राष्ट्रीय समाचार
जयशंकर की दो दिवसीय पुर्तगाल यात्रा समाप्त

विदेश मंत्री एस. जयशंकर की गुरुवार को दो दिवसीय पुर्तगाल यात्रा पूरी हो गई। उन्होंने दूसरे दिन प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा से मुलाकात की और अपने पुर्तगाली समकक्ष जोआओ गोम्स क्राविन्हो के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की।
बैठक के दौरान, कोस्टा ने द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के साथ-साथ भारत, पुर्तगाल और यूरोपीय संघ के बीच संबंधों को गहरा करने के लिए अपना मजबूत समर्थन दोहराया।
जयशंकर और पुर्तगाली असेंबली के अध्यक्ष सैंटोस सिल्वा ने दोनों लोकतंत्रों के बीच सहयोग को आगे बढ़ाने के महत्व पर चर्चा की।
विदेश मंत्री ने द्विपक्षीय संबंधों पर विदेश मंत्री क्राविन्हो के साथ व्यापक चर्चा करने के अलावा पुर्तगाल-भारत संसदीय मैत्री समूह के सदस्यों से भी मुलाकात की।
दोनों नेताओं ने नियमित उच्च स्तरीय राजनीतिक आदान-प्रदान पर संतोष व्यक्त किया और व्यापार और निवेश के साथ-साथ आईटी, स्वास्थ्य और फार्मास्यूटिकल्स, नवीकरणीय ऊर्जा, रक्षा उद्योग, स्टार्ट-अप और युवाओं, पेशेवरों और कुशल श्रमिकों की गतिशीलता सहित कई क्षेत्रों में बढ़ती संभावनाओं पर चर्चा की।
दोनों पक्ष पुर्तगाली गणराज्य में काम करने के लिए भारतीय नागरिकों की भर्ती पर समझौते का पूरा लाभ प्राप्त करने और भारत पुर्तगाल कांसुलर संवाद शुरू करने के लिए एक पायलट परियोजना के लिए मानक संचालन प्रक्रिया के कार्यान्वयन पर सहमत हुए।
उन्होंने द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों का जायजा लेने के लिए संयुक्त आर्थिक समिति की अगली बैठक शीघ्र आयोजित करने का निर्णय लिया।
जयशंकर और क्रेविन्हो ने भारत-यूरोपीय संघ संबंधों, भारत मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईईसी) पर फोकस के साथ कनेक्टिविटी, यूक्रेन में संघर्ष, पश्चिम एशिया की स्थिति और भारत-प्रशांत सहित महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
विदेश मंत्री ने समुद्री संग्रहालय का भी दौरा किया, जहां उन्हें लोथल, गुजरात में स्थापित किए जा रहे समुद्री विरासत परिसर के विकास पर दोनों पक्षों के बीच चल रहे सहयोग के बारे में जानकारी दी गई।
इसके अलावा, जयशंकर ने राधा कृष्ण मंदिर का भी दौरा किया और महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी को श्रद्धांजलि दी और सरदार पटेल की जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
उन्होंने भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित एक स्वागत समारोह में भारतीय समुदाय के सदस्यों और दोस्तों को भी संबोधित किया।
पुर्तगाली विदेश मंत्री जोआओ गोम्स क्रेविन्हो भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
जयशंकर की पुर्तगाल यात्रा ने ऐतिहासिक और करीबी सांस्कृतिक संबंधों के साथ-साथ दूरदर्शी समकालीन साझेदारी पर आधारित दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे संबंधों को और मजबूत किया है।
दोनों पक्षों ने 2025 में राजनयिक संबंधों की स्थापना की 50वीं वर्षगांठ मनाने का फैसला किया।
राजनीति
राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ वाले आरोप निराधार : संजय निरुपम

मुंबई, 8 अगस्त। शिवसेना नेता संजय निरुपम ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के नेताओं के आरोप निराधार हैं। खासकर महाराष्ट्र के विषय में विपक्षी दलों ने जो आरोप लगाए, लेकिन महाराष्ट्र में ‘वोट चोरी’ पर बात करते हुए राहुल गांधी कर्नाटक चले गए हैं।
