राष्ट्रीय समाचार
मोदी 3.0 बजट ‘नई कर व्यवस्था’ को और अधिक आकर्षक बना सकता है: जानिए इसके पीछे के कारण।
बजट 2020 में सुव्यवस्थित विनियमों के साथ एक नई कर व्यवस्था शुरू की गई, जिसने छूट और कटौती को काफी हद तक कम कर दिया। सरकार ने अधिक करदाताओं को इस व्यवस्था को चुनने और इसके लाभों का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कई समायोजन किए।
एक मानक कटौती शुरू की गई, मूल छूट सीमा को बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया गया (पिछली व्यवस्था में यह 2.5 लाख रुपये थी), कर स्लैब का विस्तार किया गया, 5 करोड़ रुपये से अधिक की आय पर अधिभार 37 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया और 7 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को कोई कर नहीं देने की गारंटी दी गई।
LTCG कर में छूट का विस्तार
निवेशकों का विश्वास बढ़ाने और अतिरिक्त पूंजी बाजार निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए, सरकार मौजूदा छूट सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये करने पर विचार कर रही है।
वित्त वर्ष 2018-19 से, इक्विटी शेयरों या इक्विटी-उन्मुख म्यूचुअल फंड की इकाइयों के हस्तांतरण, जो अधिग्रहण के समय प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) के अधीन हैं, के परिणामस्वरूप 1 लाख रुपये से अधिक दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) हुआ है, जो इंडेक्सेशन लाभ के बिना 10 प्रतिशत कराधान के अधीन है।
नई व्यवस्था के लिए एनपीएस छूट
सरकार नई कर व्यवस्था के तहत एनपीएस में स्व-योगदान के लिए कटौती का विस्तार कर सकती है, क्योंकि इसका जोर पारंपरिक साधनों की तुलना में एनपीएस में निवेश को प्रोत्साहित करने पर है।
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में नियोक्ता का योगदान, जो वेतन (मूल और महंगाई भत्ते का योग) के 10 प्रतिशत तक सीमित है, पुरानी और नई दोनों कर व्यवस्थाओं के तहत समान रूप से काटा जाता है।
फिर भी, किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत एनपीएस योगदान के लिए कटौती केवल पुरानी कर व्यवस्था के तहत ही अनुमत है और इसकी सीमा 50,000 रुपये है।
मानक कटौती में वृद्धि
कुछ साल पहले वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए चिकित्सा प्रतिपूर्ति और परिवहन भत्ते के लिए छूट को बदलने के लिए एक मानक कटौती शुरू की गई थी।
चिकित्सा और ईंधन लागत में चल रही वृद्धि को संबोधित करने के लिए मौजूदा मानक कटौती सीमा को 50,000 रुपये से बढ़ाकर कम से कम 1 लाख रुपये करने का प्रस्ताव है।
राष्ट्रीय समाचार
गणतंत्र दिवस समारोह, वीर गाथा का हिस्सा बने देशभर के 1.76 करोड़ छात्र
नई दिल्ली, 10 जनवरी। गणतंत्र दिवस समारोह के हिस्से के रूप में रक्षा मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय ने ‘वीर गाथा’ की संयुक्त पहल की है। इसके चौथे संस्करण में इस वर्ष, लगभग 2.31 लाख स्कूलों के लगभग 1.76 करोड़ छात्रों ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया है। इसके तहत राष्ट्रीय स्तर पर सौ (100) विजेताओं का चयन किया जाना है। इन्हें विशेष अतिथि के रूप में कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस समारोह में आमंत्रित किया जाएगा।
‘प्रोजेक्ट वीर गाथा’ को 2021 में भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया था। इस परियोजना का उद्देश्य वीरता पुरस्कार विजेताओं के बहादुरी भरे कार्यों और इन नायकों की जीवन से जुड़ी कहानियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यह पहल छात्रों में देशभक्ति और नागरिक मूल्यों को स्थापित करने में मदद करती है।
शीर्ष 100 प्रविष्टियों को ‘सुपर-100’ विजेताओं के रूप में चुना गया। इन विजेताओं को नई दिल्ली में रक्षा मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से सम्मानित किया जाएगा। प्रत्येक विजेता को 10,000 रुपये का नकद पुरस्कार और विशेष अतिथि के रूप में कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस परेड देखने का अवसर मिलेगा।
100 राष्ट्रीय स्तर के विजेताओं के अतिरिक्त, राज्य स्तर पर आठ विजेताओं और जिला स्तर पर चार विजेताओं का चयन किया जाएगा। उन्हें प्राधिकारियों द्वारा सम्मानित किया जाएगा। विजेताओं को चार श्रेणियों में विभाजित किया जाएगा, जिनमें से प्रत्येक से 25 विजेता होने हैं।
5 सितंबर 2024 को लॉन्च किए गए प्रोजेक्ट ‘वीर गाथा 4.0’ में निबंध और पैराग्राफ लेखन के लिए कई प्रेरक विषय प्रस्तुत किए गए। छात्रों को अपने चुने हुए रोल मॉडल के बारे में, विशेष रूप से वीरता पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए लिखने का अवसर मिला। उन्हें रानी लक्ष्मीबाई जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के प्रेरक जीवन, 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी विद्रोह की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया।
