राजनीति
‘लोकतंत्र का गला घोंटा गया’, सांसदों के निलंबन पर बोली सोनिया; मोदी-शाह पर साधा निशाना

कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को संसद से 141 सांसदों के निलंबन को लेकर केंद्र की भाजपा नीत सरकार की आलोचना की और कहा कि लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया है। साथ ही उन्होंने ‘इतिहास को विकृत करने’ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की आलोचना भी की।
गाँधी ने पंडित जवाहरलाल नेहरू जैसे महान देशभक्तों को बदनाम करने के लिए इतिहास को विकृत करने और ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और सरकार की आलोचना की।
कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) की आम सभा की बैठक में पार्टी सांसदों को संबोधित करते हुए सोनिया गांधी ने कहा, ”इस सरकार ने लोकतंत्र का गला घोंट दिया है।”
उन्होंने कहा कि इससे पहले कभी भी संसद के इतने सारे विपक्षी सदस्यों को निलंबित नहीं किया गया था और वह भी सिर्फ एक उचित और वैध मांग उठाने के लिए।
कांग्रेस नेता ने कहा, “संसद के विपक्षी सदस्यों ने 13 दिसंबर की असाधारण घटनाओं के बारे में लोकसभा में गृह मंत्री के बयान देने की मांग की थी। इस अनुरोध को जिस अहंकार के साथ लिया गया उसका वर्णन करने के लिए कोई शब्द नहीं हैं।”
लोकसभा में 13 दिसंबर के सुरक्षा उल्लंघन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “13 दिसंबर को जो हुआ वह अक्षम्य है और इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता है। प्रधानमंत्री को राष्ट्र को संबोधित करने और घटना पर अपने विचार व्यक्त करने में चार दिन लग गए, और उन्होंने ऐसा संसद के बाहर किया।
उन्होंने कहा, “ऐसा करके, उन्होंने सदन की गरिमा के प्रति अपने अनादर और हमारे देश के लोगों के प्रति अपनी उपेक्षा को स्पष्ट रूप से दर्शाया है। मैं यह कल्पना आप पर छोड़ती हूं कि अगर भाजपा आज विपक्ष में होती तो क्या प्रतिक्रिया देती।”
सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि इस सत्र में जम्मू-कश्मीर से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण विधेयक पारित हुए हैं।
उन्होंने कहा, “जो लोग (पंडित) जवाहरलाल नेहरू जैसे महान देशभक्तों को बदनाम करने के लिए इतिहास को विकृत करते हैं और ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ते हैं, वे लगातार अभियान चला रहे हैं। इन प्रयासों का प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने स्वयं नेतृत्व किया है, लेकिन हम डरेंगे नहीं। हम सच बोलने पर कायम रहेंगे।
कांग्रेस नेता ने कहा जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा तुरंत बहाल करने और जल्द से जल्द चुनाव कराने की माँग की। उन्होंने कहा कि लद्दाख के लोगों की आकांक्षाएं भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं, उन्हें संबोधित किया जाना चाहिए और वह सम्मान दिया जाना चाहिए जिसके वे हकदार हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि हमारा मानना है कि महिला आरक्षण विधेयक को इस शर्त के साथ पारित किया जाना कि इसे केवल परिसीमन या जनगणना के बाद ही लागू किया जाएगा, एक दिखावा है जिसका उद्देश्य महिलाओं को गुमराह करना और उनके वोट हासिल करना है, जो कि उचित है।
