राष्ट्रीय समाचार
बंगाल ट्रेन दुर्घटना को क्या रोका जा सकता था? ‘कवच’ प्रणाली के बारे में आपको जो कुछ पता होना चाहिए
17 जून को गुवाहाटी-दिल्ली रूट पर एक भयानक हादसा हुआ जब एक मालगाड़ी कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन से टकरा गई, जो पश्चिम बंगाल के कोलकाता की ओर जा रही थी। कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई और 60 से अधिक घायल हो गए। 2023 में बालासोर दुर्घटना के साथ, इस घटना के कारण कवच-टकराव रोधी प्रणाली ने एक बार फिर ध्यान आकर्षित किया है। लक्ष्य यह प्रणाली देश के प्रत्येक रेलमार्ग पर स्थापित करना है। विशेष रूप से रेलमार्गों के लिए, देशी कवच टकराव बचाव प्रणाली विकसित की गई थी। आइए कवच-विरोधी टक्कर प्रणाली के कार्यों और परिभाषा की जांच करें।
भारतीय रेलवे के लिए अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा विकसित कवच स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली, एक तकनीकी चमत्कार है जिसे सुरक्षा अखंडता स्तर 4 (एसआईएल -4) के लिए प्रमाणन प्राप्त हुआ है। ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली (टीसीएएस) परियोजना के रूप में 2012 में शुरू की गई कवच का उद्देश्य भारतीय रेलवे पर दुर्घटना दर को कम करना और सुरक्षा बढ़ाना है। इस प्रणाली को 2022 में प्रयोग में लाया गया।
कवच प्रणाली की उल्लेखनीय विशेषताएं
आपातकालीन स्थिति में, यदि ट्रेन एक ही रेल मार्ग पर ट्रैक करती है तो गति बनाए रखने के लिए ट्रेन स्वचालित रूप से ब्रेक लगा देगी। कवच ट्रेन के डिब्बे के अंदर लाइन को सिग्नल देने में मदद करता है और कोहरे और तेज गति की स्थिति में लेवल क्रॉसिंग पर स्वचालित रूप से सीटी बजाने में मदद करता है यदि ड्राइवर ऐसा करने में विफल रहता है। कवच रेलवे अथॉरिटी को ट्रेन की आवाजाही के बारे में भी बार-बार अपडेट करता है। टकराव से बचने के लिए सिस्टम के माध्यम से इंजनों के बीच सीधा संचार उपलब्ध है। सिस्टम की प्रभावशाली चीजों में से एक यह है कि यह दुर्घटनाओं और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एसओएस के उपयोग को सक्रिय कर सकता है।
कवच प्रणाली का कार्य
रेलवे सिग्नलिंग प्रणाली, ट्रैक, लोकोमोटिव और व्यक्तिगत स्टेशन सभी एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित मल्टीपल रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से सुसज्जित हैं। वर्तमान प्रणाली अल्ट्रा-उच्च रेडियो आवृत्तियों का उपयोग करके अपने घटकों के साथ संचार करती है, लेकिन एक 4जी एलटीई-आधारित प्रणाली विकसित की जा रही है। यदि कोई ट्रेन चालक सिग्नल (जिसे सिग्नल पास्ड एट डेंजर या एसपीएडी भी कहा जाता है) की उपेक्षा करता है, तो कवच चेतावनी जारी करता है, जो ट्रेन दुर्घटनाओं का मुख्य कारण है। यदि सिस्टम पूर्व निर्धारित दूरी के भीतर उसी ट्रैक पर किसी अन्य ट्रेन का पता लगाता है तो ट्रेन ऑपरेटर को तुरंत सूचित कर सकता है और ब्रेक पर नियंत्रण ले सकता है।
यह उपकरण लगातार ट्रेन की स्थिति को ट्रैक करता है और कोहरे जैसे खराब मौसम में आगे के इंजन को संकेत देता है। यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली और भारतीय टक्कर रोधी उपकरण के प्रमुख घटक कवच में संयुक्त हैं।
कवच प्रणाली के घटक
