राजनीति
कांग्रेस ने राजस्थान को पार्टी का एटीएम बना दिया : अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को राज्य में कथित भ्रष्टाचार और घोटालों को लेकर राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पर निशाना साधा। अमित शाह ने कहा कि जब भाजपा राज्य में सरकार बनाएगी तो भ्रष्टाचारियों को बख्शा नहीं जाएगा।
अमित शाह ने अजमेर जिले में एक बड़ी सभा को संबोधित करते हुए कहा, ”मैं आपसे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में डबल इंजन सरकार बनाने का आग्रह करता हूं। हम भ्रष्टाचार के सभी मामलों की जांच करेंगे और जिन लोगों ने गरीबों का पैसा लिया है, उन्हें उल्टा कर सीधा कर दिया जायेगा।”
शाह ने ‘लाल डायरी’ मुद्दे पर मुख्यमंत्री गहलोत पर हमला बोलते हुए कहा कि राज्य की कांग्रेस सरकार पिछले पांच साल से भ्रष्टाचार में लिप्त है। गहलोत सरकार ने पूरे राजस्थान को कांग्रेस का एटीएम बना दिया है। जब भी कांग्रेस को पैसे की जरूरत होती है, तो दिल्ली से उसके नेता पैसे लेने के लिए राजस्थान आते हैं।
राजस्थान अपराध, तुष्टिकरण और महिलाओं पर अत्याचार में नंबर वन है। महिला अपराध, साइबर क्राइम, पेपर लीक, पेट्रोल के दाम, बिजली दरें, महंगाई सूचकांक और मंडी टैक्स के मामले में प्रदेश नंबर वन है। गहलोत सरकार ने राजस्थान की जनता का जीना दुश्वार कर दिया है।
अमित शाह ने ‘कांग्रेस एक परिवार आधारित पार्टी’ है करते हुए कहा, “अशोक गहलोत वैभव गहलोत को राजस्थान में लॉन्च करना चाहते हैं। सोनिया गांधी केंद्र में राहुल गांधी को लॉन्च करना चाहती हैं। मैं कांग्रेस को बताना चाहता हूं, आपका लॉन्चिंग पैड खराब हो चुका है।”
15 साल से राहुल गांधी को लॉन्च करने की कोशिश हो रही है, लेकिन वह रॉकेट उड़ नहीं पाता, बल्कि हर बार वापस आ जाता है। वैभव गहलोत ने 2019 में जोधपुर से चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार गए। अमित शाह ने यह भी कहा कि राजस्थान में भर्ती परीक्षाओं में घोटाले हुए हैं। पिछले पांच वर्षों में बार-बार पेपर लीक हुए, जिससे 1.40 करोड़ युवाओं का भविष्य खराब हो गया।
राजस्थान में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर शाह ने कहा, ”देश में अगर माताएं-बहनें कहीं असुरक्षित हैं तो वह राजस्थान में हैं। कन्हैया लाल हत्याकांड राजस्थान में हुआ था। 2019 में टोंक और डूंगरपुर में, 2021 में बारां और झालावाड़ में और 2022 में करौली, जोधपुर, छबड़ा, भीलवाड़ा, नोहर, मालपुरा और जयपुर में दंगे हुए। लेकिन सरकार ने वोट बैंक की राजनीति के लालच में कोई कदम नहीं उठाया।”
यह सरकार रिसॉर्ट्स में रहती है। उन्होंने पूछा, ”क्या वे लोग जो अपनी सरकार नहीं बचा सकते, हमारी सीमाएं बचा सकते हैं?”
