राजनीति
संसद सत्र: लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव आज; एनडीए के ओम बिरला बनाम भारत के कोडिकुन्निल सुरेश मुख्य लड़ाई के लिए मैदान में

नई दिल्ली: दशकों में पहली बार, भाजपा की सत्तारूढ़ एनडीए सरकार और कांग्रेस के नेतृत्व वाले भारतीय विपक्ष के आम सहमति पर पहुंचने में असमर्थता के कारण बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होगा।
इससे पहले पिछले इतिहास में केवल तीन बार ही लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव हुआ है; 1952, 1967 और 1976। परंपरागत रूप से, लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आम सहमति से होता था।
उम्मीदवार मैदान में
इस मुकाबले में राजस्थान के कोटा से तीन बार सांसद रहे भाजपा के ओम बिरला का मुकाबला केरल के मवेलिकारा से आठ बार सांसद रहे कांग्रेस के कोडिकुन्निल सुरेश से होगा। सुरेश 18वीं लोकसभा में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले सांसद हैं।सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी कांग्रेस पार्टी दोनों ने अपने सदस्यों को तीन-लाइन व्हिप जारी किया है, जिसमें बुधवार को सुबह 11 बजे से कार्यवाही समाप्त होने तक लोकसभा में उनकी उपस्थिति अनिवार्य है।
लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव 26 जून को होगा। 27 जून को राष्ट्रपति मुर्मू संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करने वाले हैं।
विकास के बारे में
यह घटनाक्रम तब हुआ जब एनडीए ने विपक्षी भारतीय गट की इस मांग को मानने से इनकार कर दिया कि एनडीए उम्मीदवार को समर्थन के बदले उपसभापति का पद विपक्ष के लिए छोड़ दिया जाए।
इससे पहले इंडिया ब्लॉक ने डिप्टी स्पीकर पद की मांग की थी. हालाँकि, भाजपा की ओर से कोई स्पष्टता नहीं आने के कारण, इंडिया ब्लॉक ने स्पीकर पद के लिए कांग्रेस सांसद के सुरेश का नाम आगे बढ़ाया है। दूसरी ओर, भाजपा ने अपने कोटा सांसद ओम बिड़ला को अध्यक्ष पद के लिए नामांकित किया है, जो पहले 17 वीं लोकसभा में अध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुके हैं।
एनडीए के स्पीकर उम्मीदवार का समर्थन करने पर राहुल गांधी
इससे पहले, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सूचित किया है कि विपक्ष एनडीए के स्पीकर उम्मीदवार को समर्थन देने के लिए तैयार है, बशर्ते कि डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को दिया जाए।
मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा, ”हमने राजनाथ सिंह से कहा है कि हम उनके स्पीकर (उम्मीदवार) का समर्थन करेंगे लेकिन परंपरा यह है कि डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को दिया जाता है.”
543 सदस्यीय लोकसभा में 293 सांसदों वाली एनडीए के पास स्पष्ट बहुमत है, जबकि विपक्षी इंडिया ब्लॉक में 234 सांसद हैं। 18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून को शुरू हुआ और नवनिर्वाचित सदस्यों की शपथ/पुष्टि के लिए 3 जुलाई को समाप्त होगा। राज्यसभा का 264वां सत्र 27 जून को शुरू होगा और 3 जुलाई को समाप्त होगा।
आम चुनाव के बाद यह पहला लोकसभा सत्र है जिसमें राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को 293 सीटें मिलीं, जबकि इंडिया ब्लॉक को 234 सीटें मिलीं। हालाँकि, भाजपा केवल 240 सीटें हासिल करके बहुमत के जनादेश तक पहुँचने में विफल रही।
महाराष्ट्र
यूसुफ अब्राहनी घर लौटे और समाजवादी पार्टी में शामिल हुए

मुंबई: महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और इस्लाम जिमखाना के चेयरमैन एडवोकेट यूसुफ अब्राहनी कांग्रेस छोड़कर घर लौट आए हैं और राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की मौजूदगी में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं। समाजवादी पार्टी के नेता और विधायक अबू आसिम आज़मी ने यूसुफ अब्राहानी के सपा में शामिल होने की घोषणा की है और कहा है कि यूसुफ अब्राहानी महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी को मजबूत करने के लिए पार्टी में शामिल हुए हैं। समाजवादी पार्टी भाजपा से मुकाबला करने में सबसे आगे है और यह पार्टी सांप्रदायिकता से लड़ने वाली पार्टी है, इसलिए यूसुफ अब्रहानी को पार्टी में शामिल किया गया है। मुझे उम्मीद है कि अब्राहमानी पार्टी के संगठनात्मक मामलों को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत करते रहेंगे। यूसुफ अब्राहनी को अभी तक पार्टी में कोई पद नहीं दिया गया है। यह निर्णय अबू आसिम आज़मी द्वारा लिया जाएगा। यूसुफ के बेटे शहजाद अब्राहानी, ज़ेबा मलिक भी पार्टी में शामिल हो गए हैं।
अपराध
नासिक : धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह के बाद बवाल, पथराव में कई घायल

