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Monday,28-July-2025
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जाति आधारित भेदभाव की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करें कॉलेज: दिल्ली विश्वविद्यालय

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दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने सभी कॉलेजों को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा है कि विश्वविद्यालय कैंपस व कैंपस से जुड़े किसी भी संस्थान में जाति आधारित भेदभाव नहीं होना चाहिए। इसके लिए विश्वविद्यालय द्वारा सभी कॉलेजों को एक औपचारिक पत्र भी भेजा गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय से संबंधित सभी कॉलेजों को भेजे गए इस पत्र में कहा गया है कि यदि जाति आधारित भेदभाव का कोई मामला सामने आता है तो कॉलेज प्रशासन उस पर तुरंत आवश्यक कार्रवाई करें।

दिल्ली विश्वविद्यालय में कॉलेजों से कहा है कि सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संबंधित कॉलेजों में एससी, एसटी वर्ग से आने वाले छात्रों अथवा शिक्षकों के साथ किसी भी स्तर पर अस्वीकार्य व्यवहार नहीं होना चाहिए। विश्वविद्यालय के सहायक रजिस्ट्रार ने उच्च शिक्षा में जाति आधारित भेदभाव की रोकथाम पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी के निर्देश वाले पत्र कॉलेजों को संलग्न किए हैं।

यूजीसी ने भेदभाव की शिकायतों को सुनने के लिए एक समिति का गठन करने को कहा है। साथ ही यूजीसी ने यह भी सुझाव दिया है कि विश्वविद्यालय व कॉलेज जातिगत भेदभाव की शिकायतें दर्ज करने के लिए अपनी वेबसाइट पर एक पेज विकसित कर सकते हैं। इसके लिए रजिस्ट्रार कार्यालय में शिकायत रजिस्टर भी रखा जा सकता है। दिल्ली विश्वविद्यालय एवं यूजीसी दोनों का ही मानना है कि यदि ऐसी कोई घटना अधिकारियों के संज्ञान में आती है तो दोषी व्यक्ति के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।

दरअसल यूजीसी के सख्त निर्देश है कि हर कॉलेज में एससी, एसटी और ओबीसी सेल की स्थापना की जाए। एडमिशन की प्रक्रिया को देखने के लिए मोनिटरिंग कमेटी बनाई जाए, इसके अलावा छात्रों, कर्मचारियों व शिक्षकों की समस्याओं के समाधान करने हेतु ग्रीवेंस कमेटी बने।

उधर दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों के एक बड़े समूह ने बीते 5 वर्षों के दौरान किए गए दाखिलों की जांच कराने की भी मांग की है। शिक्षकों का कहना है कि इससे पता चलेगा कि कॉलेजों ने अपने यहां स्वीकृत सीटों से ज्यादा एडमिशन दिया हुआ जबकि उसकी एवज में आरक्षित सीटों को नहीं भरा जाता।

अपनी इसी मांग को लेकर फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ( दिल्ली विश्वविद्यालय ) ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर योगेश सिंह को पत्र भी लिखा है। इसमें मांग की गई है कि शैक्षिक सत्र 2022–23 में एडमिशन प्रक्रिया शुरू करने से पहले पिछले पांच वर्षों के आंकड़े मंगवाकर उनकी जांच करवाई जाए।

फोरम के चेयरमैन और दिल्ली यूनिवर्सिटी की एडमिशन कमेटी के पूर्व सदस्य डॉ. हंसराज सुमन ने कहा कि डीयू कॉलेजों में हर साल स्वीकृत सीटों से 10 फीसदी ज्यादा एडमिशन होते हैं। उन्होंने बताया है कि कॉलेज अपने स्तर पर 10 फीसदी सीटें बढ़ा लेते हैं। बढ़ी हुई सीटों पर अधिकांश कॉलेज आरक्षित वर्गों की सीटें नहीं भरते।

दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत लगभग-80 विभाग हैं जहां स्नातकोत्तर डिग्री, एमफिल, पीएचडी, सर्टिफिकेट कोर्स, डिग्री कोर्स आदि कराए जाते हैं। इसी तरह से दिल्ली विश्वविद्यालय में तकरीबन 79 कॉलेज हैं, जिनमें स्नातक, स्नातकोत्तर की पढ़ाई होती है। इन कॉलेजों व विभागों में हर साल स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर पर 70 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं के प्रवेश होते हैं।

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शारदा विश्वविद्यालय आत्महत्या मामला: आंतरिक जांच समिति आज सौंप सकती है पुलिस को रिपोर्ट

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ग्रेटर नोएडा, 28 जुलाई। ग्रेटर नोएडा के शारदा विश्वविद्यालय में एक छात्रा की आत्महत्या मामले की जांच कर रही आंतरिक जांच कमेटी सोमवार को अपनी रिपोर्ट पुलिस को सौंप सकती है। इस जांच कमेटी ने अब तक छात्रा के परिवार, जेल में बंद प्रोफेसर और अन्य लोगों से पूछताछ कर जांच पूरी कर ली है। इस रिपोर्ट के बाद पुलिस कुछ और लोगों पर भी पुलिस कार्रवाई कर सकती है।

रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया जाएगा कि छात्रा की आत्महत्या के पीछे कौन-कौन सी वजहें रहीं और विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से किस स्तर पर लापरवाही बरती गई। ऐसा माना जा रहा है कि रिपोर्ट में कुछ और कर्मचारियों या प्रोफेसरों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है, जिनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक, विश्वविद्यालय प्रशासन कुछ और लोगों को लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित करने की तैयारी कर रहा है।

इससे पहले, जांच समिति ने मृतक छात्रा के परिजनों, दोस्तों, सहपाठियों और विश्वविद्यालय के कुछ प्रोफेसरों से पूछताछ पूरी कर ली है। जेल में बंद आरोपियों से भी पूछताछ कर उनके बयान दर्ज किए जा चुके हैं।

पुलिस ने मृतक छात्रा का मोबाइल फोन, लैपटॉप, किताबें और आत्महत्या से पहले लिखा गया सुसाइड नोट बरामद किया है। ये सभी चीजें पुलिस ने अपने कब्जे में लेकर सील कर दी हैं और सुरक्षित रखी हैं। अब पुलिस इन सबको फॉरेंसिक जांच के लिए भेजने की तैयारी कर रही है, जिसके लिए कोर्ट से इजाजत ली जाएगी। फॉरेंसिक जांच के दौरान सुसाइड नोट की राइटिंग का मिलान भी किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह सच में छात्रा की ही लिखावट है या किसी और की।

इसके अलावा, मोबाइल और लैपटॉप से यह पता लगाया जाएगा कि आत्महत्या करने से पहले छात्रा ने किन लोगों के संपर्क में थी और उसकी स्थिति कैसी थी। इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन की भूमिका पहले से ही सवालों के घेरे में है। यदि आंतरिक जांच रिपोर्ट में लापरवाही की पुष्टि होती है, तो यह प्रकरण और गंभीर हो सकता है।

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मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर बड़ा हादसा: 15-20 गाड़ियों की टक्कर में एक की मौत, कई घायल; भीषण ट्रैफिक जाम की सूचना 

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पुणे, 26 जुलाई: शनिवार को मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर एक सुरंग के प्रवेश द्वार पर एक चौंकाने वाली घटना घटी। यह दुर्घटना श्री दत्ता स्नैक्स के पास हुई, जो हाईवे पर लोनावाला-खंडाला घाट के बाद स्थित है। सोशल मीडिया पर चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आई हैं, जहाँ हाईवे पर ब्रेक फेल होने के बाद एक कंटेनर के दुर्घटनाग्रस्त होने से लगभग 16 वाहन आपस में टकरा गए।

खबर है कि इस हादसे में करीब 16 लोग घायल हुए हैं। शुरुआती खबरों के मुताबिक , एक कंटेनर ट्रक के ब्रेक फेल होने के बाद करीब 18 से 20 गाड़ियाँ आपस में टकरा गईं। बताया जा रहा है कि तेज़ रफ़्तार ट्रक ने फ़ूड मॉल के पास एक गाड़ी को टक्कर मार दी, जिससे दोनों गाड़ियों के बीच भीषण टक्कर हो गई।

क्या हुआ?

