मुंबई प्रेस एक्सक्लूसिव न्यूज
नई संसद के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जारी करेंगे 75 रुपये का सिक्का, होगा खास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. इस दिन को यादगार बनाने के लिए वह 75 रुपये का नया सिक्का भी जारी करेंगे. इस सिक्के पर नए संसद भवन का चित्र होगा. सिक्के पर हिन्दी में भारत और अंग्रेजी में इंडिया लिखा होगा. इस पर अशोक चिन्ह भी अंकित होगा. मंत्रालय के मुताबिक सिक्के का डिजाइन संविधान की पहली अनुसूची में लिखे दिशानिर्देशों के अनुरूप होगा.
28 मई को होने वाले इस समारोह को स्मरणीय बनाने के लिए यह सिक्का जारी किया जाएगा. सिक्के पर नए संसद भवन का चित्र होगा. संसद की तस्वीर के ठीक नीचे वर्ष 2023 भी लिखा होगा. इस पर हिन्दी में संसद संकुल और अंग्रेजी में Parliament Complex लिखा होगा. सिक्के पर हिन्दी में भारत और अंग्रेजी में इंडिया लिखा होगा. इस पर अशोक चिन्ह भी अंकित होगा.
अधिसूचना के मुताबिक, इस सिक्के का वजन 35 ग्राम होगा. इसमें 50 फीसदी चांदी, 40 फीसदी कॉपर, 5-5 फीसदी निकल और जिंक धातु का मिश्रण होगा.इसका व्यास 44 मिलीमीटर होगा, जबकि किनारों के साथ 200 सेरेशन के आकार में गोलाकार होगा. मंत्रालय के मुताबिक सिक्के का डिजाइन संविधान की पहली अनुसूची में लिखे दिशानिर्देशों के अनुरूप होगा.
उद्घाटन समारोह हवन और पूजा के साथ शुरू होगा. इसके बाद पीएम मोदी लोकसभा कक्ष में औपचारिक उद्घाटन करेंगे. यहां शैव संप्रदाय के महायाजक पीएम मोदी को राजदंड सेंगोल सौंपेंगे. सेंगोल को नए संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया जाएगा।
महाराष्ट्र
2006 मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाके मामले में बड़ा फैसला: हाईकोर्ट ने सभी 12 दोषियों को किया बरी, मौत की सज़ा को खारिज किया

मुंबई | 21 जुलाई 2025 — 2006 के पश्चिम रेलवे मुंबई लोकल ट्रेन श्रृंखलाबद्ध बम धमाका मामले में आज बॉम्बे हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मोक्का विशेष न्यायालय द्वारा दोषी ठहराए गए सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया है। इसके साथ ही वर्ष 2015 में सुनाई गई मौत और आजीवन कारावास की सज़ाएं भी रद्द कर दी गईं।
यह मामला (गु.र.क्र. 05/2006, मोक्का विशेष प्रकरण क्र. 21/2006) 11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों से जुड़ा है, जिसमें 180 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और 800 से ज्यादा घायल हुए थे।
30 सितंबर 2015 को मोक्का विशेष न्यायालय ने:
- 5 आरोपियों को मृत्युदंड,
- 7 आरोपियों को आजीवन कारावास,
- और 1 आरोपी को बाइज्जत बरी कर दिया था।
मृत्युदंड के फैसले को माननीय बॉम्बे हाईकोर्ट में पुष्टि के लिए भेजा गया था, साथ ही दोषी ठहराए गए आरोपियों ने भी अपने सज़ा के खिलाफ अपील दायर की थी।
न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति एस. जी. चांडक की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई *जुलाई 2024 से शुरू की, और *27 जनवरी 2025 को अंतिम दलीलें पूरी हुईं।
आज 21 जुलाई 2025 को सुनाए गए फैसले में हाईकोर्ट ने:
- मृत्युदंड संदर्भ खारिज कर दिया,
- सभी दोषियों की अपील मंजूर की,
- और 2015 के विशेष न्यायालय के फैसले को रद्द कर दिया।