सोनिया गाँधी ने कहा, “संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व लंबे समय से लंबित है। बर्बाद करने के लिए समय नहीं है। हमारा दृढ़ विश्वास है कि महिलाओं के लिए आरक्षण तुरंत लागू किया जाना चाहिए और इसमें ओबीसी समुदाय सहित सभी समुदायों की महिलाओं को शामिल किया जाना चाहिए।”
उन्होंने तेलंगाना में पार्टी सहयोगियों को विधानसभा चुनाव के लिए समर्पण और दृढ़ संकल्प के साथ काम करने के लिए बधाई दी।
सोनिया गांधी ने कहा कि उन्हें खुशी है कि शीतकालीन सत्र में तेलंगाना में केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय स्थापित करने का विधेयक पारित हो गया। उन्होंने केंद्र में भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए कहा, “यह आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 में निहित एक प्रतिबद्धता थी। अपनी कार्यकुशलता पर गर्व करने वाली सरकार को इसे पूरा करने में नौ साल लग गए।”
उन्होंने कहा कि यह कहना कि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में विधानसभा चुनाव परिणाम हमारी पार्टी के लिए बहुत निराशाजनक रहे हैं, एक अतिशयोक्ति होगी। कांग्रेस अध्यक्ष हमारे खराब प्रदर्शन के कारणों को समझने के लिए पहले दौर की समीक्षा कर चुके हैं और हमारे संगठन के लिए आवश्यक सबक सीखें।
कांग्रेस नेता ने कहा, “हम भारी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, फिर भी मुझे विश्वास है कि हमारी दृढ़ता और लचीलापन हमें जीत दिलाएगा। इस कठिन समय में हमारी विचारधारा और हमारे मूल्य हमारे मार्गदर्शक हैं।”
उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा, “कांग्रेस अध्यक्ष ने पहले ही हमारी चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं। हमारे स्थापना दिवस पर नागपुर में आयोजित होने वाली रैली इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस सरकार ने संसद सहित लोकतंत्र के आवश्यक स्तंभों और संस्थाओं पर व्यवस्थित हमला किया है।“
उन्होंने कहा कि संविधान पर हमला हो रहा है, आर्थिक असमानताएं बढ़ रही हैं, आर्थिक विकास के बारे में प्रधानमंत्री के दावों और जमीनी हकीकत के बीच भारी अंतर है।
उन्होंने बेरोजगारी और महंगाई का मुद्दा भी उठाया और कहा कि जरूरी है कि हम इन मुद्दों को जनता के बीच ले जाएं।
उन्होंने कहा, “यह हमारा भी कर्तव्य है कि हम उन ताकतों के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ें जो उस सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रही हैं जिसने हमारे देश को कायम रखा है।”
उन्होंने पिछले एक साल में प्रदर्शित नेतृत्व के लिए कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे को भी धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, “मैं हाल के विधानसभा चुनावों के लिए अथक प्रचार करने के लिए अपने सभी सहयोगियों और कार्यकर्ताओं की भी आभारी हूं। हमें अपनी निराशा को आगामी आम चुनावों के लिए सकारात्मक अभियान में बदलना चाहिए।”
उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए ‘देश के लिए दान’ का जो अभिनव अभियान शुरू किया गया है, उसके महत्व को कम नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि आप में से हर कोई यह सुनिश्चित करने के लिए अपना योगदान देगा कि यह एक निरंतर और सफल प्रयास बना रहे।”
महाराष्ट्र
निहारिका रॉय निभाएंगी एण्ड टीवी के सुपरनैचुरल कॉमेडी शो ‘घरवाली पेड़वाली‘ में सावी का किरदार!

