राजनीति
26 मई 2014: वह दिन जब नरेंद्र मोदी ने पहली बार भारत के प्रधान मंत्री के रूप में शपथ ली थी

भारतीय जनता पार्टी के संसदीय नेता नरेंद्र मोदी ने भारत के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद 26 मई 2014 को देश के प्रधानमंत्रियों के रूप में अपना पहला कार्यकाल शुरू किया। ऐतिहासिक दिन पर पीएम मोदी के साथ 45 अन्य मंत्रियों ने भी शपथ ली। दिलचस्प बात यह है कि यह समारोह किसी भारतीय प्रधान मंत्री का पहला शपथ ग्रहण समारोह था जिसमें सभी सार्क देशों के प्रमुखों ने भाग लिया था। 16 मई 2014 को चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद, पीएम मोदी ने 20 मई को भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की, जहां मुखर्जी ने मोदी को अगली सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। भाजपा ने 282 सीटें जीती थीं और उनके गठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने 543 सीटों वाली लोकसभा में कुल 336 सीटें जीती थीं, जो 1984 के चुनावों के बाद सबसे मजबूत जनादेश था, जहां भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। तब भाजपा ने घोषणा की कि मोदी 26 मई 2014 को शाम 6 बजे शपथ लेंगे। मोदी की वास्तविक शपथ शाम 6:13 बजे बनाई गई थी। आईएसटी।
शपथ ग्रहण समारोह दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में आयोजित किया गया था, जिसका उपयोग केवल दो पूर्व प्रधानमंत्रियों, चंद्रशेखर (1990, समाजवादी जनता पार्टी) और अटल बिहारी वाजपेयी (1996 और 1996) द्वारा शपथ ग्रहण स्थल के रूप में किया गया है। 1998, बीजेपी)। इससे पहले मोदी खुले स्टेडियमों में गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। दर्शकों के दिल्ली पहुंचने के लिए पिछले दिन वाराणसी और गुजरात से अतिरिक्त ट्रेनें निर्धारित की गई थीं। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस से संबंधित प्रशिक्षित कुत्तों के विशेष “K9” दस्ते को कार्यक्रम स्थल के क्षेत्रों को सुरक्षित करने के लिए नियुक्त किया गया था। तत्कालीन निवर्तमान प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भाग लिया था। इस कार्यक्रम में भारत के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया गया था। उनमें से, कर्नाटक के मुख्यमंत्री, सिद्धारमैया (आईएनसी) और केरल के मुख्यमंत्री, ओमन चांडी (आईएनसी) अपनी पूर्व व्यस्तताओं के कारण समारोह में शामिल नहीं हो सके, हालांकि उन्होंने अपनी शुभकामनाएं दीं।
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री, जे. जयललिता (एआईएडीएमके), जिनकी पार्टी ने चुनाव में तीसरी सबसे अधिक सीटें जीती थीं, ने भी इस कार्यक्रम में भाग लेने से इनकार कर दिया, जबकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (एआईटीसी) ने फैसला किया मुकुल रॉय और अमित मित्रा को भाग लेने के लिए भेजें। [33] मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, भाजपा के शिवराज सिंह चौहान और उनके पूरे मंत्रिमंडल ने शपथ ग्रहण में भाग लेने के लिए एक विमान किराए पर लिया था। इस समारोह में जिन हस्तियों को आमंत्रित किया गया था, उनमें सलमान खान, धर्मेंद्र, अनुपम खेर, मधुर भंडारकर, सुरेश गोपी, विवेक ओबेरॉय शामिल थे। , लता मंगेशकर, रजनीकांत और अमिताभ बच्चन। न्यूयॉर्क शहर के टाइम्स स्क्वायर और संयुक्त राज्य अमेरिका के अन्य शहरों में भी “इलेक्शन वॉच पार्टियों” का आयोजन करके समारोह आयोजित किए गए। न्यूजर्सी में एक भारतीय रेस्तरां ने भी मोदी के चुनाव जीतने पर मेथी के पकौड़े मुफ्त देने का वादा किया था। इसी तरह के उत्सव ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में बसे भारतीयों में भी देखे गए
