अंतरराष्ट्रीय समाचार
दक्षिण कोरिया पहुंचा अमेरिकी विमानवाहक पोत
सियोल, 28 मार्च : उत्तर कोरिया के बढ़ते खतरे के बीच परमाणु ऊर्जा से चलने वाला एक अमेरिकी विमानवाहक पोत मंगलवार को दक्षिण कोरिया के बंदरगाह शहर बुसान पहुंचा। योनहाप न्यूजएजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, यूएसएस निमित्ज वाहक ने पिछले दिन जेजू के दक्षिणी द्वीप के दक्षिण में अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में दक्षिण कोरियाई नौसेना के साथ अपने अभ्यास के बाद सियोल से 325 किमी दक्षिण-पूर्व में शहर में आरओके फ्लीट कमांड पर डॉक किया।
पर्यवेक्षकों ने कहा कि यहां उसकी मौजूदगी से प्योंगयांग को चेतावनी मिलने की उम्मीद है, जो मिसाइल लॉन्च के जरिए तनाव बढ़ा रहा है और परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने की बार-बार धमकी दे रहा है।
पोत पर 70 लड़ाकू विमान हैं। इसमें एफ-18 लड़ाकू विमान और ए-2 हॉकआई पूर्व चेतावनी विमान शामिल हैं।
बुसान में अमेरिकी पोत पहुंचने की पूर्व संध्या पर उत्तर कोरिया ने अपने बैलिस्टिक मिसाइलों को सिम्युलेटेड परमाणु हथियार से लोड करने का दावा किया।
एक पूल रिपोर्ट के अनुसार, यूएसएस निमित्ज पर सोमवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए, कैरियर स्ट्राइक ग्रुप के कमांडर रियर एडमिरल क्रिस्टोफर स्वीनी ने उत्तर कोरियाई खतरों से निपटने के लिए सहयोगियों की तत्परता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, मुझे उत्तर कोरिया से कोई डर या चिंता नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
ट्रंप-जिनपिंग की मुलाका त से इतर अमेरिकी राष्ट्रपति के ‘परमाणु पोस्ट’ से गरमाई वैश्विक राजनीति

TRUMP
वाशिंगटन, 30 अक्टूबर: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच गुरुवार को दक्षिण कोरियाई बंदरगाह शहर बुसान में बैठक हो रही है। जिनपिंग से मुलाकात के इतर अमेरिकी राष्ट्रपति ने परमाणु हथियार को लेकर एक पोस्ट से बवाल मचा दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने ट्रूथ सोशल पर जानकारी दी है कि उन्होंने फौरन परमाणु हथियार की टेस्टिंग का आदेश दिया है।
बता दें, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात से ठीक पहले ट्रंप के इस पोस्ट ने वैश्विक राजनीतिक गलियारे की हलचल को बढ़ा दी है। लोग यह सोचने पर मजबूर हैं कि आखिर राष्ट्रपति ट्रंप की ये कौन सी चाल है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने लिखा, “संयुक्त राज्य अमेरिका के पास किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं। यह सब मेरे पहले कार्यकाल के दौरान ही संभव हो पाया, जिसमें मौजूदा हथियारों का पूर्ण नवीनीकरण और नवीनीकरण भी शामिल है। इसकी प्रचंड विनाशकारी शक्ति के कारण, मुझे ऐसा करना बहुत बुरा लगता था, लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं था!”
अमेरिकी राष्ट्रपति ने चेतावनी देते हुए आगे लिखा, “रूस दूसरे स्थान पर है और चीन काफी दूर तीसरे स्थान पर है, लेकिन अगले पांच सालों में यह बराबरी पर आ जाएगा। अन्य देशों के परीक्षण कार्यक्रमों के कारण, मैंने युद्ध विभाग को निर्देश दिया है कि वह हमारे परमाणु हथियारों का समान आधार पर परीक्षण शुरू करे। यह प्रक्रिया तुरंत शुरू होगी। इस मामले पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद!”
ट्रंप के इस बयान में चीन समेत तमाम देशों के लिए चेतावनी की झलक दिख रही है। पोस्ट के अनुसार, चीन तेजी से परमाणु हथियार विकसित कर रहा है। वहीं, अगर ट्रंप के आदेशानुसार परमाणु हथियारों की टेस्टिंग की जाती है, तो इससे दुनिया में विनाशकारी हथियारों की रेस को गति देने की आशंकाएं बढ़ेंगी।
ट्रंप ने इससे पहले ट्रूथ पर लिखा कि उन्हें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपनी मुलाकात का बेसब्री से इंतजार है। यह कुछ ही घंटों में होगी!
बुसान में जिनपिंग से मिलते ही ट्रंप ने कहा कि हमारी मुलाकात बहुत सफल रहने वाली है। उन्होंने चीनी राष्ट्रपति को एक महान देश का महान नेता भी कहा। उन्होंने कहा कि हम एक-दूसरे को अच्छी तरह जानते हैं। हमारे बीच हमेशा से बहुत अच्छे संबंध रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री साने ताकाइची को दी बधाई, भारत-जापान संबंध को लेकर फोन पर हुई चर्चा

