महाराष्ट्र
मराठा कोटा विवाद: मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को मराठों की सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक स्थिति पर मराठा सर्वेक्षण रिपोर्ट मिली

राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे (सेवानिवृत्त) ने मराठों की सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति का पता लगाने के लिए पूरे महाराष्ट्र में 23 जनवरी से 2 फरवरी के बीच किए गए सर्वेक्षण पर एक रिपोर्ट सौंपी।
रिपोर्ट मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को उनके आधिकारिक आवास वर्षा में सौंपी गई। सीएम शिंदे ने सर्वे करने के लिए चार लाख सरकारी कर्मचारियों को धन्यवाद दिया है. सर्वेक्षण के लिए सभी संभागीय और जिला कलेक्टरों और नगर निगम आयुक्तों को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया था।
सर्वेक्षण में लगभग 2.5 करोड़ परिवारों ने भाग लिया
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य सरकार के अन्य सभी सचिवों ने भूमि अधिग्रहण, प्रतिधारण, जुटाव एवं अभिलेख, सरकारी एवं अर्ध सरकारी नौकरियों में समुदाय की संख्या एवं पिछड़ा वर्ग समुदाय को छात्रों का प्रतिशत से संबंधित जानकारी उपलब्ध करायी. आयोग को ब्लू-कॉलर क्षेत्र में मराठों की संख्या की जानकारी भी प्रदान की गई।
आरक्षण के लिए आत्महत्या करने वाले मराठों की संख्या भी आयोग को दी गई। सर्वेक्षण में लगभग 2.5 करोड़ परिवारों ने भाग लिया। पुणे में गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स और आईआईपीएस ने सर्वेक्षण करने में आयोग की मदद की थी और इस उद्देश्य के लिए विशेष सॉफ्टवेयर विकसित किया गया था। सीएम शिंदे ने कहा, ”मैंने एसबीसीसी को महाराष्ट्र में मराठों की सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक स्थिति का पता लगाने के लिए एक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था। सर्वे को अंजाम देने के लिए करीब 3.5 लाख से 4 लाख लोगों ने काम किया।
मुद्दे पर चर्चा के लिए विशेष सत्र
तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस द्वारा पेश किए गए मराठा आरक्षण को बॉम्बे हाई कोर्ट में बरकरार रखा गया था, लेकिन दुर्भाग्य से, इसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी नहीं दी। इस रिपोर्ट पर कैबिनेट बैठक में चर्चा होगी। “हमने शुरू से ही मराठा आरक्षण के लिए सकारात्मक कदम उठाए हैं और आयोग ने रिकॉर्ड समय में अपना काम पूरा किया है। मेरा मानना है कि हम ओबीसी और अन्य समुदायों के आरक्षण को छुए बिना, कानून के दायरे में स्थायी आरक्षण दे सकते हैं। सीएम शिंदे ने कोटा कार्यकर्ता मनोज जारांगे-पाटिल से अपना अनशन वापस लेने की अपील की है। उन्होंने यह भी बताया कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर 20 फरवरी को एक दिवसीय विशेष विधानसभा सत्र बुलाया गया है।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी में विधायक रईस शेख का पत्ता कटा, यूसुफ अब्राहनी ने ली जगह

