राष्ट्रीय समाचार
सुप्रीम कोर्ट ने असम में मणिपुर हिंसा मामलों की ऑनलाइन सुनवाई की अनुमति दी
 
												एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मणिपुर में हिंसा के 17 मामलों की जांच असम में स्थानांतरित कर दी, जिनकी जांच सीबीआई द्वारा की जा रही थी, जिसमें एक वायरल वीडियो में नग्न परेड करती दिख रही दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न का मामला भी शामिल था। प्रासंगिक रूप से, अदालत ने पीड़ितों की सुविधा के लिए कई निर्देश भी जारी किए हैं, ताकि वे वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मणिपुर से अपने बयान दे सकें। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के आश्वासन के बाद आदेश पारित किया कि इस तरह के वीडियोकांफ्रेंसिंग की अनुमति देने के लिए मणिपुर में उचित इंटरनेट सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। न्यायालय ने, हालांकि, स्पष्ट किया कि उसका आदेश उन लोगों को नहीं रोकेगा जो असम में गुवाहाटी जाना चाहते हैं, उन्हें ऐसी कार्यवाही के हिस्से के रूप में वहां उपस्थित होने से रोका जाएगा। न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेस और अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर द्वारा उठाई गई चिंताओं को भी ध्यान में रखा कि हिंसा के पीड़ितों को मुकदमे के लिए असम की यात्रा नहीं करनी चाहिए।
वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह के इस सवाल के जवाब में कि मुकदमे के संचालन के लिए असम को क्यों चुना गया है, सॉलिसिटर जनरल मेहता ने जवाब देते हुए कहा कि असम में इंटरनेट कनेक्टिविटी अपेक्षाकृत बेहतर है। “हमने इसे कनेक्टिविटी के लिए चुना और अधिकतम कनेक्टिविटी असम में है।” अदालत ने कहा कि निर्देश “मणिपुर में समग्र वातावरण और निष्पक्ष प्रक्रिया सुनिश्चित करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए” जारी किए गए हैं। गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को ऐसे मुकदमे के मामलों से निपटने के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी और सत्र न्यायाधीश के पद से ऊपर के एक या एक से अधिक अधिकारियों को नामित करने के लिए कहा गया है। अभियुक्तों की पेशी, रिमांड, न्यायिक हिरासत, हिरासत के विस्तार और अन्य कार्यवाही के लिए सभी आवेदनों को उन अदालतों में दूरी और सुरक्षा मुद्दों को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन मोड पर आयोजित करने की अनुमति है, जिन्हें सुनवाई आयोजित करने के लिए नामित किया जाएगा। मणिपुर में न्यायिक हिरासत की अनुमति दी जाएगी।
मणिपुर स्थित मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से परीक्षण पहचान परेड भी आयोजित की जा सकती है। फिर से, जांच अधिकारी द्वारा तलाशी और गिरफ्तारी वारंट के लिए आवेदन ऑनलाइन जारी किए जाएंगे। गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आपराधिक मुकदमे से निपटने के लिए उन न्यायाधीशों को नामित करेंगे जो मणिपुर में बोली जाने वाली एक या अधिक भाषाओं से परिचित हों। अदालत मणिपुर में हिंसा से संबंधित कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कुकी-ज़ोमी समुदाय की दो महिलाओं की याचिका भी शामिल थी, जिन्हें एक वीडियो में पुरुषों की भीड़ द्वारा नग्न परेड करते और छेड़छाड़ करते हुए देखा गया था।
राष्ट्रीय समाचार
अदाणी पावर का वित्तीय प्रदर्शन दूसरी तिमाही में मजबूत रहा, बिजली की बिक्री 7.4 प्रतिशत बढ़ी

अहमदाबाद, 30 अक्टूबर: अदाणी पावर लिमिटेड (एपीएल) ने गुरुवार को वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही के नतीजे जारी किए। कंपनी की आय इस साल की जुलाई-सितंबर अवधि में 13,106.34 करोड़ रुपए रही है, जो कि पिछले साल की समान अवधि में 12,949.12 करोड़ रुपए थी। इसकी वजह बिजली की बिक्री की मात्रा में इजाफा होना था।
