राजनीति
तेलंगाना में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को झटका, वरिष्ठ नेता ने दिया इस्तीफा
तेलंगाना में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लगा है। वरिष्ठ नेता और पूर्व टीपीसीसी प्रमुख पोन्नाला लक्ष्मैया ने पार्टी के भीतर पिछड़े वर्गों के साथ अन्याय का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
अविभाजित आंध्र प्रदेश में राज्य मंत्री रह चुके पोन्नाला मीडिया के सामने इस्तीफे की घोषणा करते समय भावुक हो गए।
उन्होंने कहा कि वह पार्टी के साथ अपना 40 साल पुराना नाता तोड़ रहे हैं क्योंकि वह पार्टी में उनके और अन्य पिछड़े नेताओं के अपमान और उपहास को सहन नहीं कर सकते।
वरिष्ठ नेता ने पार्टी में अन्यायपूर्ण माहौल का हवाला देते हुए अपना इस्तीफा एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजा।
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि व्यक्तिवाद को प्राथमिकता मिल गई है। नए लोगों को गलत तरीके से सत्ता में पहुंचाया जा रहा है।
पोन्नाला ने आरोप लगाया कि जब तेलंगाना के 50 पिछड़े नेताओं के एक समूह ने टिकटों के आवंटन में पिछड़ों को प्राथमिकता देने का अनुरोध करने के लिए दिल्ली का दौरा किया, तो उन्हें एआईसीसी नेताओं के साथ बैठक करने से मना कर दिया गया।
उन्होंने कहा, यहां तक कि उन्हें एआईसीसी महासचिव के.सी. वेणुगोपाल से मिलने के लिए समय भी नहीं दिया गया।
उन्होंने यह भी लिखा कि 2014 में पार्टी की राष्ट्रव्यापी हार के बावजूद उन्हें तेलंगाना में पार्टी की हार के लिए गलत तरीके से दोषी ठहराया गया था।
पत्र में लिखा, “2018 के चुनावों में भी कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई, फिर भी कोई सुधारात्मक कार्रवाई नहीं की गई। इसके विपरीत अतिरिक्त पद दिए गए।”
2014 में आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद, पोन्नाला को तेलंगाना में पार्टी का पहला प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
मुन्नूर कापू बीसी समुदाय से आने वाले पोन्नाला जनगांव जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने संयुक्त आंध्र प्रदेश में पांच मुख्यमंत्रियों के अधीन मंत्री के रूप में काम किया था। वाई.एस. राजशेखर रेड्डी की अध्यक्षता वाले मंत्रिमंडल में उनके पास सिंचाई विभाग था। वह वाईएसआर के उत्तराधिकारी रोसैया के अधीन मंत्री बने रहे और किरण कुमार रेड्डी की सरकार में सूचना प्रौद्योगिकी विभाग संभाला।
ओक्लाहोमा यूनिवर्सिटी से एमएस करने वाले पोन्नाला ने 1969 से 1978 तक अमेरिका में काम किया। वापस लौटने पर, वह कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। वह पहली बार 1989 में जनगांव से आंध्र प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए थे। बाद में वह उसी निर्वाचन क्षेत्र से लगातार तीन बार चुने गए।
हालांकि, पोन्नाला 2014 और 2018 में चुनाव हार गए। उन्होंने तब इस्तीफा दे दिया जब यह स्पष्ट हो गया कि पार्टी उन्हें इस बार टिकट नहीं देगी।
उनके सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) में शामिल होने की संभावना है। उन्होंने अपने त्याग पत्र में छोटे बीसी नेताओं को भी सांसद और एमएलसी बनाने के लिए बीआरएस की प्रशंसा करके इसका संकेत दिया।
मुंबई प्रेस एक्सक्लूसिव न्यूज
मुंबई BMC चुनाव: समाजवादी पार्टी की पहली लिस्ट जारी, लेकिन वार्ड नंबर 211 पर कोई फैसला नहीं

BMC
