राजनीति
अग्निपथ योजना और ईडी के खिलाफ कांग्रेस नेताओं का जंतर-मंतर पर ‘सत्याग्रह’ जारी

कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता अग्निपथ योजना और ईडी द्वारा राहुल गांधी से पूछताछ के खिलाफ लगातार दूसरे दिन यहां जंतर-मंतर पर ‘सत्याग्रह’ पर बैठे हैं। कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेगा। पार्टी ने अपनी संसदीय बोर्ड की बैठक भी बुलाई है, जिसमें सभी सांसदों को शामिल होने के लिए कहा गया है। इस बीच राहुल गांधी सोमवार को चौथी बार ईडी के सामने पेश हुए। इससे पहले उनसे तीन दिन में 30 घंटे तक पूछताछ की गई थी।
जंतर मंतर पर धरने में शामिल हुए कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने अग्निपथ योजना को लेकर भाजपा नेताओं पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “पहले अपने बच्चों को इस योजना का लाभार्थी बनाओ। मंत्री का बेटा बीसीसीआई का सचिव बने और देश के युवाओं को सिर्फ चार साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी मिले या फिर चौकीदार बना दिया जाए, यह पूरी तरह नाइंसाफी है।”
उन्होंने आगे कहा, “किसी परिवार के बच्चे को सेना में नौकरी मिल जाती है तो समाज में उसका मान-सम्मान बढ़ता है। सेना में नौकरी देश की सुरक्षा का सवाल है, इसको मजाक मत बनाइए। गरीब किसानों और मजदूरों के बच्चे सेना में भर्ती होते हैं। अग्निपथ योजना युवाओं को अनिश्चितता की आग में धकेलने के इरादे से लाई गई है। इस योजना को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।”
अग्निपथ योजना और राहुल गांधी के खिलाफ ईडी की कार्रवाई को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।
उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार को अग्निपथ योजना वापस लेनी होगी। यह सरकार हमारी सीमाओं की रक्षा करने वालों के साथ अपमानजनक व्यवहार कर रही है। इस योजना के लागू होने से युवाओं का भविष्य और देश की सीमा और सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।”
उन्होंने नेशनल हेराल्ड मामले में केंद्र सरकार द्वारा ईडी का इस्तेमाल किए जाने पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी ने महंगाई, बेरोजगारी और राफेल घोटाले के खिलाफ आवाज उठाई, यही वजह है कि केंद्र सरकार उनकी आवाज बंद करना चाहती है। भाजपा कांग्रेस को कमजोर दिखाना चाहती है, इसलिए ईडी के जरिए राहुल गांधी को बदनाम करने की कोशिश कर रही है।”
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कहा कि सरकार अग्निपथ योजना को जब तक वापस नहीं लेती, तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा।
इस बीच, किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए रेलवे स्टेशनों पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
देशभर में विपक्ष और युवाओं ने अग्निपथ योजना को वापस लेने की मांग की है।
केंद्र सरकार द्वारा अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद कई राज्यों में भयंकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। विरोध प्रदर्शन सोमवार को पांचवें दिन में प्रवेश कर गया। पिछले चार दिनों में प्रदर्शनकारियों ने कई इलाकों में कई ट्रेनों के डिब्बों में आग लगा दी और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया है।
महाराष्ट्र
यातायात पुलिस ने 10 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना वसूला। 556 करोड़

मुंबई: ‘मुंबई वन स्टेट वन चालान’ डिजिटल पोर्टल के जरिए मुंबई ट्रैफिक पुलिस विभाग ने 1 जनवरी 2024 से 28 फरवरी 2025 के बीच 556 करोड़ 64 लाख 21 हजार 950 रुपये (₹5,564,219,050) के चालान वसूले हैं। यह खुलासा एक आरटीआई आवेदन के जरिए हुआ है। उक्त अवधि के दौरान पोर्टल पर कुल 1,81,613 ऑनलाइन शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से 1,07,850 शिकायतें खारिज कर दी गईं। यानि लगभग 59% शिकायतें खारिज कर दी गईं।
सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता अनिल गलगली ने ई-चालान शिकायतों के बारे में मुंबई यातायात पुलिस से जानकारी मांगी थी। मुंबई यातायात पुलिस के अनुसार, वाहन के प्रकार (जैसे दोपहिया, चार पहिया, माल वाहन, यात्री वाहन, आदि) के आधार पर प्राप्त शिकायतों का वर्गीकरण ‘एक राज्य एक चालान’ पोर्टल पर उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण वर्तमान में विशिष्ट वाहन श्रेणियों पर की गई कार्रवाई का विश्लेषण करना असंभव है।
शिकायत जांच प्रक्रिया:
सभी शिकायतों की जांच मल्टीमीडिया सेल, यातायात मुख्यालय, वर्ली, मुंबई में की जाती है। इसमें वाहन की तस्वीरों और आसपास के दृश्य साक्ष्यों की समीक्षा शामिल है। यदि चित्र या साक्ष्य स्पष्ट नहीं हैं, तो उसे जांच के लिए संबंधित यातायात विभाग या पुलिस स्टेशन को भेजा जाता है। चालान को बरकरार रखने या रद्द करने का अंतिम निर्णय स्थानीय जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद ही किया जाएगा।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि ई-चालान प्रणाली को पारदर्शी बनाना समय की मांग है। नागरिकों को अपने विचार प्रस्तुत करने का पूर्ण एवं निष्पक्ष अवसर दिया जाना चाहिए तथा प्रत्येक शिकायत की निष्पक्ष एवं गहन जांच की जानी चाहिए।
राष्ट्रीय समाचार
छत्तीसगढ़ : सुरक्षाबलों ने 26 नक्सलियों को किया ढेर, एक जवान शहीद