एण्डटीवी शो ‘घरवाली पेड़वाली ‘ दर्शकों को भावनाओं, हंसी और डरावने सरप्राइज से भरी एक मज़ेदार रोलरकोस्टर राइड पर ले जाने के लिए तैयार है। इस अनोखी और ताज़गी भरी कहानी में चार चांद लगाने आ रही हैं जोशीली और प्रतिभाशाली अभिनेत्री निहारिका रॉय । इस शो में वह ‘ सावी ‘ का किरदार निभाती नजर आएंगी। सावी एक जेन-ज़ी लड़की है- जो निडर, आत्मविश्वास से भरपूर और फैशन में सबसे आगे इस अनोखे लव ट्राएंगल में ‘घरवाली‘ के रूप में सावी की एंट्री कई दिलचस्प मोड़ लाने वाली है। अपने स्टाइलिश एटीट्यूड और दिलकश अंदाज़ के साथ, निहारिका दर्शकों पर एक गहरी छाप छोड़ने को पूरी तरह तैयार हैं। ‘सावी‘ के अपने किरदार के बारे में बात करते हुए निहारिका रॉय ने कहा, ‘‘सावी सिर्फ़ एक किरदार नहीं है, वह एक पूरी वाइब है। वह आज की आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और निडर लड़कियों का प्रतिनिधित्व करती है, जो अपनी ज़िंदगी की कमान खुद संभालना जानती हैं। मुझे उसका बेझिझक बोलना, बिंदास अंदाज़ और अपनी बात बेबाक़ी से रखने वाला स्वभाव बहुत पसंद है। वह टीवी पर दिखाए जाने वाले पारंपरिक महिला किरदारों से बिल्कुल अलग है। उसकी सबसे खास बात है उसका आधुनिक नजरिया, भावनात्मक मैच्योरिटी, और साथ ही छोटे शहर की एक हल्की-सी मासूम सी झलक। मुझे भी असल ज़िंदगी में मस्ती भरी नोंक-झोंक और अचानक की गई शरारतें पसंद हैं, इसलिए सावी का किरदार निभाना मेरे लिए काफी नैचुरल है। यह रोल मेरे लिए न सिर्फ़ रोमांचक है बल्कि इमोशनल रूप से भी बेहद खास है।”
शो को लेकर अपनी उत्सुकता ज़ाहिर करते हुए निहारिका रॉय कहती हैं, ‘‘घरवाली पेड़वाली‘ मेरे लिए इसलिए भी खास है क्योंकि इसका कॉन्सेप्ट जितना अनोखा है, उतना ही अनप्रेडिक्टेबल और एंटरटेनिंग भी है। यह कोई आम रोमांटिक शो या डेली सोप जैसा नहीं है; इसमें है एक एनर्जेटिक लव ट्राएंगल, एक रहस्यमयी भूत और भरपूर हास्य से भरे मज़ेदार ट्विस्ट। इस शो का टाइटल सुनने में जितना सिंपल लगता है, असल में कहानी में जैसे-जैसे किरदार सामने आते हैं, इसकी गहराई और क्रिएटिविटी समझ आती है। इंसानों और अलौकिक शक्तियों के बीच लगातार चलती खींचतान शो को और दिलचस्प बना देती है। ‘घरवाली’ बनकर ‘पेड़वाली’ के मुकाबले में होना अपने आप में एक मज़ेदार टकराव है, जिसे ऑन-स्क्रीन एक्सप्लोर करने के लिए मैं बेसब्री से इंतज़ार कर रही हूं।”
राजनीति
राज्यसभा में चर्चा की मांग पर अड़ा विपक्ष, हंगामे के बाद कार्यवाही स्थगित

नई दिल्ली, 8 अगस्त। राज्यसभा में शुक्रवार को एक बार फिर हंगामा हुआ। विपक्ष के सांसद मतदाता सूची के गहन रिव्यू पर चर्चा की मांग पर अड़े रहे। हालांकि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण ने नियमों का हवाला देते हुए इसकी अनुमति नहीं दी।
इस पर विपक्षी सांसद नाराज हो गए। सांसदों ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी जिसके कारण सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। सदन में हो रहे हंगामे के बीच राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण ने बताया कि संसद में बार-बार हो रहे व्यवधान के कारण अब तक हम 56 घंटे 49 मिनट का समय गंवा चुके हैं।
