राजनीति
अमित शाह के जम्मू-कश्मीर दौरे में बदलाव, अब 4 अक्टूबर से शुरू होगा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की जम्मू-कश्मीर की यात्रा को पुनर्निर्धारित किया गया है यानी उनके जम्मू-कश्मीर दौरे में बदलाव किया गया है और वह अब दो दिनों के लिए 4 अक्टूबर को केंद्र शासित प्रदेश का दौरा करेंगे। शाह 30 सितंबर को यहां पहुंचने वाले थे। भाजपा के एक सूत्र ने कहा कि पहले 1 और 2 अक्टूबर को होने वाली यात्रा को पुनर्निर्धारित किया गया है और शाह अब 4 अक्टूबर को यहां पहुंचेंगे। शाह राजौरी जिले में एक जनसभा को संबोधित करने वाले हैं। पार्टी सूत्रों ने बताया कि राजौरी के अपने दौरे के दौरान वह विकास और अन्य संबंधित मुद्दों को लेकर कुछ अहम घोषणाएं करेंगे।
एक सूत्र ने कहा, वह बारामूला जिले में एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे। अपने दौरे के दौरान गृह मंत्री पहाड़ी समुदाय के लिए अनुसूचित जनजाति के रूप में आरक्षण की घोषणा कर सकते हैं। शाह घाटी में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता भी करेंगे। गृह मंत्री के साथ गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) और खुफिया एजेंसियां शामिल होंगी।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा शाह की अध्यक्षता में होने वाली सभी विकास और सुरक्षा समीक्षा बैठकों में शामिल होंगे। भाजपा के कुछ नेताओं ने कहा कि, शाह अपने दौरे के दौरान पार्टी के चुनाव प्रचार की शुरूआत करेंगे। 2014 में आखिरी बार जम्मू-कश्मीर में चुनाव हुए थे। लेकिन 2019 में, तत्कालीन राज्य के राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार से भाजपा के हटने के बाद विधानसभा भंग कर दी थी।
5 अगस्त 2019 को, संसद ने लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश के रूप में अलग करते हुए अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया और जम्मू-कश्मीर को एक केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया। बाद में परिसीमन आयोग का गठन किया गया, जिसने विधानसभा क्षेत्रों का पुनर्गठन किया, जिससे कश्मीर में 47 सीटों और जम्मू संभाग में 43 सीटों के साथ उनकी संख्या 87 से बढ़कर 90 हो गई।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव इस साल अलग-अलग कारणों से नहीं हो सके। चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि अंतिम मतदाता सूची 24 नवंबर को प्रकाशित की जाएगी। नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए आवश्यक समय अवधि, नामांकन पत्रों की जांच, उम्मीदवारी वापस लेने की अवधि, चुनाव अभियान की अवधि आदि को देखते हुए, इस साल के अंत तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने की बहुत कम संभावना है क्योंकि दिसंबर के मध्य तक कड़ाके की ठंड पड़ेगी।
यह माना जा रहा है कि चुनाव जल्द से जल्द अप्रैल-मई 2023 में हो सकते हैं, भले ही पार्टी के अलग-अलग नेता 2022 में ही अपने चुनाव अभियान शुरू करें।
अपराध
सुप्रीम कोर्ट से पीएफआई के पूर्व अध्यक्ष अबूबकर को झटका, जमानत देने से किया इनकार
नई दिल्ली, 17 जनवरी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के पूर्व अध्यक्ष ई. अबूबकर को आतंकवाद विरोधी कानून (यूएपीए) के तहत दर्ज मामले में मेडिकल आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया।
अबूबकर के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की खंडपीठ ने मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद कहा कि इस समय अबू बकर को जमानत नहीं दी जा सकती।
साथ ही खंडपीठ ने अबूबकर के वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें वैकल्पिक तौर पर उन्हें घर पर नजरबंद करने का अनुरोध किया गया था। साथ ही वरिष्ठ अधिवक्ता से कहा कि यदि आगे तबियत खराब होती है तो वह निचली अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अबूबकर को 2022 में संगठन पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किया था। तभी से वो जेल में बंद हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने मेडिकल आधार पर दायर उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी याचिका खारिज कर दी है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के मुताबिक, पीएफआई, उसके पदाधिकारियों और सदस्यों ने देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने की आपराधिक साजिश रची है और इस उद्देश्य के लिए अपने कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के लिए शिविर आयोजित कर रहे थे।
गौरतलब है कि अबूबकर ने हाईकोर्ट में अपनी दायर याचिका में तर्क दिया था कि यूएपीए के तहत उनके खिलाफ एनआईए के मामले का समर्थन करने के लिए कोई सामग्री नहीं है। इसलिए वह जमानत के हकदार हैं। याचिका में यह भी दावा किया था कि वह 70 वर्ष के हैं, उन्हें पार्किंसंस रोग है और कैंसर के इलाज के लिए उनकी सर्जरी भी हो चुकी है। हालांकि, कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया था।