राष्ट्रीय समाचार
दिल्ली : द्वारका के मॉडर्न कॉन्वेंट स्कूल में बम की धमकी, मौके पर पुलिस और बम निरोधक दस्ता

नई दिल्ली, 18 अगस्त। देश की राजधानी दिल्ली के द्वारका सेक्टर-4 स्थित मॉडर्न कॉन्वेंट स्कूल में सोमवार सुबह उस समय हड़कंप मच गया जब स्कूल को बम धमाके की धमकी भरा ईमेल प्राप्त हुआ। यह घटना 18 अगस्त की सुबह करीब 6:30 से 7:00 बजे के बीच की बताई जा रही है।
जैसे ही स्कूल प्रबंधन को धमकी भरा ईमेल मिला, तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दी गई। सूचना पाकर मौके पर पुलिस और बम निरोधक दस्ता पहुंचा और पूरे स्कूल परिसर की गहन तलाशी ली। इस दौरान सुरक्षा के मद्देनजर बच्चों और अभिभावकों को स्कूल परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया गया।
करीब 8:15 बजे तक बम निरोधक दस्ता और पुलिस ने पूरी जांच पूरी की। राहत की बात यह रही कि तलाशी के दौरान स्कूल परिसर से कोई भी संदिग्ध वस्तु या विस्फोटक सामग्री बरामद नहीं हुई। हालांकि, एहतियात के तौर पर एक छोटी पुलिस टीम को सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए वहीं तैनात किया गया।
यह पहला मौका नहीं है जब दिल्ली-एनसीआर के स्कूलों को इस तरह की बम धमकी के ईमेल मिले हों। पिछले कुछ महीनों में कई स्कूलों को इस तरह के ईमेल भेजकर दहशत फैलाने की कोशिश की गई है।
इससे पहले, 18 जुलाई को दिल्ली के कई स्कूलों को एक साथ बम की धमकियां मिलने से हड़कंप मच गया था। धमकी भरे ईमेल मिलने के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की और प्रोटोकॉल के तहत डॉग स्क्वाड, बम स्क्वाड और दमकल विभाग की टीमें मौके पर पहुंचकर जांच की। इस दौरान भी किसी स्कूल में कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली थी।
इससे पहले, 16 जुलाई को दक्षिणी दिल्ली के वसंत वैली स्कूल और द्वारका के सेंट थॉमस स्कूल को ईमेल के जरिए धमकी भरे संदेश मिले थे। वहीं, 14 जुलाई को दिल्ली के तीन स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी मिली थी। चाणक्यपुरी के नेवी स्कूल, द्वारका के सीआरपीएफ स्कूल और रोहिणी के एक स्कूल को ई-मेल के जरिए बम से उड़ाने की धमकी मिली थी। हालांकि, जांच के दौरान ये खबर झूठी निकली।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
जेलेंस्की रूस के साथ युद्ध को ‘लगभग तुरंत’ खत्म कर सकते हैं : ट्रंप

TRUMP
वाशिंगटन, 18 अगस्त। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की रूस के साथ युद्ध को लगभग तुरंत खत्म करने का विकल्प चुन सकते हैं। हालांकि, रूस के कब्जे वाले क्रीमिया को वापस लेना या नाटो में शामिल होना उनके लिए संभव नहीं है।
ट्रंप ने रविवार को अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर कहा, “यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की यदि चाहें तो रूस के साथ युद्ध को लगभग तुरंत समाप्त कर सकते हैं, या फिर वे लड़ाई जारी रख सकते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि अब ओबामा के समय (12 साल पहले) की तरह क्रीमिया वापस नहीं मिलेगा, और यूक्रेन नाटो में शामिल नहीं होगा।
जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं के एक बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ बेहद महत्वपूर्ण वार्ता की पूर्व संध्या पर, राष्ट्रपति ट्रंप ने व्हाइट हाउस में स्पष्ट कर दिया है कि यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए जेलेंस्की को रूस की कुछ शर्तों पर सहमत होना होगा।
