राजनीति
इंडिया गठबंधन में अपना पड़ला भारी रखने के लिए मुस्लिम वोट बैंक पर कांग्रेस की नजर
लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ने भले ही क्षेत्रीय दलों से गठबंधन कर लिया हो, लेकिन वह इंडिया को लीड करने में अपना पड़ला भारी रखना चाहती है। इसके लिए उसने मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने पर फोकस करना शुरू किया है। इसके साथ वह अब मुस्लिमों के मुद्दों को लेकर भी काफी मुखर हो रही है।
राजनीतिक जानकर बताते हैं कि कांग्रेस ने पहले पश्चिमी यूपी में मुस्लिम नेताओं पर फोकस करना शुरू किया है। बीते दिनों पूर्व विधायक इमरान मसूद की घर वापसी के बाद राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के कद्दावर नेता रहे नवाब कोकब हमीद के बेटे नवाब अहमद हमीद को कांग्रेस में शामिल किया गया है। कहीं कहीं सपा द्वारा दबाव बनाने के लिए कांग्रेस ने यह कदम उठाया है जिससे उसका गठबंधन में नेतृत्व यूपी में भी बरकरार रहे।
राजनीतिक पंडित बताते हैं कि कांग्रेस का फोकस यूपी के मुस्लिम और दलित मतदाताओं पर है। मुस्लिम और दलित पॉकेट्स के नेताओं को कांग्रेस में लाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि चुनाव नजदीक आने के साथ ही बसपा और सपा के तमाम मुस्लिम नेता कांग्रेस की ओर रुख कर सकते हैं, क्योंकि भारत जोड़ो यात्रा से राहुल की छवि में निखार आई है। मुस्लिम नौजवान उनकी ओर आकर्षित हो रहा है। इसी कारण पार्टी से बिखरे नेता भी कांग्रेस में आने की सोच रहे हैं।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस मुस्लिम वोटों को अपने पाले में लाने की मुहिम में जुटी है। इसी कारण जब भाजपा सांसद ने बसपा के सांसद दानिश अली को आपत्तिजनक शब्द कहे तब राहुल गांधी ने उनके घर जाकर ढांढस बंधाया था। इसके बाद यूपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय भी उनसे मिलने पहुंचे थे। दोनों नेताओं ने संसद में दानिश पर की गई तीखी टिप्पणी की निंदा की थी।
प्रसून कहते हैं कि दोनों नेताओं के मुलाकात के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस ने दानिश के जरिए मुस्लिम वोट बैंक साधने का बड़ा दांव खेला है। इसे विपक्षी गठबंधन इंडिया में शामिल पार्टी को लग रहा है कि लोकसभा चुनाव में मुस्लिम एकजुट होकर कांग्रेस के पाले में आएंगे।
उन्होंने कहा कि बसपा से निष्कासित पूर्व विधायक इमरान मसूद की कांग्रेस में वापसी के बाद अब रालोद नेता नवाब अहमद हमीद के जरिए कांग्रेस अपने पांव पश्चिमी यूपी में जमाने में जुटी है। अहमद हमीद पिछले विधानसभा चुनाव में बागपत से रालोद के प्रत्याशी थे। हालांकि वह चुनाव हार गए थे। वह बागपत व आसपास के जिलों में अच्छा प्रभाव रखते हैं और उनकी गिनती प्रभावशाली मुस्लिम नेताओं में होती है।
इसके अलावा कांग्रेस पार्टी मुस्लिम हितैषी दिखाने मुस्लिम शासकों के बारे में संगोष्ठी कर उनकी महानता का बखान करने में जुटी है। 15 अक्टूबर को लखनऊ में बादशाह अकबर की जयंती मनाते हुए उनकी खूबियों का जमकर बखान किया गया।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतन मणि लाल कहते हैं कि चंदन, त्रिपुंड और जनेऊ के बाद भी हिंदू वोट बैंक कांग्रेस से नहीं जुड़ पा रहा है। हिंदू वोटर के बीच यह मैसेज फैल चुका है कि कांग्रेस लोग न हमारे पक्ष में जुड़ते है न ही हमारे मुद्दों पर बयान देते हैं और सनातन का विरोध करने वालों के साथ खड़ी रहती है। पार्टी को लग रहा है कि अब मुस्लिम को साधने की जरूरत है, क्योंकि मुस्लिम वोट कांग्रेस से पूरा नहीं कटा था। यह चुनाव परिणाम भी बताते हैं। कांग्रेस का सोचना है कि सेकुलर और लिबरल हिंदू तो हमारे साथ पहले से ही हैं। मुस्लिम को अपने साथ करने से संख्या बल मजबूत हो जाएगी। सपा अब मुस्लिम के साथ परोक्ष रूप से दिखाई नहीं दे रही है। आजम खान भी किनारे कर दिए गए हैं। सपा की टॉप टेन लीडरशिप में इनकी नुमाइंदगी देखने को नहीं मिल रही है। कांग्रेस देख रखी है कि मुस्लिम दिशाहीन हो तो उसे अपने पाले में ले आएं। अगर भविष्य में कोई भी पोलराइजेशन होता है तो कांग्रेस पार्टी बिना लाग लपेट के मुस्लिमो के पक्ष में खड़ी नजर आएगी।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रेहान अख्तर कहते हैं कि मुस्लिम वोटर लोकसभा चुनाव में सरकार बनाने और अपनी बात आसानी से पहुंचाने में सहूलियत देखता है, इसी कारण वो कांग्रेस की ओर उसका रुझान दिखाई देता है।
