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Friday,18-April-2025
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सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेसी पॉलिसी में सीसीआई जांच के खिलाफ व्हाट्सएप-मेटा याचिकाओं पर विचार करने से किया इनकार

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उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें व्हाट्सएप और फेसबुक (अब मेटा) द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया। इसमें एकल न्यायाधीश बेंच के आदेश को चुनौती दी गई थी। दरअसल, बेंच ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की 2021 की प्राइवेसी पॉलिसी के संबंध में व्हाट्सएप द्वारा डॉमिनन्ट पॉजिशन प्रैक्ट्सि के दुरुपयोग की जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। व्हाट्सएप का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने प्रस्तुत किया कि व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक आ रहा है और सॉलिसिटर जनरल ने संविधान पीठ को जनवरी में गोपनीयता नीति मामले की सुनवाई करने के लिए कहा। उन्होंने कहा, अगर एक संवैधानिक अदालत को लगता है कि मेरी नीति ठीक है और कानून के अनुरूप है, तो यह आगे नहीं बढ़ाया जा सकता।

सिब्बल ने जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष दलील दी कि वे इस बीच कैसे जांच कर सकते हैं, जबकि गोपनीयता नीति का मुद्दा लंबित है? उन्होंने कहा, हम कह रहे हैं कि जब तक यह अदालत का आदेश नहीं आता, तब तक सीसीआई को अंतिम आदेश न देने दें।

पीठ ने कहा कि सीसीआई एक स्वतंत्र संस्था है और सवाल यह है कि क्या आपका आचरण प्रतिस्पर्धा अधिनियम के विपरीत है?

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन. वेंकटरमण ने सुनवाई के दौरान कहा कि 2021 नीति के लिए डेटा व्हाट्सएप के पास है, और इसका उपयोग उनके विज्ञापनों के लिए एक प्रमुख तरीके से किया जा रहा है, जिसके कारण संभावित दुरुपयोग हो सकता है। उन्होंने कहा कि एक विशेष कंपनी के साथ डेटा की एकाग्रता का दुरुपयोग होता है।

सिब्बल ने कहा कि व्हाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी है। यूजर का डेटा साझा नहीं किया जाता है और अगर मैं टिकट बुक करना चाहता हूं, तो मैं एक बिजनेस ऐप का उपयोग करता हूं, और जिस व्यक्ति के साथ मैं इसे बुक करता हूं, वह इसे साझा कर सकता है। उन्होंने कहा, यह देश के हर प्लेटफॉर्म और भारतीय ऐप्स पर भी लागू है।

दलीलें सुनने के बाद, शीर्ष अदालत ने कहा कि सीसीआई 2002 के प्रतिस्पर्धा अधिनियम के प्रावधानों के किसी भी उल्लंघन पर विचार करने के लिए एक स्वतंत्र प्राधिकरण है, और उच्च न्यायालय के आदेश में इस अदालत द्वारा किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।

पीठ ने कहा कि जब सीसीआई द्वारा कार्यवाही शुरू की जाती है, तो यह नहीं कहा जा सकता है कि यह अधिकार क्षेत्र के बिना है, और सीसीआई को जांच और प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के कथित उल्लंघन से नहीं रोका जा सकता है।

याचिकाओं को खारिज करते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा कि कार्रवाई में उच्च न्यायालय की किसी भी टिप्पणी को अस्थायी और प्रथम ²ष्टया माना जाना चाहिए, और इस मामले पर अपनी योग्यता के आधार पर विचार किया जाना चाहिए।

इस साल अगस्त में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने व्हाट्सएप और फेसबुक (अब मेटा) द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया, जिसमें एकल न्यायाधीश पीठ के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसने पिछले साल भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

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नासिक : धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह के बाद बवाल, पथराव में कई घायल

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नासिक, 16 अप्रैल। नासिक के काठे गली इलाके में मंगलवार रात पुलिस पर पथराव किया गया। यह घटना तब हुई जब क्षेत्र में बिजली कट गई और इसी अंधेरे का फायदा उठाकर भीड़ ने अचानक पुलिस और आसपास खड़े वाहनों पर पत्थर बरसाने शुरू कर000000 दिए। इस हिंसक घटनाक्रम में तीन से चार पुलिसकर्मी घायल हो गए, जबकि पांच वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। हंगामे की वजह एक धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह बताई जा रही है।

स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को तत्काल कार्रवाई करनी पड़ी। रात में करीब 500 पुलिसकर्मियों को मौके पर तैनात किया गया ताकि हालात और न बिगड़ें। बताया जा रहा है कि हंगामे के समय करीब 400 से 500 लोग मौजूद थे। पुलिस ने किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए इलाके में ट्रैफिक मार्गों में बदलाव भी कर दिए हैं। प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने मिलकर हालात पर कड़ी नजर रखी और रात भर गश्त जारी रही।