इसके अलावा अमित शाह ने कहा, ”वोट बैंक की राजनीति करते हुए गहलोत सरकार ने सारी हदें पार कर दीं। अलवर में 300 साल पुराना शिव मंदिर तोड़ा गया, सालासर में राम दरबार पर बुलडोजर चलाया गया, अवैध खनन के विरोध में एक संत ने आत्महत्या कर ली। ऐसी घटनाएं देश में कहीं से नहीं, सिर्फ राजस्थान से सामने आईं। कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। अगर वह सत्ता में रहेगी तो पीएफआई जैसे संगठनों को खुली छूट मिल जाएगी।”
महाराष्ट्र
मराठा आरक्षण जीआर जारी, ओबीसी और मराठा समुदाय के बीच विवाद

मराठा आरक्षण को मंजूरी मिलने और जीआर जारी होने के बाद छगन भुजबल अपनी ही सरकार से नाराज हैं, जबकि मनोज जरांगे पाटिल दृढ़ हैं और उन्होंने दावा किया है कि हर मराठा को आरक्षण मिलेगा और इसे लेकर कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। मुंबई के आजाद मैदान में मराठों के सफल विरोध प्रदर्शन के बाद, मराठा आंदोलन के प्रमुख मनोज जरांगे पाटिल ने कहा कि मराठा आरक्षण के लिए मराठों ने अपनी जान की परवाह किए बिना आंदोलन को मजबूत किया। 70-75 वर्षों से मराठा आरक्षण के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। अब सभी मराठों को आरक्षण प्रदान किया जाएगा। अविश्वास और भ्रामक प्रचार पर विश्वास न करें। धैर्य रखें और बौद्धिक कौशल का प्रमाण दें। लोगों की बातों पर विश्वास न करें। सभी मराठों को आरक्षण प्रदान किया जाएगा। सरकार द्वारा हैदराबाद राजपत्र लागू करने के बाद यह संभव हो पाया है और सरकार ने इसे सुनिश्चित करने का वादा किया है। इस राजपत्र के लागू होने से मराठा समुदाय भी ओबीसी में शामिल हो जाएगा, इसलिए अफवाहों पर ध्यान न दें। मराठा मोर्चा समाप्त होने के बाद मनोज जारंगे पाटिल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि हैदराबाद गजट लागू होने से मराठा समुदाय को ओबीसी में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण के प्रावधान से बहुत से लोग नाराज़ हैं और हमारी एकता को तोड़ने की साज़िश कर रहे हैं। इसलिए भ्रामक प्रचार पर भरोसा न करें।
मराठा आरक्षण पर जीआर जारी, भुजबल नाराज़
सरकार ने मराठा समुदाय के आरक्षण को लेकर जीआर जारी कर दिया है। मनोज जारंगे पाटिल ने पाँच दिन बाद कल अपनी भूख हड़ताल वापस ले ली। सरकार ने उनकी आठ में से छह माँगें मान लीं। हालाँकि, अब ओबीसी समुदाय आक्रामक रुख अपनाता दिख रहा है। वे ओबीसी से मराठा समुदाय को दिए गए आरक्षण पर अपना गुस्सा ज़ाहिर कर रहे हैं। ओबीसी समुदाय के नेता छगन भुजबल इससे नाराज़ हैं। उन्होंने साफ़ किया कि वे जीआर के बारे में वकीलों से सलाह ले रहे हैं। इसी सिलसिले में, मंत्री छगन भुजबल आज की कैबिनेट बैठक से अनुपस्थित रहे।
मराठा समुदाय को ओबीसी से आरक्षण मिलने को लेकर ओबीसी में नाराज़गी है। इतना ही नहीं, बताया जा रहा है कि सरकार द्वारा मराठा आरक्षण को लेकर जीआर जारी करने के बाद छगन भुजबल नाराज़ हैं और उन्होंने कैबिनेट बैठक से दूर रहने का फ़ैसला किया है। मनोज जारंगे पाटिल ने ज़ोर देकर कहा कि मराठवाड़ा का हर मराठा ओबीसी है। अब ओबीसी कह रहे हैं कि ओबीसी के आरक्षण पर हमला होगा। मराठा और कन्बी समुदाय बराबर हैं, जिसके बाद आरक्षण को लेकर ओबीसी और मराठा समुदाय के बीच विवाद चल रहा है और स्थिति तनावपूर्ण हो गई है, जिसके चलते अब ओबीसी और मराठा समुदाय आमने-सामने आ गए हैं।
महाराष्ट्र
सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद 17 साल बाद नागपुर जेल से बाहर आए अरुण गवली

नागपुर, 3 सितंबर 2025: गैंगस्टर से नेता बने अरुण गवली को सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद बुधवार दोपहर नागपुर सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया। गवली ने 2007 में शिवसेना कॉरपोरेटर कमलाकर जामसंदेकर की हत्या के मामले में 17 साल से अधिक समय जेल में बिताया था।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने यह माना कि गवली अब 76 वर्ष के हो चुके हैं और 17 साल से अधिक समय से जेल में हैं, जबकि उनकी अपील अभी तक लंबित है। इस आधार पर अदालत ने उन्हें ज़मानत दी, हालांकि शर्तें ट्रायल कोर्ट तय करेगा।