मुंबई: मुंबई नगर निगम चुनाव में महायोति और महा विकास अघाड़ी के बीच अभी तक चुनावी समझौता नहीं हुआ है, जबकि कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी और AIMIM ने नगर निगम के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। समाजवादी पार्टी ने 21 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की है, जिसमें 213 से जेब-उन-निसा मलिक को उम्मीदवार बनाया गया है, साथ ही 212 से शहजाद अब्राहनी को उम्मीदवार बनाया गया है। समाजवादी पार्टी में वार्ड नंबर 211 को लेकर खींचतान चल रही है, इसलिए पार्टी ने इस वार्ड के लिए अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। सपा नेता रईस शेख ने भी अपने भाई सलीम शेख को इस वार्ड के लिए उम्मीदवार के तौर पर पेश किया है। समाजवादी पार्टी ने अभी तक इस वार्ड में टिकट को लेकर कोई फैसला नहीं किया है, जबकि रईस शेख के भाई की उम्मीदवारी का भी विरोध हो रहा है। स्थानीय महिलाओं ने रईस शेख के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और सपा की उम्मीदवारी के लिए दावेदारी भी पेश की है। ऐसे में समाजवादी पार्टी में 211 से किसे उम्मीदवार दिया जाएगा, यह अभी भी पेंडिंग है। समाजवादी पार्टी ने महा विकास अघाड़ी से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया था, वहीं उद्धव और राज ठाकरे के बीच भी चुनावी समझौता हो गया है। इसके साथ ही अजित पवार और शरद पवार की NCP भी चुनावी समझौते को लेकर बातचीत कर रही है। अगर अजित पवार और शरद पवार के बीच चुनावी समझौता होता है, तो कांग्रेस पार्टी अकेले चुनाव लड़ने को तैयार है, ऐसा दावा कांग्रेस नेता जया विटवर्ड ने किया है। मुंबई BMC चुनाव में हर राजनीतिक पार्टी एक-दूसरे से आगे निकलने की कोशिश कर रही है, वहीं दोनों भाइयों ने मराठी मानस के मुद्दे पर गठबंधन किया है और मुंबई शहर में मराठी मानस के एक होने के बैनर भी लगाए जा रहे हैं।
राजनीति
बीएमसी चुनाव: एनसीपी ने 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी की, मुंबई में लगातार दूसरे दिन हुई बैठक

मुंबई, 27 दिसंबर: बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) चुनावों में अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। महायुति में सीट बंटवारे पर सहमति न बनने की स्थिति में एनसीपी ने मुंबई में अलग बैठक बुलाई है और उम्मीदवारों को लेकर चर्चा की गई है।
एनसीपी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष सुनील तटकरे ने शनिवार को कहा कि पिछले तीन दिनों से सबके साथ बैठकें चल रही हैं और इस बारे में सारी जानकारी अजित पवार को बता दी गई है। उन्होंने कहा कि 30 दिसंबर की शाम तक स्थिति बिल्कुल स्पष्ट हो जाएगी और उस दिन दोपहर 3 बजे सीटों को लेकर घोषणा की जाएगी।
सुनील तटकरे ने यह भी कहा कि एनडीए में शामिल होने का नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी का फैसला फायदेमंद रहा है। राज्य के लोगों ने इस फैसले का समर्थन किया है और यह बदला नहीं जाएगा।
वहीं, एनसीपी विधायक सना मलिक ने मीडिया से बातचीत में कहा कि महायुति में हमारे प्रस्तावों पर बात आगे नहीं बढ़ी। इस स्थिति में हमने अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी की है। उम्मीदवारों के नामों को लेकर भी चर्चा हुई है और कार्यकर्ताओं को हर स्थिति के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया है।