राष्ट्रीय समाचार
एक्सपायर्ड सैलाइन मामला : 12 डॉक्टरों को सरकार ने किया सस्पेंड, विरोध में आंशिक कार्य बहिष्कार
कोलकाता, 17 जनवरी। पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मिदनापुर जिले में सरकारी अस्पताल में 12 डॉक्टरों के निलंबन के विरोध में शुक्रवार को जूनियर और वरिष्ठ डॉक्टरों ने आंशिक रूप से काम बंद कर दिया।
अस्पताल में कथित तौर पर एक्सपायर हो चुके रिंगर लैक्टेट दिए जाने से एक महिला और एक नवजात की मौत के बाद 12 डॉक्टरों को निलंबित कर दिया गया था।
महिला मामोनी रुइदास की मौत 10 जनवरी को हुई थी। वहीं नवजात की मौत गुरुवार सुबह हुई।
पूरा राज्य प्रशासन ब्लैक लिस्टेड इकाई पश्चिम बंगा फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आपूर्ति की गई एक्सपायर हो चुकी रिंगर लैक्टेट के कारण मौतों के आरोपों पर गुस्से में था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को इकाई को एक तरह से क्लीन चिट दे दी और 12 डॉक्टरों को निलंबित करने की घोषणा की, जिससे पूरी त्रासदी की जिम्मेदारी उन पर आ गई।
प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने कहा कि जब तक 12 डॉक्टरों, छह जूनियर और छह सीनियर के निलंबन के फैसले को रद्द नहीं किया जाता, तब तक आंशिक रूप से काम बंद रहेगा। हालांकि, प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने पश्चिम मिदनापुर के अस्पताल में आपातकालीन और बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) को चालू रखा है।
निलंबित किए गए 12 डॉक्टरों में अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक-सह-उप-प्रधान और रेजिडेंट चिकित्सा अधिकारी शामिल हैं।
गुरुवार को 12 डॉक्टरों को निलंबित करने और पश्चिम बंगा फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड को क्लीन चिट देने के फैसले की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ने तर्क किया कि रिंगर लैक्टेट के इस्तेमाल की बजाय उक्त अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही इसके लिए अधिक जिम्मेदार है।
मुख्यमंत्री ने गुरुवार को मीडियाकर्मियों से कहा, “अगर ऐसा होता तो राज्य के अन्य अस्पतालों से भी ऐसी ही खबरें आतीं, जहां इसी का इस्तेमाल किया गया था। यहां मामला अलग था। यह सरासर लापरवाही का मामला था। याद रखें, लापरवाही भी एक तरह का अपराध है।”
राष्ट्रीय समाचार
इजरायल-हमास के बीच सीजफायर से जेम और ज्वेलरी एक्सपोर्ट्स बढ़ेगा: जीजेईपीसी
नई दिल्ली, 17 जनवरी। इजरायल और हमास के बीच सीजफायर होने से आने वाले महीनों में जेम्स और ज्वेलरी का निर्यात बढ़ सकता है। यह जानकारी जेम्स और ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) ने शुक्रवार को दी।
जीजेईपीसी के आंकड़ों अनुसरा, दिसंबर में जेम्स और ज्वेलरी का कुल सकल निर्यात 1967.98 मिलियन डॉलर (16,719 करोड़ रुपये) रहा, जो भू-राजनीतिक स्थितियों के बीच आर्थिक अनिश्चितता के कारण पिछले वर्ष के इसी महीने से कम है, क्योंकि खरीदारों ने लाइफस्टाइल पर पैसा खर्च करने के बजाय निवेश के लिए सुरक्षित माने जाने वाले गोल्ड की ओर अधिक झुकाव दिखाया।
काउंसिल ने कहा कि इजरायल और हमास के बीच युद्ध विराम और समझौते की उम्मीदों को देखते हुए, निर्यात धीरे-धीरे गति पकड़ने लगेगा।
दिसंबर में जेम्स और ज्वेलरी का कुल आयात 1526.95 मिलियन डॉलर (12,992.3 करोड़ रुपये) रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 27.23 प्रतिशत कम है।
रिपोर्ट में कहा गया कि खरीदारों के व्यवहार में बदलाव आ रहा है क्योंकि युवा पीढ़ी और जेनरेशन जेड रोजाना पहनने के लिए कीमती धातुओं से बने हल्की आभूषणों को ज़्यादा पसंद कर रहे हैं। 2025 में इस प्रवृत्ति में काफी तेजी देखने को मिलेगी, जिससे घरेलू मांग में छछाल आएगा।
कामा ज्वेलरी के एमडी कॉलिन शाह के अनुसार, भू-राजनीतिक तनाव व्यापार गतिविधियों के लिए एक प्रमुख बाधा के रूप में कार्य कर रहा है।
उन्होंने कहा,”हालांकि, इजरायल और हमास के बीच सीजफायर समझौता पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया है, जो दोनों देशों के बीच युद्धविराम का मार्ग प्रशस्त करेगा। हमें आने वाले महीनों में व्यापार गतिविधियों में धीरे-धीरे सुधार देखने की उम्मीद है।”
कट और पॉलिश किए गए हीरों के कुल सकल आयात में 64.1 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जो दिसंबर 2024 में पिछले वर्ष की इसी अवधि के 254.18 मिलियन डॉलर की तुलना में 91.26 मिलियन डॉलर रहा।
दिसंबर 2024 में गोल्ड की ज्वेलरी का कुल सकल निर्यात 868.03 मिलियन डॉलर रहा।
रिपोर्ट में बताया गया है कि शादी और छुट्टियों का मौसम खत्म होने वाला है, इसलिए मांग में कमी आ रही है।
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