कंपनी के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कंपनी की कंसोलिडेटेड बिजली बिक्री की मात्रा 7.4 प्रतिशत बढ़कर 23.7 अरब यूनिट्स हो गई है।
कंपनी ने बताया कि बिक्री की मात्रा में वृद्धि उच्च आधार और मानसून जल्दी आने और लंबे समय तक मांग में व्यवधान बने रहने के बावजूद हुई है।
अदाणी पावर का कंसोलिडेटेड ईबीआईटीडीए दूसरी तिमाही में 6,001 करोड़ रुपए रहा है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 6,000 करोड़ रुपए था।
जुलाई-सितंबर अवधि में, कंपनी ने बिहार डिस्कॉम के साथ 2,400 मेगावाट, मध्य प्रदेश के डिस्कॉम के साथ 1,600 मेगावाट और कर्नाटक डिस्कॉम के साथ 570 मेगावाट (अक्टूबर 2025 तक) का लंबी अवधि का पावर परचेस एग्रीमेंट (पीपीए) साइन किया है।
दूसरी तिमाही में अदाणी पावर ने कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी रिसॉल्यूशन प्रोसेस के तहत 600 मेगावाट की क्षमता वाली विदर्भ इंडस्ट्रीज पावर लिमिटेड का अधिग्रहण किया है, जिससे कंपनी की क्षमता 18,150 मेगावाट हो गई है।
अदाणी पावर लिमिटेड के सीईओ एसबी ख्यालिया ने कहा, “मौसम संबंधी उतार-चढ़ाव के बावजूद, अदाणी पावर ने इस तिमाही में एक बार फिर मजबूत और स्थिर वित्तीय प्रदर्शन किया है, जो हमारी परिचालन दक्षता और प्रतिस्पर्धी लाभों को दर्शाता है। हम शक्ति स्कीम के तहत 4.5 गीगावाट के नए लंबी अवधि के पीपीए हासिल करके बाजार में अपनी उपस्थिति का लगातार विस्तार कर रहे हैं।”
उन्होंने बताया, “मजबूत मुनाफा और लिक्विडिटी, हमें 2031-32 तक 42 गीगावाट के अपने क्षमता विस्तार लक्ष्य को प्राप्त करने की स्थिति में ला खड़ा करती है। हमने पूरे 23.7 गीगावाट विस्तार के लिए जमीन और उपकरण के ऑर्डर पहले ही दे दिए हैं और परियोजना का कार्यान्वयन तेजी से आगे बढ़ रहा है।”
वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में मर्चेंट और शॉर्ट-टर्म सेल्स वॉल्यूम 12.9 प्रतिशत बढ़कर 5.7 बिलियन यूनिट रही, जबकि वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही में यह 5.0 बिलियन यूनिट थी। इसी प्रकार, वित्त वर्ष 26 की पहली छमाही में मर्चेंट वॉल्यूम 10.5 प्रतिशत बढ़कर 11.4 बिलियन यूनिट रही, जबकि वित्त वर्ष 25 की पहली छमाही में यह 10.3 बिलियन यूनिट थी।
अपराध
दिल्ली पुलिस ने वांछित अपराधी को पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से गिरफ्तार किया

CRIME
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए एक वांछित अपराधी को गिरफ्तार किया है। यह अपराधी लंबे समय से फरार था और दिल्ली में उसके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। क्राइम ब्रांच ने जानकारी दी कि अपराधी को पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से गिरफ्तार किया गया है।
क्राइम ब्रांच की ओर से जारी गुरुवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया है कि 33 वर्षीय घोषित अपराधी का नाम मोहम्मद करीम है, जो दिल्ली के उत्तम नगर का रहने वाला है। यह कई आपराधिक मामलों में कानूनी प्रक्रिया से बच रहा था। फिलहाल, उसकी गिरफ्तारी घोषित अपराधियों को पकड़ने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने के लिए क्राइम ब्रांच के निरंतर प्रयासों में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
क्राइम ब्रांच के अनुसार, पिछले साल 29 अप्रैल को मोहम्मद करीम ने अपने साथियों के साथ मिलकर दिल्ली के विकासपुरी पुलिस कॉलोनी निवासी जगदीप सिंह पर हमला किया था और उसकी स्कूटी लूटने की कोशिश की थी। जगदीप सिंह दूध खरीदने के लिए उत्तम नगर के हस्तसाल गांव गया था। इसी दौरान, करीम ने अपने साथियों से साथ धावा बोला। इस घटना को लेकर दिल्ली पुलिस ने 30 अप्रैल को मोहम्मद करीम के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