उन्होंने राज्यसभा में प्रश्नकाल व शून्यकाल शांतिपूर्ण तरीके से चलने देने का अनुरोध किया। वहीं विपक्ष का कहना था कि वे जनता से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर नियम 267 के तहत चर्चा करना चाहते हैं। अनेक विपक्षी सांसदों ने इसके लिए उप उपसभापति को नोटिस भी दिया था। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण ने सदन में बताया कि नियम 267 के तहत विभिन्न विषयों पर चर्चा के लिए 20 सदस्यों ने नोटिस दिया है।
उप सभापति का कहना था कि जब से यह सत्र शुरू हुआ है, विभिन्न सांसद अलग-अलग विषयों पर हर रोज नियम 267 के तहत नोटिस दे रहे हैं। गौरतलब है कि 267 के तहत सदन की अन्य सभी कार्यवाहियों को स्थगित करके संबंधित विषय पर चर्चा कराई जाती है। इस नियम के अंतर्गत चर्चा के अंत में वोटिंग का भी प्रावधान होता है। सभापति का कहना था कि हर दिन कई अलग-अलग विषयों पर कई नोटिस दिए जा रहे हैं। उन्होंने सांसदों से कहा कि क्या इन सभी नोटिस को स्वीकार करना संभव है।
उप सभापति का कहना था कि ऐसा लगता है कि कई सदस्य नियम 267 को एक टूल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।
वहीं सदन में कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी का कहना था कि पूरा विपक्ष चाहता है कि सदन की कार्यवाही शांतिपूर्ण तरीके से चले जैसा कि आप (उप सभापति) भी चाहते हैं। प्रमोद तिवारी ने कहा कि 267 पर मेरा एक सुझाव है। उन्होंने 267 की मांग को जायज ठहराया और कहा ऐसा हो सकता है, यह रूलिंग भी है कि जब देश के लोकतंत्र पर खतरा हो, वोटिंग के अधिकार पर खतरा हो।
वहीं तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरिक ओ ब्रायन ने कहा कि हम सोमवार को केवल बिहार में चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे मतदाता सूची के गहन रिव्यू का मामला उठाएंगे। उन्होंने कहा कि विपक्ष के सभी सांसद एक मत होकर केवल इसी विषय पर चर्चा का नोटिस देंगे। यह सुनिश्चित किया जाए कि हमें इस पर चर्चा की अनुमति दी जाएगी। सीपीआईएम के सांसद जॉन बिटास ने भी नियम 267 के पक्ष में अपनी बात रखने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि संसद नियमों में स्पष्ट कहा गया है कि सांसद तय नियम के तहत 267 का नोटिस दे सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय
डोनाल्ड ट्रंप का 50 प्रतिशत वाला टैरिफ बम, भारत के लिए ‘अब्बा-डब्बा-जब्बा’

PM MODI
नई दिल्ली, 8 अगस्त। अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा रह-रहकर भारत को टैरिफ का दिखाया जा रहा डर अब उनके लिए ही परेशानी का कारण बनता जा रहा है। पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से अमेरिका भारत के खिलाफ टैरिफ बम फोड़ने की धमकी दे रहा है, उसका माकूल जवाब भारत सरकार की तरफ से दिया जा रहा है।
दरअसल, भारत एक ऐसा वैश्विक बाजार बन चुका है, जिसकी जरूरत दुनिया के देशों को अपना व्यापार चलाने के लिए है। इसकी सबसे बड़ी वजह भारत की परचेजिंग पावर पैरिटी है। भारत इस मामले में अमेरिका से आगे है और यही वजह है कि भारत के बाजार पर पूरी दुनिया की नजर है।