PM MODI
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान की पीएम से फोन पर बातचीत की। जापान को हाल ही में पहली महिला प्रधानमंत्री मिली हैं। साने ताकाइची ने जापान की प्रधानमंत्री के तौर पर जिम्मेदारी संभाली है। पीएम मोदी ने जापान की प्रधानमंत्री बनने के लिए ताकाइची को बधाई दी।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी देते हुए लिखा, “जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची के साथ गर्मजोशी से बातचीत हुई। उन्हें पदभार ग्रहण करने पर बधाई दी और आर्थिक सुरक्षा, रक्षा सहयोग और प्रतिभा गतिशीलता पर केंद्रित भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को आगे बढ़ाने के हमारे साझा दृष्टिकोण पर चर्चा की। हम इस बात पर सहमत हुए कि वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए भारत-जापान के मजबूत संबंध अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।”
बता दें, पीएम ताकाइची ने हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की थी। अमेरिकी राष्ट्रपति इन दिनों एशिया दौरे पर हैं। एशिया दौरे के दूसरे चरण के तहत ट्रंप जापान के टोक्यो पहुंचे थे।
ट्रंप के जापान दौरे पर दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर मुहर लगी। देशों ने रेयर अर्थ मिनरल्स की आपूर्ति को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। अमेरिका स्मार्टफोन से लेकर फाइटर जेट्स तक कई तरह के प्रोडक्ट्स के लिए जरूरी इन मटीरियल्स पर चीन के दबदबे को खत्म करना चाहता है, उस पर निर्भरता कम करना चाहता है। जापान के अहम सुरक्षा और व्यापार पार्टनर संग ऐसा ही करीबी रिश्ता ताकाइची को देश में अपनी कमजोर राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने में मदद कर सकता है।
जापानी मीडिया के अनुसार, ट्रंप ने अमेरिका से ज्यादा सुरक्षा उपकरण खरीदने की जापान की कोशिशों की भी तारीफ की। वहीं पीएम ताकाइची ने कंबोडिया-थाईलैंड और इजरायल-हमास के बीच सीजफायर कराने में ट्रंप की भूमिका को “अभूतपूर्व” बताया। यही वजह है कि उन्होंने दूसरे वर्ल्ड लीडर्स की तरह ट्रंप को शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया।
जापानी मीडिया के अनुसार ताकाइची का अंदाज जनता को पसंद आ रहा है, लेकिन अभी भी वे निचले सदन में बहुमत से दो वोट दूर हैं। ऐसे में उम्मीद पक्की है कि जो डील सील हुई है, वह जापानी पीएम की स्थिति को और मजबूत करेगी। ट्रंप के साथ जापान का यह गठबंधन नई ऊर्जा भरने का काम करेगा।
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सोनम वांगचुक की नजरबंदी मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

नई दिल्ली, 29 अक्टूबर: सुप्रीम कोर्ट लद्दाख स्थित जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत नजरबंदी को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगा।
वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे अंगमो की ओर से दायर इस मामले में उनकी नजरबंदी की वैधता और अधिकारियों द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए हैं।
इस महीने की शुरुआत में, न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने अंगमो को अपनी रिट याचिका में संशोधन करने की अनुमति दी थी, जब उनके वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सरकार की ओर से दिए गए नए विवरण शामिल करने की अनुमति मांगी थी।
सिब्बल ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार ने वांगचुक को नजरबंदी के आधार बता दिए हैं, जिससे मूल याचिका में संशोधन करना जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा, “मैं याचिका में संशोधन करूंगा ताकि मामला यहीं जारी रह सके।” इसके बाद, अदालत ने मामले की अगली सुनवाई बुधवार को तय कर दी।
सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका में मूल रूप से यह तर्क दिया गया था कि अधिकारी एनएसए की धारा 8 के तहत हिरासत के आधार प्रस्तुत करने में विफल रहे हैं, जिसके अनुसार बंदियों को एक निश्चित समय के भीतर उनकी हिरासत के कारणों के बारे में सूचित किया जाना आवश्यक है।
हालांकि, लेह प्रशासन ने जिला मजिस्ट्रेट रोमिल सिंह डोंक के माध्यम से दायर अपने हलफनामे में दावा किया कि निर्धारित अवधि के भीतर बंदी को कारणों से विधिवत अवगत करा दिया गया था।
इस बीच, एनएसए के तहत गठित सलाहकार बोर्ड ने हाल ही में वांगचुक की हिरासत की समीक्षा की। पूर्व न्यायाधीश एमके हुजुरा (अध्यक्ष), जिला न्यायाधीश मनोज परिहार और सामाजिक कार्यकर्ता स्पल जयेश अंगमो सहित तीन सदस्यीय पैनल ने राजस्थान के जोधपुर सेंट्रल जेल में तीन घंटे तक बंद कमरे में सुनवाई की। कार्यवाही के दौरान वांगचुक और उनकी पत्नी दोनों मौजूद थे।
सुनवाई कथित तौर पर एनएसए लगाने के प्रशासन के औचित्य और वांगचुक के प्रतिनिधित्व पर केंद्रित थी, जिसमें इसे चुनौती दी गई थी।
सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत हिरासत में लिया गया था। इसके बाद देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हुए और नागरिक अधिकार समूहों ने भी इसकी आलोचना की। उन्होंने वांगचुक की हिरासत को मनमाना और अनुचित बताया।
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