नासिक, 16 अप्रैल। नासिक के काठे गली इलाके में मंगलवार रात पुलिस पर पथराव किया गया। यह घटना तब हुई जब क्षेत्र में बिजली कट गई और इसी अंधेरे का फायदा उठाकर भीड़ ने अचानक पुलिस और आसपास खड़े वाहनों पर पत्थर बरसाने शुरू कर000000 दिए। इस हिंसक घटनाक्रम में तीन से चार पुलिसकर्मी घायल हो गए, जबकि पांच वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। हंगामे की वजह एक धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह बताई जा रही है।
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को तत्काल कार्रवाई करनी पड़ी। रात में करीब 500 पुलिसकर्मियों को मौके पर तैनात किया गया ताकि हालात और न बिगड़ें। बताया जा रहा है कि हंगामे के समय करीब 400 से 500 लोग मौजूद थे। पुलिस ने किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए इलाके में ट्रैफिक मार्गों में बदलाव भी कर दिए हैं। प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने मिलकर हालात पर कड़ी नजर रखी और रात भर गश्त जारी रही।
सूत्रों ने बताया कि इस पूरे मामले की जड़ एक विवादास्पद धार्मिक स्थल है, जिस पर पिछले कुछ दिनों से तनाव की स्थिति बनी हुई थी। नगरपालिका ने 1 अप्रैल को अदालत के आदेश के बाद एक अनधिकृत निर्माण पर नोटिस दिया था, जिसमें कहा गया था कि यदि निर्माण को स्वयं नहीं हटाया गया तो प्रशासन उचित कार्रवाई करेगा। इस चेतावनी के बावजूद धार्मिक स्थल को नहीं हटाया गया, जिससे स्थानीय लोगों में असंतोष और तमाम तरह की अफवाह फैल गई।
अधिकारियों ने बताया कि इस क्षेत्र में कुछ धार्मिक स्थलों का निर्माण बिना अनुमति के किया गया था और इन्हें हटाने के लिए नोटिस दिया गया था, जिसके बाद यह घटना हुई है। अगले दो दिनों में ऐसे सभी अनधिकृत धार्मिक स्थलों को हटाया जाएगा। नासिक पुलिस का कहना है पुलिस पूरे इलाके में शांति बनाए रखने के लिए कार्रवाई कर रही है। पुलिस और प्रशासनिक अमले की मौजूदगी अब भी इलाके में बनी हुई है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
राजनीति
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून के खिलाफ सुनवाई आज, सीजीआई बेंच सुनेगी दलील

suprim court
नई दिल्ली, 16 अप्रैल। शीर्ष अदालत आज वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुनवाई करेगी। सीजीआई की अगुवाई वाली पीठ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं की दलीलें सुनेगी।
शीर्ष न्यायालय की वेबसाइट पर जारी वाद सूची के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच (जिसमें न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथ शामिल हैं) इस मामले की सुनवाई 16 अप्रैल को दोपहर दो बजे से करेगी।
वक्फ अधिनियम, 1995 में हाल ही में किए गए संशोधनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं शीर्ष अदालत में दायर की गई हैं।
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं के जवाब में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर की है।
कैविएट एक ऐसा नोटिस होता है जिसे मुकदमे के पक्षकार द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है, जो चाहता है कि विरोधी पक्ष की याचिका पर किसी स्थगन आदेश जारी होने की स्थिति में उसकी बात सुनी जाए। साथ ही, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम और उत्तराखंड सहित कई भाजपा शासित राज्यों ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 का बचाव करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
इस बिल के संसद द्वारा अप्रैल के पहले हफ्ते में पास होने के बाद, कांग्रेस पार्टी ने ऐलान किया था कि वह इस वक्फ बिल (अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह वक्फ कानून बन गया है) के सामने चैलेंज करेगी। उस समय कांग्रेस ने कहा था कि धर्म के आधार पर देश में ध्रुवीकरण करने और बांटने के लिए यह संविधान के मूल ढांचे पर हमला है।
इसके जवाब में, केंद्र सरकार ने कहा था कि इस बिल के पास होने के बाद करोड़ों गरीब मुसलमानों को फायदा होगा और किसी भी मुसलमान को इससे नुकसान नहीं पहुंचेगा।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने दावा किया कि यह कानून वक्फ की संपत्तियों में कोई दखलंदाजी नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ का विजन लेकर काम कर रही है।
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में पार्टी व्हिप मोहम्मद जावेद ने शीर्ष न्यायालय में दायर अपनी याचिका में तर्क दिया है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14 (समता का अधिकार) अनुच्छेद 25 (धर्म का पालन और प्रचार करने की स्वतंत्रता का अधिकार), अनुच्छेद 26 (धार्मिक संप्रदायों को अपने धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने की स्वतंत्रता का अधिकार) अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यकों के अधिकार) और अनुच्छेद 300-ए का उल्लंघन करता है।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी की ओर से दायर एक अन्य याचिका में कहा गया कि यह संशोधन कानून भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29, 30, 300-ए का स्पष्ट उल्लंघन करते हैं और स्पष्ट रूप से मनमाना हैं।
एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, आप नेता अमानतुल्लाह खान, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी), सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, तैय्यब खान सलमानी और अंजुम कादरी समेत कई अन्य लोगों ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं दायर की हैं।
इस्लामिक कानूनों और परंपराओं में निहित ‘वक्फ’ की अवधारणा, एक मुसलमान द्वारा धर्मार्थ या धार्मिक उद्देश्यों, जैसे मस्जिद, स्कूल, अस्पताल या अन्य सार्वजनिक संस्थानों के लिए किए गए दान को संदर्भित करती है।
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