पिछले कुछ दिनों में भारत को अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा दी जा रही टैरिफ धमकी का जवाब जिस तरह से दिया जा रहा है, वह भारत की वैश्विक ताकत को दिखाता है। एक तरफ जहां भारत के खिलाफ टैरिफ की धमकी अमेरिका के राष्ट्रपति दे रहे हैं तो उनका जवाब भारत की तरफ से देने के लिए विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता सामने आ रहे हैं। मतलब दुनिया के सबसे ताकतवर देश होने का दंभ भरने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति की धमकी का जवाब भी भारत के प्रधानमंत्री या विदेश मंत्री स्तर के नेता के द्वारा नहीं दिया जा रहा है।
अब एक बार भारत की तरफ से किए गए निश्चय पर ध्यान दें तो आपको पता चल जाएगा कि आखिर भारत अमेरिका की टैरिफ वाली धमकी को इतनी गंभीरता से क्यों नहीं ले रहा है। भारत ने ट्रंप की टैरिफ वाली धमकी पर जो जवाब दिया है, उसका संदेश साफ है। भारत की तरफ से दिए गए जवाब को देखेंगे तो इससे स्पष्ट होता है कि अमेरिका के टैरिफ की भारत को कोई चिंता नहीं है और इसकी सबसे बड़ी वजह भारत का खुद आत्मनिर्भर बनना है। चाहे वह रक्षा का मामला हो या सुरक्षा का। दूसरी तरफ यह भी देखा जा रहा है कि अमेरिका से डील की किसी डेडलाइन की चिंता भारत में दिख नहीं रही है और सरकार की तरफ से साफ संदेश जा रहा है कि भारत प्रेशर में आने वाला नहीं है, ना ही प्रेशर में आकर कोई डील करेगा। इसके साथ ही भारत ट्रंप की मंशा भी अच्छी तरह से समझ रहा है कि अमेरिका भारत के पूरे बाजार में बेरोकटोक एक्सेस चाहता है जो किसी हाल में भारत देने को तैयार नहीं है।
इसके साथ ही नरेंद्र मोदी सरकार देश के किसानों और छोटे व्यवसायियों को किसी भी हाल में नुकसान होने देने के मूड में नहीं दिख रही है। वहीं, अमेरिका की तरफ से इस टैरिफ धमकी के जरिए इस पर भी दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है कि भारत अपने सबसे पुराने मित्र रूस से अपनी दोस्ती समाप्त कर ले तो भारत का यह संदेश भी स्पष्ट है कि ऐसा कभी होने वाला नहीं है।
भारत की अर्थव्यवस्था को ‘डेड’ बताने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को भी पता है कि भारत का बाजार जिस दिन अमेरिका के लिए बंद हुआ, उस दिन उनकी कई कंपनियों पर ताले लग जाएंगे। इसकी सबसे बड़ी वजह भारत की परचेजिंग पावर पैरिटी है। अब एक बार जानिए कि परचेजिंग पावर पैरिटी है क्या?
दरअसल, क्रय-शक्ति समता (परचेजिंग पावर पैरिटी- पीपीपी) अंतरराष्ट्रीय विनिमय का एक सिद्धांत है। जिसको आसान भाषा में समझिए कि यह एक-दूसरे देश में जीवन शैली पर किए गए व्यय के अनुपात को दर्शाता है। इसके अनुसार विभिन्न देशों में एकसमान वस्तुओं की कीमत समान रहती है। मतलब परचेजिंग पावर पैरिटी विभिन्न देशों में कीमतों का माप है, जो देशों की मुद्राओं की पूर्ण क्रय शक्ति की तुलना करने के लिए विशिष्ट वस्तुओं की कीमतों का उपयोग करती है।
यानी प्रत्येक देश में सामान और सेवाएं खरीदने के लिए एक देश की मुद्रा को दूसरे देश की मुद्रा में परिवर्तित करना होता है। अब इसे ऐसे समझें कि भारत के मध्यम वर्ग के लिए एक साल का बजट अगर 25 लाख का होता है, तो अमेरिका के मध्यम वर्गीय परिवार के लिए यही बजट यहां की मुद्रा के अनुसार 80 लाख से ज्यादा होता है।