भारत सरकार और महाराष्ट्र राज्य की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) श्री राजा ठाकरे और विशेष सरकारी वकील श्री चिमलकर ने राज्य पक्ष का प्रतिनिधित्व किया।
आतंकवाद विरोधी पथक (ATS), महाराष्ट्र राज्य, मुंबई ने कहा है कि हाईकोर्ट के इस निर्णय का विस्तृत विश्लेषण किया जा रहा है और विशेष सरकारी वकीलों से परामर्श लेकर आगे की कानूनी कार्रवाई — जिसमें सुप्रीम कोर्ट में अपील की संभावना भी शामिल है — पर विचार किया जा रहा है।
यह फैसला न केवल मुंबई के इतिहास के सबसे बड़े आतंकी हमलों में से एक को प्रभावित करता है, बल्कि जांच और अभियोजन की प्रक्रिया पर भी गंभीर सवाल उठाता है।
महाराष्ट्र
2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामला: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को बरी किया, कहा- “प्रॉसिक्यूशन केस साबित करने में पूरी तरह विफल रहा”

मुंबई, 21 जुलाई 2025 — साल 2006 में हुए मुंबई लोकल ट्रेन धमाकों के मामले में बड़ा फैसला सामने आया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस केस में दोषी ठहराए गए सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन (प्रॉसिक्यूशन) पक्ष आरोपियों के खिलाफ केस साबित करने में “पूरी तरह नाकाम” रहा।
यह फैसला न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ ने सुनाया। इससे पहले 2015 में एक विशेष एमसीओका (MCOCA) अदालत ने इनमें से कुछ को फांसी और बाकी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने इन सज़ाओं को पलटते हुए कहा कि जांच में गंभीर खामियां थीं और प्रस्तुत साक्ष्य अपर्याप्त व असंगत थे।
पृष्ठभूमि: देश को हिला देने वाला हमला
11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में शाम के व्यस्त समय के दौरान लगातार सात बम धमाके हुए थे। इन विस्फोटों में 189 लोगों की मौत हुई थी और 800 से अधिक घायल हुए थे। हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था और पुलिस ने व्यापक कार्रवाई करते हुए 12 लोगों को गिरफ्तार किया था।
इन सभी पर आरोप था कि वे प्रतिबंधित संगठन सिमी (SIMI) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े थे और उन्होंने प्रेशर कुकर में बम रखकर ट्रेनों में विस्फोट किया।
कोर्ट की टिप्पणियाँ
हाईकोर्ट ने कहा कि एंटी-टेररिज़्म स्क्वाड (ATS) द्वारा की गई जांच में गंभीर खामियां थीं। कोर्ट ने विशेष रूप से इस बात पर चिंता जताई कि अधिकतर केस केवल स्वीकृत बयानों पर आधारित था, जिनकी पुष्टि स्वतंत्र साक्ष्यों से नहीं की जा सकी।
जजों ने यह भी कहा कि FIR दर्ज करने में देरी हुई और MCOCA के तहत आरोपियों के बयानों को लेने की प्रक्रिया में भी अनियमितताएं थीं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि न्याय की प्राप्ति के लिए ईमानदार और निष्पक्ष जांच आवश्यक है।
मानवाधिकार और कानूनी प्रभाव
इस फैसले के बाद देश में गलत आरोप और लंबी न्याय प्रक्रिया को लेकर नई बहस छिड़ गई है। कई मानवाधिकार संगठनों ने फैसले का स्वागत किया है और जांच अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की मांग की है।
वहीं महाराष्ट्र सरकार ने फैसले पर चिंता जताई है और सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के विकल्पों पर विचार कर रही है।
