राजनीति
बिहार में जहरीली शराब कांड को लेकर नीतीश और बीजेपी में जुबानी जंग जारी

पटना, 17 दिसम्बर : सारण में जहरीली शराब कांड को लेकर सत्तारूढ़ जद(यू) के नेतृत्व वाले महागठबंधन और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी है, सारण जहरीली शराब त्रासदी में 73 लोगों की जान चली गई है। भाजपा का आरोप है कि राज्य में शराबबंदी के कारण जहरीली शराब बनाई जा रही है जिससे लोगों की मौत हो रही है। भाजपा ने दावा किया कि जहरीली शराब से 1,000 से अधिक लोगों की जान चली गई है और राज्य के खजाने को प्रति वर्ष राजस्व के रूप में 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
हालांकि मुख्यमंत्री और जद (यू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार हमेशा राज्य में शराबबंदी का श्रेय लेते हैं, लेकिन जब भी कोई शराब कांड होता है, तो वह इसका दोष हर उस राजनीतिक दल पर डालते हैं, जिसने विधान सभा में विधेयक का समर्थन किया था। वहीं, नीतीश कुमार यह भी साबित करना चाहते हैं कि ‘बीजेपी शराबबंदी के खिलाफ है और यह संदेश समाज के एक बड़े वर्ग खासकर महिलाओं तक पहुंचाना चाहते हैं।
राज्य विधान सभा में अपने भाषण के दौरान, नीतीश कुमार ने भाजपा से शराबबंदी पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा- अगर आप शराबबंदी कानून को वापस लेने की वकालत करते हैं तो मैं इसे वापस लूंगा। नीतीश कुमार जिनके लिए शराबबंदी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से प्रेरित एक कदम है, उन्होंने कहा कि हर धर्म शराब को बुरी चीज मानता है।
सारण शराब कांड की जांच के दौरान यह बात सामने आई कि मशरख थाने के मलखाना में जब्त कर रखी गई स्पिरिट को कथित तौर पर शराब बनाने के लिए शराब माफियाओं को बेच दिया जाता था और इसके सेवन से लोगों की मौत हुई। उसके बाद शराबबंदी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के.के. पाठक ने प्रत्येक जिले के जिलाधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर ड्यूटी मजिस्ट्रेट की निगरानी में जब्त शराब का निस्तारण करने का निर्देश दिया।
उन्होंने अधिकारियों से अप्रैल 2016 में शराबबंदी लागू होने से पहले और बाद में शराब के नमूने लेने और शेष को नष्ट करने के लिए भी कहा। जांच के निष्कर्ष स्पष्ट संकेत हैं कि सिस्टम में बड़ी खामी है। पुलिस अधिकारी कथित रूप से स्पिरिट बेचने में शामिल हैं जिसका इस्तेमाल माफियाओं ने शराब बनाने के लिए किया था।
राजनीतिक विशेषज्ञ भरत शर्मा ने कहा- नीतीश कुमार जमीनी स्थिति जानते थे लेकिन वह शराबबंदी पर नैतिक आधार ले रहे हैं। नीतीश कुमार वास्तव में मानते हैं कि शराबबंदी से समाज के बड़े वर्ग को फायदा होता है, खासकर महिलाओं को। इसलिए, नीतीश कुमार शराब उपभोक्ता को असामाजिक बता रहे हैं और ‘जो पीएगा वो मरेगा’ जैसे बयान दे रहे हैं। शर्मा ने कहा, अगर नीतीश कुमार शराबबंदी को वापस लेते हैं, तो यह उनके लिए आत्मघाती हो जाएगा और बिहार में अकेली विपक्षी पार्टी बीजेपी को काफी मदद मिलेगी।
भाजपा नेता शराबबंदी को ठीक से लागू करने में विफल रहने के लिए नीतीश कुमार सरकार की आलोचना कर रहे हैं। वह जहरीली शराब कांड में मारे गए लोगों के परिवारों के लिए मुआवजे की भी मांग कर रहा है। बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा, बिहार सरकार द्वारा अप्रैल, 2016 में शराबबंदी लागू करने के बाद पहली बार गोपालगंज के खजुरबानी गांव में जहरीली शराब कांड हुआ, जिसमें 19 लोगों की मौत हो गई और 10 लोगों की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई। उस दौरान, नीतीश कुमार सरकार ने परिवार के हर सदस्य को 4 लाख रुपये का मुआवजा दिया था।
उन्होंने कहा- छपरा (सारण जिला) की घटना के बाद नीतीश कुमार सरकार कह रही है कि किसी को न पहले मुआवजा दिया गया और न भविष्य में दिया जाएगा। उनका दावा गलत है। उन्हें पहले तथ्यों की जांच करनी चाहिए। नीतीश कुमार बेशर्मी से कहते हैं ‘जो पाएगा वो मरेगा’। सारण जहर त्रासदी में जान गंवाने वाले लोग गरीब और दलित समुदाय के लोग हैं, जिनमें से अधिकांश अपने-अपने परिवारों के एकमात्र कमाने वाले थे। अब उन परिवारों के घर में सिर्फ विधवाएं और मासूम बच्चे हैं। अगर राज्य सरकार उनकी मदद नहीं करेगी तो और कौन उनके बचाव में आएगा।
उन्होंने कहा, राज्य सरकार सड़क हादसों में मरने वालों के परिजनों को मुआवजा दे रही है। उस समय राज्य सरकार यह नहीं पूछती कि मरने वाले लोग गलत साइड से आ रहे थे या नहीं। सुशील कुमार मोदी ने पूछा, नीतीश कुमार सरकार डीएसपी और एसपी रैंक के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है?