अब भारत ने अमेरिका के उस दोहरे रवैये को भी उजागर कर दिया है, जिसमें अमेरिका भारत को रूस से दोस्ती और व्यापार खत्म करने के लिए धमकी दे रहा है। वहीं, वह खुद रूस से भारी मात्रा में तेल, गैस और फर्टिलाइजर खरीदता है।
हालांकि, भारत का विपक्ष अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत के ‘डेड’ इकोनॉमी वाले दावे पर सरकार को घेरने की कोशिश तो कर रहा है। लेकिन, विपक्ष के शशि थरूर, मनीष तिवारी और राजीव शुक्ला के साथ कई अन्य नेता भी हैं, जो ट्रंप के इस दावे को भद्दा मजाक तक बता दे रहे हैं। मतलब भारत में तो ट्रंप के दावे को भी मजाक में ही लिया जा रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की सत्ता में वापसी के बाद दुनिया के 70 से ज्यादा देशों पर टैरिफ बम फोड़ रखा है और उसे भी यह पता है कि इससे अमेरिका को भी बड़ा नुकसान होने वाला है। इसको सबसे पहले टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने समझा और उन्होंने सबसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति का विरोध करते हुए उनका साथ छोड़ दिया। ट्रंप के टैरिफ बम वाले दिखावे की वजह से अमेरिका के उद्योगपति भी घबराए हुए हैं। डोनाल्ड ट्रंप के साथ जिन देशों ने ट्रेड डील करने का दावा किया, उन्हें भी इस टैरिफ के मामले में नहीं बख्शा गया है। अब पाकिस्तान को हीं देख लें, जिस देश का सेना प्रमुख डोनाल्ड ट्रंप के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की मांग कर रहा है, उस पर भी ट्रंप ने 19 प्रतिशत टैरिफ ठोंक रखा है।
वैसे भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की व्यापक सफलता के बाद से भारत में निर्मित हथियारों की दुनिया में तेजी से मांग बढ़ी है। ऐसे में अमेरिका, जो अपने आप को आधुनिक हथियारों का सबसे बड़ा डीलर मानता है, उसकी चिंता ज्यादा बढ़ गई है।
दूसरा, भारत तेल की खरीदारी भी भारी मात्रा में रूस से करता है, जबकि अमेरिका इस पर भी नजरें गड़ाए बैठा है कि भारत रूस को छोड़कर उससे तेल का सौदा करे। लेकिन, इस सब के बीच जैसे ही ट्रंप ने भारत के खिलाफ 50 प्रतिशत टैरिफ की बात कही, उससे पहले पीएम मोदी के चीन दौरे और फिर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे की खबर ने उसकी बेचैनी बढ़ा दी है। अमेरिका जानता है कि रूस, चीन और भारत अगर एक बेस पर आ गए तो अमेरिका के लिए यह बड़ा महंगा पड़ सकता है। डोनाल्ड ट्रंप भी इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि भारत के खिलाफ जो उनका टैरिफ बम है, वह उनके देश की सेहत को भी नुकसान पहुंचाएगा। अमेरिका में दवाएं, ज्वेलरी, गोल्ड प्लेटेड गहने, स्मार्टफोन, तौलिये, बेडशीट, बच्चों के कपड़े तक महंगे हो जाएंगे।
अभी ये तो भारत की बात थी, लेकिन देखिए कैसे अमेरिका के खिलाफ दुनिया के और देश आगे आए हैं। भारत की वैश्विक ताकत का अंदाजा इससे लगाइए कि अभी कुछ दिन पहले विदेशी मीडिया की खबरों के अनुसार ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने अमेरिकी टैरिफ के मुद्दे को सुलझाने के लिए ट्रंप से बात करने के सवाल पर साफ कह दिया कि उन्हें इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। इसके बजाय वे भारत के पीएम नरेंद्र मोदी को कॉल कर लेंगे, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को कॉल कर लेंगे, लेकिन वे ट्रंप को कॉल नहीं करेंगे।
