अपराध
जाति आधारित भेदभाव की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करें कॉलेज: दिल्ली विश्वविद्यालय
दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने सभी कॉलेजों को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा है कि विश्वविद्यालय कैंपस व कैंपस से जुड़े किसी भी संस्थान में जाति आधारित भेदभाव नहीं होना चाहिए। इसके लिए विश्वविद्यालय द्वारा सभी कॉलेजों को एक औपचारिक पत्र भी भेजा गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय से संबंधित सभी कॉलेजों को भेजे गए इस पत्र में कहा गया है कि यदि जाति आधारित भेदभाव का कोई मामला सामने आता है तो कॉलेज प्रशासन उस पर तुरंत आवश्यक कार्रवाई करें।
दिल्ली विश्वविद्यालय में कॉलेजों से कहा है कि सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संबंधित कॉलेजों में एससी, एसटी वर्ग से आने वाले छात्रों अथवा शिक्षकों के साथ किसी भी स्तर पर अस्वीकार्य व्यवहार नहीं होना चाहिए। विश्वविद्यालय के सहायक रजिस्ट्रार ने उच्च शिक्षा में जाति आधारित भेदभाव की रोकथाम पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी के निर्देश वाले पत्र कॉलेजों को संलग्न किए हैं।
यूजीसी ने भेदभाव की शिकायतों को सुनने के लिए एक समिति का गठन करने को कहा है। साथ ही यूजीसी ने यह भी सुझाव दिया है कि विश्वविद्यालय व कॉलेज जातिगत भेदभाव की शिकायतें दर्ज करने के लिए अपनी वेबसाइट पर एक पेज विकसित कर सकते हैं। इसके लिए रजिस्ट्रार कार्यालय में शिकायत रजिस्टर भी रखा जा सकता है। दिल्ली विश्वविद्यालय एवं यूजीसी दोनों का ही मानना है कि यदि ऐसी कोई घटना अधिकारियों के संज्ञान में आती है तो दोषी व्यक्ति के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।
दरअसल यूजीसी के सख्त निर्देश है कि हर कॉलेज में एससी, एसटी और ओबीसी सेल की स्थापना की जाए। एडमिशन की प्रक्रिया को देखने के लिए मोनिटरिंग कमेटी बनाई जाए, इसके अलावा छात्रों, कर्मचारियों व शिक्षकों की समस्याओं के समाधान करने हेतु ग्रीवेंस कमेटी बने।
उधर दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों के एक बड़े समूह ने बीते 5 वर्षों के दौरान किए गए दाखिलों की जांच कराने की भी मांग की है। शिक्षकों का कहना है कि इससे पता चलेगा कि कॉलेजों ने अपने यहां स्वीकृत सीटों से ज्यादा एडमिशन दिया हुआ जबकि उसकी एवज में आरक्षित सीटों को नहीं भरा जाता।
अपनी इसी मांग को लेकर फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ( दिल्ली विश्वविद्यालय ) ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर योगेश सिंह को पत्र भी लिखा है। इसमें मांग की गई है कि शैक्षिक सत्र 2022–23 में एडमिशन प्रक्रिया शुरू करने से पहले पिछले पांच वर्षों के आंकड़े मंगवाकर उनकी जांच करवाई जाए।
फोरम के चेयरमैन और दिल्ली यूनिवर्सिटी की एडमिशन कमेटी के पूर्व सदस्य डॉ. हंसराज सुमन ने कहा कि डीयू कॉलेजों में हर साल स्वीकृत सीटों से 10 फीसदी ज्यादा एडमिशन होते हैं। उन्होंने बताया है कि कॉलेज अपने स्तर पर 10 फीसदी सीटें बढ़ा लेते हैं। बढ़ी हुई सीटों पर अधिकांश कॉलेज आरक्षित वर्गों की सीटें नहीं भरते।
दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत लगभग-80 विभाग हैं जहां स्नातकोत्तर डिग्री, एमफिल, पीएचडी, सर्टिफिकेट कोर्स, डिग्री कोर्स आदि कराए जाते हैं। इसी तरह से दिल्ली विश्वविद्यालय में तकरीबन 79 कॉलेज हैं, जिनमें स्नातक, स्नातकोत्तर की पढ़ाई होती है। इन कॉलेजों व विभागों में हर साल स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर पर 70 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं के प्रवेश होते हैं।
अपराध
मुंबई : चोरी के मामले में करीब 30 साल से फरार आरोपी गिरफ्तार