स्कूल स्तर की गतिविधियां 31 अक्टूबर 2024 को समाप्त हो गईं। राज्य और जिला स्तर पर मूल्यांकन के बाद राष्ट्रीय स्तर के मूल्यांकन के लिए लगभग 4,029 प्रविष्टियां भेजी गईं, जहां वीरगाथा के संस्करण 1 से संस्करण 4 तक प्रोजेक्ट की यात्रा प्रेरणादायक रही है, जिसने पूरे देश में प्रतियोगिता की पहुंच का विस्तार किया है।
राष्ट्रीय समाचार
भारतीय शेयर बाजार लाल निशान में बंद, आईटी सेक्टर में दिखी तेजी
मुंबई, 10 जनवरी। भारत के घरेलू बेंचमार्क सूचकांक हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को लाल निशान में बंद हुए। हालांकि, आईटी सेक्टर 3.44 प्रतिशत की बढ़त के बाद हरे निशान में बंद हुआ।
सेंसेक्स 241.30 अंक या 0.31 प्रतिशत की गिरावट के साथ 77,378.91 पर बंद हुआ और निफ्टी 95 अंक या 0.40 प्रतिशत की गिरावट के साथ 23,431.50 पर बंद हुआ।
निफ्टी बैंक 769.35 अंक या 1.55 प्रतिशत की गिरावट के साथ 48,734.15 पर बंद हुआ। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 1,160.15 अंक या 2.08 प्रतिशत की गिरावट के साथ 54,585.75 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 472.80 अंक या 2.61 प्रतिशत की गिरावट के साथ 17,645.55 पर बंद हुआ।
बाजार के जानकारों के अनुसार, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों, सप्लाई से जुड़ी चिंताओं और डॉलर इंडेक्स में मजबूती के कारण घरेलू बाजार की धारणा सुस्त रही।
जानकारों ने बताया, “तीसरी तिमाही के सकारात्मक नतीजों के बाद आईटी सेक्टर के लचीलेपन के बावजूद, अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और हाई-वैल्यूएशन के आसपास अनिश्चितताओं के कारण व्यापक सूचकांकों में गिरावट आई। निकट भविष्य में कंसोलिडेशन जारी रह सकता है, फिर भी निवेशक आगे के मार्गदर्शन के लिए अमेरिकी गैर-कृषि पेरोल डेटा पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।”
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के मजबूत तीसरी तिमाही के नतीजों के बाद आईटी क्षेत्र में खरीदारी देखी गई, जिसके शेयर 5.60 प्रतिशत बढ़कर 4,265 रुपये पर पहुंच गए।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर, 829 शेयर हरे और 3,162 शेयर लाल निशान में बंद हुए, जबकि 87 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ।
सेंसेक्स पैक में इंडसइंड बैंक, एनटीपीसी, अल्ट्राटेक सीमेंट, सन फार्मा, एक्सिस बैंक, एसबीआई, पावरग्रिड, टाटा स्टील, कोटक महिंद्रा बैंक और टाइटन टॉप लूजर्स रहे। टीसीएस, टेक महिंद्रा, एचसीएल टेक, इंफोसिस, बजाज फिनसर्व, भारती एयरटेल, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एलएंडटी और बजाज फाइनेंस टॉप गेनर्स रहे।
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 9 जनवरी को 7,170.87 करोड़ रुपये के शेयर बेचे और घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 7,639.63 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
अपराध
टोरेस पोंजी स्कैम मामला : शिवाजी पार्क पुलिस स्टेशन के अधिकारियों पर बैठाई गई जांच
मुंबई, 10 जनवरी। मुंबई के टोरेस पोंजी स्कैम मामले में मुंबई पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। मुंबई पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने शिवाजी पार्क पुलिस स्टेशन के संबंधित अधिकारियों के खिलाफ जांच बैठाई है।
बताया जा रहा है कि यह जांच एसीपी दर्जे के अधिकारी को दी गई है, जो इस बात की जांच करेगी कि आखिर महीनों पहले संभावित टोरेस स्कैम की जानकारी होने के बावजूद भी कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया गया था।
दरअसल, टोरेस कंपनी से जुड़ी संदिग्ध गतिविधियों का पता पिछले साल जून में चला था। तब शिवाजी पार्क पुलिस ने और बाद में अक्टूबर माह में नवी मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को इसकी जानकारी हुई।
शिवाजी पार्क पुलिस स्टेशन के पुलिस सब इंस्पेक्टर (पीएसआई) विनय माने ने 29 जून को कंपनी के निदेशकों को एक नोटिस जारी किया, जिसमें उन्हें उपस्थित होने और फर्म के ऑपरेशन और बिजनेस एक्टिविटी के बारे में जानकारी देने को कहा था।
पुलिस अधिकारी माने को इलाके में पेट्रोलिंग करते समय संदिग्ध गतिविधि भी दिखाई दी थी, जिसकी जानकारी उन्होंने अपने वरिष्ठों को दी थी। हालांकि, बाद में वरिष्ठ अधिकारी के निर्देश पर उन्होंने कंपनी के डिटेल मांगने के लिए एक नोटिस जारी किया था, लेकिन उसके आगे कुछ नहीं हुआ था।
इस बीच, नवी मुंबई पुलिस ने भी 24 अक्टूबर को कंपनी को नोटिस जारी किया और उसके बाद 14 नवंबर को आयकर विभाग ने भी नोटिस जारी किया था।
एजेंसियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इसकी वजह से कथित घोटाले को बिना रोकटोक बढ़ने का मौका मिल गया और इसमें शामिल विदेशी नागरिक भागने में कामयाब हो गए।
हालांकि, अगर मुंबई के शिवाजी पार्क पुलिस स्टेशन के अधिकारियों द्वारा दी गई संदिग्ध जानकारी पर कार्रवाई होती तो टोरेस घोटाले को छह महीने पहले रोका जा सकता था, लेकिन ऐसा न होने की वजह से छह महीनों में और हजारों लोग ठगे गए।
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