1. यह दुर्घटना भारत के सबसे व्यस्त एक्सप्रेसवे में से एक पर हुई।

2. कंटेनर ट्रक ने नियंत्रण खो दिया और एक वाहन को टक्कर मार दी, जिससे चेन क्रैश हो गया।

3. इस टक्कर से कई वाहन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए, कम से कम तीन वाहन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए।

4. कई लोग घायल हुए, कुछ गंभीर रूप से घायल हुए।

एक्सप्रेसवे कई घंटों तक जाम रहा। वाहन 5 किलोमीटर तक लंबी कतारों में फंसे रहे। पुलिस और आपातकालीन टीमें घायलों की मदद और मलबा हटाने के लिए तुरंत मौके पर पहुँचीं। जाम कम करने के लिए यातायात को दूसरे रास्तों पर मोड़ना पड़ा।

इस घटना ने सड़क सुरक्षा को लेकर नई चिंताएँ पैदा कर दी हैं, खासकर घाट वाले इलाकों में, जहाँ सड़क सुरक्षा को जोखिम भरा माना जाता है। इसके लिए सख्त गति जाँच, बेहतर निगरानी और वाहनों, खासकर भारी ट्रकों, के नियमित रखरखाव की आवश्यकता है।

मामले के संबंध में जांच शुरू कर दी गई है और पुलिस सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है तथा इस बड़ी दुर्घटना का सही कारण जानने के लिए गवाहों से पूछताछ कर रही है।

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मुंबई: 11 महीने बाद भी कलिना में निर्दोष व्यक्ति के घर ड्रग्स रखने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं

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मुंबई: कलिना में चार पुलिसकर्मियों से संबंधित मादक पदार्थ रखने की घटना में लगभग 11 महीने बाद भी कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई है।

वकोला पुलिस ने न तो चारों आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की है, न ही आरोपपत्र दाखिल किया है और न ही प्रत्यक्षदर्शियों के बयान ठीक से दर्ज किए हैं। उन्होंने मामले में एनडीपीएस (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेज) की अतिरिक्त धाराएँ भी नहीं जोड़ी हैं, बल्कि केवल जमानती धाराएँ ही लगाई हैं। नतीजतन, आरोपियों को अग्रिम ज़मानत मिल गई।

मामले के बारे में

30 अगस्त, 2024 को, चार पुलिसकर्मियों ने सांताक्रूज़ पूर्व के कलिना स्थित एक पशुधन फार्म में काम करने वाले 31 वर्षीय निर्दोष डायलन एस्टबेरो की जेब में कथित तौर पर ड्रग्स रख दिए। यह पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई, जिससे चारों पुलिसकर्मियों की पोल खुल गई।

घटना 30 अगस्त, 2024 की है, जब खार पुलिस स्टेशन से सादे कपड़ों में पीएसआई विश्वनाथ ओम्बले और तीन कांस्टेबल – इमरान शेख, सागर कांबले और योगेंद्र शिंदे (जिन्हें दबंग शिंदे भी कहा जाता है) – सांताक्रूज़ पूर्व के कलिना में शाहबाज़ खान के पशु फार्म पर पहुँचे, जहाँ डायलन एस्टबेरो काम कर रहा था। उन्होंने कथित तौर पर डायलन की तलाशी ली और एक बनावटी तलाशी के दौरान उसकी जेब में 20 ग्राम मेफेड्रोन रख दिया, और बाद में उस पर ड्रग रखने का आरोप लगाया।

पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई, जिसकी बाद में शाहबाज़ खान ने समीक्षा की और उसे सार्वजनिक रूप से साझा किया। फुटेज जारी होने के बाद, डायलन को खार पुलिस ने रिहा कर दिया। इस वीडियो के बाद लोगों में आक्रोश फैल गया और तत्कालीन उपायुक्त राज तिलक रौशन ने 31 अगस्त को चारों अधिकारियों को निलंबित कर दिया। घटना के लगभग साढ़े तीन महीने बाद, भारतीय न्याय संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।

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