राजनीति
अमलापुरम हिंसा को लेकर TDP, जन सेना ने YSRCP कसा तंज

तेलुगु देशम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू और जन सेना नेता पवन कल्याण ने अमलापुरम शहर में हुई मंगलवार की हिंसा के लिए तेदेपा और जन सेना को जिम्मेदार ठहराने पर वाईएसआर कांग्रेस पार्टी सरकार की आलोचना की है। नायडू ने हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और इस संकट की घड़ी में शांति बनाए रखने का कोनसीमा के लोगों का आग्रह किया।
कोनसीमा जिले का नाम बदलकर डॉ बी.आर. अंबेडकर कोनसीमा जिला करने के प्रस्ताव पर वहां हिंस भड़क गई थी।
टीडीपी प्रमुख ने कहा कि गृह मंत्री टी. अनीता की ओर से संवेदनशील मुद्दे पर निराधार आरोप लगाना गलत है।
नायडू ने जोर देकर कहा कि शांतिपूर्ण कोनसीमा क्षेत्र में ताजा तनाव के लिए सरकार और पुलिस पूरी तरह जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि हिंसाग्रस्त इलाके में सामान्य स्थिति बहाल होने तक सभी वर्ग के लोगों को सहयोग करना चाहिए।
अभिनेता राजनेता पवन कल्याण ने भी अमलापुरम में हुई हिंसा की निंदा की।
राजनीति
मालेगांव ब्लास्ट पर फिल्म बनाने का निर्माताओं को पूरा अधिकार: राम कदम

RAM KADAM
मुंबई, 4 अगस्त। महाराष्ट्र भाजपा के वरिष्ठ नेता राम कदम ने मालेगांव ब्लास्ट पर फिल्म बनाने की वकालत की है और भाजपा सांसद मेधा कुलकर्णी के बयान का समर्थन किया है। मेधा कुलकर्णी ने सुझाव दिया था कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ की तर्ज पर ‘मालेगांव फाइल्स’ जैसी फिल्म बननी चाहिए, जो 2008 के मालेगांव बम विस्फोट की कहानी को सामने लाए। उनका कहना था कि यह फिल्म लोगों को इस घटना से जुड़े कथित कुकृत्यों और सच्चाइयो के बारे में जागरूक करेगी।
सोमवार को मिडिया से बातचीत में राम कदम ने कहा कि मेधा कुलकर्णी का मालेगांव फाइल्स पर फिल्म बनाने का सुझाव उचित है, क्योंकि यह साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के उस बयान को बल देता है जिसमें उन्होंने कहा था कि इस मामले में दोषियों का पर्दाफाश हो गया है। उन्होंने कहा कि न्याय का नियम है कि सत्य को अस्थायी रूप से दबाया जा सकता है, लेकिन पराजित नहीं किया जा सकता।
राम कदम ने दावा किया कि मालेगांव विस्फोट मामले में पवित्र भगवा को आतंकवाद से जोड़ने की साजिश रची गई थी। उनके अनुसार, गवाहों और एटीएस अधिकारियों पर दबाव डाला गया ताकि हिंदू नेताओं और सनातन धर्म को बदनाम किया जाए। उन्होंने मांग की कि इस साजिश के पीछे के कांग्रेस नेताओं के नाम उजागर होने चाहिए ताकि यह स्पष्ट हो कि वे किसे खुश करना चाहते थे।
एनसीपी (शरदचंद्र पवार) नेता जितेंद्र आव्हाड के सनातन धर्म पर दिए गए बयान की कड़ी आलोचना करते हुए कहा, ” आव्हाड का बयान सनातन धर्म की छवि को जानबूझकर बदनाम करने की कोशिश है। यह “सर्वे भवन्तु सुखिनः” (सभी सुखी हों) का संदेश देता है, विश्व को परिवार मानता है और मानवता की सेवा को सर्वोपरि रखता है।”
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या शरद पवार गुट इन मूल्यों को नहीं समझता? कदम ने आरोप लगाया कि एनसीपी (सपा) और कांग्रेस जैसे दल भगवा रंग को आतंकवाद से जोड़कर बदनाम करते हैं, जो उनके लिए पवित्र है। उन्होंने इसे एक विशेष धार्मिक समूह के प्रति तुष्टिकरण की राजनीति का हिस्सा करार दिया।
कांग्रेस नेता उदित राज के बयान पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में अनेक देवी-देवताओं को पूजने और हर जीव-जंतु में ईश्वर का रूप देखने की परंपरा पर आपत्ति जताना गलत है। उन्होंने सावन के पवित्र महीने का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे बयान साधु-संतों और करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं, और इसके लिए शरद पवार गुट के नेता बददुआ के हकदार हैं।