मुंबई : एक नाटकीय घटनाक्रम में, पुलिस ने आखिरकार एक ऐसे आदमी को गिरफ्तार कर लिया है जो डी.बी. मार्ग पुलिस स्टेशन में दर्ज चोरी के एक मामले में करीब 30 साल से फरार था। वह गिरफ्तारी से बचने के लिए उत्तर प्रदेश के अयोध्या से भाग गया था। आरोपी की पहचान द्विजेंद्र कमलप्रसाद दुबे (65) के रूप में हुई है, जो उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के गरवा का रहने वाला है। वह इंडियन पीनल कोड की धारा 381 (क्लर्क या नौकर द्वारा चोरी) के तहत दर्ज FIR के सिलसिले में 1995 से फरार था। लगभग तीन दशकों तक कोर्ट में पेश न होने के बाद, गिरगांव की 18वीं कोर्ट ने उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था।
एक टिप मिलने पर, सीनियर अधिकारियों के मार्गदर्शन में PSI अज़ीम शेख के नेतृत्व में एक पुलिस टीम को 26 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के बस्ती भेजा गया। 29 अक्टूबर को उसके घर पहुंचने पर, टीम को पता चला कि दुबे हाल ही में धार्मिक यात्रा के लिए अयोध्या गया था। हालांकि, जब आरोपी को बस्ती में मुंबई पुलिस टीम की मौजूदगी के बारे में पता चला, तो वह तुरंत लखनऊ के रास्ते मुंबई भाग गया।
अपराध
बाबा सिद्दीकी हत्याकांड: विधवा ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख कर पूर्व विधायक की हत्या की स्वतंत्र जांच की मांग की

मुंबई: दिवंगत कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक बाबा सिद्दीकी की विधवा शहजीन जियाउद्दीन सिद्दीकी ने अपने पति की हत्या की जांच एक “स्वतंत्र और निष्पक्ष एजेंसी” को सौंपने की मांग करते हुए बॉम्बे उच्च न्यायालय का रुख किया है।
वकील त्रिवणकुमार करनानी के माध्यम से दायर इस याचिका में मुंबई पुलिस पर राजनीतिक हस्तक्षेप और महत्वपूर्ण सबूतों को जानबूझकर दबाने का आरोप लगाया गया है। इस मामले की सुनवाई अगले हफ़्ते होने की संभावना है।
सिद्दीकी (66) की 12 अक्टूबर 2024 की रात बांद्रा (पूर्व) स्थित उनके बेटे जीशान के कार्यालय के बाहर तीन हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
शहज़ीन की याचिका में दावा किया गया है कि पुलिस जानबूझकर असली दोषियों को गिरफ्तार करने से बच रही है और हत्या का आरोप लॉरेंस बिश्नोई के भाई गैंगस्टर अनमोल बिश्नोई पर लगा रही है। उन्हें अपने पति की मौत के पीछे एक ताकतवर बिल्डर लॉबी और एक राजनीतिक नेता का हाथ होने का शक है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि जाँचकर्ताओं ने सिद्दीकी के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र में झुग्गी पुनर्विकास परियोजनाओं में लगे बिल्डरों की भूमिका की जाँच “जानबूझकर टाली” — ये वे क्षेत्र हैं जहाँ उन्होंने झुग्गीवासियों के शोषण का विरोध किया था। याचिका में कहा गया है, “सिद्दीकी हमेशा झुग्गीवासियों के लिए काम करते थे और कई डेवलपर्स उन्हें बाधा मानते थे। पुलिस ने इस पहलू की कभी जाँच नहीं की।”
इसमें आगे आरोप लगाया गया है कि स्पष्ट मकसद का खुलासा होने के बावजूद, पुलिस ने सिद्दीकी के बेटे, विधायक जीशान सिद्दीकी द्वारा नामित व्यक्तियों से पूछताछ नहीं की है। याचिका में कहा गया है, “जांच पहाड़ खोदकर चूहा निकालने जैसी लगती है।” साथ ही, यह भी कहा गया है कि व्हाट्सएप संदेशों और रिकॉर्डिंग रखने वाली “प्रमुख और महत्वपूर्ण गवाह” शहज़ीन से कभी पूछताछ नहीं की गई।
हत्या से पहले की घटनाओं का विवरण देते हुए, याचिका में कहा गया है कि सिद्दीकी ने अपनी हत्या से हफ़्तों पहले बार-बार सुरक्षा संबंधी चिंताएँ जताई थीं और पुलिस सुरक्षा बहाल करने की माँग की थी। 15 जुलाई, 2024 को उन्हें पृथ्वीजीत राजाराम चव्हाण नाम के एक व्यक्ति से एक “आपत्तिजनक और धमकी भरा संदेश” मिला।
25 जुलाई को उन्होंने पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर अपनी सुरक्षा बहाल करने की मांग की, जबकि उनके बेटे जीशान ने तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखकर Y+ सुरक्षा मांगी। आयुक्त कार्यालय ने अगले दिन सिद्दीकी के पत्र का संज्ञान लिया।
याचिका में अगस्त में अशोक मुंद्रा नामक व्यक्ति द्वारा सिद्दीकी के खिलाफ कथित तौर पर की गई अपमानजनक टिप्पणी का भी उल्लेख किया गया है। मुंद्रा, व्यवसायी मोहित कंबोज का सहयोगी बताया जाता है।