अपराध
शारदा विश्वविद्यालय आत्महत्या मामला: आंतरिक जांच समिति आज सौंप सकती है पुलिस को रिपोर्ट

ग्रेटर नोएडा, 28 जुलाई। ग्रेटर नोएडा के शारदा विश्वविद्यालय में एक छात्रा की आत्महत्या मामले की जांच कर रही आंतरिक जांच कमेटी सोमवार को अपनी रिपोर्ट पुलिस को सौंप सकती है। इस जांच कमेटी ने अब तक छात्रा के परिवार, जेल में बंद प्रोफेसर और अन्य लोगों से पूछताछ कर जांच पूरी कर ली है। इस रिपोर्ट के बाद पुलिस कुछ और लोगों पर भी पुलिस कार्रवाई कर सकती है।
रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया जाएगा कि छात्रा की आत्महत्या के पीछे कौन-कौन सी वजहें रहीं और विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से किस स्तर पर लापरवाही बरती गई। ऐसा माना जा रहा है कि रिपोर्ट में कुछ और कर्मचारियों या प्रोफेसरों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है, जिनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक, विश्वविद्यालय प्रशासन कुछ और लोगों को लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित करने की तैयारी कर रहा है।
इससे पहले, जांच समिति ने मृतक छात्रा के परिजनों, दोस्तों, सहपाठियों और विश्वविद्यालय के कुछ प्रोफेसरों से पूछताछ पूरी कर ली है। जेल में बंद आरोपियों से भी पूछताछ कर उनके बयान दर्ज किए जा चुके हैं।
पुलिस ने मृतक छात्रा का मोबाइल फोन, लैपटॉप, किताबें और आत्महत्या से पहले लिखा गया सुसाइड नोट बरामद किया है। ये सभी चीजें पुलिस ने अपने कब्जे में लेकर सील कर दी हैं और सुरक्षित रखी हैं। अब पुलिस इन सबको फॉरेंसिक जांच के लिए भेजने की तैयारी कर रही है, जिसके लिए कोर्ट से इजाजत ली जाएगी। फॉरेंसिक जांच के दौरान सुसाइड नोट की राइटिंग का मिलान भी किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह सच में छात्रा की ही लिखावट है या किसी और की।
इसके अलावा, मोबाइल और लैपटॉप से यह पता लगाया जाएगा कि आत्महत्या करने से पहले छात्रा ने किन लोगों के संपर्क में थी और उसकी स्थिति कैसी थी। इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन की भूमिका पहले से ही सवालों के घेरे में है। यदि आंतरिक जांच रिपोर्ट में लापरवाही की पुष्टि होती है, तो यह प्रकरण और गंभीर हो सकता है।
राजनीति
मानसून सत्र : लोकसभा में हंगामे के बीच 12 बजे तक कार्यवाही स्थगित

LOCKSABHA
नई दिल्ली, 28 जुलाई। संसद के मॉनसून सत्र का पहला सप्ताह हंगामे की भेंट चढ़ने के बाद सोमवार को भी लोकसभा में विपक्षी सांसदों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को दोपहर 12 बजे तक स्थगित करना पड़ा। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर विपक्ष के तीखे विरोध ने सत्र को फिर से बाधित कर दिया।
सुबह 11 बजे जैसे ही लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी सांसदों ने बिहार में एसआईआर (एसआईआर) से जुड़ी प्रक्रिया को लेकर नारेबाजी शुरू कर दी। विपक्ष का कहना है कि इस प्रक्रिया की वजह से बहुत सारे लोग वोट देने से वंचित हो सकते हैं। सदन को शांत कराने की कोशिश करते हुए स्पीकर ओम बिरला ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से कहा कि हंगामा करने वालों को समझाइए कि इन्हें सदन में पर्चे फेंकने और तख्तियां लाने के लिए नहीं भेजा गया है।
बता दें कि मॉनसून सत्र के शुरुआती हफ्ते में कई बार सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद सोमवार को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा होनी थी। जानकारी के अनुसार, लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत की सैन्य कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की शुरुआत करने वाले थे। यह 16 घंटे की महत्वपूर्ण बहस होगी, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी शामिल होंगे। वे पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के व्यापक प्रभावों पर सरकार का पक्ष रखेंगे। अनुराग ठाकुर और निशिकांत दुबे सहित भाजपा के प्रमुख सांसद भी इस बहस में हिस्सा लेंगे।