उन्होंने कहा कि वो लोग मजबूती देखते हैं। लेकिन कहीं न कहीं इंडिया गठबंधन बना है लोग मोबलाइज करने के प्रयास में है। 11 माह पहले कुछ मुस्लिमों का रुझान भाजपा की तरफ हुआ था। पीएम ने बयान भी दिया था कि पसमांदा और प्रोफेशनल मुस्लिम के बीच में अपनी योजनाएं पहुंचाएं। लेकिन यह लोग अपनी बात पहुंचाने में कामयाब नहीं हुए और गैप बहुत हो गया है। अब रुझान बदल गया। लोग इंडिया गठबंधन की तरफ देख रहे हैं। संगोष्ठी और स्थलों के माध्यम से एक दूसरे के वाद प्रतिवाद चलता रहेगा। राजनीतिक दल पॉलिटिकल संदेश देने वाली चीजें दोनों ओर से चलती रहेंगी।
राष्ट्रीय समाचार
तेलंगाना सरकार ने अमेरिकी अभियोग के बीच यंग इंडिया स्किल्स यूनिवर्सिटी के लिए अडानी फाउंडेशन के ₹100 करोड़ के दान पर रोक लगा दी
तेलंगाना सरकार ने चल रहे विवादों का हवाला देते हुए, यंग इंडिया स्किल्स यूनिवर्सिटी के लिए अडानी फाउंडेशन द्वारा दिए गए 100 करोड़ रुपये के हस्तांतरण को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है।
अडानी फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ. प्रीति अडानी को संबोधित एक पत्र में, तेलंगाना के औद्योगिक संवर्धन आयुक्त के विशेष मुख्य सचिव जयेश रंजन ने प्रतिबद्धता के लिए आभार व्यक्त किया, लेकिन सरकार द्वारा धन मांगने से पीछे हटने के निर्णय की पुष्टि की।
पत्र में कहा गया है, “हम आपके फाउंडेशन की ओर से यंग इंडिया स्किल्स यूनिवर्सिटी को 100 करोड़ रुपये देने के लिए आपके आभारी हैं, जिसके लिए आपने 18.10.2024 को पत्र लिखा है। हमने अभी तक किसी भी दानकर्ता से धन के भौतिक हस्तांतरण के लिए नहीं कहा है, क्योंकि विश्वविद्यालय को धारा 80G के तहत आईटी छूट नहीं मिली है। हालांकि यह छूट आदेश हाल ही में आया है, लेकिन मुझे मुख्यमंत्री द्वारा वर्तमान परिस्थितियों और उत्पन्न विवादों के मद्देनजर धन के हस्तांतरण की मांग न करने का निर्देश दिया गया है।”
अडानी समूह तब से उथल-पुथल में है जब से एक अमेरिकी संघीय अदालत ने कंपनी के प्रमुख गौतम अडानी और गौतम अडानी के भतीजे सागर अडानी सहित सात अन्य के खिलाफ अभियोग आदेश जारी किया है।
अडानी पर बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी का आरोप है। इसमें उन पर भारतीय राज्यों में भारतीय अधिकारियों को 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर या 2,100 करोड़ रुपये की रिश्वत देने का वादा करने का आरोप है।
अडानी समूह ने इन आरोपों का खंडन किया है और इन्हें निराधार बताया है।
इन आरोपों से समूह और इसकी संभावनाएं खतरे में पड़ गई हैं, रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है कि इन घटनाक्रमों से उनकी ऋण स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
महाराष्ट्र
फडणवीस शुरुआती 2.5 साल तक महाराष्ट्र के सीएम रहेंगे, फिर भाजपा अध्यक्ष का पद संभालेंगे; बाद के आधे साल में शिंदे संभालेंगे कमान: रिपोर्ट
भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक सूत्र ने समाचार एजेंसी को पुष्टि की कि भाजपा और शिवसेना के बीच सत्ता-साझेदारी का फार्मूला अंतिम रूप ले लिया गया है।
फडणवीस पहले ढाई साल तक मुख्यमंत्री रहेंगे, जिसके बाद एकनाथ शिंदे शेष कार्यकाल के लिए यह पद संभालेंगे।
फडणवीस को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किए जाने की संभावना
फडणवीस के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किये जाने की उम्मीद है।
रिपोर्ट बताती है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के बीच चर्चा के बाद इस व्यवस्था पर सहमति बनी थी।