संजय निरुपम ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि महायुति की जीत में महाराष्ट्र की जनता का योगदान है। इसे आप (राहुल गांधी) यह नहीं कह सकते हैं कि नए वोटर फर्जी तरीके से जोड़कर महायुति विधानसभा चुनाव जीती।
राहुल गांधी के आरोपों पर उन्होंने आगे कहा, “राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनाव के संबंध में कहा था कि नए वोटर लाखों की संख्या में बनाए गए, उन सभी लोगों ने आखिर में वोटिंग की। शाम को साढ़े 5 बजे के बाद वोटिंग प्रतिशत अचानक बढ़ गया और इसका फायदा महायुति को हुआ। लेकिन साढ़े 5 बजे के आसपास मतदान प्रतिशत बढ़ना आम बात है। देश के चुनावों में अक्सर यह हुआ है कि शाम के समय ही वोट प्रतिशत बढ़ा है, क्योंकि बहुत मतदाता शाम को वोट डालने पहुंचते हैं।”
नागपुर की कामठी सीट को लेकर राहुल गांधी के दावे पर संजय निरुपम ने महाराष्ट्र की तीन और सीटों का जिक्र किया। निरुपम ने बताया कि माढ़ा में 18 वोट प्रतिशत शाम के समय बढ़ा था, जबकि वणी विधानसभा क्षेत्र में 13 प्रतिशत वोट और श्रीरामपुर में 12 प्रतिशत वोट बढ़ा। राहुल गांधी के संशय के हिसाब से यहां भी भाजपा जीतनी चाहिए थी, लेकिन माढ़ा में एनसीपी-एसपी, वणी में शिवसेना-यूबीटी और श्रीरामपुर में कांग्रेस का प्रत्याशी जीता था।”
शिवसेना नेता ने कहा कि एक खास समय में किसी भी एक राजनीतिक पार्टी के वोट बढ़े, इस तरह के आरोप निराधार हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार, खासकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दो महीने पहले यह डाटा साझा किया था, लेकिन कांग्रेस और राहुल गांधी ने इस पर जवाब नहीं दिया। राहुल गांधी ने अपना ‘एटम बम’ फोड़ते समय भी इस पर कोई जवाब नहीं दिया था।
राजनीति
चुनाव आयोग एक पार्टी प्रवक्ता की तरह बात न करे, राहुल के आरोपों का जवाब दे : कांग्रेस सांसद

नई दिल्ली, 8 अगस्त। बिहार एसआईआर प्रक्रिया पर घमासान के बीच कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के नए दावों ने सियासत को और भड़का दिया है। राहुल गांधी ने ‘वोट-चोरी’ के तथाकथित सबूत दिए। इसी क्रम में, कांग्रेस पार्टी पहले के मुकाबले और हमलावर है। कांग्रेस सांसदों ने कहा कि चुनाव आयोग को राहुल गांधी के सबूतों के आधार पर जवाब देना चाहिए।
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि एसआईआर पर चर्चा के लिए सरकार आज भी तैयार नहीं है। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग के डॉक्यूमेंट से ही साबित कर दिया कि निश्चित साक्ष्य के साथ जबरदस्त गड़बड़ी हुई है। इसके बावजूद, मौजूदा सरकार इस विषय पर चर्चा के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी ने साक्ष्य के साथ जो सबूत रखे हैं, उनका जवाब सरकार को देना चाहिए। चुनाव आयोग भाजपा के प्रवक्ता की तरह बात न करे, बल्कि राहुल गांधी के आरोपों का जवाब दे।”
मिडिया से बातचीत में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ने कहा, “राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक-डेढ़ घंटे तक सिर्फ सबूत ही पेश किए थे, और क्या सबूत चाहिए? चुनाव आयोग की जिम्मेदारी बनती है कि देश में निष्पक्ष चुनाव कराए, लेकिन आप सूची नहीं दे रहे हैं। मतदाताओं के भ्रम को दूर करना चुनाव आयोग का कर्तव्य है।”
इसी तरह, रंजीत रंजन ने कहा कि चुनाव आयोग के डॉक्यूमेंट के आधार पर ही कर्नाटक में एक विधानसभा में 6 महीने तक जांच के बाद एक लाख से अधिक फर्जी मतदाता मिले। मतदाता सूची में किसी का पता सही नहीं है और किसी की फोटो सही नहीं है, इससे बड़ा सबूत क्या हो सकता है?