विपक्ष की ओर से कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और कई अन्य नेताओं के भी इस बैठक में भाग लेने की उम्मीद है। कांग्रेस पार्टी की ओर से एक व्हिप जारी कर अपने सभी लोकसभा सांसदों को अगले तीन दिनों तक सदन में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।
मानसून सत्र की शुरुआत हंगामेदार रही, क्योंकि विपक्ष ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) और अन्य मुद्दों पर कार्यवाही बाधित की।
इसके बाद, 25 जुलाई को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि विपक्ष ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा शुरू करने के लिए सहमति जताई है, जो सोमवार को लोकसभा में और मंगलवार को राज्यसभा में होगी।
मनोरंजन
गूगल और मेटा को पेशी के लिए ईडी ने फिर भेजा समन, 21 जुलाई को नहीं पहुंचे थे इनके प्रतिनिधि

नई दिल्ली, 28 जुलाई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स को बढ़ावा देने के मामले में टेक दिग्गज गूगल और मेटा को दोबारा 21 जुलाई को समन भेजा था। इन दोनों टेक कंपनियों के प्रतिनिधियों को 28 जुलाई (सोमवार) को ईडी मुख्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया गया है। इससे पहले इन दोनों टेक कंपनियों को 21 जुलाई को दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन वे पेश नहीं हो पाए थे।
ऐसे में ईडी ने दोनों कंपनियों को दोबारा समन भेज कर 28 जुलाई को पेश होने के लिए कहा। बता दें कि ईडी की जांच उन ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स पर केंद्रित है जो कथित तौर पर अवैध जुए और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल हैं। इनमें महादेव बेटिंग ऐप और फेयरप्ले आईपीएल जैसे ऐप्स शामिल हैं।
ईडी का आरोप है कि गूगल और मेटा ने अपने प्लेटफॉर्म्स पर इन अवैध सट्टेबाजी ऐप्स को विज्ञापनों के जरिए बढ़ावा दिया और इनकी पहुंच को व्यापक बनाने में मदद की। जांच में पाया गया कि ये ऐप्स स्किल-बेस्ड गेमिंग के नाम पर अवैध सट्टेबाजी को बढ़ावा देते हैं। इन प्लेटफॉर्म्स के जरिए करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की गई, जिसे हवाला चैनलों के माध्यम से छिपाया गया ताकि जांच से बचा जा सके।
ईडी ने इन ऐप्स के विज्ञापनों को गूगल और मेटा के प्लेटफॉर्म्स पर प्रमुखता से प्रदर्शित होने का आरोप लगाया है, जिससे इनके यूजर्स बढ़े।
10 जुलाई को ईडी ने इस मामले में 29 मशहूर हस्तियों के खिलाफ कार्रवाई की थी। इनमें अभिनेता विजय देवरकोंडा, राणा दग्गुबाती, प्रकाश राज, निधि अग्रवाल, प्रणिता सुभाष, मंचू लक्ष्मी और अनन्या नगेला शामिल थें। इसके अलावा, टीवी कलाकार, होस्ट और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स जैसे श्रीमुखी, श्यामला, वर्षिणी सौंदर्यराजन, वसंती कृष्णन, शोभा शेट्टी, अमृता चौधरी, नयनी पावनी, नेहा पठान, पांडु, पद्मावती, हर्षा साय और बय्या सनी यादव के नाम भी जांच में हैं।
इन पर जंगली रम्मी, ए23, जीतविन, परिमैच और लोटस365 जैसे प्लेटफॉर्म्स के प्रचार का आरोप है, जो मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल हैं। यह जांच पब्लिक गैंबलिंग एक्ट, 1867 और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत हो रही है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में दर्ज पांच एफआईआर के आधार पर ईडी ने यह कार्रवाई शुरू की।
मार्च में, साइबराबाद पुलिस ने भी विजय देवरकोंडा, राणा दग्गुबाती और प्रकाश राज सहित कई हस्तियों के खिलाफ अवैध सट्टेबाजी ऐप्स के प्रचार का मामला दर्ज किया था। हालांकि, इन हस्तियों ने सफाई दी कि वे किसी अवैध ऐप का प्रचार नहीं कर रहे थे। ईडी अब इन सभी मामलों की गहन जांच कर रहा है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी में है।
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