रेलवे नेटवर्क की पटरियों में रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) तकनीक लगाई गई है। दृष्टि की सीधी रेखा या भौतिक संपर्क के बिना, यह तकनीक दूरी पर वायरलेस डिवाइस से डेटा का स्वचालित रूप से पता लगाने और पुनर्प्राप्त करने के लिए विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों का उपयोग करती है।
इसके अलावा, ड्राइवर का केबिन (लोकोमोटिव) आरएफआईडी रीडर, एक कंप्यूटर और ब्रेक इंटरफ़ेस उपकरण से सुसज्जित है।
अंत में, रेलवे स्टेशनों पर रेडियो अवसंरचना स्थापित की गई है। इस बुनियादी ढांचे में टावर और मॉडेम शामिल हैं।
कवच प्रणाली स्थापित करने की लागत
कवच प्रणाली का कार्यान्वयन महंगा है। एक लोकोमोटिव को कवच तकनीक से लैस करने की लागत लगभग 70 लाख रुपये प्रति यूनिट है, वहीं ट्रैकसाइड और स्टेशन उपकरण स्थापित करने की लागत लगभग 50 लाख रुपये प्रति किलोमीटर है। कवच को वित्तीय वर्ष 2024 के लिए 710 करोड़ रुपये का बजट आवंटन प्राप्त हुआ, जबकि 2025 के अंतरिम बजट के लिए अनुमानित आवंटन 560 करोड़ रुपये था।
कितने कवच सिस्टम स्थापित हैं?
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने फरवरी में राज्यसभा की बैठक के दौरान कवच कार्यान्वयन पर अपडेट दिया। उनके अनुसार, कवच को मुख्य रूप से दक्षिण मध्य रेलवे नेटवर्क पर तैनात किया गया है, जो 1,465 रूट किलोमीटर को कवर करता है और इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (ईएमयू) रेक सहित 139 लोकोमोटिव को नियोजित करता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर बनाने वाले 3,000 रूट किलोमीटर पर कवच की स्थापना के लिए निविदाएं प्रदान की गई हैं।
वैष्णव द्वारा आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण में महत्वपूर्ण प्रगति भी नोट की गई, जिसमें 269 दूरसंचार टावरों और 3,040 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर केबल स्थापना का पूरा होना शामिल है। इसके अलावा, 170 इकाइयाँ लोकोमोटिव पर लगाई गई हैं, और 186 उपकरण स्टेशनों पर रखे गए हैं। 827 रूट किलोमीटर में ट्रैक-साइड उपकरणों की तैनाती देखी गई है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
आज से तीन दिवसीय भारत दौरे पर रहेगा यूरोपीय संसद के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समिति के सात सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर: यूरोपीय संसद की अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समिति (आईएनटीए) के सात सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल 27 अक्टूबर को भारत की यात्रा पर दिल्ली पहुंचेगा। आईएनटीए सदस्यों का यह दौरा 27 से 29 अक्टूबर 2025 तक होगा, जिसमें यूरोपीय संघ और भारत के बीच व्यापार, आर्थिक और निवेश संबंधों पर चर्चा होगी।
वहीं, इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भारत के लिए आईएनटीए की स्थायी प्रतिवेदक क्रिस्टीना मैस्ट्रे और एसएंडडी आईएनटीए समन्वयक ब्रैंडो बेनिफी करेंगे।
बता दें, इस मिशन के दौरान, आईएनटीए सदस्य अलग-अलग स्टेकहोल्डरों के साथ बातचीत करेंगे ताकि यह पता लगाया जा सके कि व्यापार वार्ता में क्या-क्या अवसर और चुनौतियां हैं। आईएनटीए सदस्य मंत्रिस्तरीय और संसदीय दोनों स्तरों पर अलग-अलग बैठकें आयोजित करेंगे।
आईएनटीए सदस्य यूरोपीय व्यापार महासंघ और भारतीय उद्योग परिसंघ के साथ बैठक करेंगे, और इसके अलावा सिविल सोसायटी के साथ विशिष्ट बैठकें आयोजित की जाएंगी।