बीएमसी चुनावों को लेकर उन्होंने आत्मविश्वास जताते हुए कहा कि महायुति गठबंधन (भाजपा, शिवसेना-एकनाथ शिंदे, और एनसीपी-अजित पवार) पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ेगा और जीत हमारी होगी। उन्होंने यह भी दावा किया कि महाराष्ट्र में भाजपा अग्रणी पार्टी बनी रहेगी और महायुति सत्ता में कायम रहेगी। कदम ने कहा कि उनकी पार्टी लोकतंत्र के अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति की आवाज उठाती है।
राम कदम ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव द्वारा चुनाव आयोग पर लगाए गए आरोपों की कड़ी आलोचना की। कदम ने ‘अर्बन नक्सलवाद’ का जिक्र करते हुए कहा कि राहुल गांधी एक तरफ संविधान का सम्मान करने का दावा करते हैं, लेकिन दूसरी तरफ संवैधानिक संस्थाओं, जैसे चुनाव आयोग, पर सवाल उठाकर भ्रम फैलाते हैं और समाज में अशांति पैदा करने की कोशिश करते हैं।
2024 के लोकसभा चुनावों में संविधान बदला जाएगा। जैसे झूठे नैरेटिव फैलाकर वोट हासिल करने में सफल रहे राहुल गांधी, बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी ऐसा करना चाहते हैं।
तेजस्वी यादव के पास दो वोटर कार्ड को लेकर राम कदम ने धांधली का आरोप लगाया, और पूछा कि वोटर लिस्ट में दो नाम कैसे हो सकते हैं?
कदम ने यह भी कहा कि विपक्ष, खासकर बिहार में अपनी संभावित हार को देखते हुए, पहले से ही हार का बहाना बनाने के लिए चुनाव आयोग पर आरोप लगा रहा है। कोर्ट ने राहुल गांधी को उनके बयानों के लिए फटकार लगाई है, लेकिन वे बचकानी बातें करते हैं।
अभी वह एटम बम की बात कर रहे हैं, मैं पूछना चाहता हूं कि क्यों वह सही मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं, सबूत है तो दिखाओ।
राष्ट्रीय समाचार
रेस्टोरेंट मालिकों को बीएमसी की रूफ-टॉप कैफ़े नीति अस्पष्ट लगी, मालाबार हिल व्यूइंग गैलरी टेंडर के लिए कोई खरीदार नहीं

रूफटॉप कैफ़े स्थापित करने के लिए मालाबार हिल व्यूइंग गैलरी को लीज़ पर देने के लिए निविदा की समय सीमा बढ़ाने के बावजूद, बीएमसी को कोई रुचि नहीं मिली है। बीएमसी ने 11.72 करोड़ रुपये की लागत से 5000 वर्ग फुट के व्यूइंग डेक को 10 साल के लिए लीज़ पर देने का प्रस्ताव रखा है। हालाँकि, मरीन ड्राइव के मनोरम दृश्य प्रदान करने वाले इस प्रतिष्ठित और पर्यटक-अनुकूल स्थान के बावजूद, रेस्टोरेंट मालिकों का कहना है कि लीज़ की ऊँची लागत और रूफटॉप कैफ़े पर बीएमसी की अस्पष्ट नीति उन्हें रुचि दिखाने से रोक रही है।
खाना पकाने पर प्रतिबंध निवेशकों को हतोत्साहित करते हैं
बीएमसी ने अपने टेंडर में कहा है कि छत पर खाना पकाने की अनुमति नहीं होगी और केवल चाय और कॉफ़ी सहित रेडी-टू-ईट खाद्य पदार्थों की ही अनुमति होगी। गौरतलब है कि इसी जगह पर 1998 तक मशहूर कैफ़े नाज़ हुआ करता था। लीज़ खत्म होने के बाद, नगर निगम ने संपत्ति वापस ले ली और अब दो मंजिला प्रमोद नवलकर व्यूइंग गैलरी का निर्माण किया।
एफपीजे ने 11 जुलाई को बताया था कि बीएमसी ने भायखला चिड़ियाघर में कैफेटेरिया चलाने वाले ठेकेदार से भी संपर्क किया है। हालाँकि, अधिकारियों ने बताया कि ठेकेदार ने भी कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया है।
इंडियन होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन (एएचएआर) के अध्यक्ष सुधारकर शेट्टी ने कहा, “लागत से ज़्यादा, मुख्य मुद्दा रूफ-टॉप कैफ़े पर बीएमसी की अस्पष्ट नीति है। इसके अलावा, जब केवल दोबारा गर्म करने या इंडक्शन के इस्तेमाल की अनुमति है, तो हम ग्राहकों को विविधता प्रदान नहीं कर सकते और ग्राहकों की संख्या भी कम है। ऊँची किराये की लागत के साथ, लाभ कमाने वाला व्यवसाय चलाना मुश्किल है।”
इस बीच, नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) के प्रणव रूंगटा ने कहा कि उन्होंने अभी तक टेंडर नहीं देखा है और बीएमसी को इसका और प्रचार करना चाहिए। “मालाबार हिल निश्चित रूप से एक आकर्षक जगह है। अगर टेंडर महीनों पहले जारी किया गया है, तो यह कई रेस्टोरेंट मालिकों तक पहुँच चुका है। साथ ही, हम रूफ-टॉप कैफ़े और रेस्टोरेंट पर बीएमसी की नीति में और स्पष्टता की माँग कर रहे हैं। उनके कड़े मानदंडों के कारण, कई अपंजीकृत विक्रेता पर्यटकों के अनुकूल जगहों पर कारोबार करते हैं।”
