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Friday,08-August-2025
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संसद सुरक्षा उल्लंघन के आरोपियों से स्पेशल सेल ने की पूछताछ, चार को आज कोर्ट में किया जाएगा पेश

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कुछ दिनों के पूछताछ के बाद, 13 दिसंबर को संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले के छह आरोपियों को दिल्ली पुलिस के विशेष सेल की काउंटर इंटेलिजेंस यूनिट को सौंप दिया गया। इनमें से चार को अदालत में पेश किया जाएगा। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

सूत्रों ने कहा,“उनसे अलग-अलग और शहर भर में स्पेशल सेल के विभिन्न कार्यालयों में पूछताछ की जा रही थी। बुधवार को, उन सभी को एनएफसी में स्पेशल सेल के सीआईयू स्टेशन में लाया गया और उनके बयानों का मिलान करने के लिए उनका सामना कराया गया।”

चार आरोपियों – मनोरंजन डी., सागर शर्मा, नीलम और अमोल शिंदे को आज अदालत में पेश किया जाना है क्योंकि उनकी सात दिन की पुलिस हिरासत गुरुवार को समाप्त हो रही है।

सूत्रों ने कहा कि पुलिस आगे की जांच के लिए उनकी हिरासत बढ़ाने की मांग कर सकती है।

2001 के संसद हमले की 22वीं बरसी पर 13 दिसंबर को दर्शक दीर्घा से लोकसभा हॉल में प्रवेश करने में कामयाब रहे दो लोगों की पहचान मनोरंजन डी. और सागर शर्मा के रूप में की गई।

मनोरंजन कर्नाटक से इंजीनियरिंग का छात्र है, शर्मा का विजिटर पास कर्नाटक के मैसूर से भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा की सिफारिश पर जारी किया गया था।

अन्य दो, एक पुरुष और एक महिला, जो संसद के बाहर रंगीन फ़्लेयरों के साथ विरोध कर रहे थे और जिन्हें दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया था, उनकी पहचान हरियाणा के जिंद निवासी नीलम और महाराष्ट्र के लातूर निवासी अमोल शिंदे के रूप में की गई।

मनोरंजन, शर्मा, नीलम और शिंदे के फोन लेकर भागे संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले के कथित मास्टरमाइंड ललित झा ने कर्तव्य पथ पुलिस स्टेशन में आत्मसमर्पण कर दिया था।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि उससे पूछताछ के बाद, पुलिस ने संसद सुरक्षा उल्लंघन के छठे आरोपी महेश कुमावत को आपराधिक साजिश और सबूत नष्ट करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।

बुधवार को दिल्ली पुलिस ने उत्तर प्रदेश के जालौन के उरई से भी एक शख्स को हिरासत में लिया।

उसकी पहचान 50 वर्षीय अतुल कुलश्रेष्ठ के रूप में हुई और वह एक सोशल मीडिया पेज/समूह भगत सिंह फैंस क्लब का सदस्य है।

झा की निशानदेही पर जले हुए फोन की बरामदगी के बाद पुलिस ने पहले से दर्ज एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 201 (सबूत नष्ट करना/साक्ष्य गायब करना) जोड़ने का फैसला किया है।

राजनीति

राज्यसभा में चर्चा की मांग पर अड़ा विपक्ष, हंगामे के बाद कार्यवाही स्थगित

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नई दिल्ली, 8 अगस्त। राज्यसभा में शुक्रवार को एक बार फिर हंगामा हुआ। विपक्ष के सांसद मतदाता सूची के गहन रिव्यू पर चर्चा की मांग पर अड़े रहे। हालांकि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण ने नियमों का हवाला देते हुए इसकी अनुमति नहीं दी।

इस पर विपक्षी सांसद नाराज हो गए। सांसदों ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी जिसके कारण सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। सदन में हो रहे हंगामे के बीच राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण ने बताया कि संसद में बार-बार हो रहे व्यवधान के कारण अब तक हम 56 घंटे 49 मिनट का समय गंवा चुके हैं।

उन्होंने राज्यसभा में प्रश्नकाल व शून्यकाल शांतिपूर्ण तरीके से चलने देने का अनुरोध किया। वहीं विपक्ष का कहना था कि वे जनता से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर नियम 267 के तहत चर्चा करना चाहते हैं। अनेक विपक्षी सांसदों ने इसके लिए उप उपसभापति को नोटिस भी दिया था। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण ने सदन में बताया कि नियम 267 के तहत विभिन्न विषयों पर चर्चा के लिए 20 सदस्यों ने नोटिस दिया है।

उप सभापति का कहना था कि जब से यह सत्र शुरू हुआ है, विभिन्न सांसद अलग-अलग विषयों पर हर रोज नियम 267 के तहत नोटिस दे रहे हैं। गौरतलब है कि 267 के तहत सदन की अन्य सभी कार्यवाहियों को स्थगित करके संबंधित विषय पर चर्चा कराई जाती है। इस नियम के अंतर्गत चर्चा के अंत में वोटिंग का भी प्रावधान होता है। सभापति का कहना था कि हर दिन कई अलग-अलग विषयों पर कई नोटिस दिए जा रहे हैं। उन्होंने सांसदों से कहा कि क्या इन सभी नोटिस को स्वीकार करना संभव है।

उप सभापति का कहना था कि ऐसा लगता है कि कई सदस्य नियम 267 को एक टूल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।