दो सह-अध्यक्षों क्रिस्टीना मैस्ट्रे (एस एंड डी, स्पेन) और ब्रैंडो बेनिफेई (एस एंड डी, इटली) के अलावा, प्रतिनिधिमंडल में जुआन इग्नासियो जोइदो (ईपीपी, स्पेन), वाल्डेमर बुडा (ईसीआर, पोलैंड), बैरी कोवेन (रिन्यू, आयरलैंड), विसेंट मार्जा इबानेज (स्पेन, ग्रीन्स/ईएफए), और भारत के साथ संबंधों के लिए ईपी प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्ष एंजेलिका नीबलर (ईपीपी, जर्मनी) शामिल हैं।
इससे पहले 18 से 20 दिसंबर 2023 में एमईपी के प्रतिनिधिमंडलों ने भारत का दौरा किया था। इस प्रतिनिधिमंडल में यूरोपीय संसद की दो समितियों, भारत के साथ संबंधों हेतु प्रतिनिधिमंडल (डी-आईएन) और सुरक्षा और रक्षा संबंधी उप-समिति (एसईडीई) के एमईपी सम्मिलित थे।
दोनों प्रतिनिधिमंडल ने लोकतंत्र, कानून के शासन का पालन, बहुपक्षवाद, नियमों पर आधारित व्यापार और नियमों पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था आदि जैसे साझा मूल्यों पर आधारित भारत-यूरोपीय संघ साझेदारी, भू-राजनीतिक कन्वर्जेन्स, आपूर्ति श्रृंखला सुरक्षा, डिजिटल संवेद्यता, एआई और सामुद्रिक सुरक्षा पर सार्थक चर्चाएं की थीं।
यूरोपीय संसद के सदस्यों के इस दौरे ने भारत-यूरोपीय संघ संबंधों, हमारे साझा संसदीय मूल्यों और आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग को गहन बनाने की प्रतिबद्धता को मजबूत बनाया।
राजनीति
दुर्व्यवहार मामले में सीजेआई ने राकेश किशोर को किया माफ तो अवमानना की कार्रवाई से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार

suprim court
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वकील राकेश किशोर के खिलाफ चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई के खिलाफ अभद्र व्यवहार के मामले में अपराधी अवमानना की कार्रवाई शुरू करने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि सीजेआई ने उदारता दिखाते हुए राकेश किशोर को माफ कर दिया है, इसलिए इस मामले को समाप्त माना जाएगा। हालांकि, अदालत ने ऐसे कृत्यों के महिमामंडन और भविष्य में रोक लगाने के लिए दिशानिर्देश जारी करने पर विचार जारी रखने का संकेत दिया।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि शुरुआत में मामला समाप्त हो गया था. जब सीजेआई ने किशोर को माफ कर दिया था, लेकिन राकेश किशोर ने मीडिया से कहा कि ‘भगवान ने मुझसे ऐसा करवाया’ और इस पर सोशल मीडिया पर मीम्स बन रहे हैं, जिससे न्यायपालिका का मजाक बन रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ एससीबीए की याचिका पर सुनवाई की थी, जिसमें किशोर के खिलाफ आपराधिक अवमानना और सोशल मीडिया पर महिमामंडन रोकने के लिए आदेश की मांग की गई थी। विकास सिंह ने बताया कि राकेश किशोर ने मीडिया को इंटरव्यू देते हुए अपने कृत्य को दोहराने की कसम भी खाई।
इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने स्वीकार किया कि राकेश किशोर का व्यवहार ‘गंभीर आपराधिक अवमानना’ जैसा है, लेकिन जब सीजेआई ने माफ कर दिया, तो यह मामला आगे नहीं बढ़ सकता। जस्टिस बागची ने स्पष्ट किया कि न्यायालय की अवमानना के मामलों में अवमानना कार्रवाई का निर्णय संबंधित जज पर निर्भर होता है।
विकास सिंह ने तर्क दिया कि सीजेआई की माफी उनकी व्यक्तिगत क्षमता में थी और इसे संस्थागत कार्रवाई के रूप में नहीं देखा जा सकता। उन्होंने कहा कि राकेश किशोर के बाद के आचरण, जैसे मीडिया में दिए बयान, एक नया अपराध है।
जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर सहमति जताई और कहा कि ऐसे कृत्यों के महिमामंडन को रोकने के लिए निवारक दिशानिर्देश जारी करने पर विचार किया जाएगा ताकि भविष्य में किसी व्यक्ति को अनावश्यक महत्व देने से बचा जा सके।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की चिंता का समर्थन करते हुए कहा कि नोटिस जारी करने से राकेश किशोर को पीड़ित की भूमिका निभाने का अवसर मिल सकता है और विवाद भड़का सकता है।
आखिर में बेंच ने अपराधी अवमानना मामले में आगे न बढ़ाने का फैसला किया और सुनवाई को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया। साथ ही, धर्मोपदेशक डॉ. केए पॉल द्वारा दायर रिट याचिका को भी सुनवाई योग्य न मानते हुए खारिज कर दिया।
राजनीति
मध्य प्रदेश के मंत्री का बयान शर्मनाक : जीतू पटवारी

JITU PATVARI
भोपाल, 27 अक्टूबर: मध्य प्रदेश की व्यापारिक नगरी इंदौर में आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप में हिस्सा लेने आई ऑस्ट्रेलियाई महिला खिलाड़ियों के साथ हुई छेड़छाड़ की घटना पर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय द्वारा दिए गए बयान की कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने निंदा की और इसे शर्मनाक भी करार दिया है।
दरअसल, पिछले दिनों इंदौर में ऑस्ट्रेलियाई महिला खिलाड़ी के साथ छेड़छाड़ की घटना सामने आई थी। इस मामले में एक आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सलाह देने वाले अंदाज में कहा कि खिलाड़ी जब भी बाहर जाएं तो उन्हें प्रशासन को अवगत कराना चाहिए।
मंत्री विजयवर्गीय के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि इंदौर में ऑस्ट्रेलियाई महिला क्रिकेटर्स से छेड़छाड़ की शर्मनाक घटना के बाद भाजपा के मंत्री का बयान पूरे मध्य प्रदेश के लिए शर्म की बात है। बेटियों की सुरक्षा पर सवाल उठे हैं और मंत्री सलाह दे रहे हैं कि बाहर जाने से पहले प्रशासन को बताएं।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने सवालिया अंदाज में पूछा कि क्या अब मध्य प्रदेश इतना असुरक्षित हो गया है कि हर बेटी को घर से निकलने से पहले प्रशासन को सूचना देनी पड़े? भाजपा सरकार बेटियों की सुरक्षा देने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है।
जीतू पटवारी ने कहा कि भाजपा नेताओं के असंवेदनशील बयानों से जनता का गुस्सा बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री और गृहमंत्री को जवाब देना चाहिए कि आखिर प्रदेश में ऑस्ट्रेलिया की महिला खिलाड़ियों के साथ हुई छेड़छाड़ की घटना पर महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर सिर्फ बयानबाजी ही क्यों हो रही है और ऐसे शर्मनाक बयान पर कार्रवाई करें।
महिला क्रिकेटर के साथ छेड़छाड़ की घटना के बाद सरकार का रवैया सख्त है और वह दोषियों पर कार्रवाई की बात कर रही है, वहीं कांग्रेस की ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं। इसी दौरान कैलाश विजयवर्गीय का बयान आया जिसमें उन्होंने कहा कि खिलाड़ी कहीं भी जाए तो स्थानीय शासन को सूचना देकर जाए, वास्तव में यह घटना हमारे लिए सबक है।
मंत्री विजयवर्गीय ने स्वयं का उदाहरण देते हुए कहा कि हम लोग भी जब कहीं जाते हैं तो किसी एक स्थानीय व्यक्ति को बताते हैं, खिलाड़ियों को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
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