इन शर्तों में दो मुख्य बातें हैं: यूक्रेन क्रीमिया रूस को दे दे (जिसे रूस ने 2014 में अपने साथ मिला लिया था) और कभी नाटो में शामिल न हो। ये वही शर्तें हैं जो रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने युद्ध खत्म करने के लिए रखी हैं।
यूरोपीय नेता, जो सोमवार को जेलेंस्की के साथ व्हाइट हाउस जा रहे हैं, वह इस बात को लेकर चिंतित हैं कि ट्रंप इस मुलाकात में जेलेंस्की पर दबाव डाल सकते हैं ताकि वे पुतिन की अलास्का शिखर सम्मेलन में रखी शर्तों को मान लें।
वे ट्रंप से यह जानना चाहते हैं कि शांति समझौते में रूस क्या छोड़ सकता है और भविष्य में अमेरिका यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी में क्या भूमिका निभाएगा।
ट्रंप ने जेलेंस्की को भेजे अपने संदेश के बाद लिखा, “कल व्हाइट हाउस में बड़ा दिन है। इतने सारे यूरोपीय नेता एक साथ कभी नहीं आए। उनकी मेजबानी करना मेरे लिए सम्मान की बात है!!!”
यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन, फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब और नाटो महासचिव मार्क रुटे सोमवार को जेलेंस्की के साथ व्हाइट हाउस की यात्रा में शामिल होंगे।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
भारत ने ट्रंप-पुतिन की बैठक का किया स्वागत, कहा- संवाद और कूटनीति से ही शांति की राह संभव

नई दिल्ली, 16 अगस्त। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में हुई बैठक पर भारत की पहली प्रतिक्रिया आई। भारत ने कहा कि संवाद और कूटनीति से ही शांति की राह बनेगी।
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि भारत अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच शिखर सम्मेलन का स्वागत करता है। शांति की दिशा में उनका नेतृत्व अत्यंत सराहनीय है।
उन्होंने कहा कि भारत शिखर सम्मेलन में हुई प्रगति की सराहना करता है। आगे का रास्ता केवल संवाद और कूटनीति से ही निकल सकता है। दुनिया यूक्रेन में संघर्ष का शीघ्र अंत देखना चाहती है।
अलास्का में ट्रंप और पुतिन के बीच करीब तीन घंटे तक बैठक चली। इसके बाद यूएस राष्ट्रपति वाशिंगटन लौट गए। इससे पहले ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा कि वह नाटो नेताओं, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की और अन्य संबंधित अधिकारियों को बैठक में हुई चर्चाओं के बारे में जानकारी देने की योजना बना रहे हैं।
वहीं, अलास्का के एंकोरेज से मास्को रवाना होने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने फोर्ट रिचर्डसन मेमोरियल कब्रिस्तान का दौरा किया, जहां उन्होंने सोवियत संघ के सैनिकों की कब्रों पर फूल चढ़ाए। ये कब्रें उन सोवियत पायलटों और नाविकों को श्रद्धांजलि हैं, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे।
ट्रंप के साथ हुई बैठक को लेकर पुतिन ने कहा कि हमारी बातचीत रचनात्मक और परस्पर सम्मान के माहौल में हुई। उन्होंने एक पड़ोसी के रूप में ट्रंप का स्वागत किया और उनके साथ बहुत अच्छे सीधे संपर्क स्थापित किए। साथ ही उन्होंने ट्रंप को साथ मिलकर काम करने और बातचीत में एक दोस्ताना और भरोसेमंद माहौल बनाए रखने के लिए धन्यवाद दिया। खास बात यह है कि दोनों पक्ष परिणाम हासिल करने के लिए दृढ़ थे। हमारी बातचीत सकारात्मक रही।
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