एफआईआर दर्ज होने के बाद से मोहम्मद करीम गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार हो गया। इस बीच, 19 सितंबर 2025 को अदालत ने वर्तमान मामले में उसे भगोड़ा घोषित किया। इसके अलावा, वह चार अन्य आपराधिक मामलों में वांछित है।
क्राइम ब्रांच ने बताया कि यह अपराधी पुलिस को गुमराह करने के लिए बार-बार अपने ठिकाने बदल रहा था। उसे न्याय के कटघरे में लाने के लिए एक टीम गठित की गई। जांच पड़ताल के दौरान पुलिस को इनपुट मिले कि मोहम्मद करीम पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में छिपा हुआ है।
इसके बाद, टीम उसे पकड़ने के लिए सिलीगुड़ी रवाना हुई। वहां स्थानीय स्रोतों के साथ समन्वय में गहन तलाशी अभियान शुरू किया गया। इस सफल ऑपरेशन में क्राइम ब्रांच की टीम ने 27 अक्टूबर को अपराधी को दबोच लिया।
पूछताछ के दौरान अपराधी ने अपनी पहचान मोहम्मद करीम पुत्र मोहम्मद वाहिद निवासी हस्तसाल, उत्तम नगर, दिल्ली के रूप में बताई। उसकी पहचान उसके डोजियर और पिछले रिकॉर्ड के माध्यम से सत्यापित की गई। इसके बाद उसे धारा 41(1)(सी) सीआरपीसी (अब धारा 35(3)(डी) बीएनएसएस) के तहत औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया गया।
राष्ट्रीय समाचार
महाराष्ट्र: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का फर्जी आधार कार्ड बनाने पर रोहित पवार के खिलाफ केस दर्ज

मुंबई, 30 अक्टूबर: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के विधायक और युवा नेता रोहित पवार मुश्किल में फंस गए हैं। मुंबई के दक्षिण साइबर पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ फर्जी आधार कार्ड बनाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। उन पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का फर्जी आधार कार्ड बनवाने का आरोप है।
यह पूरा मामला तब शुरू हुआ, जब रोहित पवार ने खुद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक खुलासा किया। उन्होंने बताया कि कैसे फर्जी दस्तावेज की मदद से उन्होंने ट्रंप का आधार कार्ड बनवाया। उनका मकसद आधार कार्ड सिस्टम की कमजोरियों को उजागर करना था. लेकिन अब यही बयान उनके लिए मुसीबत बन गया है।
फर्जी आधार कार्ड बनाना कानूनन अपराध है। इसे राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा माना जाता है। बीजेपी के पदाधिकारी धनंजय वागस्कर ने इसकी शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि रोहित पवार का यह कृत्य सार्वजनिक शांति भंग करने वाला और समाज के लिए खतरनाक है।
शिकायत के आधार पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की। रोहित पवार के साथ-साथ वेबसाइट बनाने वाले, उसका इस्तेमाल करने वाले समेत अन्य लोगों के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ है। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 336(2), 336(3), 336(4), 337, 353(1)(बी), 353(1)(सी), 353(2) और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एक्ट की धारा 66(सी) के तहत मुकदमा दर्ज किया है।
ये धाराएं फर्जी दस्तावेज बनाने, पहचान छिपाने, कंप्यूटर सिस्टम में धोखाधड़ी और राष्ट्रहित को नुकसान पहुंचाने जैसे अपराधों से जुड़ी हैं। पुलिस अब मामले की गहन जांच कर रही है। रोहित पवार की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन राजनीतिक हलकों में इस पर बहस तेज हो गई है।
जानकारी के मुताबिक, बीजेपी इसे आधार कार्ड की सुरक्षा पर सवाल उठाने का मौका बता रही है, जबकि एनसीपी (एसपी) इसे राजनीतिक साजिश करार दे रही है।
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