मुंबई: (कमर अंसारी) महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी में चल रही आंतरिक खींचतान अब खुलकर सामने आने लगी है। पिछले कई दिनों से पार्टी के वरिष्ठ नेता अबू असीम आज़मी, अपने ही विधायक रईस शेख से नाराज़ चल रहे थे। कई बार उन्होंने अपने बयानों में भी इस नाराज़गी का परोक्ष रूप से उल्लेख किया था। अब यह मामला पूरी तरह उजागर हो चुका है — महाराष्ट्र में अबू असीम आज़मी ने रईस शेख की जगह कांग्रेस छोड़कर आए यूसुफ अब्राहनी को तरजीह दी है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि रईस शेख को बाहर का रास्ता दिखाने की पूरी तैयारी हो चुकी है।
अगर जमीनी हकीकत पर नज़र डालें, तो रईस शेख की लोकप्रियता भी इस पूरे घटनाक्रम की एक बड़ी वजह मानी जा रही है। मुंबई और भिवंडी में रईस शेख ने अपने कार्यकाल के दौरान जनहित में कई अहम कार्य किए हैं, जिससे उनकी पकड़ जनता में मजबूत हुई है। भिवंडी विधानसभा क्षेत्र से वह लगातार दूसरी बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए हैं। क्षेत्र की जनता का भी मानना है कि उन्होंने रईस शेख को उनके काम के आधार पर ही दोबारा मौका दिया।
शिक्षा, सड़क, पानी जैसी मूलभूत समस्याओं को हल करने के साथ-साथ रईस शेख का आम जनता से सीधे जुड़ाव उनकी लोकप्रियता में इज़ाफा कर रहा है। यही नहीं, दक्षिण मुंबई में नगरसेवक के रूप में उनके किए गए कार्यों को आज भी लोग सराहते हैं। यही कारण है कि आगामी नगर निगम चुनावों में उनके समर्थित उम्मीदवारों को भी प्राथमिकता दी जा रही है। सूत्रों के अनुसार, अबू असीम आज़मी को रईस शेख की इसी बढ़ती लोकप्रियता से खतरा महसूस होने लगा था। पार्टी हाईकमान अखिलेश यादव की आज़मी से नाराज़गी भी इसी क्रम में देखी जा रही है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, रईस शेख को और अधिक सशक्त होने से रोकने के लिए उन्हें अबू असीम द्वारा पार्टी से बाहर किया जा रहा है।
वहीं, कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी में आए यूसुफ अब्राहनी को अब पार्टी में नई जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन यह वही यूसुफ अब्राहनी हैं, जिन्होंने करीब 20 साल पहले समाजवादी पार्टी के दर्जनों नगरसेवकों को साथ लेकर कांग्रेस ज्वॉइन कर ली थी और मुंबई में समाजवादी पार्टी को लगभग तोड़ दिया था। कांग्रेस ने उन्हें मानखुर्द विधानसभा क्षेत्र से टिकट देकर विधायक बना दिया, लेकिन अगली बार वह चुनाव नहीं जीत सके।
बाद में मानखुर्द से अबू असीम आज़मी ने चुनाव लड़ा और यूसुफ अब्राहनी को हराया। दिलचस्प बात यह है कि आज़मी की इस जीत में रईस शेख की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। लेकिन अब पार्टी से रईस शेख को निकालने के लिए आज़मी ने उन्हीं यूसुफ अब्राहनी को पुनः पार्टी में शामिल कर लिया है, इस उम्मीद में कि वह फिर से दर्जनों नगरसेवक पार्टी में ला सकेंगे।
रईस शेख जिस पार्टी कार्यालय से वर्षों से कार्य कर रहे थे, उसे भी अब यूसुफ अब्राहनी को सौंप दिया गया है — एक स्पष्ट संकेत कि पार्टी में अब रईस शेख के लिए कोई स्थान नहीं है।
उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी के हाईकमान और अखिलेश यादव के करीबी सूत्रों के अनुसार, पार्टी महाराष्ट्र में अब एक ऐसे नेता की तलाश में है, जो अबू असीम आज़मी की जगह ले सके। पार्टी को भविष्य में किसी नुकसान से बचाने के लिए आज़मी के हर निर्णय को अब अनदेखा किया जा रहा है।
महाराष्ट्र
उर्दू पत्रकारों के लिए पेंशन की मांग, विधायक अबू आसिम आज़मी ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लिखा पत्र

मुंबई: महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के नेता और विधायक अबू आसिम आज़मी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से उर्दू पत्रकारों को पेंशन और वजीफा देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार को 60 साल की उम्र के बाद पेंशन, चिकित्सा सहायता और उनके बच्चों की शादी में सहायता प्रदान करनी चाहिए और इसके लिए एक कोष आवंटित किया जाना चाहिए। अबू आसिम आज़मी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि महाराष्ट्र में कई दैनिक और मासिक पत्रिकाएँ प्रकाशित होती हैं, जिनमें कार्यरत पत्रकार सेवानिवृत्ति के बाद भी कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन उनका खर्चा पूरा नहीं हो पाता और वे बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित रहते हैं। इसलिए, ऐसे सेवानिवृत्त वरिष्ठ पत्रकारों को पेंशन दी जानी चाहिए जो अपनी नौकरी से सेवानिवृत्त हो चुके हैं और गरीबी से जूझ रहे हैं। आज़मी ने पत्र में मांग की है कि इन पत्रकारों को चिकित्सा सहायता प्रदान की जाए और उनके बच्चों की शादी में भी मदद की जाए ताकि उन्हें किसी भी तरह की परेशानी से बचाया जा सके और उनकी दैनिक ज़रूरतें पूरी हो सकें।
महाराष्ट्र
दादर कबूतरखाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद मंगल प्रभात लोढ़ा ने की शांति की अपील

मुंबई: दादर कबूतरखाने पर हुए विरोध प्रदर्शन के बाद महाराष्ट्र के मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने जैन समुदाय से शांति और व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कबूतरखाने के संबंध में निर्णय लिया था और कल मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस संबंध में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया था, लेकिन इसके बावजूद यह विरोध प्रदर्शन खेदजनक है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कबूतरखाने के संबंध में एक बैठक में निर्णय लिया था। इससे होने वाली बीमारी पर भी चर्चा हुई थी और मुख्यमंत्री ने इसके समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया था। कबूतरों को दाना खिलाने संबंधी सावधानियों और शर्तों पर भी विचार किया गया था और मुख्यमंत्री ने इस संबंध में कोई भी कार्रवाई न करने का आदेश भी दिया था, लेकिन इसके बावजूद आज अचानक हुआ यह विरोध प्रदर्शन उचित नहीं था। मंगल प्रभात लोढ़ा ने जैन समुदाय से इस संबंध में शांति और व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है। पुलिस ने बताया कि विरोध प्रदर्शन के बाद स्थिति शांतिपूर्ण है, लेकिन तनाव बना हुआ है। पुलिस ने अब इस मामले में कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
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