सना मलिक ने बताया कि बैठक में 62-65 सीटों पर लड़ने के लिए पार्टी की बैठक में चर्चा हुई है। पुराने साथी भी साथ लड़ने के लिए आ रहे हैं। कार्यकर्ताओं में भी जोश है। इस सबको देखते हुए पार्टी तकरीबन 100 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। एनसीपी पूरी ताकत के साथ बीएमसी चुनाव में उतरेगी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि महायुति के साथ मिलकर लड़ने के बारे में पार्टी नेतृत्व फैसला लेगा।
पूर्व विधायक जीशान सिद्दीकी ने बैठक के बारे में बताया कि सुनील तटकरे के नेतृत्व में बैठक हुई थी, जिसमें संभावित जीत वाली सीटों को लेकर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि गठबंधन को लेकर पार्टी नेतृत्व की तरफ से फैसला होना है, लेकिन मुंबई में पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश है और हम अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी भी कर रहे हैं।
जीशान सिद्दीकी ने कहा कि मुंबई की जनता हमारे साथ है और बीएमसी चुनाव में एनसीपी अपना झंडा जरूर लहराएगी।
राजनीति
महाराष्ट्र: छत्रपति संभाजीनगर में एआईएमआईएम के टिकट को लेकर बवाल, पुलिस ने दर्ज किया मामला

FIR
मुंबई, 27 दिसंबर: महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर शहर का सियासी माहौल इन दिनों काफी गरमाया हुआ है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) में टिकट वितरण को लेकर अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई है। वार्ड नंबर 12 से उम्मीदवार की घोषणा के बाद पार्टी के दो गुट आमने-सामने आ गए, जिसके चलते रैली के दौरान जमकर हंगामा और धक्का-मुक्की हुई। पुलिस ने इस संबंध में मामला दर्ज कर लिया।
जानकारी के अनुसार, एमआईएम ने हाल ही में छत्रपति संभाजीनगर शहर के 8 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं। इनमें वार्ड नंबर 12 से मोहम्मद असरार को पार्टी का अधिकृत उम्मीदवार बनाया गया। शुक्रवार शाम मोहम्मद असरार ने किराडपुरा इलाके से चुनावी रैली निकाली थी। इसी दौरान टिकट न मिलने से नाराज पूर्व नगरसेविका नसीम बी के बेटे हाजी इसाक खान के समर्थकों ने रैली को रोक दिया, जिससे विवाद शुरू हो गया।
बताया जा रहा है कि रैली रोकने के बाद दोनों पक्षों के कार्यकर्ताओं के बीच पहले कहासुनी हुई, जो देखते ही देखते धक्का-मुक्की और मारपीट में बदल गई। इस दौरान कुछ लोगों के साथ हाथापाई की गई। घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और चर्चा का विषय बना हुआ है। उम्मीदवारी को लेकर जवाब मांगने के दौरान दोनों गुटों के समर्थक आमने-सामने आ गए और जोरदार नारेबाजी शुरू हो गई।
हालात इतने तनावपूर्ण हो गए कि मोहम्मद असरार को रैली बीच में ही रोकनी पड़ी। घटना के बाद किराडपुरा इलाके में कुछ समय के लिए दहशत का माहौल बन गया। स्थिति बिगड़ते देख दोनों पक्ष जिन्सी पुलिस थाने पहुंचे। पुलिस ने अफसर खान हुसैन खान की शिकायत पर तीन लोगों के खिलाफ अदखलपात्र मामला दर्ज किया है। पुलिस का कहना है कि फिलहाल इलाके में शांति बनी हुई है और हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है।
वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि हाजी इसाक खान पिछले करीब 10 वर्षों से क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं और इलाके में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। ऐसे में एआईएमआईएम द्वारा किसी दूसरे कार्यकर्ता को टिकट दिए जाने से समर्थकों में नाराजगी है। खुद हाजी इसाक खान ने भी कहा है कि यदि उन्हें एआईएमआईएम से टिकट नहीं मिलता है, तो वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरेंगे।
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