वहीं सदन में कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी का कहना था कि पूरा विपक्ष चाहता है कि सदन की कार्यवाही शांतिपूर्ण तरीके से चले जैसा कि आप (उप सभापति) भी चाहते हैं। प्रमोद तिवारी ने कहा कि 267 पर मेरा एक सुझाव है। उन्होंने 267 की मांग को जायज ठहराया और कहा ऐसा हो सकता है, यह रूलिंग भी है कि जब देश के लोकतंत्र पर खतरा हो, वोटिंग के अधिकार पर खतरा हो।

वहीं तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरिक ओ ब्रायन ने कहा कि हम सोमवार को केवल बिहार में चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे मतदाता सूची के गहन रिव्यू का मामला उठाएंगे। उन्होंने कहा कि विपक्ष के सभी सांसद एक मत होकर केवल इसी विषय पर चर्चा का नोटिस देंगे। यह सुनिश्चित किया जाए कि हमें इस पर चर्चा की अनुमति दी जाएगी। सीपीआईएम के सांसद जॉन बिटास ने भी नियम 267 के पक्ष में अपनी बात रखने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि संसद नियमों में स्पष्ट कहा गया है कि सांसद तय नियम के तहत 267 का नोटिस दे सकते हैं।

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राजनीति

बिहार की मतदाता सूची के मसौदे पर अब तक किसी राजनीतिक दल ने आपत्ति दर्ज नहीं कराई

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नई दिल्ली, 8 अगस्त। भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) बिहार की मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण कर रहा है। नागरिकों को पूरी जानकारी देने के लिए नियमित रूप से प्रेस नोट और विज्ञापन जारी किए जा रहे हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को दैनिक बुलेटिन जारी करते हुए चुनाव आयोग ने जानकारी दी कि बिहार की मसौदा मतदाता सूची के संबंध में किसी भी राजनीतिक दल ने पिछले 7 दिन में कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई है।

चुनाव आयोग ने दोहराया कि बिहार की अंतिम मतदाता सूची में किसी भी पात्र मतदाता को न छोड़ा जाए और न ही किसी अपात्र मतदाता को शामिल किया जाए। इस दिशा में 1 अगस्त को प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची में किसी भी त्रुटि को सुधारने के लिए अपने दावे और आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं।

अहम यह है कि विपक्ष लगातार एसआईआर प्रक्रिया का विरोध कर रहा है। बड़ी संख्या में लोगों को मतदाता सूची से बाहर करके उनके अधिकार छीनने का आरोप लगाया जा रहा है, लेकिन मसौदा मतदाता सूची में नाम हटाने या सुधारों को लेकर किसी भी राजनीतिक दल के बीएलए ने आपत्ति दर्ज नहीं कराई। चुनाव आयोग ने बूथ-वार मसौदा मतदाता सूची 1 अगस्त को प्रकाशित की थी, जो सभी राजनीतिक दलों के साथ साझा भी की गई।

चुनाव आयोग ने यह भी जानकारी दी कि बिहार के सभी 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों ने भी अपने बीएलए की संख्या 1,38,680 से बढ़ाकर 1,60,813 कर दी है।

इस बीच, बिहार लंबी कतारों से बचने के लिए प्रति बूथ मतदाताओं की संख्या 1,200 तक सीमित करने वाला पहला राज्य बन गया। मतदान केंद्रों की संख्या 77,895 से बढ़ाकर 90,712 कर दी गई। इसी तरह, बीएलओ की संख्या भी 77,895 से बढ़ाकर 90,712 कर दी गई। बिहार के मतदाताओं की सहायता के लिए, स्वयंसेवकों की संख्या भी 1 लाख की जा रही है।

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राजनीति

जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने को लेकर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

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SUPRIM COURT

नई दिल्ली, 8 अगस्त। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।

वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर. गवई के समक्ष यह याचिका प्रस्तुत की, जिन्होंने पुष्टि की थी कि मामले की सुनवाई 8 अगस्त (शुक्रवार) को होगी।

जहूर अहमद भट और कार्यकर्ता खुर्शीद अहमद मलिक की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि राज्य का दर्जा बहाल करने में लगातार हो रही देरी “जम्मू और कश्मीर के नागरिकों के अधिकारों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है और संघवाद की अवधारणा का भी उल्लंघन कर रही है।”

आवेदकों का तर्क है कि समयबद्ध सीमा के भीतर राज्य का दर्जा बहाल न करना संघवाद का उल्लंघन है, जो संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है।

इसमें कहा गया है कि तत्कालीन सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सम्मुख सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आश्वासन दिया था कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करेगी। हालांकि, कोर्ट ने इस बहाली के लिए कोई स्पष्ट समय सीमा नहीं दी थी।

हालांकि, भारत के चुनाव आयोग को पुनर्गठन अधिनियम की धारा 14 के तहत गठित जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव 30 सितंबर, 2024 तक कराने के लिए कदम उठाने का आदेश दिया गया था और कहा गया था कि “राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाएगा।”

पिछली सुनवाई के दौरान, एसजी मेहता ने अदालत को बताया था कि केंद्रीय गृह मंत्रालय कोई विशिष्ट समय-सीमा नहीं बता सकता और राज्य का दर्जा बहाल करने में “कुछ समय” लगेगा।

मई 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि “रिकॉर्ड में कोई त्रुटि स्पष्ट नहीं है” और मामले को खुली अदालत में सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया।

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