लूला ने जो कहा उसके अनुसार, ”मैं ट्रंप को कॉल नहीं करूंगा क्योंकि वे बात ही नहीं करना चाहते हैं, मैं शी जिनपिंग को कॉल करूंगा, मैं पीएम मोदी को कॉल करूंगा, मैं पुतिन को इस समय कॉल नहीं करूंगा क्योंकि वे अभी यात्रा करने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन मैं कई और राष्ट्रपतियों को कॉल करूंगा।”
लूला के इस बयान से ट्रंप को कैसी मिर्ची लगी होगी, यह तो सभी जानते हैं। उधर, पीएम मोदी का जिस अंदाज में लूला ने नाम लिया, वह भी ट्रंप के लिए चुभने वाला है। लूला ने तो ट्रंप की नीतियों को “ब्लैकमेल” बताते हुए साफ कर दिया कि अमेरिका ब्राजील पर टैरिफ लगाकर देखे, ब्राजील भी इसका जवाब शुल्क लगाकर देगा।
इसके साथ ही भारत और रूस की दोस्ती ही केवल अमेरिकी राष्ट्रपति की घबराहट की वजह नहीं है। दरअसल, भारत-पाकिस्तान और कंबोडिया और थाइलैंड के बीच सीजफायर को लेकर ट्रंप ने जैसे अपनी पीठ बिना किसी बात के थपथपाई वही कोशिश वह रूस-यूक्रेन के बीच भी सीजफायर होने के बाद करना चाह रहे थे। लेकिन, यूक्रेन-रूस की जंग रोकने के लिए ट्रंप ने जितने हथकंडे अपनाए सब फेल हो गए। पुतिन को ट्रंप ने हाई टैरिफ की धमकी भी दी, लेकिन रूस पर फिर भी कोई असर नहीं पड़ा तो ट्रंप बैखला गए। इसके बाद ट्रंप ने रूस के मित्र देशों और उनके साथ व्यापार करने वालों को निशाना बनाना शुरू किया। इसमें सबसे पहले ट्रंप के निशाने पर भारत, चीन और ब्राजील आए, लेकिन तीनों ही देशों पर ट्रंप की धमकी का वैसा ही असर पड़ा, जैसा रूस पर पड़ा था। अब ट्रंप गुस्से से आग बबूला होकर लगातार बयानबाजी कर रहे हैं।
वहीं, ट्रंप ब्रिक्स देशों के फाउंडर रहे भारत के खिलाफ तो टैरिफ की धमकी दे ही रहे हैं। वह ब्रिक्स में शामिल अन्य देशों के खिलाफ भी 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ की धमकी दे चुके हैं। ब्रिक्स दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जिसमें, ब्राजील, रूस, भारत, चीन, साउथ अफ्रीका, ईरान, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया और संयुक्त अरब अमीरात शामिल है। इन ब्रिक्स देशों की तरफ से एक-दूसरे से अपनी करेंसी में ट्रेड किया जाता है, वहीं इस समूह ने एक प्रपोजल भी दिया था कि इन देशों के बीच ट्रेड के लिए एक इंटरनेशनल करेंसी तैयार की जाए, ऐसे में डॉलर पर बड़े देशों या कहें कि उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों की निर्भरता कम हो जाने से अमेरिका का विश्व में प्रभुत्व बरकरार रखने पर भी खतरा मंडराएगा। ट्रंप को यह चिंता भी सता रही है।
जिस तरह से भारत डोनाल्ड ट्रंप की तमाम धमकियों के बाद भी अपने रुख पर अड़ा हुआ है और भारतीय बाजार को अमेरिका के लिए उसकी शर्तों पर खोलने के लिए तैयार नहीं हो रहा है। इससे भी ट्रंप के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ उभर आई हैं। ऐसे में अब ट्रंप को भारत से जिस भाषा में जवाब मिल रहा है, वह स्पष्ट संकेत दे रहा है कि अमेरिका की टैरिफ धमकी भारत के लिए ‘अब्बा-डब्बा-जब्बा’ जैसी है, इससे ज्यादा कुछ नहीं।
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