कुछ रेस्टोरेंट मालिकों का मानना है कि मालाबार हिल व्यूइंग गैलरी जैसी जगहों पर सिर्फ़ मानसून या छुट्टियों के दौरान ही लोग आते हैं। इसलिए, साल भर कैफ़े चलाना संभव नहीं है।
राजनीति
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी से पूछा,’आपको कैसे पता कि चीन ने भारतीय जमीन पर कब्जा किया’

suprim court
नई दिल्ली, 4 अगस्त। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से ‘चीन के भारत की जमीन को कब्जे में’ करने वाली टिप्पणी को लेकर सवाल पूछा है। राहुल गांधी ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान ये टिप्पणी की थी। अपने बयान में राहुल ने 9 दिसंबर 2022 को तवांग सेक्टर में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प का भी जिक्र किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के इस दावे पर कहा कि, “अगर वह एक सच्चे भारतीय होते, तो इस तरह की बातें नहीं करते।”
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने राहुल गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा, “आपको कैसे पता कि चीन ने 2,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय जमीन पर कब्जा कर लिया है? क्या आप वहां थे? क्या आपके पास कोई भरोसेमंद सबूत है? अगर आप एक सच्चे भारतीय होते, तो ऐसा नहीं कहते। जब सीमा पर संघर्ष होता है, तो दोनों तरफ हताहत होना कोई असामान्य बात नहीं है।”
कोर्ट ने यह भी कहा, “जो कुछ कहना है, वह आप संसद में क्यों नहीं कहते? सोशल मीडिया पर ऐसा कहने की क्या जरूरत है?” यह सवाल सिंघवी की उस दलील के बाद आया, जिसमें उन्होंने कहा कि अगर विपक्षी नेता को मीडिया में राष्ट्रीय मुद्दों पर बोलने की अनुमति नहीं दी गई, तो यह एक “दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति” होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की उस याचिका पर विचार करने की सहमति दी है जिसमें उन्होंने मांग की है कि पूर्व-संज्ञान चरण में अभियुक्तों को नोटिस देना अनिवार्य किया जाए। कोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता से जवाब भी मांगा है।
वहीं, कोर्ट ने राहुल गांधी को राहत देते हुए लखनऊ की अदालत की ओर से जारी समन (हाजिरी आदेश) पर अंतरिम रोक भी लगा दी है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव ने इस मामले को लेकर शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी का बयान “झूठा और निराधार” है और इसका मकसद भारतीय सेना और देश का मनोबल गिराना है।
इससे पहले मई महीने में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राहुल गांधी द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने आपराधिक मानहानि के मामले को रद्द करने की मांग की थी।
राहुल गांधी की ओर से यह दलील दी गई थी कि शिकायतकर्ता (उदय शंकर श्रीवास्तव) का नाम बयान में लिया ही नहीं गया था, इसलिए उनके पास केस दर्ज कराने का कानूनी अधिकार नहीं है। लेकिन अदालत ने इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया था।
अदालत ने यह भी कहा, “निचली अदालत ने सभी जरूरी तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि) के तहत मुकदमे का सामना करने के लिए समन (हाजिर होने का आदेश) भेजा है और यह फैसला सही है।”
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत द्वारा 11 फरवरी 2025 को जारी किया गया समन आदेश “किसी भी तरह से अवैध नहीं है,” इसलिए उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। इस आदेश के बाद राहुल गांधी लखनऊ स्थित एमपी-एमएलए (सांसद-विधायक) अदालत में पेश हुए और उन्होंने 20 हजार का निजी मुचलका और 20 हजार की दो जमानत राशियां जमा कराई थी।
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