गवली को 2012 में मकोका के तहत दोषी ठहराया गया था और उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई थी। 2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी इस सज़ा को बरकरार रखा। कई बार ज़मानत अर्जी खारिज होने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने लम्बे कारावास और बढ़ती उम्र को देखते हुए राहत दी है।
नागपुर जेल से उनकी रिहाई के समय परिवार और समर्थक बड़ी संख्या में मौजूद थे। सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रखी गई थी।
अरुण गवली ने 80 और 90 के दशक में मुंबई अंडरवर्ल्ड में अपना दबदबा बनाया और बाद में राजनीति में आकर अखिल भारतीय सेना की स्थापना की। वे 2004 से 2009 तक चिंचपोकली से विधायक भी रहे। जेल में रहते हुए भी वे चर्चा में बने रहे, खासकर 2018 में जब उन्होंने गांधी दर्शन की परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त किए।
हालांकि उन्हें ज़मानत मिल गई है, लेकिन मुकदमे की सुनवाई अभी बाकी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपील की अंतिम सुनवाई फरवरी 2026 के लिए निर्धारित की है।
अपराध
दिल्ली पुलिस ने सीमा पार मोबाइल तस्करी रैकेट का किया भंडाफोड़, सरगना सहित तीन गिरफ्तार

नई दिल्ली, 3 सितंबर। दिल्ली पुलिस की एसटीएफ ने राष्ट्रीय राजधानी से लूटे गए मोबाइल के मामले में अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने अंतरराज्यीय गिरोह के तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
दरअसल, यह कार्रवाई दक्षिण-पूर्वी जिला पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने की है। एसटीएफ ने 2 सितंबर को दिल्ली के सराय काले खां स्थित वेस्ट टू वंडर पार्क के पास से इस गिरोह के तीन सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जिनमें सरगना भी शामिल है।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपियों की पहचान मोहतार शेख, मोहम्मद गुलू शेख और अब्दुल शमीम के रूप में हुई है, जो सभी पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के निवासी हैं।
दिल्ली पुलिस ने बताया कि मंगलवार को एसटीएफ को सूचना मिली थी कि चोरी किए गए या छीने गए मोबाइल फोनों का मुख्य खरीदार मोहतार शेख अपने दो साथियों के साथ दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के इलाके में घूम रहा है। इस सूचना पर एसटीएफ ने एक विशेष टीम गठित की और सराय काले खां के वेस्ट टू वंडर पार्क के पास जाल बिछाया। मंगलवार शाम करीब 7:15 बजे पुलिस ने आईएसबीटी की ओर से आ रहे मोहतार शेख और उसके दो साथियों की पहचान की। इसके बाद टीम ने तुरंत उन्हें गिरफ्तार कर लिया। तलाशी के दौरान उनके पास से तीन देसी पिस्तौल, छह जिंदा कारतूस और 228 महंगे मोबाइल फोन बरामद किए हैं।
पुलिस के मुताबिक, दिल्ली से लूटे गए मोबाइल को पश्चिम बंगाल के रास्ते सीमा पार नेपाल और बांग्लादेश भेजा जाता था। पूछताछ में पता चला कि मोहतार शेख इस गिरोह का मुख्य सरगना है। वह अपने दोनों साथियों के साथ मिलकर स्थानीय चोरों से कम कीमत पर चोरी के मोबाइल फोन खरीदता था। इसके बाद ये फोन वाहकों और बिचौलियों के नेटवर्क के माध्यम से नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में भेजे जाते थे, जहां इन्हें ऊंचे दामों पर बेचा जाता था।
इन गिरफ्तारियों ने एक बड़े सीमा पार नेटवर्क का खुलासा किया है, जो न केवल दिल्ली में सड़क अपराधों को बढ़ावा देता है, बल्कि चोरी के उपकरणों का अवैध विदेशी व्यापार भी करता है।
पुलिस अन्य नेटवर्क सदस्यों, स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं और विदेशी खरीदारों की पहचान के लिए जांच कर रही है।
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