सूत्रों ने बताया कि इस पूरे मामले की जड़ एक विवादास्पद धार्मिक स्थल है, जिस पर पिछले कुछ दिनों से तनाव की स्थिति बनी हुई थी। नगरपालिका ने 1 अप्रैल को अदालत के आदेश के बाद एक अनधिकृत निर्माण पर नोटिस दिया था, जिसमें कहा गया था कि यदि निर्माण को स्वयं नहीं हटाया गया तो प्रशासन उचित कार्रवाई करेगा। इस चेतावनी के बावजूद धार्मिक स्थल को नहीं हटाया गया, जिससे स्थानीय लोगों में असंतोष और तमाम तरह की अफवाह फैल गई।

अधिकारियों ने बताया कि इस क्षेत्र में कुछ धार्मिक स्थलों का निर्माण बिना अनुमति के किया गया था और इन्हें हटाने के लिए नोटिस दिया गया था, जिसके बाद यह घटना हुई है। अगले दो दिनों में ऐसे सभी अनधिकृत धार्मिक स्थलों को हटाया जाएगा। नासिक पुलिस का कहना है पुलिस पूरे इलाके में शांति बनाए रखने के लिए कार्रवाई कर रही है। पुलिस और प्रशासनिक अमले की मौजूदगी अब भी इलाके में बनी हुई है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है।

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जयपुर: ईडी ने पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी की

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जयपुर, 15 अप्रैल। केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को जयपुर में बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी शुरू की। प्रताप सिंह राजस्थान की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।

यह कार्रवाई प्रदेश के चर्चित 2,850 करोड़ रुपये के पीएसीएल घोटाले से जुड़ी बताई जा रही है। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह पर आरोप है कि घोटाले की कुछ राशि उनके पास भी है।

सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी 2016 को सेवानिवृत्त सीजेआई आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। कोर्ट ने कमेटी से कहा था कि पीएसीएल की संपत्तियों को नीलाम करके 6 माह में लोगों को ब्याज सहित भुगतान करें। सेबी के आकलन के अनुसार, पीएसीएल की 1.86 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है, जो निवेशकों की जमा राशि की तुलना में 4 गुना है।

पीएसीएल कंपनी की योजनाओं को अवैध मानते हुए सेबी ने 22 अगस्त 2014 को कंपनी के कारोबार बंद कर दिए थे, जिसके चलते निवेशकों की पूंजी कंपनी के पास जमा रह गई। इसके बाद कंपनी और सेबी के बीच सुप्रीम कोर्ट में केस चला और सेबी केस जीत गई। 17 साल तक राज्य में रियल एस्टेट में निवेश का काम करने वाली पीएसीएल में प्रदेश के 28 लाख लोगों ने करीब 2,850 करोड़ और देश के 5.85 करोड़ लोगों ने कुल 49,100 करोड़ का निवेश किया था।

कंपनी पर बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, असम, कर्नाटक, जयपुर ग्रामीण, उदयपुर, आंध्र प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ समेत आधे से ज्यादा राज्यों में मुकदमे दर्ज हैं। इस घोटाले का पहला खुलासा जयपुर में ही हुआ था, जब 2011 में चौमू थाने में ठगी और चिट फंड एक्ट के तहत पहला केस दर्ज किया गया। मामले में प्रताप सिंह की भागीदारी 30 करोड़ के आसपास बताई जा रही है, जिसको लेकर अब ईडी जांच कर रही है।

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सलमान खान को फिर मिली जान से मारने की धमकी

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मुंबई: फिल्म अभिनेता सलमान खान को एक बार फिर जान से मारने की धमकी मिली है। सलमान खान लॉरेंस बिश्नोई गैंग के निशाने पर हैं और लॉरेंस गैंग सलमान को जान से मारने की धमकी भी दे चुका है, जिसके बाद से सलमान खान को सोशल मीडिया पर लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। मुंबई ट्रैफिक कंट्रोल रूम को एक व्हाट्सएप संदेश मिला जिसमें सलमान खान को उनके घर में घुसकर जान से मारने और उनकी कार को बम से उड़ाने की धमकी दी गई है। यह धमकी भरा संदेश मिलने के बाद वर्ली पुलिस ने ट्रैफिक पुलिस की शिकायत पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धमकी का मामला दर्ज कर लिया है।

मुंबई पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि सलमान खान को धमकी देने वाला शख्स किसी गिरोह से जुड़ा है या फिर किसी ने शरारत में यह धमकी दी है। धमकी भरे संदेश के बाद पुलिस भी अलर्ट पर है। सलमान खान के घर के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इसके साथ ही सलमान खान को वाई प्लस सुरक्षा भी प्राप्त है। ऐसे में पुलिस ने भी इस धमकी को गंभीरता से लिया है।

मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक पंचालकर ने भी पुलिस को धमकी भरे फोन कॉल, व्हाट्सएप या सोशल मीडिया पर धमकी भरे संदेशों को लेकर सतर्क रहने का आदेश दिया है। मुंबई पुलिस और क्राइम ब्रांच भी इस मामले की जांच कर रही है। सलमान खान की जान को खतरा है, इसलिए पुलिस किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतना चाहती है और पुलिस ने इस मामले में जांच भी शुरू कर दी है। सलमान खान को इससे पहले भी कई बार जान से मारने की धमकियां मिल चुकी हैं। पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया है।

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