नारायणपुर, 21 मई। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली है। यहां कोंडागांव के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों ने बुधवार को मुठभेड़ में 26 नक्सलियों को मार गिराया है। इस मुठभेड़ में एक जवान शहीद भी हुआ है।
नक्सलियों के पास से सुरक्षाबलों ने बड़ी मात्रा में गोला बारूद और हथियार बरामद किए है। इसकी जानकारी खुद राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा ने दी।
उन्होंने मीडिया से बात करते हुए बताया कि सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है, 26 से अधिक नक्सलियों को मार गिराया गया है। इस मुठभेड़ में कई बड़े नक्सली भी मारे गए हैं। विजय शर्मा ने बताया कि इस मुठभेड़ में एक जवान भी शहीद हुआ है, जबकि एक जवान घायल हुआ है। सर्च ऑपरेशन इलाके में जारी है।
इस मुठभेड़ में एक करोड़ के इनामी नक्सली नम्बाला केशवराव उर्फ वसवा राजू को भी ढेर कर दिया गया है। वह छत्तीसगढ़ के नारायणपुर और बीजापुर इलाके का कुख्यात नक्सली रहा है। उसके ऊपर 1 करोड़ का इनाम है। हालांकि अभी उसकी मौत की औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों की संख्या और बढ़ सकती है।
वहीं छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम अरुण साव ने मिडिया से बात करते हुए कहा कि राज्य में हमारी डबल इंजन की सरकार बनने के बाद नक्सलियों के उन्मूलन पर लगातार काम कर रही है। सुरक्षाबल के जवान दुर्गम इलाके में जाकर नक्सलियों का सफाया कर रहे हैं और नारायणपुर में 24 से ज्यादा नक्सली मारे गए हैं। निश्चित तौर बस्तर मार्च 2026 तक पूरी तरह से नक्सल मुक्त हो जाएगा।
इससे पहले सुरक्षा बलों ने कर्रेगुट्टा पहाड़ी क्षेत्र में चलाए गए संयुक्त अभियान में 31 नक्सलियों को मार गिराया था। इसके साथ ही भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किए गए थे।
सीआरपीएफ के डीजी ने जानकारी दी थी कि नक्सल विरोधी अभियान की शुरुआत 2014 में हुई थी, लेकिन 2019 के बाद से इस अभियान ने अधिक गति पकड़ी है। जवानों के लिए देश भर में संयुक्त प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है, जिससे उनकी रणनीतिक और सामरिक क्षमताओं में वृद्धि हुई है।
उन्होंने बताया था कि जहां 2014 में 35 जिले नक्सली गतिविधियों के केंद्र हुआ करते थे, वहीं 2025 तक यह संख्या घटकर मात्र 6 जिलों तक सीमित रह गई है। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के समन्वित प्रयासों के चलते नक्सली हिंसा में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है की गई है।
राजनीति
मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए सरकार ने किया सांसदों का प्रतिनिधिमंडल भेजने का प्रयोग : संजय राउत

मुंबई, 21 मई। शिवसेना (यूबीटी) नेता और राज्यसभा सांसद संजय राऊत ने विदेशों में भारतीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को भेजने पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार इस तरह का प्रयोग मुख्य मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए करती रहती है। सबसे पहले हमें पड़ोसी देश में जाना चाहिए।
सांसद संजय राउत ने मिडिया से बातचीत के दौरान कहा कि चीन ने खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया है। ऐसे में चीन जाकर पाकिस्तान को बेनकाब करना चाहिए। पड़ोसी देश आपको पूछता नहीं है। आप यूरोप, यूएस और अफ्रीकी देशों में जा रहे हैं, जिनका भारत और पाकिस्तान युद्ध से कोई लेना-देना नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह डेलिगेशन छोटे छोटे देशों में भेजे जा रहे हैं। इससे हमारी विदेश नीति से क्या संबंध है, खासकर भारत और पाकिस्तान के संदर्भ में। पड़ोसी देश के साथ आपके रिश्ते अच्छे नहीं हैं, इसलिए आप वहां नहीं जाना चाहते हैं।
संजय राउत ने कहा कि केंद्र सरकार यह कैसे तय कर सकती है कि किस पार्टी से कौन सा सांसद प्रतिनिधिमंडल में जाएगा। आपने आनन-फानन में नाम तय कर लिया है। ममता बनर्जी की टीएमसी से आपने यूसुफ पठान का नाम तय कर दिया, ममता ने साफ मना कर दिया कि यह नहीं चलेगा। उन्होंने अभिषेक बनर्जी का नाम दिया। अभिषेक इन मामलों में अधिक अनुभवी हैं।
पार्टी के फैसले से खुश रहने के सवाल पर संजय राउत ने कहा कि मैं पार्टी का फैसला हमेशा से मानता रहा हूं, लेकिन इस डेलिगेशन वाले मसले से कुछ हासिल होने वाला नहीं है।
बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए भारत सरकार ने दुनिया के प्रमुख देशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया है। इसको लेकर हालांकि राजनीति शुरू हो चुकी है। खासकर विभिन्न पार्टियों के सांसदों के नाम को लेकर विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई है।
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