें यातना, भुखमरी और चिकित्सा उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से कई की मौत भी हो चुकी है।
अक्टूबर 2023 से शुरू हुए गाजा युद्ध में इजरायल ने 59,500 से अधिक फिलिस्तीनियों को मार डाला है, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। इस सैन्य अभियान ने गाजा को तबाह कर दिया है, वहां का स्वास्थ्य तंत्र पूरी तरह चरमरा गया है और खाद्य संकट गहरा गया है।
6 जुलाई से दोहा में कतर और मिस्र की मध्यस्थता में इजरायल और हमास के बीच अप्रत्यक्ष वार्ता चल रही है, जिसमें युद्धविराम और कैदियों की अदला-बदली पर समझौता करने की कोशिश की जा रही है।
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