कहा जा रहा है कि फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला उनकी भाजपा और आरएसएस के बीच सहज समन्वय बनाए रखने की क्षमता से प्रभावित है। अगर उन्हें ढाई साल का कार्यकाल पूरा करने से पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की भूमिका में पदोन्नत किया जाता है, तो भाजपा महासचिव विनोद तावड़े या पूर्व प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल जैसे नेता मुख्यमंत्री बन सकते हैं।
हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि शिंदे ढाई साल की तय समयसीमा से पहले मुख्यमंत्री का पद नहीं संभालेंगे।
रविवार रात शिंदे को शिवसेना विधायक दल का नेता चुना गया।
इस आशय का प्रस्ताव एक उपनगरीय होटल में आयोजित बैठक में सभी 57 मनोनीत विधायकों द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गया।
तीन अन्य प्रस्ताव भी पारित किए गए, जिनमें पार्टी को शानदार जीत दिलाने के लिए शिंदे की सराहना, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद तथा महायुति गठबंधन में विश्वास जताने के लिए महाराष्ट्र की जनता का आभार शामिल है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नागपुर दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट से फडणवीस ने कांग्रेस उम्मीदवार प्रफुल्ल गुडहे को हराकर लगातार चौथी जीत हासिल की। 2014 में फडणवीस ने गुडहे को 58,942 वोटों के अंतर से हराया था। 2019 में उनका मुकाबला कांग्रेस के आशीष देशमुख से हुआ और वे 49,344 वोटों से विजयी हुए।
महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो रहा है, इसलिए राष्ट्रपति शासन से बचने के लिए उस तिथि से पहले सरकार का गठन आवश्यक है।
मंत्री पद विधायकों की संख्या के आधार पर आवंटित किए जाएंगे
इसके अलावा, एक मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्री बनाने का फॉर्मूला तैयार किया गया है। विधायकों की संख्या के आधार पर मंत्री पद आवंटित किए जाएंगे। भाजपा को 22-24, शिवसेना (शिंदे गुट) को 10-12 और एनसीपी (अजीत गुट) को 8-10 मंत्री मिलने की उम्मीद है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में फडणवीस की आधिकारिक घोषणा के बाद शपथ ग्रहण समारोह इसी सप्ताह आयोजित होने की संभावना है।
महाराष्ट्र
चुनाव आयोग को आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए: अतुल लोंधे
मुंबई, 25 नवंबर : आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला ने आचार संहिता लागू होने के बावजूद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है। चुनाव आयोग को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और रश्मि शुक्ला के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए, ऐसी मांग महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता अतुल लोंढे ने की है।
इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए अतुल लोंधे ने कहा कि तेलंगाना में चुनाव आयोग ने चुनाव के दौरान एक वरिष्ठ मंत्री से मिलने के लिए पुलिस महानिदेशक और एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की थी। उन्होंने सवाल किया, “चुनाव आयोग गैर-भाजपा शासित राज्यों में तेजी से कार्रवाई क्यों करता है, लेकिन भाजपा शासित राज्यों में इस तरह के उल्लंघनों को नोटिस करने में विफल रहता है?”
रश्मि शुक्ला पर विपक्षी नेताओं के फोन टैपिंग समेत कई गंभीर आरोप हैं। कांग्रेस ने पहले चुनाव के दौरान उन्हें पुलिस महानिदेशक के पद से हटाने की मांग की थी और बाद में उन्हें हटा दिया गया। हालांकि, विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा के बावजूद रश्मि शुक्ला ने आदर्श आचार संहिता के आधिकारिक रूप से समाप्त होने से पहले गृह मंत्री से मुलाकात की, जो इसके मानदंडों का उल्लंघन है। लोंधे ने जोर देकर कहा कि उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।
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