29 जुलाई को, सिद्दीकी ने अपनी पत्नी को धमकी भरे संदेश का एक स्क्रीनशॉट भेजा और उससे कहा कि अगर उसे कुछ हो जाए तो इसे संभाल कर रख ले। दो हफ़्ते बाद, उसने उसे मैसेज किया, “यह सही तरीका नहीं है,” और फिर लिखा, “ये कमीने बदमाशी कर रहे हैं।”
याचिका में मांग की गई है कि जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी या वैकल्पिक रूप से न्यायालय की निगरानी वाली विशेष जांच टीम (एसआईटी) को सौंपी जाए तथा पुलिस को स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाए।
हत्या के एक दिन बाद भारतीय न्याय संहिता, शस्त्र अधिनियम और बाद में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) की कई धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई। जाँच डीसीबी सीआईडी की मुंबई स्थित विशेष इकाई को सौंप दी गई।
इस साल जनवरी में, पुलिस ने 26 गिरफ्तार आरोपियों के नाम से एक आरोपपत्र दाखिल किया, जिन पर मकोका के तहत मामला दर्ज किया गया था। अनमोल बिश्नोई को वांछित आरोपी बताया गया है, और अभियोजन पक्ष का दावा है कि उसने अपराध सिंडिकेट में अपना दबदबा बनाए रखने के लिए हत्या का आदेश दिया था।
जून में, सिद्दीकी के परिवार ने बिश्नोई की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी, लेकिन उन्हें आरटीआई अधिनियम के तहत जानकारी देने से इनकार कर दिया गया। अगस्त में, उन्हें बताया गया कि विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी अधिकारियों को प्रत्यर्पण अनुरोध भेजा है।
अपराध
दिल्ली : साइबर स्टॉकर गिरफ्तार, पूर्व कर्मचारी को बदनाम करने के लिए बनाया फर्जी इंस्टाग्राम अकाउंट

CRIME
नई दिल्ली, 8 नवंबर: दक्षिण-पश्चिम जिला पुलिस की साइबर टीम ने ऑनलाइन छेड़छाड़, साइबर उत्पीड़न और मानहानि के एक गंभीर मामले में बिहार के मधुबनी निवासी मोहम्मद साहिद (37 वर्ष) को गिरफ्तार किया है। आरोपी ने अपनी पूर्व महिला कर्मचारी की तस्वीर का दुरुपयोग कर फर्जी इंस्टाग्राम प्रोफाइल बनाई और उसमें अश्लील, अपमानजनक सामग्री पोस्ट कर पीड़िता की प्रतिष्ठा को धूमिल करने की कोशिश की।
घटना की शुरुआत 23 सितंबर 2025 को हुई जब पीड़िता ने साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई। उसने बताया कि कोई अज्ञात व्यक्ति उसकी पुरानी तस्वीर को प्रोफाइल फोटो बनाकर फर्जी अकाउंट चला रहा है, जो उसके दोस्तों और फॉलोअर्स को फॉलो रिक्वेस्ट भेज रहा है और अपमानजनक पोस्ट कर रहा है। पुलिस ने 27 अक्टूबर को हरियाणा के आईएमटी मानेसर से उसे दबोचा और अपराध में इस्तेमाल स्मार्टफोन बरामद किया। शिकायत पर बीएनएस की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। जांच में इंस्टाग्राम/मेटा से प्राप्त डेटा और डिजिटल फुटप्रिंट एनालिसिस से पता चला कि अकाउंट मानेसर क्षेत्र से ऑपरेट हो रहा है।
एसीपी ऑपरेशंस विजय पाल सिंह तोमर के मार्गदर्शन में इंस्पेक्टर प्रवेश कौशिक (एसएचओ साइबर) की देखरेख में एसआई प्रियंका, एचसी रीना कुमारी और एचसी जयप्रकाश की टीम ने मानेसर में लगातार छापेमारी की। तकनीकी निगरानी और लोकल इंटेलिजेंस के आधार पर 27 अक्टूबर को आरोपी को पकड़ा गया। पूछताछ में साहिद ने कबूल किया कि पीड़िता उसके छोटे फैक्ट्री यूनिट में काम करती थी। बकाया वेतन मांगने पर विवाद हुआ, जिससे नाराज होकर उसने बदला लेने के लिए यह कृत्य किया। फोन की जांच में फर्जी अकाउंट सक्रिय मिला, जिसमें आपत्तिजनक कंटेंट भरा था।
आरोपी मोहम्मद साहिद इंटर पास है और मानेसर में प्राइवेट जॉब करता है। उसके अन्य डिवाइस की फोरेंसिक जांच जारी है ताकि पता लगाया जा सके कि वह इसी तरह की और घटनाओं में शामिल तो नहीं।
डीसीपी दक्षिण-पश्चिम अमित गोयल ने कहा, “यह गिरफ्तारी साइबरस्पेस में महिलाओं की सुरक्षा और ऑनलाइन उत्पीड़न के खिलाफ हमारी जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाती है।”
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