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के दावों पर कहा, “राहुल गांधी ने सबूत दिखाए हैं, चुनाव आयोग को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और संसद में एसआईआर पर चर्चा होनी चाहिए।” उन्होंने कहा, “राहुल गांधी और क्या प्रमाण दें? उन्होंने सबूत दिए हैं। चुनाव आयोग यह बताए कि क्या वह सबूत गलत हैं। राहुल गांधी ने अलग-अलग लोगों का नाम लिया, क्या वह लोग गलत थे? यह चुनाव आयोग बताए।”
गौरव गोगोई ने कहा कि राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद चुनाव आयोग ने जिस तरह से जवाब देना जरूरी समझा, उससे उनकी झिझक और बेचैनी साफ जाहिर होती है। वे राहुल गांधी के तीखे सवालों का सटीक जवाब नहीं दे पाए। अब वे सबूत और शपथ पत्र मांग रहे हैं, लेकिन राहुल गांधी पहले ही सारे सबूत सार्वजनिक रूप से पेश कर चुके हैं।
राष्ट्रीय समाचार
9 अगस्त 2012 का वो ऐतिहासिक दिन, जब ‘अग्नि-2’ ने भारत की रक्षा ताकत को दी नई उड़ान

नई दिल्ली, 8 अगस्त। 9 अगस्त, 2012, ये वो दिन था, जब भारतीय सेना ने देश की रक्षा क्षमता को और मजबूत करते हुए परमाणु हमला करने में सक्षम अग्नि-2 बैलेस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। यह परीक्षण भारत के मिसाइल विकास कार्यक्रम और रणनीतिक रक्षा नीति में एक महत्वपूर्ण कदम था। यह न केवल तकनीकी उपलब्धि थी, बल्कि भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखने की प्रतिबद्धता का भी प्रतीक था।
दरअसल, अग्नि-2 भारत के एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) का हिस्सा है, जिसे डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया है। अग्नि-2 मध्यम दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल है, जो अपनी लंबी रेंज और सटीकता के लिए जानी जाती है। यह परमाणु और पारंपरिक दोनों तरह के हथियार ले जाने में सक्षम है।
9 अगस्त, 2012 को ओडिशा के तट पर स्थित व्हीलर द्वीप (डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप) से इसका सफल परीक्षण किया गया था।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, भारत ने 2012 में अपनी रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए सतह से सतह पर मार करने वाली बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-2 का सफल परीक्षण किया था। ये परीक्षण न केवल तकनीकी दक्षता को प्रदर्शित करते हैं, बल्कि भारत की रणनीतिक निवारक क्षमता और क्षेत्रीय स्थिरता को भी रेखांकित करते हैं।
अग्नि-2 की मारक क्षमता 2,000 से 2,500 किलोमीटर के बीच है। यह मध्यम दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल है, जो अत्याधुनिक इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (आईएनएस), जीपीएस आधारित और 1,000 किलोग्राम तक पेलोड क्षमता से लैस है। यह लगभग 20 मीटर लंबी है और इसका वजन करीब 17 टन है, जो इसे अत्यंत सटीक बनाता है। इसे रेल और सड़क दोनों से मोबाइल लांचर के जरिए प्रक्षेपित किया जा सकता है, और यही इसे रणनीतिक रूप से लचीला बनाता है। दो चरणों वाली ठोस ईंधन प्रणाली मिसाइल की त्वरित तैनाती और विश्वसनीयता सुनिश्चित करती है।
9 अगस्त 2012 को जब इस मिसाइल का परीक्षण किया गया था, तो इसने अपने लक्ष्य को सटीक रूप से भेदा था, जिसकी रडार और टेलीमेट्री स्टेशनों द्वारा पुष्टि की गई थी। यह परीक्षण भारतीय सेना की परिचालन तत्परता को परखने का हिस्सा था।
अग्नि-2 का 2012 में किया गया सफल परीक्षण भारत की मिसाइल प्रौद्योगिकी और रक्षा तैयारियों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था, जो एक तकनीकी उपलब्धि के साथ-साथ भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखने की प्रतिबद्धता का भी प्रतीक था।
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