कोर्ट के बाहर की प्रतिक्रियाएं
कोर्ट परिसर के बाहर बरी हुए आरोपियों के परिजन भावुक हो गए। कई लोगों ने 17 साल जेल में गुजारे हैं। एक वकील ने कहा, “न्याय में देरी हुई है, लेकिन अंततः न्याय मिला है। यह फैसला दिखाता है कि संवेदनशील मामलों में जल्दबाज़ी से न्याय नहीं हो सकता।”
वहीं, हमले के पीड़ितों के परिजन इस फैसले से दुखी हैं और उनका कहना है कि यह निर्णय उन घावों को फिर से खोल देता है जो कभी भरे ही नहीं थे।
महाराष्ट्र
महारास्ट्र के कोंकण रीजन के रत्नागिरी जिले में दुखद घटना की खबर सामने आई है,रत्नागिरी के टूरिस्ट प्लेस आरे-वारे बीच पर बड़ा हादसा –ठाणे जिले के मुंब्रा इलाके के चार पर्यटकों की डूबकर मौत

रत्नागिरी के प्रसिद्ध आरे-वारे समुद्र किनारे आज शनिवार शाम एक भीषण हादसा सामने आया, जहां ठाणे-मुंब्रा से आए चार पर्यटकों की समुद्र में डूबकर मौत हो गई। मृतकों में तीन महिलाएं और एक पुरुष शामिल हैं। हादसा शाम करीब 6:30 बजे हुआ जब ये पर्यटक बीच पर नहाने के दौरान समुद्र की तेज लहरों की चपेट में आ गए।
मृतकों की पहचान इस प्रकार हुई है:
उज़मा शेख (उम्र 18 वर्ष)
उमेरा शेख (उम्र 29 वर्ष)
जैनब काज़ी (उम्र 26 वर्ष)
जुनैद काज़ी (उम्र 30 वर्ष)
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह सभी रत्नागिरी में अपने रिश्तेदारों से मिलने आए थे और शनिवार को समुद्र तट पर घूमने निकले थे। मौसम विभाग की चेतावनी और स्थानीय मछुआरों की हिदायतों के बावजूद सभी पर्यटक rough sea (खारे और उग्र समुद्र) में उतर गए। बारिश और खराब मौसम के चलते समुद्र में लहरें बहुत उग्र थीं।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, चारों लोग समुद्र में मस्ती कर रहे थे, तभी अचानक एक तेज लहर आई और उन्हें खींच ले गई। स्थानीय ग्रामीण और मछुआरे तुरंत बचाव के लिए समुद्र में कूदे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। लगभग 30 मिनट के भीतर सभी चार शव बरामद कर लिए गए।
घटना की जानकारी मिलते ही रत्नागिरी पोलीस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक राजेंद्र यादव अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और पंचनामा व प्राथमिक जांच शुरू की। शवों को रत्नागिरी सिविल हॉस्पिटल में पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है।
आरे-वारे बीच पर पहले से ही ‘नो स्विमिंग’, ‘खतरनाक समुद्र’ जैसे चेतावनी बोर्ड लगे हैं। इसके बावजूद हर वर्ष भारी संख्या में पर्यटक इन चेतावनियों को नजरअंदाज कर समुद्र में उतरते हैं, जिससे हादसे होते हैं। स्थानीय प्रशासन और कोस्ट गार्ड बार-बार मानसून के दौरान समुद्र में न उतरने की अपील करता है
घटना के बाद स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से मांग की है कि आरे-वारे बीच जैसे संवेदनशील इलाकों में गार्ड तैनात किए जाएं, तथा मानसून में पर्यटन पर प्रतिबंध लगाया जाए।
यह हादसा एक बार फिर चेतावनी देता है कि प्राकृतिक सौंदर्य के आकर्षण में लापरवाही जानलेवा हो सकती है। प्रशासन ने भी आमजन से अपील की है कि मौसम विभाग की चेतावनियों का पालन करें और समुद्री क्षेत्रों में सुरक्षा निर्देशों को अनदेखा न करें।
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